UPSC Exam  >  UPSC Notes  >  इतिहास (History) for UPSC CSE in Hindi  >  प्रथम कर्नाटक युद्ध - विदेशी यात्री, इतिहास, यूपीएससी, आईएएस

प्रथम कर्नाटक युद्ध - विदेशी यात्री, इतिहास, यूपीएससी, आईएएस | इतिहास (History) for UPSC CSE in Hindi PDF Download

कर्नाटक युद्ध

 ¯ व्यापार पर नियंत्रण करने और प्रतिद्वंद्वियों को उखाड़ फेंकने के उद्देश्य से विदेशी कंपनियां अपनी राजनीतिक सत्ता स्थापित करने की योजनाएं बनाने लगीं। अंग्रेजी और फ्रांसीसी कंपनियां इस दौर में आगे थीं। 
 ¯ उनके बीच सबसे पहले कर्नाटक में संघर्ष शुरू हुआ। 
 ¯ कर्नाटक मुगल साम्राज्य का एक सूबा था, मगर लगभग स्वतंत्र हो चुका था। 
 ¯ कर्नाटक की राजधानी मद्रास और पांडिचेरी के बीच स्थित आर्काट शहर में थी।
 ¯ सन् 1740-48 ई. के दौरान यूरोप में एक युद्ध चला जिसे ‘आस्ट्रियाई उत्तराधिकार का युद्ध’ कहते हैं। उस युद्ध में फ्रांसीसी और अंग्रेज परस्पर विरोधी खेमों में थे।
     प्रथम कर्नाटक युद्ध: उस समय डूप्ले पांडिचेरी में फ्रांसीसी कम्पनी का मुख्य अधिकारी था। 
 ¯ इंग्लैंड और फ्रांस के बीच यूरोप में युद्ध शुरू हुआ तो फ्रांसीसियों ने अंग्रेजों के मद्रास स्थित केन्द्र फोर्ट सेंट जार्ज को लूटा। 

स्मरणीय तथ्य
 ¯    निजाम-उल-मुल्क का दीवान पूरन चन्द था।
 ¯    रामजीवन मुर्शीद खान का पसंदीदा व्यक्ति था।
 ¯    सफदरजंग की सरकार में सर्वोच्च पद हिन्दु नवाब राय का था।
 ¯    अजलाफ मुसलमान निम्न वर्ग के मुसलमान थे।
 ¯    केरल में परिवार मां के नाम से चलते थे।
 ¯    अहिल्याबाई ने 1766 से 1796 तक इन्दौर पर सफलतापूर्वक शासन किया।
 ¯    रोहिल्ला सरदार नजीब खान वास्तव में अहमदशाह अब्दाली का विश्वासपात्र था।
 ¯    परशुराम भाऊ 18वीं सदी के मराठा सेनानायक थे।
 ¯    मुगल सम्राट मुहम्मद शाह के समय संगीत ने बहुत प्रगति की।
 ¯    मिर्जा गालिब का संबंध 19वीं सदी से है।
 ¯    मीर, सौदा तथा नजीर 18वीं शताब्दी के मशहूर शायर थे।
 ¯    मार्तण्ड वर्मा और राम वर्मा के समय मलयालम साहित्य का पुनरुत्थान हुआ।
 ¯    अपनी विशिष्ट शिल्प तथा चित्रकला के साथ पेंनाभन पैलेस का निर्माण भी 18वीं शताब्दी में हुआ।
 ¯    हीर रांझा की रचना वारिस शाह द्वारा की गई थी।
 ¯    शाह अब्दुल लतीफ ने कविताओं के संकलन रिसालो की रचना।
 ¯    राजा सवाई जय सिंह एक जाने माने प्रशासक, कानून निर्माता, समाज सुधारक तथा खगोल शाóी थे। उन्होंने जयपुर शहर का निर्माण कराया था।
 ¯    कर्नाटक के नवाब सादुतुल्लाह खान ने निजाम से पूछे बिना अपने आप को दक्कन के गवर्नर से स्वतंत्र घोषित कर लिया था और अपनी गद्दी को पैतृक बना कर अपने भांजे दोस्त अली को उत्तराधिकारी बना दिया था।
 ¯    हैदराबाद के शासक निजाम अली और अंग्रेेजो के बीच विरोध का एक कारण गुन्टूर का सरकार भी था। निजाम के लिए यह एकमात्र समुद्री रास्ता था जबकि अंग्रेजों के लिए यह उनके उत्तर के क्षेत्रों को दक्षिण भाग से जोड़ने के लिए जरूरी था।
 ¯    निजाम उल मुल्क के नाम से प्रसिद्ध चिन कुलीच खान ने हैदराबाद राज्य की स्थापना की।
 ¯    रणजीत सिंह ने शाह शुजा से उस समय विश्व प्रसिद्ध हीरा कोहिनूर प्राप्त किया था जब उन्होंने शूजा को अफगानिस्तान से भगाए जाने पर शरण दी थी (सन् 1813.14 ई.)।
 ¯    नादिर शाह अपने साथ मयूर सिंहासन और कोहिनूर ले गया था। अहमदशाह अब्दाली उसका सबसे सक्षम सेना नायक था।

¯ जब कर्नाटक के नवाब ने देखा कि उसके प्रांत में फ्रांसीसियों की शक्ति बढ़ती जा रही है, तो उसने उनके खिलाफ एक सेना भेजी। 
 ¯ सेंट टोम की लड़ाई में कर्नाटक के नवाब की बड़ी सेना को फ्रांस की आधुनिक शóाóयुक्त छोटी सेना ने पराजित किया। 
 ¯ इस लड़ाई के परिणाम ने सिद्ध कर दिया कि एक छोटी सेना भी, यदि सैनिकों में अनुशासन हो, उन्हें नियमित रूप से वेतन दिया जाए और उन्हें यूरोप में विकसित नई बन्दूकें दी जाएं, तो भारतीय शासकों की काफी बड़ी सेना को हरा सकती है। 
 ¯ सन् 1748 ई. में यूरोप में हुई ‘एक्सला-शैपेल की संधि’ के तहत फ्रांसीसियों ने अंग्रेजों को मद्रास वापस कर दिया।
 ¯ मगर यह शांति ज्यादा दिनों तक नहीं टिकी। फ्रांसीसियों के विरुद्ध हुई लड़ाई में कर्नाटक का नवाब मारा गया। 
 ¯ उसी दौरान निजाम की मृत्यु हुई। उत्तराधिकार के सवाल को लेकर विवाद पैदा हुए। फ्रांसीसियों ने मुजफ्फर जंग को नवाब बना दिया। 
 ¯ कर्नाटक के नवाब के पद के लिए दोनों कंपनियों ने अलग-अलग उम्मीदवारों को समर्थन दिया। 
 ¯ फ्रांसीसियों ने चांद साहब को कर्नाटक का नवाब बना दिया। 
 ¯ अंग्रेज मुहम्मद अली को कर्नाटक का नवाब बनाना चाहते थे।
     द्वितीय कर्नाटक युद्ध (1749- 54): युद्ध में फ्रांसीसियों की हार हुई। 
 ¯ चांद साहब का सिर काट लिया गया। 
 ¯ डूप्ले को फ्रांस वापस बुला लिया गया और दोनों कंपनियों के बीच शांति-समझौता हुआ। 
 ¯ लड़ाई का नतीजा अंग्रेज कंपनी के हित में रहा। 
 ¯ कर्नाटक में फ्रांसीसी कंपनी के स्थान पर अंग्रेज कंपनी का आधिपत्य स्थापित हो गया।
 ¯ हारने पर भी हैदराबाद में फ्रांसीसियों का प्रभाव बरकरार रहा। 
 ¯ उनकी फौज के खर्च के लिए निजाम ने उन्हें राजस्व- वसूली का अधिकार दे दिया और फ्रांसीसी फौज पर वही राजस्व खर्च होता था। 
 ¯ इस प्रकार भारतीय राज्यों से फौज का खर्च लेकर फिर उसी फौज से उन राज्यों के शासकों पर नियंत्रण कायम करने का एक नया तरीका सामने आया जिसे आगे चलकर अंग्रेजों ने बंगाल में अपनाया।
     तृतीय कर्नाटक युद्ध (1756-63): अंग्रेज फ्रांसीसी संघर्ष का अंतिम दौर 1756 ई. में तब चला जब यूरोप में ‘सात वर्षीय युद्ध’ शुरू हुआ। 
 ¯ 1758 ई. में फ्रांस ने सेंट डेविड का किला जीत लिया लेकिन 1760 ई. में ‘वाण्डीवाश की लड़ाई’ में उनकी शर्मनाक पराजय हुई और अंग्रेजों को महत्वपूर्ण सफलता मिली। 
 ¯ हालांकि 1763 ई. की ‘पेरिस संधि’ के द्वारा पाण्डिचेरी एवं कुछ अन्य क्षेत्र फ्रांस को वापस दे दिए गए लेकिन फ्रांस अब इनकी किलाबंदी नहीं कर सकता था। फ्रांस की गतिविधियां केवल व्यापार तक सीमित रह गईं।

The document प्रथम कर्नाटक युद्ध - विदेशी यात्री, इतिहास, यूपीएससी, आईएएस | इतिहास (History) for UPSC CSE in Hindi is a part of the UPSC Course इतिहास (History) for UPSC CSE in Hindi.
All you need of UPSC at this link: UPSC
398 videos|676 docs|372 tests

Top Courses for UPSC

FAQs on प्रथम कर्नाटक युद्ध - विदेशी यात्री, इतिहास, यूपीएससी, आईएएस - इतिहास (History) for UPSC CSE in Hindi

1. प्रथम कर्नाटक युद्ध क्या है?
उत्तर: प्रथम कर्नाटक युद्ध, भारतीय इतिहास में एक महत्वपूर्ण युद्ध था जो 1757 ईस्वी में हुआ था। इस युद्ध में मैसूर राजा टिपू सुल्तान ने ब्रिटिश सेना के खिलाफ लड़ाई लड़ी थी। यह युद्ध मैसूर राज्य और ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी के बीच आमने-सामने की पहली लड़ाई थी।
2. प्रथम कर्नाटक युद्ध कब हुआ था?
उत्तर: प्रथम कर्नाटक युद्ध 1767 ईस्वी में हुआ था।
3. प्रथम कर्नाटक युद्ध के दौरान कौन-कौन से देशी और विदेशी यात्री शामिल हुए थे?
उत्तर: प्रथम कर्नाटक युद्ध के दौरान, मैसूर राजा टिपू सुल्तान के साथ विदेशी यात्री शामिल थे जैसे कि फ्रांसीसी साम्राज्य, मराठों, निजाम, हैदराबाद और निजाम चौंडा शाह वगैरह। दोनों पक्षों में देशी यात्री भी शामिल थे।
4. प्रथम कर्नाटक युद्ध के दौरान ब्रिटिश सेना का प्रमुख कौन था?
उत्तर: प्रथम कर्नाटक युद्ध के दौरान, ब्रिटिश सेना का प्रमुख अधिकारी आर्थर वेलेसली था।
5. प्रथम कर्नाटक युद्ध का परिणाम क्या था?
उत्तर: प्रथम कर्नाटक युद्ध के परिणामस्वरूप, मैसूर राजा टिपू सुल्तान को हार का सामना करना पड़ा और उन्हें ब्रिटिश सेना के साथ समझौता करना पड़ा। उन्हें अपनी कई संपत्तियों को दान में देना पड़ा और उन्हें तीन वर्षों के लिए प्रतिष्ठान में रहने की इजाजत दी गई।
398 videos|676 docs|372 tests
Download as PDF
Explore Courses for UPSC exam

Top Courses for UPSC

Signup for Free!
Signup to see your scores go up within 7 days! Learn & Practice with 1000+ FREE Notes, Videos & Tests.
10M+ students study on EduRev
Related Searches

video lectures

,

MCQs

,

इतिहास

,

shortcuts and tricks

,

Semester Notes

,

आईएएस | इतिहास (History) for UPSC CSE in Hindi

,

Exam

,

यूपीएससी

,

Summary

,

ppt

,

mock tests for examination

,

Previous Year Questions with Solutions

,

आईएएस | इतिहास (History) for UPSC CSE in Hindi

,

pdf

,

Viva Questions

,

प्रथम कर्नाटक युद्ध - विदेशी यात्री

,

study material

,

इतिहास

,

practice quizzes

,

प्रथम कर्नाटक युद्ध - विदेशी यात्री

,

यूपीएससी

,

यूपीएससी

,

Extra Questions

,

Free

,

Sample Paper

,

Objective type Questions

,

आईएएस | इतिहास (History) for UPSC CSE in Hindi

,

प्रथम कर्नाटक युद्ध - विदेशी यात्री

,

इतिहास

,

past year papers

,

Important questions

;