UPSC Exam  >  UPSC Notes  >  इतिहास (History) for UPSC CSE in Hindi  >  विद्रोह का स्वरूप - 1857 का विद्रोह एवं अन्य आंदोलन, इतिहास, यूपीएससी, आईएएस

विद्रोह का स्वरूप - 1857 का विद्रोह एवं अन्य आंदोलन, इतिहास, यूपीएससी, आईएएस | इतिहास (History) for UPSC CSE in Hindi PDF Download

विद्रोह का स्वरूप

  • सैयद अहमद खाँ, जिन्होंने विद्रोह के तुरंत बाद तथा विनायक दामोदर सावरकर, जिन्होंने बीसवीं शताब्दी के प्रारंभ में लिखा, ये दोनों पहले भारतीय थे जिन्होंने इस विषय पर अपने विचार प्रकट किए। 
  • सावरकर ने इस संघर्ष को भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के रूप में देखा। 
  • इनका उद्देश्य इस विद्रोह का इतिहास लिखना नहीं था बल्कि इस विद्रोह के आधार पर भारतीयों को स्वतंत्रता के लिए जागृत करना था। 
  • सुरेन्द्र नाथ सेन ने इस विद्रोह को ‘राष्ट्रीय संग्राम’ और सैनिक विद्रोह दोनों में किसी की पूर्णतः संज्ञा नहीं दी। इनके अनुसार यह विद्रोह राष्ट्र भक्ति से प्रेरित नहीं था एवं जहाँ तक सैनिक विद्रोह का प्रश्न है तो यह विद्रोह सैनिक और असैनिक दोनों द्वारा किया गया।
  • आर. सी. मजूमदार इसे ”राष्ट्रीय आंदोलन“ नहीं जानती है, क्योंकि इस विद्रोह ने विभिन्न भागों में अलग-अलग रूप धारण किया। इस विद्रोह की मुख्य देन विद्रोह के गंभीर प्रवाह के प्रति आगे आने वाली पीढ़ियां का ध्यान आकर्षित करना है।
  • पाकिस्तानी इतिहासकारों ने इस विद्रोह को मुसलमानों द्वारा संचालित विद्रोह बताया है। 
  • अंग्रेजों ने इस विद्रोह के विपक्ष में अपना मत दिया एवं साम्राज्यवादी सरकार के पक्ष में दलील दी है।
  • पं. नेहरू ने इसके स्वरूप पर लिखा है कि ”यह एक सैनिक विद्रोह से कहीं अधिक था तथा तीव्र गति से फैलते हुए इसने एक लोकप्रिय विद्रोह तथा प्रथम स्वतंत्रता-संग्राम का रूप धारण कर लिया’’।
  • अतः 1857 ई. में हुए विद्रोह को स्वतंत्रता का प्रथम संग्राम ही माना जाना चाहिए जिसका उद्देश्य विदेशी शासन को समाप्त करना था। 
  • आश्चर्य की बात है कि यहाँ के अधिकांश भारतीय इतिहासकार यह वाद-विवाद करते है कि यह राष्ट्रीय विद्रोह था अथवा नहीं जबकि इंग्लैंड के प्रसिद्ध रूढ़िवादी नेता डिजरैली तक ने 1857 ई. में ही इस बात को स्वीकार लिया था। 
  • डिजरैली ने ”हाउस ऑफ कामन्स“ में बोलते हुए हुए कहा था - ”यह आंदोलन राष्ट्रीय विद्रोह था न कि सैनिक अथवा

सिपाही विद्रोह

विद्रोह के कारण

आर्थिक कारण 

  • अंग्रेजों की निरंतर आर्थिक शोषण की नीतियों ने जनसाधारण को अत्यधिक प्रभावित किया तथा धीरे-धीरे उनमें असंतोष की भावना बढ़ती गई। अंग्रेजों ने भारत के संदर्भ में जितनी भी नीतियाँ चलाईं, वे सारी अपनी स्वार्थ-पूर्ति के उद्देश्य से प्रेरित होती थीं जिससे जनता का शोषण किया जाता था।
  • औद्योगिक क्रान्ति के परिणामस्वरूप इंग्लैंड में विशाल कारखानों की स्थापना हो चुकी थी जिन्हें कच्चे माल व उससे निर्मित वस्तुओं की बिक्री के लिए उपनिवेशों की आवश्यकता थी। इस उद्देश्य से अंग्रेजों द्वारा भारत से कच्चा माल इंग्लैंड भेजा जाने लगा तथा उससे बनी वस्तुएँ पूरे भारत में लाकर बेची जाती थी। 
  • इससे अंग्रेजों को दोहरा लाभ होता था तथा साथ-ही-साथ इस नीति  से भारतीय उद्योग धन्धे बंद होने लगे। 
  • इससे भारत में निर्धनता बढ़ी। 
  • सरकार की गलत नीतियों के कारण भारतीय किसानों पर भी विपरीत प्रभाव पड़ा।
  • सरकार ने ताल्लुकेदारों तथा वंशानुगत भूमिपतियों से लेकर भारतीय किसानों तक को भुखमरी के कगार पर ला खड़ा किया।
  • वे अपने भूमि से वंचित कर दिए गए। कर मुक्त भूमि को भी सरकार ने अपने कब्जे में कर लिया।
  • वायसराय लार्ड डलहौजी के समय में हजारों व्यक्ति भूमिहीन हो गए।
  • झाँसी में लक्ष्मी मंदिरों के कर मुक्त ग्रामों पर भी सरकार ने अधिकार कर लिया।
  • 1852 ई. में बम्बई के प्रसिद्ध ”इनाम आयोग“ ने 20,000 जागीरें जब्त कर ली जिससे वहाँ के जमींदारों की स्थिति शोचनीय हो गई।
  • भारतीय किसान कर के बोझ से दबा रहा। 1824 ई. तक कुल उपज का 55ः सरकारी कर के रूप में देने के लिए कहा गया।
  • इतिहासकार ताराचंद का विचार है कि अंग्रेजों की भूमिकर नीति 1857 के विद्रोह के लिए उत्तरदायी थी।
  • इसके अतिरिक्त उन्नीसवीं सदी के पूर्वार्ध में भारत में सात बार अकाल पड़े जिसमें 15 लाख आदमियों की मृत्यु हुई। इससे किसानों की दशा और भी शोचनीय हो गई। किंतु सरकार ने इनकी स्थिति में सुधार लाने की बजाए इनका शोषण जारी रखा। अतः वे विद्रोह करने के लिए विवश हुए।

 सामाजिक व धार्मिक कारण 

  • 1813 के चार्टर एक्ट के अंतर्गत ईसाई धर्म प्रचारकों को भारत आने की अनुमति दी गई। ये मिशनरियाँ हिन्दू धर्म तथा उसके आचार-विचारों की निंदा करते हुए लोगों से ईसाई धर्म ग्रहण करने की बात करते थे। 
  • शिक्षा संस्थानों पर भी इन ईसाई मिशनरियों की पकड़ मजबूत होने लगी। 
  • मिशनरी स्कूलों में बाईबिल की शिक्षा अनिवार्य थी। 
  • अकाल पीड़ित बंदियों, विधवाओं, अनाथ बालकों व पिछड़ी जाति के लोगों को ईसाई बनाया गया। 
  • अतः धर्म की रक्षा के लिए हिंदू व मुसलमानों ने अंग्रेजों का विरोध किया। 
  • धर्मोपदेशक, पंडितों और मौलवियों ने, जो यह महसूस कर रहे थे कि उनका पूरा भविष्य खतरे में है, विदेशी शासन के प्रति घृणा पैदा करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। 
  • अंग्रेजों ने कुछ ऐसे सामाजिक सुधार किए जिससे समाज के बहुत बड़े वर्ग में आक्रोश की भावना भड़की - जैसे, सती प्रथा पर रोक, विधवा पुनर्विवाह, ईसाई होने पर पैतृक सम्पत्ति में हिस्सा, सैनिकों को समुद्र पार भेजना तथा मंदिरों के प्रबंध को अपने हाथ में ले लेना।
  • राजनीतिक एवं प्रशासनिक कारण: इस विद्रोह का प्रमुख कारण लार्ड डलहौजी की साम्राज्यवादी नीति थी। 
  • 1856 में लार्ड डलहौजी ने अवध को ब्रिटिश शासन में मिला लिया। पूरे भारत तथा खासतौर पर अवध में इसकी तीखी प्रतिक्रिया हुई। 
  • इसके कारण विशेष रूप से अवध में और कंपनी की सेना में विद्रोह का वातावरण बन गया। डलहौजी के इस काम से अवध एवं कंपनी के सैनिक काफी नाराज हुए। 
  • कंपनी के सिपाहियों में 75,000 अवध के सिपाही थे। 
  • इसके अलावा अवध के अधिग्रहण से वहाँ आर्थिक स्थिति खराब हो गई।
  • लार्ड डलहौजी ने अपने शासन काल के समय अनेक रयासतों को जबरण ब्रिटिश साम्राज्य का अंग बना लिया जिससे असंतोष एवं असुरक्षा की भावनाएँ उत्पन्न हुई। 
  • डलहौजी के ‘व्यपगत के सिद्धान्त ;क्वबजतपदम व स्ंचेमद्धष् के अनुसार कंपनी की सत्ता भारत में सर्वोच्च थी तथा भारतीय रियासतें उसके अधीन थी। 
  • लार्ड डलहौजी ने उन शासकों को जिनके पुत्र नहीं थे, गोद लेने की स्वीकृति प्रदान नहीं की तथा उन रियासतों को ब्रिटिश साम्राज्य में मिला लिया गया।
  • इस व्यपगत के सिद्धान्त के आधार पर उसने 1848 ई. में सतारा, 1850 ई. में जैतपुर, सम्भलपुर, 1852 ई. में उदयपुर, 1853 ई. में झाँसी तथा 1854 ई. में नागपुर की रियासतों को ईस्ट इंडिया कम्पनी के भारतीय साम्राज्य का अंग बना लिया। 
  • पंजाब पर भी अधिकार करने के पश्चात अंग्रेजों ने राजकुमार दलीप सिंह को ईसाई  बनाकर इंग्लैंड भेज दिया था तथा कोहिनूर हीरे को भी अंग्रेजों ने हड़प लिया था। 
  • सिक्खों के पवित्र स्थल अमृतसर के दरबार साहब में डलहौजी जूते पहनकर गया। इस अपमान से सिक्ख भी अंग्रेजों के विरुद्ध हो गए।
  • दिल्ली में मुगल शासक बहादुरशाह के साथ भी अंग्रेजों ने दुव्र्यवहार किया तथा उसे भेंट देना भी बंद कर दिया। 
  • बहादुर शाह का नाम भी अंग्रेजों ने सिक्कों पर छापना बंद कर दिया तथा उसके बड़े पुत्र के स्थान पर छोटे पुत्र राजकुमार कोयाश को डलहौजी ने इसलिए युवराज घोषित किया क्योंकि वह अंग्रेजों का समर्थक था। अंग्रेजों के इस कार्य से बहादुरशाह भी अंग्रेजों का विरोधी बन गया। 
  • इसी प्रकार की नीति अंग्रेजों ने बाजीराव द्वितीय के दत्तक पुत्र धुनधूपन्त (नाना साहब) के साथ भी अपनायी। उनको भी पेंशन देना बंद कर दिया तथा उनकी बिठुर की जागीर पर अंग्रेज अधिकार करना चाहते थे। अतः नाना साहब ने इसका घोर विरोध किया।
  • सिंध पर भी अंग्रेजों ने अत्यंत धूर्ततापूर्ण तरीकों से अधिकार किया।
  • जनता के बीच बढ़ते असंतोष के इस काल में कुछ ऐसी घटनाएं भी हुईं जिनसे अंग्रेज सेनाओं की अपराजेयता का भ्रम दूर हो गया और लोगों में यह विश्वास पनपने लगा कि ब्रिटिश शासन के दिन अब बहुत थोड़े रह गए हैं। पहले अफगान युद्ध (1838-42) में ब्रिटिश फौज की बुरी तरह पराजय हुई।

 सैनिक कारण

  • ब्रिटिश सेना में भारतीय सेनाओं की स्थिति बहुत बुरी थी
    (i) पदोन्नति के अवसर काफी कम।
    (ii) सेना में अधिकारी सिर्फ अंग्रेजों का होना।
    (iii) वेतन का कम मिलना।
    (iv) भारतीय सैनिकों को निग्गर एवं काला आदमी कहा जाता था।
    (v) भारतीय सैनिकों को विदेश भेजा जाना एवं विदेशी भत्ता नहीं देना।
  • यही कारण था कि 1806 ई. में वेल्लोर, 1824 ई. में बैरकपुर, 1830 ई. में शोलापुर, 1842 ई. में हैदराबाद 1842-43 ई. में सिंध में सैनिकों ने विद्रोह किया।
  • तत्कालीन कारण: चर्बी वाले कारतूसों की घटना ने इस विद्रोह के तत्कालीन कारणों में प्रमुख भूमिका निभाई।
  • नए एनफील्ड राइफल का उपयोग सबसे पहले सेना से ही आरंभ किया गया। इसके उपयोग में आने-वाले कारतूस पर गाय और सुअर की चर्बी का प्रयोग किया जाता था।
  • हिंदू और मुसलमान दोनों भड़क उठे तथा बगावत का समय आ गया।
The document विद्रोह का स्वरूप - 1857 का विद्रोह एवं अन्य आंदोलन, इतिहास, यूपीएससी, आईएएस | इतिहास (History) for UPSC CSE in Hindi is a part of the UPSC Course इतिहास (History) for UPSC CSE in Hindi.
All you need of UPSC at this link: UPSC
398 videos|676 docs|372 tests

Top Courses for UPSC

FAQs on विद्रोह का स्वरूप - 1857 का विद्रोह एवं अन्य आंदोलन, इतिहास, यूपीएससी, आईएएस - इतिहास (History) for UPSC CSE in Hindi

1. विद्रोह क्या है?
उत्तर: विद्रोह एक ऐसा घटनाक्रम होता है जिसमें एक समूह या समुदाय सरकार के खिलाफ उठ खड़ता है और उसके आदेशों और अधिकारों को चुनौती देता है। इसे एक आंदोलन भी कहा जाता है।
2. 1857 का विद्रोह क्या था?
उत्तर: 1857 का विद्रोह भारतीय इतिहास का एक महत्वपूर्ण घटनाक्रम है जो सेपाही विद्रोह के नाम से भी जाना जाता है। यह आंदोलन ब्रिटिश शासन के खिलाफ था और भारतीय स्वतंत्रता की लड़ाई की शुरुआत के रूप में माना जाता है।
3. विद्रोह की इतिहास में क्या भूमिका होती है?
उत्तर: विद्रोह भारतीय इतिहास में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। यह एक समुदाय के अधिकारों और अस्तित्व को लेकर चुनौती देता है और समाज को संशोधित करने के लिए सरकार से एक व्यापक समझौता करवाने की ज़रूरत पड़ती है।
4. सिपाही विद्रोह क्या है?
उत्तर: सिपाही विद्रोह भारतीय इतिहास में एक ऐतिहासिक घटना है जो 1857 में हुई। इसमें भारतीय सेना के सिपाही ब्रिटिश सरकार के खिलाफ उठ खड़े हुए थे जिसके कारण भारतीय स्वतंत्रता की लड़ाई का प्रारंभ हुआ था।
5. यूपीएससी और आईएएस में विद्रोह के बारे में पूछे जाने वाले सबसे महत्वपूर्ण प्रश्न क्या हैं?
उत्तर: यूपीएससी और आईएएस में विद्रोह के बारे में पूछे जाने वाले सबसे महत्वपूर्ण प्रश्न कुछ इस प्रकार हो सकते हैं: - भारत में सिपाही विद्रोह का इतिहास क्या है? - 1857 का विद्रोह क्या था? इसका इतिहास और महत्व क्या है? - विद्रोह की भूमिका क्या होती है? इसका समाज पर क्या प्रभाव पड़ता है? - विद्रोह के दौरान क्या घटी? इसके असर और परिणाम क्या थे? - विद्रोह के बाद भारतीय स्वतंत्रता की लड़ाई में क्या बदलाव आये?
398 videos|676 docs|372 tests
Download as PDF
Explore Courses for UPSC exam

Top Courses for UPSC

Signup for Free!
Signup to see your scores go up within 7 days! Learn & Practice with 1000+ FREE Notes, Videos & Tests.
10M+ students study on EduRev
Related Searches

Free

,

इतिहास

,

यूपीएससी

,

mock tests for examination

,

Important questions

,

Summary

,

विद्रोह का स्वरूप - 1857 का विद्रोह एवं अन्य आंदोलन

,

Exam

,

Extra Questions

,

इतिहास

,

यूपीएससी

,

इतिहास

,

यूपीएससी

,

Sample Paper

,

practice quizzes

,

pdf

,

study material

,

Semester Notes

,

आईएएस | इतिहास (History) for UPSC CSE in Hindi

,

Previous Year Questions with Solutions

,

past year papers

,

shortcuts and tricks

,

video lectures

,

आईएएस | इतिहास (History) for UPSC CSE in Hindi

,

MCQs

,

ppt

,

आईएएस | इतिहास (History) for UPSC CSE in Hindi

,

Objective type Questions

,

विद्रोह का स्वरूप - 1857 का विद्रोह एवं अन्य आंदोलन

,

विद्रोह का स्वरूप - 1857 का विद्रोह एवं अन्य आंदोलन

,

Viva Questions

;