कृषि का दायरा और महत्व
कृषि का योगदान कुल घरेलू उत्पाद (GDP) में 17.2 प्रतिशत है, जो देश की लगभग दो-तिहाई जनसंख्या को आजीविका सहायता प्रदान करता है। यह क्षेत्र देश के कार्यबल का 56.7 प्रतिशत रोजगार देता है और यह सबसे बड़ा निजी क्षेत्र का व्यवसाय है। कृषि कुल निर्यात आय का लगभग 14.7 प्रतिशत है और यह कई उद्योगों (जैसे वस्त्र, रेशम, चीनी, चावल, आटा मिल, दूध उत्पाद) को कच्चा माल प्रदान करता है। कृषि क्षेत्र खाद्य सुरक्षा बनाए रखने में एक मजबूत आधार के रूप में कार्य करता है और इस प्रक्रिया में राष्ट्रीय सुरक्षा को भी सुनिश्चित करता है। बागवानी, पशुपालन, डेयरी और मछली पालन जैसे सहायक क्षेत्रों का ग्रामीण जनसंख्या की समग्र आर्थिक स्थिति और स्वास्थ्य एवं पोषण में सुधार में महत्वपूर्ण भूमिका है।
भारतीय कृषि की समस्याएँ
कृषि में क्रांतियाँ
➤ फसल और इसकी श्रेणियाँ
➤ जलवायु के आधार पर वर्गीकरण
➤ बढ़ने के मौसम के आधार पर वर्गीकरण
खरीफ/बारिश/मानसून फसलें: मानसून के महीनों में जून से अक्टूबर-नवम्बर तक उगाई जाने वाली फसलें। इन फसलों को प्रमुख वृद्धि अवधि में गर्म, नम मौसम की आवश्यकता होती है, साथ ही फूलने के लिए दिन की छोटी लंबाई की भी आवश्यकता होती है। उदाहरण: कपास, चावल, जोवार, बाजरा।
रबी/सर्दी/ठंडी मौसम की फसलें: अक्टूबर से मार्च तक सर्दी के मौसम में उगाई जाने वाली फसलें। ये फसलें ठंडी और सूखी जलवायु में अच्छी होती हैं। फूलने के लिए लंबी दिन की अवधि की आवश्यकता होती है। उदाहरण: गेहूं, चना, सूरजमुखी आदि।
गर्मी/जैद फसलें: मार्च से जून के महीने में उगाई जाने वाली फसलें। प्रमुख वृद्धि अवधि के लिए गर्म, सूखे मौसम की आवश्यकता होती है और फूलने के लिए लंबी दिन की अवधि की आवश्यकता होती है। उदाहरण: मूंगफली, तरबूज, कद्दू, लौकी।
➤ कृषि वर्गीकरण
➤ तेल बीज फसलें
तेल उत्पादन के लिए फसलें
45 – 50% तेल की मात्रा इन बीजों में होती है।
➤ चीनी की फसलें
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