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भारत की विज्ञान और प्रौद्योगिकी में उपलब्धियाँ | UPSC Mains: निबंध (Essay) Preparation PDF Download

भारत की विज्ञान और प्रौद्योगिकी में उपलब्धियाँ

भारत की प्राचीन समय से वैज्ञानिक अन्वेषण की समृद्ध विरासत ने विज्ञान और प्रौद्योगिकी में आधुनिक उपलब्धियों की नींव रखी है। भारत की विज्ञान यात्रा विभिन्न क्षेत्रों में फैली हुई है, जैसे कि अंतरिक्ष अन्वेषण, जैव प्रौद्योगिकी और सूचना प्रौद्योगिकी (IT)। उल्लेखनीय उपलब्धियों में सफल मंगल मिशन मंगलयान, चंद्रयान मिशन, स्वदेशी मिसाइलों का विकास जैसे अग्नि और आकाश, और स्वास्थ्य सेवाओं में कोवैक्सिन का विकास शामिल है। देश की फलती-फूलती IT उद्योग और आधार और UPI जैसी पहलों का वैश्विक महत्व है। अनुसंधान एवं विकास में बढ़ती निवेश की आवश्यकता और कुशल कार्यबल के विकास जैसी चुनौतियों के बावजूद, भारत की नवाचार के प्रति प्रतिबद्धता इसे विज्ञान और प्रौद्योगिकी के भविष्य को वैश्विक स्तर पर आकार देने में एक महत्वपूर्ण खिलाड़ी बनाती है।

भारत की विज्ञान और प्रौद्योगिकी में उपलब्धियों की पृष्ठभूमि

  • भारत का वैज्ञानिक अन्वेषण का एक समृद्ध इतिहास है।
  • प्राचीन भारतीय विद्वानों ने विभिन्न क्षेत्रों में महत्वपूर्ण योगदान दिया:
    • गणित: उन्होंने शून्य का अवधारणा प्रस्तुत की।
    • खगोलशास्त्र: उन्होंने समय को ट्रैक करने के लिए उन्नत कैलेंडर बनाए।
    • चिकित्सा: आयुर्वेद का विकास एक महत्वपूर्ण उपलब्धि थी।
  • इस समृद्ध विरासत ने आधुनिक वैज्ञानिक संस्थानों की स्थापना में मदद की, जैसे:
    • भारतीय विज्ञान संस्थान (IISc)
    • भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (IIT)
    • भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र (BARC)
  • ये संस्थान भारत में एक जीवंत वैज्ञानिक पारिस्थितिकी तंत्र का निर्माण कर चुके हैं।
  • एक ऐसे विश्व में जहाँ नवाचार को महत्व दिया जाता है, भारत एक प्रमुख खिलाड़ी बन गया है।
  • देश ने विज्ञान और प्रौद्योगिकी के कई क्षेत्रों में बड़ी प्रगति की है।

भारत की विज्ञान और प्रौद्योगिकी में उपलब्धियाँ

भारत का विज्ञान और प्रौद्योगिकी का मार्ग प्रभावशाली सफलताओं और महत्वपूर्ण मील के पत्थरों से भरा हुआ है, जिसने देश को नवाचार और अनुसंधान के लिए विश्व मानचित्र पर स्थान दिया है। राष्ट्र ने विभिन्न क्षेत्रों में बड़ी प्रगति की है, जिनमें शामिल हैं:

  • अंतरिक्ष अन्वेषण: भारत ने चंद्रमा और मंगल पर मिशन भेजने जैसे महत्वपूर्ण मील के पत्थर हासिल किए हैं।
  • जैव प्रौद्योगिकी: देश ने चिकित्सा अनुसंधान और कृषि प्रौद्योगिकी में प्रगति की है।
  • सूचना प्रौद्योगिकी (IT): भारत को IT और सॉफ्टवेयर विकास में वैश्विक नेता के रूप में मान्यता प्राप्त है, जो डिजिटल दुनिया में योगदान दे रहा है।
  • स्टार्टअप इंडिया के अनुसार, भारत विश्व का तीसरा सबसे बड़ा स्टार्टअप पारिस्थितिकी तंत्र है, जिसमें 125,000 से अधिक स्टार्टअप और 110 यूनिकॉर्न (स्टार्टअप जिनका मूल्यांकन 1 अरब डॉलर से अधिक है) शामिल हैं।
  • भारतीय तकनीकी कंपनियों और पेशेवरों ने डिजिटल क्रांति में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है, जो देश की तकनीकी विशेषज्ञता को प्रदर्शित करती है।

ये उपलब्धियाँ विज्ञान और प्रौद्योगिकी की शक्ति को समाज के सुधार के लिए harness करने के प्रति भारत की प्रतिबद्धता को उजागर करती हैं।

विभिन्न क्षेत्रों में प्रमुख उपलब्धियाँ

  • अंतरिक्ष मिशन: चंद्रयान और मंगलयान जैसे महत्वपूर्ण लॉन्च।
  • स्वास्थ्य सेवाओं में नवाचार: वैक्सीन और चिकित्सा तकनीकों का विकास।
  • सूचना प्रौद्योगिकी: सॉफ्टवेयर सेवाओं और IT-सक्षम सेवाओं का विकास।
  • स्टार्टअप्स: विविध क्षेत्रों में नवाचार वाली कंपनियों का उदय।

हालांकि भारत की आधुनिक वैज्ञानिक उपलब्धियाँ प्रभावशाली हैं, इसकी प्राचीन योगदानों का भी immense मूल्य है।

बीजगणितीय समीकरण: प्राचीन भारतीय गणितज्ञों जैसे कि ब्रह्मगुप्त ने बीजगणित में महत्वपूर्ण योगदान दिया, द्विघात समीकरणों और अन्य जटिल समस्याओं के समाधान विकसित किए।

शून्य का सिद्धांत: शून्य का आविष्कार, जो कि गणित में एक मौलिक सिद्धांत है, प्राचीन भारत को श्रेय दिया जाता है। इसने गणना प्रणालियों में क्रांति ला दी और जटिल गणितीय उन्नतियों की आधारशिला रखी।

पंचांग प्रणाली: सूर्य सिद्धांत जैसे जटिल पंचांगों का विकास, खगोलिय अवलोकनों के आधार पर समय को सटीकता से ट्रैक करता है। यह पंचांग प्रणाली आज भी पारंपरिक हिंदू प्रथाओं में उपयोग की जाती है।

आयुर्वेद: यह प्राचीन चिकित्सा प्रणाली, जो आज भी प्रचलित है, निवारक देखभाल, आहार और हर्बल उपचार पर ध्यान केंद्रित करती है। आयुर्वेदिक ग्रंथ जैसे कि चरक संहिता और सुश्रुत संहिता चिकित्सा ज्ञान और शल्य चिकित्सा प्रथाओं को दस्तावेजित करते हैं।

लोहे और स्टील का उत्पादन: भारत उन पहले सभ्यताओं में से एक था जिसने लोहे और स्टील के उत्पादन की प्रक्रिया में महारत हासिल की। दिल्ली का लौह स्तंभ, जो लगभग 300 CE में स्थापित किया गया था, उस समय की उन्नत धातु विज्ञान कौशल का प्रमाण है, क्योंकि यह जंग के प्रति अद्भुत प्रतिरोध दिखाता है।

हरप्पन सभ्यता: सिंधु घाटी सभ्यता के सुव्यवस्थित शहर, जिनमें जटिल नाले और जल प्रबंधन बुनियादी ढांचा शामिल हैं, उस समय की उन्नत इंजीनियरिंग कौशल को प्रदर्शित करते हैं।

मध्यकालीन भारत

  • अवलोकनात्मक खगोलशास्त्र: महाराजा सवाई जय सिंह II जैसे शासकों द्वारा जयपुर में खगोलवेधी वेधशालाओं का निर्माण सटीक आकाशीय अवलोकनों और कैलेंडर सुधारों को संभव बनाता था।
  • निर्माण तकनीकें: मध्यकालीन भारत में शानदार मंदिरों, किलों और बावड़ियों का निर्माण हुआ, जैसे कि कोणार्क का सूर्य मंदिर और कुतुब मीनार। ये संरचनाएँ वास्तुकला, सामग्री विज्ञान और अभियंत्रण तकनीकों में प्रगति को दर्शाती हैं।
  • गणित और खगोलशास्त्र: आर्यभट II जैसे विद्वानों ने त्रिकोणमिति और गोलाकार ज्यामिति में प्रगति की। 12वीं सदी में, भास्कर II ने अवकलन कलन और अनंत श्रेणी विस्तार पर अपने कार्य के माध्यम से कलन में योगदान दिया।
  • जल प्रबंधन: मध्यकालीन भारत ने जल प्रबंधन के जटिल सिस्टम को लागू किया, जिसमें गुजरात में रानी की बाव का निर्माण शामिल है।
  • रसायनशास्त्र: वृंदा द्वारा सिद्धयोग, नागार्जुन द्वारा रसरत्नाकर, और वाग्भट के रसार्णव और रसरत्नसंचय रसायनशास्त्र पर महत्वपूर्ण कृतियाँ हैं।
  • कपड़ा उत्पादन: भारत कपड़ा उत्पादन में एक नेता बना रहा, जो अपनी उत्तम कपास और रेशमी वस्त्रों के लिए प्रसिद्ध था। रंगाई और बुनाई तकनीकों में विकास ने भारतीय वस्त्रों की गुणवत्ता और कला को और बढ़ा दिया।

आधुनिक भारत

अंतरिक्ष: भारत का अंतरिक्ष कार्यक्रम इसकी वैज्ञानिक क्षमता का एक चमकदार उदाहरण है। चंद्रयान-1, जो पहला चंद्र अन्वेषण यान था, और मंगलयान, जो एशियाई देश का पहला मंगल कक्षीय यान है, ने दुनिया की कल्पना को आकर्षित किया है।

  • आर्यभट (1975): भारत का पहला उपग्रह, जिसने अंतरिक्ष कार्यक्रम की शुरुआत की।
  • चंद्रयान-1 (2008): पहला चंद्र अन्वेषण यान, जिसने मूल्यवान डेटा भेजा और चंद्रमा पर जल बर्फ के होने की पुष्टि की।
  • मंगलयान (2013): एशियाई देश का पहला सफल मंगल मिशन और पहले प्रयास में सफल।
  • आरएलवी-टीडी (2016): भारत की पहली पुन: प्रयोज्य प्रक्षेपण यान प्रौद्योगिकी प्रदर्शक का सफल परीक्षण उड़ान।
  • चंद्रयान-3 (2023): भारत चंद्रमा के दक्षिण ध्रुव के निकट अंतरिक्ष यान उतारने वाला पहला देश बना।
  • आदित्य-एल1 मिशन (2023): सूरज के कोरोना का अध्ययन कर रहा है, गहरे अंतरिक्ष में आगे बढ़ रहा है और सूरज के बारे में हमारी समझ में योगदान दे रहा है।
  • गगनयान मिशन: भारतीय अंतरिक्ष यात्रियों को अंतरिक्ष में भेजने का लक्ष्य (वर्तमान में विकासाधीन)।
  • नैविक (Navigation with Indian Constellation): भारत की अपनी क्षेत्रीय नेविगेशन प्रणाली, जो GPS का विकल्प प्रदान करती है और क्षेत्र में नेविगेशन क्षमताओं को बढ़ाती है।
  • निसार: NASA और ISRO के बीच संयुक्त परियोजना, जो पृथ्वी अवलोकन उपग्रह पर पहली बार द्वीधातु आवृत्ति सिंथेटिक एपर्चर रडार को सह-विकसित और लॉन्च करने के लिए है।
  • पीएसएलवी (Polar Satellite Launch Vehicle): उपग्रहों को ध्रुवीय कक्षाओं में स्थापित करने के लिए और जीएसएलवी (Geosynchronous Satellite Launch Vehicle)।

अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी के लाभ:

  • संसाधन प्रबंधन: उपग्रहों से पृथ्वी अवलोकन डेटा प्राकृतिक संसाधनों की पहचान और प्रबंधन में सहायता करता है।
  • आपदा प्रबंधन: उपग्रह डेटा का उपयोग करके बाढ़, चक्रवात और अन्य प्राकृतिक आपदाओं के लिए प्रारंभिक चेतावनियाँ जारी की जा सकती हैं, जिससे समय पर निकासी और राहत प्रयासों को सक्षम किया जा सकता है।
  • आर्थिक विकास: अंतरिक्ष कार्यक्रम नवाचार और तकनीकी प्रगति को बढ़ावा देता है। यह विभिन्न क्षेत्रों में उच्च-कुशल नौकरियों का सृजन करता है, जैसे कि इंजीनियरिंग से लेकर डेटा विश्लेषण तक, जो समग्र आर्थिक विकास में योगदान करता है।
  • वैश्विक मान्यता: भारत के सफल अंतरिक्ष मिशनों ने अंतरराष्ट्रीय मान्यता प्राप्त की है, जो इसे विज्ञान और प्रौद्योगिकी में एक नेता के रूप में स्थापित करती है।

रक्षा: रक्षा में आत्मनिर्भरता भारत की रणनीतिक दृष्टि का एक महत्वपूर्ण स्तंभ है। देश ने एक मजबूत स्वदेशी रक्षा उद्योग विकसित किया है, जो आकाश और अग्नि श्रृंखला जैसे उन्नत मिसाइलों के साथ-साथ तेजस जैसे अत्याधुनिक लड़ाकू विमानों का उत्पादन करता है।

मिसाइल: भारत ने विभिन्न रेंज और अनुप्रयोगों को शामिल करते हुए एक उन्नत मिसाइल प्रणाली विकसित की है:

  • अग्नि श्रृंखला: लंबी दूरी की, सतह से सतह पर मार करने वाली बैलिस्टिक मिसाइलों का एक परिवार, जिसमें विभिन्न क्षमताएँ हैं, जो जटिल रॉकेट प्रोपल्शन और मार्गदर्शन प्रणालियों में विशेषज्ञता प्रदर्शित करता है।
  • पृथ्वी श्रृंखला: युद्धक्षेत्र में तैनाती के लिए छोटी दूरी की बैलिस्टिक मिसाइलें, जो सटीक लक्ष्यीकरण के लिए उन्नत मार्गदर्शन और नियंत्रण प्रौद्योगिकियों की आवश्यकता होती है।
  • आकाश: एक मध्यम दूरी की सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल प्रणाली, जो रडार प्रौद्योगिकियों, लक्ष्य अधिग्रहण, और मिसाइल अवरोधन में विशेषज्ञता प्रदर्शित करती है।
  • मिशन दिव्यास्त्र: कई स्वतंत्र रूप से लक्षित पुनः प्रविष्टि वाहन (MIRV) तकनीक से लैस अग्नि-5 बैलिस्टिक मिसाइल का सफल परीक्षण लॉन्च।
  • ब्रह्मोस: यह सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल भारत और रूस के बीच एक संयुक्त उद्यम है, जो उन्नत हथियारों के विकास में सफल अंतरराष्ट्रीय सहयोग को प्रदर्शित करती है।
  • रैमजेट और स्क्रमजेट तकनीकें: इन उन्नत प्रोपल्शन प्रणालियों में अनुसंधान भविष्य में मिसाइल प्रदर्शन में क्रांतिकारी बदलाव लाने की क्षमता रखता है।

विमान: भारत विमान उत्पादन में आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ रहा है:

  • तेजस: एकल-इंजन, बहु-भूमिका वाले लड़ाकू विमान जिसे एरोनॉटिकल डेवलपमेंट एजेंसी (ADA) द्वारा डिज़ाइन और विकसित किया गया है।
  • हल्का लड़ाकू हेलीकॉप्टर (LCH): उच्च ऊंचाई के युद्ध के लिए एक समर्पित लड़ाकू हेलीकॉप्टर।

युद्धपोत: भारत की नौसेना के लिए एक मजबूत घरेलू जहाज निर्माण उद्योग है:

  • INS विक्रांत: भारत का सबसे बड़ा विमानवाहक पोत, 2022 में कमीशन किया गया, जो इसकी उन्नत जहाज निर्माण क्षमताओं को प्रदर्शित करता है।
  • विशाखापट्टनम-क्लास विध्वंसक: बहु-खतरे के संचालन के लिए डिज़ाइन किए गए स्टेल्थ विध्वंसक।
  • प्रोजेक्ट 75I (कलवरी-क्लास पनडुब्बियाँ): यह कार्यक्रम स्वदेशी पनडुब्बी निर्माण की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। ये डीजल-इलेक्ट्रिक हमलावर पनडुब्बियाँ (SSKs) महत्वपूर्ण भारतीय भागीदारी के साथ बनाई जा रही हैं, जो पनडुब्बी डिज़ाइन और निर्माण में विशेषज्ञता को बढ़ावा दे रही हैं।
  • आर्यभट्ट-क्लास पनडुब्बियाँ: ये परमाणु-संचालित बैलिस्टिक मिसाइल पनडुब्बियाँ (SSBNs) भारत की रणनीतिक निरोधक क्षमताओं में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर हैं। परमाणु पनडुब्बी तकनीक का विकास एक जटिल कार्य है, जो भारत की उन्नत इंजीनियरिंग क्षमताओं को प्रदर्शित करता है।

बायोटेक और स्वास्थ्य देखभाल

भारत का बायोटेक्नोलॉजी क्षेत्र अद्भुत वृद्धि का अनुभव कर रहा है। वैज्ञानिक जीन संपादन में महत्वपूर्ण प्रगति कर रहे हैं, जो एक क्रांतिकारी तकनीक है जिसकी व्यापक चिकित्सीय उपयोगिता है। भारत का कोवैक्सिन का विकास, जो COVID-19 के खिलाफ लड़ाई में एक महत्वपूर्ण टीका है, स्वास्थ्य देखभाल में नवाचार की उसकी क्षमता को दर्शाता है।

  • वैश्विक टीकाकरण केंद्र: भारत टीकों का एक प्रमुख निर्माता है, जो न केवल घरेलू स्तर पर बल्कि कई विकासशील देशों को भी सस्ते टीके प्रदान कर रहा है। यह वैश्विक प्रतिरक्षण प्रयासों में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है।
  • कोवैक्सिन: भारत बायोटेक द्वारा विकसित, कोवैक्सिन COVID-19 के सफल टीकों में से एक है।
  • भारत का पहला ओमिक्रोन बूस्टर mRNA टीका विकसित किया गया।
  • भारत का पहला स्वदेशी चार-क्षेत्रीय मानव पेपिलोमा वायरस (qHPV) टीका गर्भाशय ग्रीवा कैंसर के खिलाफ विकसित किया गया।
  • दुनिया का पहला और भारत का स्वदेशी रूप से विकसित डीएनए आधारित टीका, ZyCoV-D।
  • भारत का पहला न्यूमोकोकल संयुग्मित टीका (PCV): "प्नेमोसिल" का विकास सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया द्वारा किया गया है।
  • भारत में हीमोफीलिया के लिए पहला जीन चिकित्सा नैदानिक परीक्षण।
  • संगृहीत रक्त के नुकसान को कम करने के लिए एक नई ब्लड बैग तकनीक विकसित की गई।
  • भारतीय SARS-CoV-2 जीनोमिक कंसोर्टियम (INSACOG) जिसमें 57 प्रयोगशालाएँ और 300 सेंटिनल साइट्स शामिल हैं, ने अब तक 3.0 लाख COVID-19 सकारात्मक नमूनों का अनुक्रमण और विश्लेषण किया है।
  • जीनोम इंडिया प्रोजेक्ट: 10,000 भारतीय जीनोम का अनुक्रमण पूरा किया गया। यह डेटा सेट भारतीय जैविक डेटा केंद्र (IBDC), फरीदाबाद में संग्रहीत किया जाएगा।
  • ADVIKA: एक उच्च उपज देने वाली, सूखा सहिष्णु चना की किस्म विकसित की गई।

डिजिटल सार्वजनिक अवसंरचना और आईटी

आज के डिजिटल युग में, आईटी अत्यंत महत्वपूर्ण है। देश की फलती-फूलती आईटी उद्योग वैश्विक अर्थव्यवस्था में एक प्रमुख योगदानकर्ता है, जिसमें सॉफ़्टवेयर विकास और सूचना प्रौद्योगिकी सेवाओं में विशेषज्ञता है।

  • इंडिया स्टैक: भारत की डिजिटल सार्वजनिक अवसंरचना (DPI) को अक्सर "इंडिया स्टैक" के रूप में संदर्भित किया जाता है।
  • आधार: भारतीय निवासियों के लिए एक अद्वितीय डिजिटल पहचान मंच, जो विभिन्न सरकारी सेवाओं और वित्तीय लेनदेन तक पहुँच प्रदान करता है।
  • जन धन योजना: एक वित्तीय समावेशन पहल जो बिना बैंक वाले नागरिकों को बुनियादी बैंक खाते प्रदान करती है, जिससे इलेक्ट्रॉनिक भुगतान को सरल बनाया जा सके।
  • मोबाइल कनेक्टिविटी: व्यापक इंटरनेट पहुंच और डिजिटल सेवा अपनाने के लिए तेजी से विकसित हो रहा मोबाइल नेटवर्क अवसंरचना।
  • यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस (UPI): एक क्रांतिकारी डिजिटल भुगतान मंच जो विभिन्न बैंकों के बीच त्वरित और सुरक्षित नकद रहित लेनदेन को सक्षम बनाता है।
  • खाता एग्रीगेटर (AA): एक नवाचार जो उपयोगकर्ताओं को अधिकृत संस्थाओं के साथ अपनी वित्तीय डेटा को सुरक्षित रूप से साझा करने की अनुमति देता है, जिससे ऋण आवेदन जैसे प्रक्रियाओं को सरल बनाया जा सके।

ऊर्जा

  • सौर ऊर्जा चैंपियन: भारत सक्रिय रूप से सौर ऊर्जा उत्पादन क्षमता को बढ़ा रहा है, और इस नवीकरणीय ऊर्जा क्षेत्र में वैश्विक नेता बन रहा है। छत पर सौर कार्यक्रम और बड़े पैमाने पर सौर पार्कों जैसे पहलों से स्वच्छ ऊर्जा मिश्रण में योगदान मिल रहा है।
  • हवा ऊर्जा का विस्तार: भारत हवा ऊर्जा उत्पादन में एक प्रमुख खिलाड़ी है, देश भर में पवन फार्मों में महत्वपूर्ण निवेश के साथ। यह नवीकरणीय ऊर्जा पोर्टफोलियो को विविधता प्रदान करता है और जीवाश्म ईंधनों पर निर्भरता को कम करता है।
  • जैव ऊर्जा में प्रगति: कृषि अपशिष्ट और बायोमास से जैव ईंधन विकसित करने में अनुसंधान जारी है। यह परिवहन ईंधन का एक स्थायी स्रोत बनाने की संभावना रखता है।
  • परमाणु: भारत ने परमाणु क्षेत्र में महत्वपूर्ण प्रगति की है, कई प्रमुख क्षेत्रों में आत्मनिर्भरता हासिल की है।
    • 1956: अप्सरा, भारत का पहला परमाणु रिएक्टर, स्वदेशी डिजाइन और निर्माण क्षमताओं को प्रदर्शित करते हुए चालू किया गया (ईंधन यूके द्वारा प्रदान किया गया था)।
    • 1960: CIRUS, एक 40 मेगावाट प्राकृतिक यूरेनियम भारी पानी के साथ संचालित रिएक्टर, चालू किया गया, जो घरेलू विशेषज्ञता को और मजबूत करता है।
  • प्रेशराइज्ड हेवी वाटर रिएक्टर्स (PHWRs): भारत ने प्रेशराइज्ड हेवी वाटर रिएक्टर्स (PHWRs) के डिजाइन और निर्माण में विशेषज्ञता हासिल की है, जो इसके परमाणु ऊर्जा कार्यक्रम की मुख्यधारा बनाते हैं। काकरापार एटॉमिक पावर स्टेशन 3 (KAPP 3) भारत के स्वदेशी विकसित 700 मेगावाट PHWRs में से पहला है।
  • फास्ट ब्रीडर रिएक्टर (FBR): कल्पक्कम में फास्ट ब्रीडर रिएक्टर (FBR) का विकास एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है, जो इस उन्नत रिएक्टर तकनीक में भारत की क्षमताओं को प्रदर्शित करता है।
  • फास्ट ब्रीडर रिएक्टर के लाभ:
    • ऊर्जा स्वतंत्रता: FBRs आयातित यूरेनियम पर निर्भरता को कम करते हैं, जिससे भारत की ऊर्जा सुरक्षा बढ़ती है।
    • प्रभावी ईंधन उपयोग: FBRs प्रभावी होते हैं, जो समान मात्रा में ईंधन से अधिक बिजली उत्पन्न करते हैं।
    • परमाणु अपशिष्ट में कमी: FBRs अधिक ईंधन उत्पन्न करते हैं जितना वे उपयोग करते हैं और पुराने रिएक्टरों से उपयोग किए गए ईंधन को जलाते हैं, जिससे अपशिष्ट कम होता है।
    • प्रौद्योगिकी में उन्नति: FBRs का विकास और संचालन भारत को उन्नत परमाणु प्रौद्योगिकी में एक नेता के रूप में स्थापित करता है, जिसमें परमाणु विज्ञान के अन्य क्षेत्रों में संभावित अनुप्रयोग हैं।

उभरती प्रौद्योगिकी

भारत विभिन्न उभरती प्रौद्योगिकियों में नवाचार का केंद्र तेजी से उभर रहा है।

  • आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI): सरकार ने भारत में AI प्रौद्योगिकियों के अनुसंधान, विकास और अपनाने को बढ़ावा देने के लिए राष्ट्रीय मिशन ऑन आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (NMAI) जैसे कार्यक्रम शुरू किए हैं।
  • मशीन लर्निंग (ML): भारतीय कंपनियाँ और बैंक ग्राहक विभाजन, धोखाधड़ी पहचान और पूर्वानुमानित रखरखाव जैसे कार्यों के लिए ML का उपयोग कर रहे हैं।
  • इंटरनेट ऑफ थिंग्स (IoT): सरकार का स्मार्ट सिटीज मिशन IoT प्रौद्योगिकियों का उपयोग करके शहरी बुनियादी ढाँचे और सेवाओं जैसे कि कचरा प्रबंधन और ट्रैफिक प्रबंधन में सुधार करने का लक्ष्य रखता है।
  • ब्लॉकचेन: भारतीय फिनटेक क्षेत्र में सुरक्षित क्रॉस-बॉर्डर भुगतान और नए वित्तीय उत्पादों के निर्माण के लिए ब्लॉकचेन का उपयोग हो रहा है।
  • क्वांटम कंप्यूटिंग: भारतीय संस्थानों जैसे भारतीय विज्ञान संस्थान बेंगलुरु (IISc) में क्वांटम कंप्यूटिंग पर अनुसंधान जारी है।
  • रोबोटिक्स: भारत रोबोटिक्स क्षेत्र में वृद्धि देख रहा है, जहाँ कंपनियाँ औद्योगिक स्वचालन और स्वास्थ्य सेवा जैसे विभिन्न अनुप्रयोगों के लिए रोबोट विकसित कर रही हैं।
  • 3D प्रिंटिंग: भारत में 3D प्रिंटिंग प्रौद्योगिकी का उपयोग बढ़ रहा है, जिसका उपयोग निर्माण, स्वास्थ्य सेवा और शिक्षा में किया जा रहा है।

सरकारी योजनाएँ

सरकार फंडिंग, अनुसंधान सहयोग, और इन्फ्रास्ट्रक्चर विकास पर ध्यान केंद्रित करते हुए योजनाओं के माध्यम से निरंतर समर्थन प्रदान कर रही है, जो भारत की स्थिति को विज्ञान और प्रौद्योगिकी (S&T) में एक वैश्विक नेता के रूप में आगे बढ़ाएगी।

  • सूचना प्रौद्योगिकी (IT): स्किल इंडिया मिशन, स्टार्टअप इंडिया पहल, सुपरकंप्यूटर पर राष्ट्रीय मिशन।
  • ऊर्जा: प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना (सौभाग्य योजना), दीन दयाल उपाध्याय ग्राम ज्योति योजना (DDUGJY), तेज प्रजनक रिएक्टर प्रौद्योगिकी विकास कार्यक्रम।
  • उभरती प्रौद्योगिकियाँ: डिजिटल शक्ति प्लेटफार्म, कृत्रिम बुद्धिमत्ता पर राष्ट्रीय मिशन (NMAI), इलेक्ट्रॉनिक्स में अनुसंधान और विकास के लिए MeitY के अनुदान (GARD)।

विज्ञान और प्रौद्योगिकी का महत्व

विज्ञान हमारे दैनिक जीवन के ताने-बाने में बुनावट करने वाला एक अदृश्य धागा है। जिस क्षण हम जागते हैं, से लेकर उस समय तक जब हम सोने के लिए जाते हैं, हम वैज्ञानिक उन्नति के उत्पादों से घिरे रहते हैं। हमारी प्रौद्योगिकी, हमारे द्वारा ली जाने वाली दवाएं, हमारे द्वारा खाया जाने वाला भोजन, हमारे पहने जाने वाले कपड़े, और हमारी संचार सुविधाएं, सभी विज्ञान के उपयोग के माध्यम से संभव होते हैं। विज्ञान वह प्रेरक शक्ति है जो हमारे विश्व को आकार देने वाली प्रगति और नवाचार को संचालित करती है।

  • कृषि परिवर्तन:
    • फसल उत्पादन में वृद्धि: उर्वरक, उच्च उपज देने वाली फसलों की किस्में, और सिंचाई तकनीकों जैसे वैज्ञानिक उन्नतियों ने कृषि उत्पादकता को काफी बढ़ा दिया है।
    • बीमारी प्रतिरोध में सुधार: आनुवांशिक रूप से संशोधित फसलें, जो कीटों और बीमारियों के प्रति बेहतर प्रतिरोध प्रदान करती हैं, फसल हानि को कम करती हैं और कुल उपज में सुधार लाती हैं।
    • सटीक कृषि: GPS, उपग्रह चित्रण, और सेंसर जैसी तकनीकें किसानों को अपनी भूमि और फसलों का सटीक प्रबंधन करने की अनुमति देती हैं, जिससे संसाधनों का बेहतर उपयोग और अपव्यय में कमी आती है।
  • आर्थिक विकास: विज्ञान और प्रौद्योगिकी के उन्नति नवाचार को प्रेरित करती है, जिससे नई उद्योगों, उत्पादों, और सेवाओं का विकास होता है। यह आर्थिक विकास और रोजगार सृजन को बढ़ावा देती है।
  • संवर्धित अवसंरचना: इंजीनियरिंग और निर्माण तकनीकों में उन्नति बेहतर परिवहन प्रणाली, संचार नेटवर्क, और बिजली ग्रिड का निर्माण करती है, जो एक सफल अर्थव्यवस्था के लिए आवश्यक हैं।
  • राष्ट्रीय सुरक्षा: एक मजबूत घरेलू विज्ञान और प्रौद्योगिकी आधार स्वदेशी रक्षा तकनीकों के विकास और जटिल भू-राजनीतिक वातावरण में राष्ट्रीय सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक है।
  • ऊर्जा सुरक्षा: साफ ऊर्जा तकनीकों जैसे सौर ऊर्जा के विकास और स्वदेशी जीवाश्म ईंधनों के स्रोतों की खोज विदेशी ऊर्जा आयात पर निर्भरता को कम कर सकती है और ऊर्जा सुरक्षा को बढ़ा सकती है।
  • सहयोग और साझेदारी: भारत वैज्ञानिक अनुसंधान और प्रौद्योगिकी विकास परियोजनाओं पर अन्य देशों के साथ सक्रिय रूप से सहयोग करता है, जो अंतरराष्ट्रीय साझेदारी और ज्ञान के आदान-प्रदान को बढ़ावा देता है।

समस्याएँ और चुनौतियाँ

  • अनुसंधान और विकास में निवेश: भारत को विकसित देशों के साथ अंतर को पाटने और अपनी प्रतिस्पर्धात्मकता बनाए रखने के लिए अनुसंधान और विकास (R&D) में निरंतर निवेश की आवश्यकता है।
  • कौशल कार्यबल विकास: STEM शिक्षा और कौशल विकास कार्यक्रमों पर जोर देना आवश्यक है ताकि एक ऐसा कार्यबल तैयार किया जा सके जो बदलते विज्ञान और प्रौद्योगिकी (S&T) परिदृश्य के लिए सक्षम हो।
  • डिजिटल विभाजन को पाटना: प्रौद्योगिकी तक समान पहुंच सुनिश्चित करना और डिजिटल विभाजन को पाटना समावेशी विकास और डिजिटल अर्थव्यवस्था में भागीदारी के लिए आवश्यक है।

प्रतिष्ठित व्यक्तियों का योगदान

  • सर एम. विश्वेश्वरैया (जल इंजीनियरिंग):
    • जल प्रबंधन में सुधार: उनके दृष्टिकोण और विशेषज्ञता ने महत्वपूर्ण जल अवसंरचना परियोजनाओं के डिज़ाइन और कार्यान्वयन में मदद की। विशेष रूप से, उन्होंने कृष्णा राजा सागर बांध का डिज़ाइन किया, जिसने डेक्कन क्षेत्र में सिंचाई और बाढ़ नियंत्रण में क्रांति ला दी।
    • सतत जल उपयोग: प्रभावी जल प्रबंधन प्रथाओं पर उनका ध्यान इस महत्वपूर्ण संसाधन के बेहतर उपयोग को सुनिश्चित करता है।
  • डॉ. एम. एस. स्वामीनाथन (कृषि विज्ञान):
    • हरित क्रांति के आर्किटेक्ट: उन्होंने हरित क्रांति में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, जो उच्च उपज देने वाली गेहूं और चावल की किस्मों को पेश करने में मददगार साबित हुई (अक्सर नॉर्मन बोरलॉग के सहयोग से)। इससे कृषि उत्पादकता में काफी वृद्धि हुई, जिससे भारत खाद्य घाटे से खाद्य आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ा।
    • खाद्य सुरक्षा के Champion: उनके कार्यों ने भारत की बढ़ती जनसंख्या के लिए खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित की।
  • होमी भाभा (न्यूक्लियर विज्ञान):
    • भारतीय न्यूक्लियर कार्यक्रम के "पिता": भाभा को भारत के न्यूक्लियर कार्यक्रम के आर्किटेक्ट के रूप में माना जाता है। उन्होंने टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ फंडामेंटल रिसर्च (TIFR) और एटॉमिक एनर्जी एस्टेब्लिशमेंट (बाद में भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र) जैसे प्रमुख संस्थानों की स्थापना की। उनके दृष्टिकोण और नेतृत्व ने भारत के न्यूक्लियर ऊर्जा और प्रौद्योगिकी के विकास की आधारशिला रखी।
  • ए.पी.जे. अब्दुल कलाम (मिसाइल प्रौद्योगिकी और रक्षा):
    • भारत के "मिसाइल मैन": डॉ. कलाम को भारत की मिसाइल प्रौद्योगिकी के विकास में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका के लिए जाना जाता है। अग्नि मिसाइल श्रृंखला और प्रोजेक्ट त्रिशूल (मिसाइल रक्षा प्रणाली) में उनके योगदान ने भारत की रक्षा क्षमताओं को काफी मजबूत किया। बाद में, उन्होंने भारत के 11वें राष्ट्रपति के रूप में सेवा की।
  • विक्रम साराभाई (अंतरिक्ष विज्ञान):
    • भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम के "पिता": साराभाई को भारत की अंतरिक्ष अन्वेषण यात्रा का नेतृत्व करने का श्रेय दिया जाता है। उन्होंने भारतीय राष्ट्रीय समिति फॉर स्पेस रिसर्च (INCOSPAR) और भौतिक अनुसंधान प्रयोगशाला (PRL) की स्थापना की। उनके दृष्टिकोण और नेतृत्व ने भारत के सफल उपग्रह प्रक्षेपण और अंतरिक्ष मिशनों के लिए मार्ग प्रशस्त किया।

भारत की विज्ञान और प्रौद्योगिकी में उपलब्धियों का निष्कर्ष:

भारत की विज्ञान और तकनीक में उपलब्धियां उसके नवाचार और प्रगति के प्रति प्रतिबद्धता का प्रमाण हैं। प्राचीन गणित और चिकित्सा में योगदान से लेकर आधुनिक समय में अंतरिक्ष अन्वेषण, जैव प्रौद्योगिकी, और सूचना प्रौद्योगिकी में प्रगति तक, भारत ने लगातार वैज्ञानिक अनुसंधान की सीमाओं को बढ़ाया है। इसके अलावा, भारत का विभिन्न क्षेत्रों जैसे अंतरिक्ष, रक्षा, स्वास्थ्य देखभाल, और उभरती प्रौद्योगिकियों जैसे एआई और ब्लॉकचेन में वैश्विक नेता के रूप में उभरना, इसकी विश्व स्तर पर बढ़ती प्रभाव को रेखांकित करता है। चुनौतियों का सामना करते हुए और अपनी वैज्ञानिक क्षमता का लाभ उठाते हुए, भारत नवाचार को जारी रख सकता है और आने वाले वर्षों में वैश्विक प्रगति में योगदान दे सकता है।

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