UPSC Exam  >  UPSC Notes  >  इतिहास (History) for UPSC CSE in Hindi  >  सिन्धु निवासी - सिन्धु घाटी की सभ्यता, इतिहास, यूपीएससी, आईएएस

सिन्धु निवासी - सिन्धु घाटी की सभ्यता, इतिहास, यूपीएससी, आईएएस | इतिहास (History) for UPSC CSE in Hindi PDF Download


सिन्धु घाटी सभ्यता विश्व की प्राचीनतम सभ्यताओं में से एक है, इसे हड़प्पा सभ्यता भी कहा जाता है क्योंकि हड़प्पा नामक स्थान को सबसे पहले खोजा गया था। 

  • सिंधु घाटी सभ्यता का समयकाल 2500-1750 ईसा पूर्व माना जाता है। 
  • जॉन मार्शल ने सबसे पहले "सिन्धु घाटी" शब्द का उपयोग किया था। सिन्धु घाटी सभ्यता का सम्बध ताम्र युग से माना जाता है।

सिन्धु निवासी - सिन्धु घाटी की सभ्यता, इतिहास, यूपीएससी, आईएएस | इतिहास (History) for UPSC CSE in Hindi


काल क्रम संबंधी मत 

  • मार्शल के अनुसार, मोहनजोदड़ो के निवासी 3250 ईसा पूर्व से थे। 2750 ई. पू. के बीच वहां निवास करते थे।
  • मैके के अनुसार मोहनजोदड़ो का निम्नतम स्तर लगभग 2800 ई. पू. का और उच्चतम स्तर लगभग 2500 ई. पू. का है।
  • डी. पी. अग्रवाल C-14 परीक्षण के आधार पर सिंधु सभ्यता का काल निर्धारण 2300-1750 ई. पू. किया है।
  • ह्वीलर का मत है कि इस सभ्यता का काल 2500- 1700 ई. पू. था।
  • डॉल्स के अनुसार यह काल 2900-1900 ई. पू. है।
  • एम. एस. वत्स  ने इसका काल 3500-2500 ई. पू. माना है। 

Question for सिन्धु निवासी - सिन्धु घाटी की सभ्यता, इतिहास, यूपीएससी, आईएएस
Try yourself:सिंधु घाटी सभ्यता में, वृहत स्नानागार या विशाल स्नानागार निम्नलिखित में से किस नगर में पाया गया है?
View Solution


सिन्धु निवासी 

  • कुछ लेखकों ने सिन्धु सभ्यता के लोगों को द्रविड़ जाति का बताया है।
  • कुछ विद्वान हड़प्पा संस्कृति का प्रेरक मेसोपोटामिया की संस्कृति को मानते है। इस पक्ष में व्हीलर का तर्क भी है।
  • कुछ विद्वान सिन्धु सभ्यता का मूल ईरानी-बलूच संस्कृति को मानते है। यह तर्क दिया जाता है कि हड़प्पा सभ्यता बलूच संस्कृतियों के भारतीयकरण के परिणाम स्वरूप हुए विकास का चरमोत्कर्ष है।

सिन्धु निवासी - सिन्धु घाटी की सभ्यता, इतिहास, यूपीएससी, आईएएस | इतिहास (History) for UPSC CSE in Hindi

  • जैसे-जैसे नये साक्ष्य उपलब्ध होते जा रहे है, इतिहासकार सिन्धु सभ्यता के मूल को भारत में ही होने के विषय में गहराई से सोचने लगे हैं।
  • मैके का विश्वास है कि सिन्धु सभ्यता कुछ हद तक सुमेर संस्कृति से संबंधित था।
  • वे चार अलग-अलग प्रकार के मानव जातियों में बंटे थे - प्रोटो-आस्ट्रेलायड, मेडीटेरेनियन, अल्पाइन और मंगोलियाई।

सिन्धु घाटी सभ्यता के महत्वपूर्ण स्थान

हड़प्पा

वर्तमान समय में हड़प्पा पाकिस्तान के पंजाब प्रांत के मोंट्गोमेरी क्षेत्र में आता है, यह रावी नदी के किनारे स्थित है। दया राम साहनी ने सबसे पहले इस स्थान का उत्खनन 1921 ई० में किया। हड़प्पा में बहुत सारी वस्तुएं प्राप्त हुई हैं, जैसे 6 अन्नागार, चीनी मिटटी से बने बर्तन, शिवलिंग, ताम्बे की बनी वस्तुएं इत्यादि ।


सिन्धु निवासी - सिन्धु घाटी की सभ्यता, इतिहास, यूपीएससी, आईएएस | इतिहास (History) for UPSC CSE in Hindi

मोहनजोदड़ो

मोहनजोदड़ो वर्तमान समय में पाकिस्तान के सिंध प्रांत के लरकाना क्षेत्र में स्थित है, यह सिन्धु नदी के किनारे पर स्थित है। इसका उत्खनन सबसे पहले राखाल दास बनर्जी द्वारा 1922 ई० में किया गया। मोहनजोदड़ो में विशाल स्नानागार, अन्नागार, आदि पशुपतिनाथ की मुहर, नर्तकी की कांसे की मूर्ति, स्टीएटाइट (एक तरह का पत्थर) से बनी हुई व्यक्ति की मूर्ति, चीनी मिटटी से बनी हुई देवी की प्रतिमा, मेसोपोटामिया की 2 मुहरें इत्यादि प्राप्त हुई हैं।


चन्हुदड़ो

चन्हुदड़ो पाकिस्तान के सिंध प्रांत के नवाबशाह क्षेत्र में सिंध नदी के किनारे स्थित है। इसकी खोज सबसे पहले मेक्के ने 1925 ई० में की थी। यह स्थान धातु का काम करने वाले लोग, मनके से जुड़े काम करने वाले लोगों से संबधित है। यहां पर एक ईंट पर कुत्ते के पंजे के निशान पाए गए हैं। चन्हुदड़ो से टेराकोटा से बनी हुई बैलगाड़ी की आकृति भी प्राप्त हुई है।


लोथल

लोथल गुजरात के काठियावाड़ क्षेत्र में भोगवा नदी के किनारे स्थित है। इसकी खोज सबसे पहले एस0 आर0 राव ने 1954 ई0 में की थी। लोथल सिन्धु घाटी सभ्यता की एक प्रमुख बन्दरगाह है। लोथल से टैराकोटा से बनी घोड़े तथा समुद्री जहाज़ की आकृति, ईरानी मुहर, बहरीन की मुहर जैसी महत्वपूर्ण चीज़ें प्राप्त हुइ


कालीबंगा

कालीबंगा राजस्थान के हनुमानगढ़ में घग्गर नदी के किनारे पर स्थित है। कालीबंगा में हल द्वारा जोती गई जमीन के साक्ष्य मिले हैं। इसके साथ-साथ कालीबंगा में खिलौना बैलगाड़ी के पहिए तथा मैसोपोटामियां की मुहरें भी प्राप्त हुई हैं।


बनवाली

बनवाली हरियाणा के हिस्सार में घग्गर नदी के किनारे पर स्थित है, इसकी खोज सबसे पहले आर एस िबष्ट ने 1973 ई में की। बनवाली में का तथा जल निकासी व्यवस्था, खिलौना हल तथा देवी की चीनी मिट्टी से बनी मूर्तियां प्राप्त हुई हैं।


धोलावीरा

धोलावीरा गुजरात के कच्छ में लुनी नदी के किनारे पर स्थित है। धौलावीरा में जल एकत्रीकरण व्यवस्था मौजूद होने के साक्ष्य भी मिले हैं। यहां पर एक बड़ा क्रीड़ा स्थल, कुआं तथा जलाश्य भी था।


सुरकोतड़ा

सुरकोतड़ा में घोड़े के अवशेष तथा अण्डाकार कब्र पाए गए हैं।


स्थलखोजकर्त्ताअवस्थितिमहत्त्वपूर्ण खोज
हड़प्पादयाराम साहनी
(1921)
पाकिस्तान के पंजाब प्रांत में मोंटगोमरी जिले में रावी नदी के तट पर स्थित है।
  • मनुष्य के शरीर की बलुआ पत्थर की बनी मूर्तियाँ
  • अन्नागार
  • बैलगाड़ी
मोहनजोदड़ो
(मृतकों का टीला)
राखलदास बनर्जी
(1922)
पाकिस्तान के पंजाब प्रांत के लरकाना जिले में सिंधु नदी के तट पर स्थित है।
  • विशाल स्नानागर
  • अन्नागार
  • कांस्य की नर्तकी की मूर्ति
  • पशुपति महादेव की मुहर
  • दाड़ी वाले मनुष्य की पत्थर की मूर्ति
  • बुने हुए कपडे
सुत्कान्गेडोरस्टीन (1929)पाकिस्तान के दक्षिण-पश्चिमी राज्य बलूचिस्तान में दाश्त नदी के किनारे पर स्थित है।
  • हड़प्पा और बेबीलोन के बीच व्यापार का केंद्र बिंदु था।
चन्हुदड़ोएन .जी. मजूमदार
(1931)
सिंधु नदी के तट पर सिंध प्रांत में।
  • मनके बनाने की दुकानें
  • बिल्ली का पीछा करते हुए कुत्ते के पदचिन्ह
आमरीएन .जी . मजूमदार (1935)सिंधु नदी के तट पर।
  • हिरन के साक्ष्य
कालीबंगनघोष
(1953)
राजस्थान में घग्गर नदी के किनारे।
  • अग्नि वेदिकाएँ
  • ऊंट की हड्डियाँ
  • लकड़ी का हल
लोथलआर. राव
(1953)
गुजरात में कैम्बे की कड़ी के नजदीक भोगवा नदी के किनारे पर स्थित।
  • मानव निर्मित बंदरगाह
  • गोदीवाडा
  • चावल की भूसी
  • अग्नि वेदिकाएं
  • शतरंज का खेल
सुरकोतदाजे.पी. जोशी
(1964)
गुजरात।
  • घोड़े की हड्डियाँ
  • मनके
बनावलीआर.एस. विष्ट
(1974)
हरियाणा के हिसार जिले में स्थित।
  • मनके
  • जौ
  • हड़प्पा पूर्व और हड़प्पा संस्कृतियों के साक्ष्य
धौलावीराआर.एस.विष्ट
(1985)
गुजरात में कच्छ के रण में स्थित।
  • जल निकासी प्रबंधन
  • जल कुंड


नगरीय योजना और विन्यास

  • हड़प्पा सभ्यता की नगर योजना प्रणाली के लिये जानी जाती है।
  • मोहनजोदड़ो और हड़प्पा के नगरों में अपने- अपने दुर्ग थे जो नगर से कुछ ऊँचाई पर स्थित होते थे जिसमें अनुमानतः उच्च वर्ग के लोग निवास करते थे।
  • दुर्ग से नीचे सामान्यतः ईंटों से निर्मित नगर होते थे,जिनमें सामान्य लोग निवास करते थे।
  • हड़प्पा सभ्यता की एक ध्यान देने योग्य बात यह भी है कि इस सभ्यता में ग्रिड प्रणाली मौजूद थी जिसके अंतर्गत सडकें एक दूसरे को समकोण पर काटती थीं।
  • अन्न भंडारों का निर्माण हड़प्पा सभ्यता के नगरों की प्रमुख विशेषता थी।
  • जली हुई ईंटों का प्रयोग हड़प्पा सभ्यता की एक प्रमुख विशेषता थी क्योंकि समकालीन मिस्र में मकानों के निर्माण के लिये शुष्क ईंटों का प्रयोग होता था।
  • हड़प्पा सभ्यता में जल निकासी प्रणाली बहुत प्रभावी थी।
  • हर छोटे और बड़े घर के अंदर स्वयं का स्नानघर और आँगन होता था।
  • कालीबंगा के बहुत से घरों में कुओं नही पाए जाते थे।
  • कुछ स्थान जैसे लोथल और धोलावीरा में पूर्ण विन्यास मजबूत और नगर दीवारों द्वारा भागों में विभाजित थे।

कृषि

सिन्धु निवासी - सिन्धु घाटी की सभ्यता, इतिहास, यूपीएससी, आईएएस | इतिहास (History) for UPSC CSE in Hindi

  • हड़प्पा गांव मुख्यतः प्लावन मैदानों के पास स्थित थे,जो पर्याप्त मात्रा में अनाज का उत्पादन करते थे।
  • गेहूँ, जौ, सरसों, तिल, मसूर आदि का उत्पादन किया गया। गुजरात में कुछ स्थानों से बाजरा उत्पादन के भी संकेत मिले हैं, जबकि चावल के उपयोग के संकेत तुलनात्मक रूप से यहां बहुत कम हैं।
  • सिंधु सभ्यता के मनुष्यों ने सर्वप्रथम कपास की खेती प्रारंभ की थी।
  • वास्तविक कृषि परंपराओं को पुनर्निर्मित करना कठिन होता है क्योंकि कृषि की प्रधानता का मापन इसके अनाज उत्पादन क्षमता के आधार पर किया जाता है।
  • मुहरों और टेराकोटा की मूर्तियों पर सांड के चित्र मिले हैं तथा पुरातात्विक खुदाई से बैलों से जुते हुए खेत के साक्ष्य मिले हैं।
  • हड़प्पा सभ्यता के अधिकतम स्थान अर्ध शुष्क क्षेत्रों में मिले हैं,जहाँ खेती के लिये सिंचाई की आवश्यकता होती है।
  • नहरों के अवशेष हड़प्पा स्थल शोर्तुगई अफगानिस्तान में पाए गए हैं ,लेकिन पंजाब और सिंध में नहरों के अवशेष नहीं मिले हैं ।
  • हड़प्पाई लोग कृषि के साथ -साथ बड़े पैमाने पर पशुपालन भी करते थे ।
  • घोड़े के साक्ष्य सूक्ष्म रूप में मोहनजोदड़ो और लोथल की एक संशययुक्त टेराकोटा की मूर्ति से मिले हैं।हड़प्पाई संस्कृति किसी भी स्थिति में अश्व केंद्रित नहीं थी।

Question for सिन्धु निवासी - सिन्धु घाटी की सभ्यता, इतिहास, यूपीएससी, आईएएस
Try yourself:सिंधु अर्थव्यवस्था की ताकत थी
View Solution


अर्थव्यवस्था

  • अनगिनत संख्या में मिली मुहरें ,एक समान लिपि,वजन और मापन की विधियों से सिंधु घाटी सभ्यता के लोगों के जीवन में व्यापार के महत्त्व के बारे में पता चलता है।

सिन्धु निवासी - सिन्धु घाटी की सभ्यता, इतिहास, यूपीएससी, आईएएस | इतिहास (History) for UPSC CSE in Hindi

  • हड़प्पाई लोग पत्थर ,धातुओं, सीप या शंख का व्यापार  करते थे।
  • धातु मुद्रा का प्रयोग नहीं होता था। व्यापार की वस्तु विनिमय प्रणाली मौजूद थी।
  • अरब सागर के तट पर उनके पास कुशल नौवहन प्रणाली भी मौजूद थी।
  • उन्होंने उत्तरी अफगानिस्तान में अपनी व्यापारिक बस्तियाँ स्थापित की थीं जहाँ से प्रमाणिक रूप से मध्य एशिया से सुगम व्यापार होता था।
  • दजला -फरात नदियों की भूमि वाले क्षेत्र से हड़प्पा वासियों के वाणिज्यिक संबंध थे।
  • हड़प्पाई प्राचीन ‘लैपिस लाजुली’ मार्ग से व्यापार करते थे जो संभवतः उच्च लोगों की सामाजिक पृष्ठभूमि से संबधित था।

शिल्पकला 

  • हड़प्पाई कांस्य की वस्तुएँ निर्मित करने की विधि ,उसके उपयोग से भली भाँति परिचित थे।
  • तांबा राजस्थान की खेतड़ी खान से प्राप्त किया जाता था और टिन अनुमानतः अफगानिस्तान से लाया जाता था ।

सिन्धु निवासी - सिन्धु घाटी की सभ्यता, इतिहास, यूपीएससी, आईएएस | इतिहास (History) for UPSC CSE in Hindi

  • बुनाई उद्योग में प्रयोग किये जाने वाले ठप्पे बहुत सी वस्तुओं पर पाए गए हैं।बड़ी -बड़ी ईंट निर्मित संरचनाओं से राजगीरी जैसे महत्त्वपूर्ण शिल्प के साथ साथ राजमिस्त्री वर्ग के अस्तित्व का पता चलता है।
  • हड़प्पाई नाव बनाने की विधि,मनका बनाने की विधि,मुहरें बनाने की विधि से भली- भाँति परिचित थे। टेराकोटा की मूर्तियों का निर्माण हड़प्पा सभ्यता की महत्त्वपूर्ण शिल्प विशेषता थी।
  • जौहरी वर्ग सोने ,चांदी और कीमती पत्थरों से आभूषणों का निर्माण करते थे।
  • मिट्टी के बर्तन बनाने की विधि पूर्णतः प्रचलन में थी,हड़प्पा वासियों की स्वयं की विशेष बर्तन बनाने की विधियाँ थीं, हड़प्पाई लोग चमकदार बर्तनों का निर्माण करते थे।

संस्थाएँ

  • सिंधु घाटी सभ्यता से बहुत कम मात्रा में लिखित साक्ष्य मिले हैं ,जिन्हें अभी तक पुरातत्त्वविदों तथा शोधार्थियों द्वारा पढ़ा नहीं जा सका है।
  • एक परिणाम के अनुसार, सिंधु घाटी सभ्यता में राज्य और संस्थाओं की प्रकृति समझना काफी कठिनाई का कार्य है।
  • हड़प्पाई स्थलों पर किसी मंदिर के प्रमाण नहीं मिले हैं। अतः हड़प्पा सभ्यता में पुजारियों के प्रुभुत्व या विद्यमानता को नकारा जा सकता है।
  • हड़प्पा सभ्यता अनुमानतः व्यापारी वर्ग द्वारा शासित थी।
  • अगर हम हड़प्पा सभ्यता में शक्तियों के केंद्रण की बात करें तो पुरातत्त्वीय अभिलेखों द्वारा कोई ठोस जानकारी नहीं मिलती है।
  • कुछ पुरातत्त्वविदों की राय में हड़प्पा सभ्यता में कोई शासक वर्ग नहीं था तथा समाज के हर व्यक्ति को समान दर्जा प्राप्त था ।
  • कुछ पुरातत्त्वविदों की राय में हड़प्पा सभ्यता में कई शासक वर्ग मौजूद थे ,जो विभिन्न हड़प्पाई शहरों में शासन करते थे ।

धर्म

  • टेराकोटा की लघुमूर्तियों पर एक महिला का चित्र पाया गया है, इनमें से एक लघुमूर्ति में महिला के गर्भ से उगते हुए पौधे को दर्शाया गया है।
  • हड़प्पाई पृथ्वी को उर्वरता की देवी मानते थे और पृथ्वी की पूजा उसी तरह करते थे, जिस प्रकार मिस्र के लोग नील नदी की पूजा देवी के रूप में करते थे ।
  • पुरुष देवता के रूप में मुहरों पर तीन शृंगी चित्र पाए गए हैं जो कि योगी की मुद्रा में बैठे हुए हैं ।
  • देवता के एक तरफ हाथी, एक तरफ बाघ, एक तरफ गैंडा तथा उनके सिंहासन के पीछे भैंसा का चित्र बनाया गया है। 
  • उनके पैरों के पास दो हिरनों के चित्र है। चित्रित भगवान की मूर्ति को पशुपतिनाथ महादेव की संज्ञा दी गई है।
  • अनेक पत्थरों पर लिंग तथा स्त्री जनन अंगों के चित्र पाए गए हैं।सिंधु घाटी सभ्यता के लोग वृक्षों तथा पशुओं की पूजा किया करते थे।
  • सिंधु घाटी सभ्यता में सबसे महत्त्वपूर्ण पशु एक सींग वाला गैंडा था तथा दूसरा महत्त्वपूर्ण पशु कूबड़ वाला सांड था।अत्यधिक मात्रा में ताबीज भी प्राप्त किये गए हैं।

सिंधु घाटी सभ्यता का पतन

  • सिंधु घाटी सभ्यता का लगभग 1800 ई.पू. में पतन हो गया था, परंतु उसके पतन के कारण अभी भी विवादित हैं।
  • एक सिद्धांत यह कहता है कि इंडो -यूरोपियन जनजातियों जैसे- आर्यों ने सिंधु घाटी सभ्यता पर आक्रमण कर दिया तथा उसे हरा दिया।
  • सिंधु घटी सभ्यता के बाद की संस्कृतियों में ऐसे कई तत्त्व पाए गए जिनसे यह सिद्ध होता है कि यह सभ्यता आक्रमण के कारण एकदम विलुप्त नहीं हुई थी।
  • दूसरी तरफ से बहुत से पुरातत्त्वविद सिंधु घाटी सभ्यता के पतन का कारण प्रकृति जन्य मानते हैं।प्राकृतिक कारण भूगर्भीय और जलवायु संबंधी हो सकते हैं।
  • यह भी कहा जाता है कि सिंधु घाटी सभ्यता के क्षेत्र में अत्यधिक विवर्तिनिकी विक्षोभों की उत्पत्ति हुई जिसके कारण अत्यधिक मात्रा में भूकंपों की उत्पत्ति हुई।एक प्राकृतिक कारण वर्षण प्रतिमान का बदलाव भी हो सकता है।
  • एक अन्य कारण यह भी हो सकता है कि नदियों द्वारा अपना मार्ग बदलने के कारण खाद्य उत्पादन क्षेत्रों में बाढ़आ गई हो।
  • इन प्राकृतिक आपदाओं को सिंधु घाटी सभ्यता के पतन का मंद गति से हुआ, परंतु निश्चित कारण माना गया है।

आपके लिए कुछ प्रश्न उत्तर 

प्रश्न.1. ‘सिंधु घाटी सभ्यता’ का व्यापारिक स्तर क्या था?

उत्तर: ’सिंधु घाटी सभ्यता’ ने फ़ारस, मेसोपोटामिया और मिस्र की सभ्यताओं से सेबंध स्थापित कर व्यापार किया। यह नगर सभ्यता थी। यहाँ का व्यापारी वर्ग धनाढ्य था।


प्रश्न.2. सिंधु घाटी सभ्यता की क्या विशेषताएँ थीं?

उत्तर: सिंधु घाटी सभ्यता की निम्नलिखित विशेषताएँ थी-

1. सिंधु घाटी की सभ्यता अपने आप में पूर्णरूप में विकसित थी व। वर्तमान का आधार प्रतीत होती है।

2. यह धर्मनिरपेक्ष सभ्यता थी, धार्मिक महत्वता होने पर भी किसी विशेष धर्म को अहमियत नहीं दी गई।

3. यह सभ्यता सांस्कृतिक युगों की अग्रदूत बनी अर्थात् इस सभ्यता के बाद में होने वाले सांस्कृतिक कार्य इसी के आधार पर हुए।

4. फ़ारस, मेसोपोटामिया और मिस्र की सभ्यताओं से यह मध्यता बेहतर थी। इसने इन सभी सभ्यताओं से व्यापारिक सेबंध भी कायम किए।


प्रश्न.3. सभ्यता के प्रारंभ में लोगों की ईश्वर के प्रति क्या आस्था थी?

उत्तर: सभ्यता के प्रारंभ में लोगों की ईश्वर के प्रति सहज आस्था थी वे प्रकृति के प्रत्येक तत्व और शक्ति में देवत्व का रूप देखते थे।


प्रश्न.4. भारतीय सभ्यता ने किस-किस क्षेत्रों में विकास किया?

उत्तर: भारतीय सभ्यता ने समयानुसार कला,  संगीत, साहित्य, नाचने-गाने की कला, चित्रकला व रंगमंच के क्षेत्र में विकास किया।


प्रश्न.5. भारत में जाति व्यवस्था क्यों प्रारंभ की गई? इसका समाज में क्या प्रभाव पड़ा?

उत्तर: भारत में जाति व्यवस्था प्रारंभ करने का उद्देश्य था उस समय की समाज व्यवस्था को मजबूत बनाना और उसे शक्ति और संतुलन प्रदान करना। समाज में इस प्रथा ने गलत स्वरूप धारण कर लिया, जिससे समाज का विकास होने की बजाय यह वर्गों में विभक्त हो गया।


प्रश्न.6. अपने पास-पड़ोस के देशों की किन-किन जातियों से भारत का संपर्क बना रहा?

उत्तर: अपने पास-पड़ोस के देशों की जातियों में ईरानियों, यूनानियों, चीनी, मध्य एशियाई तथा अन्य लोगों से भारत का संपर्क बना रहा।


प्रश्न.7. भारतीय संस्कृति की निरंतरता से आप क्या समझते हैं?

उत्तर: भारतीय संस्कृति की निरंतरता से तात्पर्य है कि भारत में कितनी ही परिस्थितियाँ बदलती रही लेकिन भारत निरंतर विकास के पथ पर अग्रसर रहा।


प्रश्न.8. भारतीय उपनिषदों में किस बात पर ज़ोर दिया गया है?

उत्तर: उपनिषदों में इस बात पर जोर दिया गया है कि सही रूप से कार्य करने हेतु आवश्यक है कि मनुष्य का शरीर स्वस्थ हो, मन स्वच्छ हो और तन-मन दोनों ही अनुशासन में रहें। किसी भी प्रकार की उपलब्धि या ज्ञान प्राप्त करने के लिए व्यक्ति को सेयम, आत्मपीड़न और आत्मत्याग की आवश्यकता है।


प्रश्न.9भारतीय आर्यों के व्यक्तिवाद का क्या परिणाम निकला?

उत्तर: भारतीय आर्यों के व्यक्तिवाद का यह परिणाम निकला कि लोग आत्मकेंद्रित हो गए। उन्हें सामाजिक पक्ष की कोई चिंता न रही। वे समाज के प्रति अपना कोई कर्तव्य न समझते थे। इसी कारण व्यक्तिवाद, अलगाववाद और ऊँच-नीच पर आधारित जातिवाद बढ़ता चला गया।


प्रश्न.10भारतीय इतिहास की कई तिथियाँ निश्चित क्यों नहीं हैं? इनकी स्पष्टता हेतु किन-किन का सहारा लेना पड़ता है?

उत्तर: भारतीय इतिहासकारों ने यूनानियों, चीनियों और अरबवासियों की भाँति तिथियाँ निश्चित कर कालक्रम अनुसार इतिहास को नहीं लिखा इसीलिए भारतीय इतिहास को समझने के लिए तिथियों की समस्या आती है। इनकी स्पष्टता हेतु इतिहास के समकालीन अभिलेखों, शिलालेखों, कलाकृतियों, इमारतों के अवशेषों, सिक्कों, सेस्कृत साहित्य एवं विदेशी यात्रियों के सफ़रनामों का सहारा लेना पड़ता है। 

The document सिन्धु निवासी - सिन्धु घाटी की सभ्यता, इतिहास, यूपीएससी, आईएएस | इतिहास (History) for UPSC CSE in Hindi is a part of the UPSC Course इतिहास (History) for UPSC CSE in Hindi.
All you need of UPSC at this link: UPSC
398 videos|676 docs|372 tests

Top Courses for UPSC

FAQs on सिन्धु निवासी - सिन्धु घाटी की सभ्यता, इतिहास, यूपीएससी, आईएएस - इतिहास (History) for UPSC CSE in Hindi

1. काल क्रम संबंधी मत क्या है?
उत्तर: काल क्रम संबंधी मत से सम्बंधित सिन्धु घाटी सभ्यता के अध्ययन में विभिन्न कालों के संबंध में जानकारी होती है। यह सभ्यता के विकास और पतन के समय को जानने में मददगार होता है।
2. सिन्धु निवासी कौन थे?
उत्तर: सिन्धु नदी के तट पर रहने वाले लोग सिन्धु निवासी थे। इनको सिन्धु घाटी सभ्यता के नाम से भी जाना जाता है। यह एक प्राचीन सभ्यता थी जो भारत और पाकिस्तान के बीच स्थित थी।
3. सिन्धु घाटी सभ्यता की अर्थव्यवस्था कैसी थी?
उत्तर: सिन्धु घाटी सभ्यता में अर्थव्यवस्था का महत्वपूर्ण स्थान था। इसमें व्यापार और व्यवसाय का विकास हुआ था। कृषि, शिल्प, वाणिज्य और व्यापार इस सभ्यता के अंतर्गत किए जाते थे।
4. सिन्धु घाटी सभ्यता का पतन क्यों हुआ?
उत्तर: सिन्धु घाटी सभ्यता का पतन कई कारणों से हुआ। इसमें अकाल, जीवनकालीन वातावरणीय परिवर्तन, आक्रमण और युद्ध शामिल हैं। अन्य कारणों में जनसंख्या का अतिरिक्त बढ़ाव और उससे होने वाली खाद्य संकट भी थे।
5. सिंधु घाटी सभ्यता के अंतर्गत कौन-कौन सी संस्थाएं थीं?
उत्तर: सिंधु घाटी सभ्यता में कई संस्थाएं थीं जैसे कि लेखकीय और गणितीय संस्थाएं, व्यापार संस्थाएं, धार्मिक संस्थाएं और शिल्पकला संस्थाएं। इनमें से कुछ संस्थाएं विश्व प्रसिद्ध थीं और व्यापार और शिल्पकला के क्षेत्र में उनका महत्वपूर्ण योगदान था।
398 videos|676 docs|372 tests
Download as PDF
Explore Courses for UPSC exam

Top Courses for UPSC

Signup for Free!
Signup to see your scores go up within 7 days! Learn & Practice with 1000+ FREE Notes, Videos & Tests.
10M+ students study on EduRev
Related Searches

यूपीएससी

,

सिन्धु निवासी - सिन्धु घाटी की सभ्यता

,

आईएएस | इतिहास (History) for UPSC CSE in Hindi

,

Objective type Questions

,

study material

,

practice quizzes

,

past year papers

,

Free

,

MCQs

,

Semester Notes

,

सिन्धु निवासी - सिन्धु घाटी की सभ्यता

,

Previous Year Questions with Solutions

,

यूपीएससी

,

mock tests for examination

,

आईएएस | इतिहास (History) for UPSC CSE in Hindi

,

video lectures

,

यूपीएससी

,

ppt

,

Viva Questions

,

shortcuts and tricks

,

Summary

,

इतिहास

,

Important questions

,

सिन्धु निवासी - सिन्धु घाटी की सभ्यता

,

इतिहास

,

Extra Questions

,

आईएएस | इतिहास (History) for UPSC CSE in Hindi

,

Sample Paper

,

इतिहास

,

pdf

,

Exam

;