Table of contents |
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परिचय |
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चुनौतियाँ |
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भारत का डेटा संरक्षण विधेयक – प्रमुख सिफारिशें |
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चिंताएँ |
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आगे का रास्ता: |
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कानूनी मान्यता: KS Puttaswamy मामले में सुप्रीम कोर्ट की घोषणा ने डेटा गोपनीयता को अनुच्छेद 21 के तहत एक मौलिक अधिकार के रूप में स्थापित किया।
गोपनीयता कानून: IT नियमों, 2011 के अंतर्गत मौजूदा कानून केवल निजी संस्थाओं पर लागू होते हैं, न कि सरकारी एजेंसियों पर।
सोशल मीडिया विनियमन: सोशल मीडिया प्लेटफार्मों को उनके पेरेंट कंपनियों के तहत भारत में कार्यालय स्थापित करने का अनिवार्य करना।
मीडिया विनियमन: मीडिया निगरानी के लिए एक अलग नियामक निकाय का प्रस्ताव।
दंड: पहचान हटाई गई डेटा को फिर से पहचानने के लिए जेल की सजा और जुर्माने का परिचय देना।
सरकारी छूट: केवल असाधारण परिस्थितियों में सरकारी एजेंसियों के लिए छूट की अनुमति देना।
आर्थिक प्रभाव: बड़े डेटा के वित्तीय लाभ मुख्य रूप से विदेशी MNCs को जाते हैं, जिससे भारत की आर्थिक संपत्ति का प्रवाह हो सकता है।
स्टार्ट-अप की भागीदारी: स्टार्ट-अप को इस तकनीक के विकास के लिए प्रोत्साहित करें जो उपयोगकर्ताओं को उनके डिजिटल व्यवहार डेटा पर नियंत्रण प्रदान करे।
डेटा साझेदारी: वैश्विक डेटा कंपनियों के खिलाफ समान स्तर के खेल के लिए स्टार्ट-अप के साथ डेटा साझेदारी को बढ़ावा दें।
स्थानीय इंटरनेट दिग्गज: चीन के मॉडल के समान स्थानीय इंटरनेट दिग्गजों के गठन को प्रोत्साहित करें।
कानूनी अद्यतन: आधुनिक प्रवृत्तियों के अनुरूप जानकारी प्रौद्योगिकी अधिनियम के तहत वर्तमान डेटा संरक्षण नियमों को तत्काल अद्यतन करें।
वैश्विक मानक: यूरोपीय संघ द्वारा लागू GDPR के समान एक कठोर डेटा संरक्षण कानून के लिए वकालत करें।