परिचय अंतर्राष्ट्रीय स्वच्छ वायु दिवस (7 सितंबर, 2025) का विषय "वायु के लिए दौड़" है, जो वायु प्रदूषण को वैश्विक पर्यावरण स्वास्थ्य के लिए सबसे बड़ा खतरा बताता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार, 99% विश्व जनसंख्या असुरक्षित वायु में सांस ले रही है। इस विषय पर संडास टीवी के प्रोग्राम "पर्सपेक्टिव" में डॉ. अंजू गोयल (TERI), डॉ. सुनीता पुरोतम (Global Building Performance Network) और डॉ. प्रेश कुमार डुबेट (IIT खड़गपुर) के साथ चर्चा की गई, जो भारत के शहरीकरण और जनसंख्या घनत्व के कारणों को उजागर करती है। विशेषज्ञों ने प्रदूषण को कम करने के लिए सीमा पार सहयोग, शहरी योजना में एकीकरण, और नागरिकों की भागीदारी की आवश्यकता पर बल दिया, जो 2047 तक भारत के विकसित भारत के दृष्टिकोण के अनुरूप है।
मुख्य विषय
मुख्य मुख्य बातें
मुख्य अंतर्दृष्टियाँ
सीमा पार प्रदूषण वायु प्रदूषण का सीमा पार प्रभाव, जैसे कि भारत के राज्यों का भूटान पर प्रभाव, अंतर्राष्ट्रीय सहयोग और समन्वित नीतियों की आवश्यकता को दर्शाता है।
भारत का वायु गुणवत्ता संकट संपूर्ण जनसंख्या असुरक्षित वायु के संपर्क में है, जिससे भारत एक सार्वजनिक स्वास्थ्य आपात स्थिति का सामना कर रहा है, जो तात्कालिक, लक्षित हस्तक्षेपों की आवश्यकता को दर्शाता है।
शहरीकरण के चालक निर्माण की धूल और कचरे को जलाने की प्रथा, जो तेजी से शहरी विकास द्वारा प्रेरित है, नवोन्मेषी नियामक और निर्माण प्रथाओं की आवश्यकता को दर्शाती है।
निर्मित पर्यावरण समाधान शहरी नियोजन में वायु गुणवत्ता को एकीकृत करना, हरे बुनियादी ढांचे और ऊर्जा-कुशल भवनों के साथ, रहने की गुणवत्ता को बढ़ाता है और प्रदूषण को कम करता है।
PM2.5 पर ध्यान केंद्रित करना PM10 से PM2.5 की निगरानी के लक्ष्यों में परिवर्तन, विषाक्त दहन-आधारित प्रदूषकों पर ध्यान केंद्रित करता है, जो सटीक हस्तक्षेपों के माध्यम से स्वास्थ्य परिणामों में सुधार करता है।
निष्पादन में कमी नवीकरणीय ऊर्जा में प्रगति के बावजूद, अधूरा स्रोत आवंटन अध्ययन और कमजोर प्रवर्तन प्रभावी प्रदूषण नियंत्रण में बाधा डालते हैं।
नागरिक-प्रेरित परिवर्तन सार्वजनिक जागरूकता, कचरा जलाने से बचना, और बेहतर बुनियादी ढांचे की मांग करना नीतियों के प्रवर्तन को बढ़ाता है और स्थायी परिवर्तन को प्रेरित करता है।
चुनौतियाँ और अवसर
निष्कर्ष
2025 का अंतर्राष्ट्रीय स्वच्छ वायु दिवस वायु प्रदूषण की वैश्विक और भारतीय चुनौतियों को उजागर करता है, जिसमें 99% लोग असुरक्षित वायु में सांस ले रहे हैं। भारत के राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम और शहरी नियोजन नवाचारों के माध्यम से किए गए प्रयास, नागरिक भागीदारी के साथ, प्रदूषण से मुकाबला करने के लिए महत्वपूर्ण हैं। बहु-क्षेत्रीय सहयोग और PM2.5 पर ध्यान केंद्रित करना प्रगति को बढ़ावा देगा, 2047 तक एक स्वच्छ और स्वस्थ भविष्य के लिए विकसित भारत के दृष्टिकोण के साथ संरेखित होगा।
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