UPSC Exam  >  UPSC Notes  >  इतिहास (History) for UPSC CSE in Hindi  >  पाण्ड्य वंश और होयसल वंश - दक्षिण भारत और चोल वंश (800 - 1200 ई.), इतिहास, यूपीएससी, आईएएस

पाण्ड्य वंश और होयसल वंश - दक्षिण भारत और चोल वंश (800 - 1200 ई.), इतिहास, यूपीएससी, आईएएस | इतिहास (History) for UPSC CSE in Hindi PDF Download

पाण्ड्य वंश और होयसल वंश

पाण्ड्य वंश

  • पाण्ड्यों की महत्ता का आरंभ ईसा की छठी सदी के अंत या सातवीं सदी के शुरू में हुआ। करीब तीन सदियों तक पाण्ड्य राज्य पर चोलों का आधिपत्य रहा, हालांकि पदच्युत पाण्ड्य राजाओं ने समय-समय पर अपना राज्य हासिल करने के लिए प्रयास किया। 
  • पाण्ड्य शासकों में ततावर्मन कुलशेखर (1190- 1216 ई.) का शासन महत्वूपर्ण था। उसके द्वारा शुरू किए गए पुनरुत्थान को मारावर्मन सुंदर पाण्ड्य (1216-1238 ई.) ने भी जारी रखा। 
  • मारावर्मन ने चोल राज्य पर आक्रमण किया तथा तंजौर और उरैयुर नगरों को लूटा। 
  • प्रख्यात वेनिस यात्री मार्को पोलो ने पाण्ड्य राज्य का भ्रमण किया और इसके बारे में लिखा। 
  • राज्य सिंहासन पर अधिकार के लिए पाण्ड्य शासकों की आपसी कलह का फायदा उठाते हुए अलाउद्दीन खिलजी के शासन काल में मलिक कफूर ने पाण्ड्य राज्य पर हमला किया। यह पाण्ड्य शासन के पतन का कारण बना।


होयसल वंश

  • यादवों की तरह होयसलों ने भी अपना पूर्वज यदु को माना। 
  • आरम्भ में वे चोल या पश्चिमी चालुक्य के सामंत थे तथा कर्नाटक के एक छोटे भाग पर शासन करते थे। 
  • इस वंश का पहला उल्लेखनीय राजा विष्णुवर्धन (लगभग 1106-1147 ई.) था। इसने अपनी राजधानी वेलपुरा (वर्तमान बेलूर) से द्वारसमुद्र (वर्तमान हलेबुड) लाई।
  • होयसलों को महान मंदिर निर्माताओं के रूप में जाना जाता है। हलेबुड और बेलूर में अभी भी इस तरह के कुछ मंदिर विद्यमान हैं। 
  • चालुक्यों की स्थापत्य कला को आगे बढ़ाते हुए उन्होंने अलंकरण की सुंदर पद्धति विकसित की। 
  • इन मंदिरों में देवी-देवताओं और उनके अनुचरों (यक्ष और यक्षिणी) की मूर्तियों के अलावा दीवारों पर नृत्य, संगीत, युद्ध और प्रेेम के दृश्यों का सुंदर चित्रण किया गया।


साहित्यिक विकास

  • ईसा की छठी और सातवीं सदी से ही अलवार और नयनार संतों ने संस्कृत के स्थान पर तमिल भाषा के प्रयोग को अधिक महत्व दिया। संस्कृत भाषा का प्रयोग किए जाने से पहले भी इस भाग में तमिल भाषा बोली जाती थी। 
  • तमिल के ऊपर संस्कृत भाषा का प्रभाव पड़ा और धीरे-धीरे उसमें कुछ संस्कृत शब्दों का भी प्रयोग किया जाने लगा। 
  • बारहवीं सदी में तमिल के महान कवि कंबन हुए। कंबन की रामायण प्रसिद्ध तमिल ग्रंथों में से एक है। 
  • आंध्र प्रदेश में स्थानीय जनसमुदाय द्वारा तेलुगु भाषा का प्रयोग किया जाता था। तेलुगु भाषा में भी रामायण और महाभारत की कथाओं को लिखा गया। 
  • महाभारत की कुछ कथाओं को लेकर श्रेष्ठ रचना करने वाले नन्नय्या का आज भी स्मरण किया जाता है। आगे चलकर कवि तिक्कन्ना और चरन्ना ने उसकी रचना में अपनी रचनाओं को भी जोड़ दिया। 
  • आधुनिक मैसूर के चारों ओर के क्षेत्र में अधिक संख्या में लोग कन्नड़ भाषा बोलते थे। अपनी श्रेष्ठ साहित्यिक रचनाओं के लिए कवि पंप, पौन्न और रन्न कन्नड़ साहित्य के तीन रत्न कहे जाते हैं।
The document पाण्ड्य वंश और होयसल वंश - दक्षिण भारत और चोल वंश (800 - 1200 ई.), इतिहास, यूपीएससी, आईएएस | इतिहास (History) for UPSC CSE in Hindi is a part of the UPSC Course इतिहास (History) for UPSC CSE in Hindi.
All you need of UPSC at this link: UPSC
399 videos|680 docs|372 tests
Related Searches

यूपीएससी

,

Objective type Questions

,

पाण्ड्य वंश और होयसल वंश - दक्षिण भारत और चोल वंश (800 - 1200 ई.)

,

इतिहास

,

Extra Questions

,

आईएएस | इतिहास (History) for UPSC CSE in Hindi

,

mock tests for examination

,

past year papers

,

Summary

,

Important questions

,

shortcuts and tricks

,

Previous Year Questions with Solutions

,

Exam

,

यूपीएससी

,

इतिहास

,

MCQs

,

यूपीएससी

,

इतिहास

,

आईएएस | इतिहास (History) for UPSC CSE in Hindi

,

Viva Questions

,

पाण्ड्य वंश और होयसल वंश - दक्षिण भारत और चोल वंश (800 - 1200 ई.)

,

पाण्ड्य वंश और होयसल वंश - दक्षिण भारत और चोल वंश (800 - 1200 ई.)

,

Free

,

Sample Paper

,

video lectures

,

practice quizzes

,

Semester Notes

,

pdf

,

study material

,

आईएएस | इतिहास (History) for UPSC CSE in Hindi

,

ppt

;