क्षेत्र | भौगोलिक लक्षण | निवासी | व्यवसाय |
कुरिंजी पर्वतीय और वन आखेटक और संग्रहक | आखेट, भोजन संग्रहण, काटना | ||
(कुरवर और वेटर) | जलाना और खेती | ||
मुहल्लै | चारागाह, कम ऊँची पहाड़ियाँ और छितरे वन | चरवाहे (अयर और इटयर) | पशुपालन, झूम कृषि |
मरुतम | नदी घाटियाँ और मैदान | किसान (उषवर और वेल्लावर) | कृषि, जुताई |
नेयतल | समुद्रतट | मछुआरे (परतवर) | मछली पकड़ना, मोती के लिए गोता लगाना, नमक बनाना |
पल्लई | शुष्क क्षेत्र, ग्रीष्म ऋतु में पहाड़ी क्षेत्रों | डाकू (एनियर, मरवर) | राहजनी, डकैती और आखेट |
अर्थव्यवस्था
विदेशी व्यापार
सामाजिक स्थिति
राजस्व | |
करई | भू-कर, जो राज्य के आय का मुख्य स्रोत था (उपज का छठा हिस्सा) |
इरई | सामंतों द्वारा दिया जाने वाला कर और युद्ध से लूटे हुए माल का हिस्सा |
उल्गू या सुंगम | सीमा शुल्क और राहदारी |
कडमई या पडुवडु | राजा के प्रति समर्पित कत्र्तव्य |
इरडू | जबरन लिया जाने वाला उपहार |
वरियम | क्षेत्र की उपज के हिसाब से लिया जाना वाला कर जिसे वरियर नामक कर्मचारी वसूलता था |
स्मरणीय तथ्य
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धार्मिक जीवन
स्मरणीय तथ्य
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4. संगम युग में कौन-कौन से कला और साहित्य के क्षेत्र में विकास हुआ? |
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