UPSC Exam  >  UPSC Notes  >  इतिहास (History) for UPSC CSE in Hindi  >  मौर्य काल - प्राचीन भारत की सामाजिक संरचना में परिवर्तन, इतिहास, यूपीएससी, आईएएस

मौर्य काल - प्राचीन भारत की सामाजिक संरचना में परिवर्तन, इतिहास, यूपीएससी, आईएएस | इतिहास (History) for UPSC CSE in Hindi PDF Download

मौर्य काल
   

  • कौटिल्य के अनुसार वर्ण और आश्रम सामाजिक संगठन का मूलाधार था।
  • मेगास्थनीज ने जाति-व्यवस्था का भिन्न प्रकार से वर्णन किया है। उसके अनुसार उस समय भारत में सात जातियाँ थीं - दार्शनिक, कृषक, गौपालक, कारीगर, सैनिक, गुप्तचर और अमात्य या राजा के उच्च पदाधिकारी।
  • मेगास्थनीज के अनुसार ही प्रत्येक वर्ग अपने ही वर्ग में शादी-संबंध करता था।
  • ग्रीक-लेखकों के अनुसार सम्मान की दृष्टि से ब्राह्मणों और श्रमणों का स्थान सर्वोत्कृष्ट था। बौद्ध श्रमण प्रत्येक जाति के होते थे फिर भी जाति-भेद न मानते थे।
  • बहु-विवाह प्रचलित था। यदा-कदा सती की घटनाएँ भी घटित होती थी।
  • मेगास्थनीज के अनुसार सामाजिक जीवन सरल, सादा और सुव्यवस्थित था। चोरी करना और झूठ बोलना पाप समझा जाता था। अतिथि सत्कार, उदारता, सहिष्णुता, दयालुता, अहिंसा, दान, दर्शन आदि पर बल दिया जाता था।
  • प्रायः संयुक्त परिवार की व्यवस्था थी। साधारणतः लड़के और लड़की की विवाह-आयु क्रमशः सोलह और बारह वर्ष थी।
  • कौटिल्य ने भी सूत्र ग्रंथों की तरह आठ प्रकार के विवाह का वर्णन किया है, जिसमें नीचे की सीढ़ी के चार प्रकार के विवाह निषिद्ध माने जाते थे।
  • कुछ शर्तों के साथस्त्री को तलाक की सुविधा थी।
  • यूनानी लेखक नियार्कस ने विवाह की स्वयंवर प्रथा का उल्लेख किया है।
  • मेगास्थनीज के अनुसार इस युग के विवाह का लक्ष्य जीवन साथी प्राप्त करना, भोग और संतानोत्पत्ति था।स्त्री और पुरुष विशेष परिस्थितियों में पुनर्विवाह कर सकते थे।
  • संभवतः पर्दे की प्रथा नहीं थी।
  • विधवा-विवाह की मान्यता थी। प्रायः विधवा अपने श्वसुर की आज्ञा से विवाह कर सकती थी।
  • बहु-विवाह मान्य था। सामान्यतः अपनी ही जाति के अंदर विवाह उचित माना जाता था। वैसे अंतर्जातीय विवाह भी मान्य था।
  • सगोत्र और सप्रवर कन्या के साथ विवाह निषिद्ध समझा जाता था। सपिण्ड विवाह भी अनुचित समझा जाता था।
  • शाक्यों और मौर्यों के बीच सगोत्र विवाह प्रचलित था।
  • दक्षिण भारत में मातुल-कन्या से विवाह की प्रथा थी, कन्तु उत्तर भारत में ऐसा नहीं था।

पुत्रों के विभिन्न प्रकार

  • औरस:    स्वाभाविक वैध पुत्र।
  • दत्तक:    वह पुत्र जिसको उसके माता-पिता ने किसी दूसरे व्यक्ति को विधिवत दे दिया हो और वह व्यक्ति उसे अपने पुत्र के रुप में गोद लिया हो।
  • उपागत:    वह पुत्र जो किसी पुरुष को पिता मानता हो और वह पुरुष उसे पुत्र के रूप में अपनाया हो।
  • कृतक:    जिसे किसी व्यक्ति ने बिना धर्मानुष्ठान के प्यार से पुत्र के रूप में स्वीकार कर लिया हो।
  • कृत:    जिसे उसके माता-पिता से खरीदकर लाया जाता है और पुत्र की तरह पाला जाता है।
  • क्षेत्रज:    उसस्त्री से जन्मा पुत्र जिसे पुत्र प्राप्ति के लिए किसी दूसरे के पास रखा जाता है।
  • गुधज:    उसस्त्री से जन्मा पुत्र जिसने अपने संबंधी के यहां गुप्त रूप से बिना अपने पति के संसर्ग से पुत्र को जन्म दिया हो।
  • अपविधा:    वह पुत्र जो अपने माता-पिता द्वारा परित्यक्त हो और जिसे कोई व्यक्ति विधिवत ग्रहण कर पालन करता है।
  • करिन:    बिना व्याही लड़की से जन्मा पुत्र
  • सहोध:    उस लड़की का पुत्र जिसकी शादी के समय वह उसके गर्भ में था
  • पुनर्भव:    पुनर्विवाहित स्त्री का पुत्र

 

स्मरणीय तथ्य

  • कायस्थों का सर्वप्रथम वर्णन ‘याज्ञवलक्य स्मृति’ में मिलता है। जाति के रूप में इनका पहला उल्लेख ‘ओशनम् स्मृति’ में मिलता है।
  • गुप्तोत्तर काल में मूर्तिपूजा से जीविकोपार्जन करने वाले ब्राह्मणों को ‘देवलक’ कहा गया। इस काल में सूद पर रुपया उधार देने को ‘कुसीदवृत्ति’ कहा गया।
  • सर्वप्रथम विदेशी यात्री एवं लेखक ह्नेनसांग ने कृषि को शूद्रों का व्यवसाय बताया।
  • संगमकालीन समाज 5 वर्गों - ब्राह्मण, अरसर, बेनिगर, वल्लाल और वेल्लालर में विभक्त था।
  • गुप्तकालीन मूर्तियों में कुषाणकालीन मूर्तियों की तरह नग्नता एवं कामुकता का दर्शन नहीं होता। गुप्तकाल में ही एकमुखी एवं चतुर्मुखी शिवलिंग का निर्माण प्रारंभ हुआ।
  • सती होने का प्रथम प्रमाण 510 ई. के एरण अभिलेख से मिलता है।
  • गुप्तकालीन स्वर्ण मुद्राओं को अभिलेखों में ‘दीनार’ कहा गया।
  • नागार्जुन की तुलना मार्टिन लूथर से की जाती है। इन्हें ‘भारत का आईंस्टाइन’ कहा जाता है।

 

  • वेश्यावृत्ति भी प्रचलित थी। वेश्याएँ ललित कलाओं में प्रवीण होती थीं। चूँकि वे राज्य के आय का साधन थीं, अतएव इस प्रथा को बढ़ावा मिला। स्वतंत्र रूप से वेश्यावृत्ति करने वाली स्त्रियाँ रूपाजीवा कहलाती थीं। वे गुप्तचर और निरीक्षिका का काम भी करती थीं।
  • नारियों को कलाओं की शिक्षा प्राप्त करने की भी सुविधाएँ उपलब्ध थीं। कुछ स्त्रियाँ संगीत, नृत्य और चित्रलेखन आदि ललित कलाओं में निपुण थीं।
  • जो स्त्रियाँ अपना सारा जीवन धर्म-ग्रंथों के अध्ययन में लगाती थीं, वे ब्राह्मवादिनी कहलाती थीं।
  • मौर्य काल में स्त्रियों को पारिवारिक सम्पत्ति का कुछ भाग दिया जाता था। स्त्रियाँ पुरुषों के साथ धार्मिक व सामाजिक समारोहों में भाग लेती थीं।
  • मेगास्थनीज के अनुसार उस काल में भारत में दास-प्रथा नहीं थी परंतु कौटिल्य के लेखन से इस बात का खंडन होता है।
  • कई लोग ऐसे थे जो अस्थायी रूप से बंधक और आश्रित थे, उन्हें कौटिल्य आहितक के नाम से पुकारते हैं।

    

साहित्य
 
राजनीति 
     सोमदेव    
नीतिवाक्यामृत    हेमचन्द्र    लघु अर्हननीति
आयुर्वेद     
     वाग्भट्ट    

 
अष्टांगसंग्रंथ    बृंद    सिद्धियोग
संगीत 
     सारंगधर    
संगीतरत्नाकर
 
  
व्याकरण 
     साकतायन    
साकतायन-व्याकरण    हेमचन्द्र    हैमव्याकरण
 
प्राकृत 
     राजशेखर    
     हेमचन्द्र    

कर्पूरमंजरी    

कुमारपाल चरित

भोज    कुर्मशतक
कन्नड़ 
     अमोघवर्ष    

 
कविराजमार्ग    पंप    पंपभरत
ज्योतिषशास्त्र
     भत्तोतपल    
     श्रीपति    

 

बराहमिहिर की कृति होराशास्त्र पर टीका

रत्नमाला

  
गणित
     महावीराचार्य     
     श्रीधर    
                 बीजगणित

 
गणितसारसंग्रह
 त्रिशती    
भास्कराचार्य    लीलावती 
कानून     मेधातिथि    
     विज्ञानेश्वर    
मनुस्मृति पर टीका
 मिताक्षर (याज्ञवल्क्य स्मृति पर टीका)
  
  • कौटिल्य ने अनेक वर्ण संकर जातियों का उल्लेख किया है। इनकी उत्पत्ति विभिन्न वर्णों के अनुलोम और प्रतिलोम विवाहों से बतायी गई हैं, जैसे - अम्बष्ठ, निषाद, पारशव, रथकार, क्षत्ता, वैदेहक, मागध, सूत, पुल्लकस, वेण, चांडाल, श्वपाक आदि। कौटिल्य ने चांडालों को छोड़कर सभी अन्य वर्ण संकर जातियों को शूद्र माना है।
  • जो लोग शास्त्र विरोधी और वर्णाश्रम धर्म के विरोधी पाये गए उन्हें वर्णच्युत कर दिया गया और उन्हें शूद्र या अछूत मान लिया गया।
The document मौर्य काल - प्राचीन भारत की सामाजिक संरचना में परिवर्तन, इतिहास, यूपीएससी, आईएएस | इतिहास (History) for UPSC CSE in Hindi is a part of the UPSC Course इतिहास (History) for UPSC CSE in Hindi.
All you need of UPSC at this link: UPSC
398 videos|676 docs|372 tests

Top Courses for UPSC

FAQs on मौर्य काल - प्राचीन भारत की सामाजिक संरचना में परिवर्तन, इतिहास, यूपीएससी, आईएएस - इतिहास (History) for UPSC CSE in Hindi

1. मौर्य काल कब तक चला?
उत्तर. मौर्य काल भारतीय इतिहास में 321 ईसा पूर्व से 185 ईसा पूर्व तक चला। यह काल चंद्रगुप्त मौर्य द्वारा स्थापित किया गया था और अशोक महान के शासनकाल में अपनी उच्चतम महत्त्वाकांक्षी परिधि पर पहुंचा।
2. मौर्य साम्राज्य की सामाजिक संरचना में कौन-कौन से परिवर्तन हुए?
उत्तर. मौर्य साम्राज्य के दौरान कई सामाजिक परिवर्तन हुए। चंद्रगुप्त मौर्य ने वर्णाश्रम व्यवस्था को स्थापित किया और अशोक महान ने धर्म के माध्यम से समाज को संगठित किया। सामान्य जनता के लिए न्यायपालिका की स्थापना की गई और नगरीय संरचना को विकसित किया गया। इन परिवर्तनों ने मौर्य साम्राज्य की सामाजिक संरचना में गहरी प्रभाव डाला।
3. मौर्य काल में कौन-कौन सी प्रमुख घटनाएं घटीं?
उत्तर. मौर्य काल में कई प्रमुख घटनाएं घटीं। सबसे प्रमुख घटना चंद्रगुप्त मौर्य द्वारा नंदन की विजय थी, जिसने उन्हें सम्राट बनाया। अशोक महान का कलिंग युद्ध, जिसके बाद उन्होंने धर्मशास्त्र के माध्यम से अपने साम्राज्य को संगठित किया, भी एक महत्वपूर्ण घटना थी। मौर्य काल में अशोक महान का शांतिप्रयाग, जिसमें उन्होंने अहिंसा, धर्म और शांति के प्रचार के लिए विश्वविद्यालय की स्थापना की थी, भी महत्वपूर्ण घटना थी।
4. मौर्य काल के नेतृत्व में कौन-कौन से क्षेत्रों में विकास हुआ?
उत्तर. मौर्य काल के नेतृत्व में काफी क्षेत्रों में विकास हुआ। सामरिक क्षेत्र में चंद्रगुप्त मौर्य ने बहुत सारे राज्यों को अपने अधीन किया और अशोक महान ने अपने साम्राज्य की सीमाओं को विस्तारित किया। कृषि और वाणिज्य क्षेत्र में भी विकास हुआ और आर्थिक उन्नति हुई। इसके अलावा, शिल्प और कला क्षेत्र में भी मौर्य काल में प्रगति देखी गई।
5. मौर्य काल का समाज कैसा था?
उत्तर. मौर्य काल में समाज वर्णाश्रम व्यवस्था के अनुसार संगठित था। उस समय चार वर्ण थे - ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य और शूद्र। वर्ण आधारित समाज में यथार्थ वर्णाश्रम व्यवस्था के पालन किए जाते थे। इसके अलावा, अन्य जातियों, जैसे कि श्रमण और श्रमिक, का भी महत्त्व था। महिलाएं भी समाज में उच्च स्थान रखती थीं और अपने घर और परिवार की देखभाल करती थीं।
398 videos|676 docs|372 tests
Download as PDF
Explore Courses for UPSC exam

Top Courses for UPSC

Signup for Free!
Signup to see your scores go up within 7 days! Learn & Practice with 1000+ FREE Notes, Videos & Tests.
10M+ students study on EduRev
Related Searches

इतिहास

,

Extra Questions

,

ppt

,

Viva Questions

,

Sample Paper

,

यूपीएससी

,

practice quizzes

,

Important questions

,

Objective type Questions

,

mock tests for examination

,

past year papers

,

MCQs

,

Previous Year Questions with Solutions

,

इतिहास

,

यूपीएससी

,

आईएएस | इतिहास (History) for UPSC CSE in Hindi

,

मौर्य काल - प्राचीन भारत की सामाजिक संरचना में परिवर्तन

,

shortcuts and tricks

,

आईएएस | इतिहास (History) for UPSC CSE in Hindi

,

study material

,

मौर्य काल - प्राचीन भारत की सामाजिक संरचना में परिवर्तन

,

pdf

,

Free

,

इतिहास

,

आईएएस | इतिहास (History) for UPSC CSE in Hindi

,

Semester Notes

,

Summary

,

यूपीएससी

,

Exam

,

मौर्य काल - प्राचीन भारत की सामाजिक संरचना में परिवर्तन

,

video lectures

;