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केन्द्रीय शासन-व्यवस्था - संगम युग, इतिहास, यूपीएससी, आईएएस | इतिहास (History) for UPSC CSE in Hindi PDF Download

केन्द्रीय शासन-व्यवस्था
 

  • शुरू से ही तमिलहम में मुख्य तीन राज्य - चेर, चोल और पाण्ड्य थे। इनमें सबसे पहले चेर और सबसे अंत में पाण्ड्य राज्य का उद्भव हुआ था।
  • संगम काल में वंशानुगत राजतंत्र की प्रधानता थी।
  • संपूर्ण संगम साहित्य में किसी भी परंपरागत राज्य में किसी महिला को शासन-प्रमुख बनाने का उल्लेख नहीं मिलता है।
  • राजा प्रशासन का सर्वेसर्वा होता था। उसे मन्नम, वडम, कोर्रवन या इरैवन नामों से संबोधित किया जाता था।
  • को साधारणतः ‘राजा’ के लिए प्रयुक्त होता था यद्यपि इसका अर्थ ‘ईश्वर’ भी होता था। पूरे संगम साहित्य में इन दोनों अर्थों के लिए कोई स्पष्टीकरण नहीं मिलता है।
  • संगम साहित्य में केन्द्रीय शासक के राजदरबार अवई का विस्तार से उल्लेख मिलता है। राजदरबारी योग्य और कुशल होते थे जिनका काम राजा को राजकाज के मामले में सलाह देना होता था।
  • राजा का जन्मदिन प्रत्येक साल बड़े धूम-धाम से मनाया जाता था। इस दिन को पेरूनल (उत्तम दिन) से संबोधित किया जाता था।
राजा की शक्ति को सीमित करनेवाली संस्था या पद
   
अमैच्चर मंत्रीगण
पुरोहितर पुरोहितगण
सेनापतियर सेना प्रमुख
दूतार  राजदूत
उर्रर  जासूस



स्थानीय शासन-व्यवस्था

  • गाँव प्रशासन की सबसे छोटी इकाई होती थी।
  • ग्राम प्रशासन में मंरम, पोडियिल, अंबलम और अबई जैसी संस्था कार्यरत थी।
  • संपूर्ण राज्य को मंडलम कहा जाता था। मुख्य रूप से तीन मंडलम - चेर मंडलम, चोल मंडलम और पाण्ड्य मंडलम - का उल्लेख हम संगम साहित्य में पाते हैं।
  • कुछ अन्य मंडलम थे - कोंगु मंडलम, टोंडई मंडलम आदि।
  • परंतु केवल तीन मंडलम - चेर, चोल, और पाण्ड्य के शासनाध्यक्ष को मुडिमन्नार के नाम से संबोधित किया जाता है।
  • मंडलम के नीचे की इकाई नाडु थी।
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FAQs on केन्द्रीय शासन-व्यवस्था - संगम युग, इतिहास, यूपीएससी, आईएएस - इतिहास (History) for UPSC CSE in Hindi

1. केन्द्रीय शासन-व्यवस्था क्या है?
उत्तर: केन्द्रीय शासन-व्यवस्था एक बहुपक्षीय (फेडरल) शासन-व्यवस्था है जिसमें राज्य सरकारों और केंद्र सरकार के बीच सतत संघर्ष और सहयोग की व्यवस्था होती है। यह व्यवस्था विभिन्न राज्यों के लिए सार्वभौमिक नीतियों और विधानों का अनुमानित उपयोग करती है।
2. केन्द्रीय शासन-व्यवस्था के क्या प्रमुख लक्षण हैं?
उत्तर: केन्द्रीय शासन-व्यवस्था के प्रमुख लक्षण निम्नलिखित हैं: - राष्ट्रीय स्तर पर सरकारी नीतियों और कानूनों का निर्माण और कार्यान्वयन - केंद्र सरकार का प्रमुख अधिकार संगठन और नेतृत्व - राज्य सरकारों को निर्देश और निरीक्षण करने का केंद्रीय सरकार का अधिकार - अनुशासनात्मक व्यवस्था और न्यायपालिका के तत्वों के साथ संगठित शासन
3. केन्द्रीय शासन-व्यवस्था क्या केंद्र और राज्य सरकारों के बीच अंतर होता है?
उत्तर: केन्द्रीय शासन-व्यवस्था में केंद्र सरकार और राज्य सरकारों के बीच निम्नलिखित अंतर होता है: - केंद्र सरकार राष्ट्रीय स्तर पर नीतियों और कानूनों का निर्माण और कार्यान्वयन करती है, जबकि राज्य सरकारों का क्षेत्र नीतियों और कानूनों को अपनी आपातकालीनता और आवश्यकतानुसार जारी करना होता है। - केंद्र सरकार को राज्य सरकारों की निर्देश और निरीक्षण करने का अधिकार होता है। - केंद्र सरकार के पास अधिकार होता है अपने अध्यादेशों और निर्देशों को राज्य सरकारों के लिए लागू करने का।
4. केन्द्रीय शासन-व्यवस्था के क्या प्रमुख उदाहरण हैं?
उत्तर: केन्द्रीय शासन-व्यवस्था के प्रमुख उदाहरण निम्नलिखित हैं: - भारतीय संघीयता व्यवस्था, जिसमें केंद्र सरकार और राज्य सरकारों के बीच शक्ति विभाजन होता है। - केंद्रीय सरकार द्वारा निर्धारित राष्ट्रीय नीतियों का पालन करने के लिए राज्य सरकारों को बाध्य करना। - केंद्र सरकार द्वारा वित्तीय और व्यापारिक प्रबंधन की जिम्मेदारी।
5. केन्द्रीय शासन-व्यवस्था के फायदे क्या हैं?
उत्तर: केन्द्रीय शासन-व्यवस्था के कुछ महत्वपूर्ण फायदे निम्नलिखित हैं: - एकीकृत नीतियों के द्वारा भारत के विभिन्न भागों में समान हक और सुविधाएं सुनिश्चित करना। - राष्ट्रीय सुरक्षा, राष्ट्रीय आपातकालीनता और अन्य महत्वपूर्ण मुद्दों पर एकीकृत निर्णय लेना। - राज्यों के बीच विकास के लिए सहयोग और संगठन को बढ़ावा देना। - राष्ट्रीय अनुशासन के माध्यम से कानून और व्यवस्था को सुनिश्चित करना।
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