UPSC Exam  >  UPSC Notes  >  इतिहास (History) for UPSC CSE in Hindi  >  संगमयुगीन राज्य - संगम युग, इतिहास, यूपीएससी, आईएएस

संगमयुगीन राज्य - संगम युग, इतिहास, यूपीएससी, आईएएस | इतिहास (History) for UPSC CSE in Hindi PDF Download

संगमयुगीन राज्य
 

  • संगम साहित्य के अध्ययन से हमें सुदूर दक्षिण में तीन प्रमुख राज्यों का पता चलता है - पाण्ड्य, चोल व चेर। यह कृष्णा नदी के दक्षिण में स्थित था जिसे तमिलहम या तमिषकम कहा जाता था।
  • कलिंग के प्रसिद्ध शासक खारवेल के हाथीगुम्फा अभिलेख से ज्ञात होता है कि उसने तमिल प्रदेश के तीन राज्यों के संघ - त्रामिरदेश संघटम्, को पराजित किया।
  • ई. पू. चैथी सदी में मेगास्थनीज ने पाण्ड्यों के राज्य का उल्लेख किया है।
  • उपरोक्त बिन्दुओं के अध्ययन से पता चलता है कि ई. पू. प्रथम सदी तक तमिलहम स्थित तीनों राज्य अस्तित्व में आ चुके थे।
  • संगमकालीन एक कवि ने प्रथम चेर शासक उडियनजेरल (लगभग 130 ई.) का वर्णन करते हुए एक जगह कहा है कि उडियनजेरल ने कुरुक्षेत्र में भाग लेने वाले (महाभारत युद्ध के दौरान) सभी योद्धाओं को भोजन कराया। इसी प्रकार कुछ और कवियों ने अन्य पाण्ड्य और चेर राजाओं को भी ऐसा श्रेय दिया है। परंतु इस प्रकार का वर्णन नितांत कपोल कल्पित लगता है।
  • इन तीन राज्यों के अतिरिक्त अन्य अनेक छोटे राज्य भी इस क्षेत्र में थे जो परिस्थिति विशेष के अनुसार तीन बड़े राज्यों के साथ मिलकर रहते थे।
  • कवियों ने इन राजाओं की भी पर्याप्त प्रशंसा की है। यहाँ तक की इनके लिए वेल्लन (संरक्षक) शब्द का प्रयोग भी किया गया है।
प्रमुख नगर और उनकी विशेषताएं
पुहर चोलों का बंदरगाह और समुद्रतटीय राजधानी
उरैयुर चोलों की अंतर्देशीय राजधानी व सूती वस्त्र के लिए प्रसिद्ध केन्द्र वांजि या करयुर चेरों की राजधानी
मुजिरी चेरों का बंदरगाह शहर
कोर्कई पाण्ड्यों की समुद्रतटीय राजधानी
मदुरई पाण्ड्यों की अंतर्देशीय राजधानी तथा प्रथम और तृतीय संगम का आयोजन स्थल
काँची पल्लवों की राजधानी
  • चेर शासक उडियनजेरल के पुत्र नेडुनजेरल आदन ने एक अभिषिक्त शासक को हराकर अधिराज की उपाधि ग्रहण की। इसके द्वारा हिमालय तक विजय और उस पर चेर राज्य चिह्न को अंकित करने का भी वर्णन मिलता है। यह अतिशयोक्तिपूर्ण कथन प्रतीत होता है।
  • इसने अपने समकालीन चोलों से युद्ध किया और उनमें से दो राजाओं को युद्ध भूमि में मार डाला। दोनों की रानियाँ सती हो गईं।
  • आदन का अनुज कुट्ट¨वन ने कोंगु के युद्ध में सफलता प्राप्त करके चेर राज्य को पूर्वी तथा पश्चिम समुद्र तक फैला दिया। इसने भी अधिराज की उपाधि ग्रहण की।
  • आदन के दूसरे पुत्र शेनगुट्ट¨वन (लगभग 180 ई.) की प्रशंसा परणर जैसे सर्वाधिक प्रसिद्ध कवि ने किया है। उसके अनुसार शेनगुट्ट¨वन घुड़सवारी, हाथी की सवारी तथा दुर्ग की घेराबंदी में पारंगत था।
  • परणर ने इसके समुद्री अभियान का वर्णन किया है। इससे प्रतीत होता है कि चेर राजाओं के पास नौसैनिक बेड़ा रहा होगा।
  • संगमकालीन साहित्य से ही ज्ञात होता है कि वह एक साहसी योद्धा और साहित्य-कला का उदार संरक्षक था। इसने भी अधिराज की उपाधि धारण की। 
  • पत्तिनी (पत्नी) पूजा यानि एक आदर्श तथा पवित्र पत्तिनी को देवी रूप में मूर्ति बनाकर पूजना, जिसे कण्णगि पूजा का नाम दिया गया, इस चेर राजा (लाल चेर शेनगुट्ट¨वन) के समय ही आरम्भ हुआ।
  • शिलप्पदिकारम के अनुसार ‘पत्तिनी पूजा’ के प्रचलन में पाण्ड्य तथा चोल शासकों के साथ-साथ श्रीलंकाई शासक भी विशेष सहायक हुए।
  • पत्तिनी पूजा से समाज के मातृसत्तात्मक प्रथा की ओर अग्रसर होने को आभास मिलता है।
  • तगडूर का आदिगइमान उर्फ नडुमान अंजी भी विद्वानों का संरक्षक था और इसने दक्षिण में सर्वप्रथम गन्नों की खेती का शुभारंभ किया। कवियों ने अतिशयोक्तिपूर्ण भाषा में इसे स्वर्ग से गन्ना लाकर खेती की परंपरा आरंभ करने का श्रेय दिया।
  • टाॅलमी के उल्लेख से तथा वांजि नगर के आसपास अनेक स्थलों से रोमन सिक्के प्राप्त होने से यह प्रतीत होता है कि वांजि (करुयुर) चेरों की राजधानी थी।
  • चेर कई नामों से पुकारे जाते थे - बनावर, विल्लवर, कुडवर, कुट्ट¨वर, पोरैयर, मलैयर आदि।
  • चेरों का राजकीय चिह्र्नीधनुष था।
  • प्रथम पाण्ड्य शासक के रूप में नेडियोन का नाम लिया जाता है जो ऐतिहासिक रूप से संदिग्ध है। ऐसा कहा जाता है कि नेडियोन ने ही पहरुली नामक नदी को अस्तित्व प्रदान किया था।
  • ऐतिहासिक रूप से प्रथम पाण्ड्य शासक के रूप में पल्शालई मदुकुडुमी का नाम लिया जाता है। इस तथ्य की पुष्टि वेलविकुडी दानपत्र से होती है।
  • इसने अनेक यज्ञ का प्रायोजन किया और पलशालै (अनेक यज्ञशालाएँ बनाने वाला) की उपाधि धारण की।
  • नेडंुजेलियन नामक एक और पाण्ड्य शासक का नाम भी विभिन्न संगम संकलनों में आया है। इसने सफलतापूर्वक दो पड़ोसी राजाओं और पाँच छोटे सामंतों के गुटों को चोल राज्य की सीमा तक धकेल दिया था।
  • तलेयालंगानम् (तंजोर जिले में तिरवालूर से आठ मील उत्तर पश्चिम) नामक स्थान में हुई इस लड़ाई में इसने चेर शासक शेय (हाथी की आँखवाला) को बंदी बनाकर पाण्ड्य राज्य के कारागार में डाल दिया था।
  • मदुरा तथा पाण्ड्य देश के संबंध में मदुरैकाँची नामक रचना में नेडुंजेलियन के कुशल शासन का विस्तार से वर्णन मिलता है।
  • संगमकालीन एक कविता में मुडुवेल्लिले के किसानों और व्यापारियों को उसके प्रति अत्यधिक समर्पित बताया गया है। इससे पता चलता है कि इस शासक ने इन लोगों के लिए बहुतेरे कल्याणकारी काम किये थे।
  • पाण्ड्यों का राजकीय प्रतीक चिह्न कार्प था।
  • पाण्ड्यों को मिनवर, कवुरियर, पंचवर, तेन्नार, शेलियर, मदार और वलूडी नाम से भी जाना जाता है। 
  • चोल राज्य पाण्ड्य राज्य के उत्तर-पूर्व में पेन्नार तथा वेल्लूर नदियों के बीच स्थित था। इस पूरे क्षेत्र को चोलमण्डलम या कोरोमण्डल कहा जाता था।
  • चोलों का राजकीय प्रतीक चिह्न बाघ था।
  • इसकी राजधानी कावेरीपट्टिनम अर्थात् पुहर में थी।
  • प्रारंभिक चोल राजाओं में सर्वाधिक महत्वपूर्ण शासक करिकाल था। इसका काल लगभग 190 ई. माना जाता है।
  • अपने शासन के आरंभिक दौर में करिकाल को पदच्युत कर बंदी बना लिया गया था। पट्टिनप्पालई के लेखक ने उसके बंदी गृह से निकल भागने और पुनः अपने को गद्दी पर स्थापित करने का रोचक वर्णन कावेरी-पट्टिनम पर रचित ‘पत्तुप्पाट्ट¨’ नामक लंबी कविता में किया है।
  • अपने शासन के आरंभिक दौर में ही करिकाल ने वेण्णि (तंजौर से 15 मील पूर्व आधुनिक कोविल- वेण्णि) पर जीत हासिल की थी। इस युद्ध में करिकाल ने वेलिर सहित ग्यारह शासकों को हराया।
  • करिकाल की दूसरी सफलता वाहैप्परन्दलई के युद्ध में 9 छोटे शासकों को हराना था।
  • इन दोनांे विजयों ने संगमकालीन कवियों को करिकाल की प्रशंसा में कविताएँ रचने के लिए अभिप्रेरित किया।
  • बाद में करिकाल के नाम के साथ कपोल कल्पित आख्यान आ जुटे। शिल्प्पदिकारम के अतिरिक्त ग्यारहवीं तथा बारहवीं शताब्दी के अभिलेखों तथा साहित्य में भी इस संबंध में जानकारी प्राप्त होती है।
  • चोलों के अन्य राजा अब उतने महत्वपूर्ण नहीं रहे।
  • चोलों के कुछ अन्य नाम सेन्नी, शेंबियन, वलवन और किली आदि थे।
  • संगम काल का अंतिम राजा नल्लियक्कोड़न को (275 ई. के लगभग) माना जाता है।
The document संगमयुगीन राज्य - संगम युग, इतिहास, यूपीएससी, आईएएस | इतिहास (History) for UPSC CSE in Hindi is a part of the UPSC Course इतिहास (History) for UPSC CSE in Hindi.
All you need of UPSC at this link: UPSC
399 videos|680 docs|372 tests

FAQs on संगमयुगीन राज्य - संगम युग, इतिहास, यूपीएससी, आईएएस - इतिहास (History) for UPSC CSE in Hindi

1. संगमयुग क्या है?
उत्तर: संगमयुग एक ऐतिहासिक काल है जो भारतीय इतिहास में मध्यकालीन काल के रूप में जाना जाता है। इस काल में भारतीय सभ्यता और संस्कृति का विकास हुआ था। यह काल 6वीं से 12वीं शताब्दी तक चला।
2. संगम युग के दौरान कौन सी घटनाएं हुईं?
उत्तर: संगम युग के दौरान कई महत्वपूर्ण घटनाएं हुईं। कुछ प्रमुख घटनाओं में से कुछ हैं: - गुप्त साम्राज्य की प्रमुखता - हर्षवर्धन का साम्राज्य - चालुक्य साम्राज्य की स्थापना - पृथ्वीराज चौहान के शासनकाल - दिल्ली सल्तनत की उच्चतम संस्कृति का विकास
3. यूपीएससी और आईएएस में संगम युग के बारे में क्या पूछा जा सकता है?
उत्तर: यूपीएससी और आईएएस परीक्षाओं में संगम युग के बारे में निम्नलिखित तरह के प्रश्न पूछे जा सकते हैं: - संगम युग की अवधि क्या थी? - संगम युग में कौन-कौन सी साम्राज्य स्थापित हुईं? - संगम युग के दौरान कौन-कौन सी सांस्कृतिक और साहित्यिक उत्प्रेरणाएं हुईं? - संगम युग के कालिका की स्थापना किसने की? - संगम युग में कौन-कौन से धार्मिक आंदोलन हुए?
4. संगमयुगीन राज्यों के बारे में बताएं।
उत्तर: संगमयुग में कई महत्वपूर्ण राज्य स्थापित हुए। कुछ प्रमुख संगमयुगीन राज्यों में से कुछ हैं: - गुप्त साम्राज्य: गुप्त साम्राज्य भारतीय इतिहास के दौरान सबसे महत्वपूर्ण और प्रभावशाली राज्य था। इसकी मुख्य राजधानी पटलिपुत्र (आज के पटना) थी। - हर्षवर्धन साम्राज्य: हर्षवर्धन साम्राज्य 7वीं संगम युग में स्थापित हुआ था। इसकी मुख्य राजधानी कनौज थी और हर्षवर्धन इसके प्रमुख सम्राट थे। - चालुक्य साम्राज्य: चालुक्य साम्राज्य दक्षिण भारत में स्थापित हुआ था और इसकी मुख्य राजधानी वत्सराज (आज के बादामी) थी। चालुक्य साम्राज्य के शासक विक्रमादित्य और पुलिकेशिन II प्रसिद्ध हुए।
5. संगम युग की महत्वपूर्णता क्या है?
उत्तर: संगम युग भारतीय इतिहास में महत्वपूर्ण है क्योंकि इस काल में भारतीय सभ्यता और संस्कृति का विकास हुआ। इस काल में वैदिक साम्राज्यों के पदार्थवाद की जगह बौद्ध और जैन धर्म ने ली। संगम युग में साहित्य, काव्य, नाटक, कला, संगीत, सिद्धांत, विज्ञान आदि के क्षेत्र में भी विकास हुआ। संगम युग में विभिन्न राज्यों के बीच व्यापार, वाणिज्यिक गतिविधियां और विदेशी व्यापार का भी विकास हुआ।
Related Searches

Objective type Questions

,

संगमयुगीन राज्य - संगम युग

,

Previous Year Questions with Solutions

,

संगमयुगीन राज्य - संगम युग

,

video lectures

,

MCQs

,

यूपीएससी

,

इतिहास

,

Sample Paper

,

Important questions

,

shortcuts and tricks

,

यूपीएससी

,

संगमयुगीन राज्य - संगम युग

,

यूपीएससी

,

Summary

,

ppt

,

आईएएस | इतिहास (History) for UPSC CSE in Hindi

,

study material

,

pdf

,

Extra Questions

,

past year papers

,

आईएएस | इतिहास (History) for UPSC CSE in Hindi

,

Exam

,

practice quizzes

,

mock tests for examination

,

Viva Questions

,

आईएएस | इतिहास (History) for UPSC CSE in Hindi

,

Free

,

Semester Notes

,

इतिहास

,

इतिहास

;