साइमन कमीशन की रिपोर्ट 1.प्रांतों में दोहरा शासन समाप्त करके प्रांतों में उत्तरदायी शासन स्थापित किया जाए। 2.केन्द्रीय शासन में किसी प्रकार का परिवर्तन नहीं किया जाए। 3.भारत के लिए संघीय शासन के स्थापना की जाए। 4.उच्च न्यायालय को भारतीय सरकार के अधीन कर दिया जाए। 5.अल्पसंख्यकों के हितों के लिए गवर्नर व गवर्नर जनरल को विशेष शक्तियाँ प्रदान की जाएँ। 6.प्रान्तीय विधान मण्डलों के सदस्यों की संख्या में वृद्धि कर दी जाए। 7.बर्मा को भारत से पृथक कर दिया जाए तथा सिंध एवं उड़ीसा को नए प्रांत के रूप में मान्यता प्रदान की जाए। 8.संघ के स्थापना से पहले भारत में एक ‘वृहदतर भारतीय परिषद’ की स्थापना की जाए। 9.रिपोर्ट में मताधिकार के विस्तार के सिफारिश की गई। 10.प्रत्येक दस वर्ष पश्चात् भारत की संवैधानिक प्रगति की जाँच को समाप्त कर दिया जाए तथा ऐसा नवीन लचीला संविधान बनाया जाए, जो स्वत: विकसित होता रहे। सयद्यपि साइमन कमीशन की बातों की तीखी आलोचना हुई तथा सर शिवस्वामी आयर द्वारा इसे रद्दी की टोकरी में फेंकने लायक बताया गया, किन्तु फिर भी इस कमीशन की अनेक बातों को 1935ई. के अधिनियम में अपना लिया गया। |
माक्र्वस आॅफ हेस्टिंग्स (1813-1823)
पिन्डारियों का दमन, मराठा शक्ति अन्तिम रूप से नष्ट कर दी गयी। मालाबार, कनारा, कोयम्बटूर, मदुरै एवं डिडिंगुल में रैयतवाड़ी एवं महलवारी दोनों की मिली-जुली भू-प्रणाली लागू की गई। नई न्याय प्रणाली तथा प्रेस पर पहले से चला आ रहा प्रतिबन्ध समाप्त कर दिया गया।
लाॅड एमहस्र्ट (1823-28)
भरतपुर का किला, जिसे जीतने में लाॅर्ड लेक को कड़ा संघर्ष करना पड़ा था, ध्वस्त कर दिया गया।
लाॅर्ड विलियम बेंटिंक (1828-35)
1833 ई. के चार्टर अधिनियम के अन्तर्गत बेंटिक भारत का प्रथम गवर्नर जनरल बना। 1829 में सती प्रथा समाप्त, शिशु बालिका की हत्या पर प्रतिबंध, ठगी प्रथा की समाप्ति, मैकाॅले द्वारा कानून का वर्गीकरण, मैकाल़े की अनुशंसा (Mecaley's Minute) के आधार पर अंग्रेजी को शिक्षा का माध्यम बनाना इत्यादि अति महत्वपूर्ण कार्य। यद्यपि वह अहस्तक्षेप की नीति का पालन करता था, फिर भी अपनी इस नीति से हटकर उसने 1831 में मैसूर तथा 1834 में कूर्ग एवं मध्य कचेर को हड़प लिया। उसने भारतीयों को भी उत्तरदायी पदों पर नियुक्त किया।
चाल्र्स मेटकाफ (1835-36)
प्रेस पर से सभी प्रतिबन्धों को समाप्त कर दिया।
लाॅर्ड आॅकलैण्ड (1836-42)
प्रथम आंग्ल-अफगान युद्ध (1839-42)।
लाॅर्ड एलेनबरो (1842-44)
प्रथम अफगान युद्ध की समाप्ति एवं सिन्ध का अधिग्रहण।
लाॅर्ड हार्डिंग (1844-48)
प्रथम आंग्ल-सिख युद्ध (1845-46) एवं लाहौर की संधि।
लार्ड डलहौजी (1848-1856)
द्वितीय आंग्ल-सिख युद्ध (1848-49) एवं पंजाब का अधिग्रहण। द्वितीय आंग्ल-बर्मी युद्ध तथा निम्न बर्मा का अधिग्रहण (1852); ‘हड़प नीति’(Doctrine of Lapse) के अन्तर्गत 1848 में सतारा, 1849 में जयपुर एवं संभलपुर, 1850 में बघात, 1853 में उदयपुर, 1853 में झांसी तथा 1854 में नागपुर को हस्तगत कर लिया।
नये अधिग्रहित क्षेत्रों के लिए ”अव्यवस्थापना का सिद्धांत“ लागू करना। कलकत्ता एवं आगरा के बीच पहली बार बिजली से संचालित तार सेवा शुरू, 1854 में डाक-कानून लागू तथा पहली बार डाक टिकट का प्रचलन। सर्वप्रथम बम्बई एवं थाने के बीच रेलवे लाईन का निर्माण, शिमला ग्रीष्मकालीन राजधानी बना, 1854 में शिक्षा सम्बन्धी वुड का प्रसिद्ध सुझाव (Wood's Despatch) भारतीय नागरिक सेवा हेतु पहली बार प्रतियोगात्मक परीक्षा शुरू, अवध एवं बरार का अधिग्रहण, नाना साहब (धूंधूपंत) का पेंशन जारी रखने से इंकार कर देना आदि।
1856 में हिन्दू विधवा पुनर्विवाह कानून लागू एवं धर्म परिवर्तन के बाद पैतृक सम्पत्ति पर से अधिकार समाप्ति सम्बन्धी प्रावधान खत्म करना आदि।
लाॅर्ड कैनिंग (1856-58)
ईरानियों के साथ युद्ध, सर्वप्रथम कलकत्ता, मद्रास एवं बम्बई में विश्वविद्यालयों की स्थापना तथा 10 मई, 1857 को शुरू होने वाला प्रथम स्वतंत्रता संग्राम या विद्रोह।
लाॅर्ड कैनिंग (1858-62)
1857 के विद्रोह के बाद प्रशासनिक सुधार के अन्तर्गत भारत का शासन कंपनी के हाथों से सीधे ब्रिटिश सरकार के नियंत्रण में ले लिया गया तथा गवर्नर जनरल, वायसराय कहे जाने लगे। कैनिंग जो 1856 में गवर्नर जनरल बनकर आया था, 1858 से प्रथम वायसराय के रूप में भी जाना जाता है। इसके काल में प्रत्येक प्रेसीडेंसी में एक-एक उच्च न्यायालय की स्थापना की गई और कम्पनी एवं ब्रिटिश राज की सेना को एक में मिला दिया गया, आयकर लगाया जाने लगा, विलय की नीति को समाप्त कर दिया गया, मैकाॅले द्वारा प्रारूपित दंड संहिता को 1858 में कानून का रूप दिया गया तथा 1859 में अपराध विधान-संहिता (CPC) लागू की गई।
लार्ड एल्गिन (1862-63)
आंदोलन का दमन; 1863 में धर्मशाला (हिमालय प्रदेश) में मृत्यु।
लार्ड लाॅरेंस (1864-69)
वहाबी, भूटान के खिलाफ युद्ध, उड़ीसा में दुर्भिक्ष आयोग का गठन, अफगानिस्तान के मामले में स्पष्ट अहस्तक्षेप की नीति जिसे ”शानदार निष्क्रियता“ (Masterly Inactivity) के नाम से भी जाना जाता है।
लाॅर्ड मेयो (1869-72)
महारानी विक्टोरिया के द्वितीय पुत्र, जो एडिनबर्ग के ड्यूक भी थे, भारत आये; वित्तीय विकेन्द्रीकरण के उपाय किये गये; लाॅर्ड मेयो की 1872 में चाकू मारकर हत्या कर दी गयी।
लाॅर्ड नाॅर्थब्रुक (1872-76)
बड़ौदा के गायकवाड़ का सत्ताच्युत होना, कूका विद्रोह तथा आयकर की समाप्ति, 1873-74 में बिहार एवं बंगाल में दुर्भिक्ष, 1875 में प्रिंस आॅफ वेल्स का भारत भ्रमण, ब्रिटिश प्रधानमंत्री डिजरैली द्वारा अफगान सरदार शेरअली से संधिवार्ता हेतु जोर दिये जाने के कारण अपने पद से त्यागपत्र।
लाॅर्ड लिटन (1876-80)
द्वितीय आंग्ल-अफगान युद्ध (1878-80), जो अंग्रेजों द्वारा नयी अग्रगामी नीति अपनाने के कारण अवश्यंभावी हो गई थी। 1876-78 में बंबई एवं मद्रास का भीषण दुर्भिक्ष तथा एक अकाल आयोग का गठन; रेल, सड़क एवं नहरों का बड़े पैमाने पर निर्माण; पहली जनवरी, 1877 को महारानी विक्टोरिया को भारत की साम्राज्ञी (कैसरे-हिन्द) की उपाधि देने के लिए शानदार प्रथम दिल्ली दरबार का आयोजन, प्रान्तीय सरकारों को एक निश्चित राशि के बदले राजस्व-वसूली के हिस्से के आधार पर अनुदान, 1878 में देशी भाषाओं में छपने वाले समाचार-पत्रों पर विभिन्न प्रकार के प्रतिबंध लगाने हेतु ”वर्नाक्यूलर प्रेस ऐक्ट“ लागू, सिविल सेवा परीक्षाओं में प्रवेश की अधिकतम आयु 21 वर्ष से घटाकर 19 वर्ष कर देना आदि। विद्वानों के बीच वह ”औवेन मेरेडिथ“ (Owen Meredith) के नाम से जाना जाता था।
लाॅर्ड रिपन (1880-84)
सर्वाधिक लोकप्रिय वायसराय, जिसने अफगान युद्ध को तथा 1882 में वर्नाक्यूलर प्रेस एक्ट को समाप्त कराया, सिविल सेवा में प्रवेश परीक्षा हेतु न्यूनतम आयु 19 वर्ष से बढ़ाकर पुन: 21 वर्ष किया। लाॅर्ड मेयो की आर्थिक हस्तांतरण की नीति को पुन: शुरू किया, बाल श्रमिकों के कल्याण हेतु प्रथम कारखाना नियम (1881) लागू करना, स्थानीय स्वशासन का प्रस्ताव (1882), विलियम हन्टर की अध्यक्षता में एक शिक्षा आयोग का गठन (1882), मैसूर राज्य की पुनस्र्थापना तथा उसके शासक के रूप में पूर्व राजवंश की स्थापना, यूरोपियों के विरुद्ध भारतीय न्यायाधीशों द्वारा मुकदमों की सुनवायी के लिए प्रथम इल्बर्ट विधेयक लाना, लेकिन यूरोपवासियों के प्रबल प्रतिरोध के कारण इसे वापस लेना पड़ा, प्रथम नियमित जनगणना (1881) सम्पन्न तथा 1909 में रिपन की मृत्यु।
लाॅर्ड डफरिन (1884.88)
तृतीय आंग्ल-बर्मा युद्ध एवं बर्मा का अन्तिम रूप से अधिग्रहण (1886), ग्वालियर पर सिंधिया के शासन की पुनस्र्थापना, 1885 के बंगाल काश्तकारी कानून एवं 1887 के पंजाब कानून द्वारा काश्तकारांे को गलत ढंग से जमीन से बेदखल करने पर रोक तथा बम्बई में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की स्थापना (दिसम्बर, 1885)।
लाॅर्ड लैंस डाउन (1888-94)
मणिपुर एवं कश्मीर में हस्तक्षेप, सप्ताह में एक दिन छुट्टी देने हेतु द्वितीय कारखाना अधिनियम, लड़कियों के विवाह की न्यूनतम आयु 10 वर्ष से बढ़ाकर 12 वर्ष, भारत परिषद अधिनियम, 1892 लागू।
लाॅर्ड एल्गिन.प्प् (1894-99)
1896 का महान दुर्भिक्ष एवं प्लेग (महामारी)।
लाॅर्ड कर्जन (1899-1905)
सर्वाधिक अलोकप्रिय वायसराय, 1902 में सर एन्ड्रयू फ्रेजर के नेतृत्व में एक ‘पुलिस आयोग’ का गठन, 1902 में एक ‘विश्वविद्यालय आयोग’ की स्थापना तथा 1904 में ‘भारतीय विश्वविद्यालय कानून’ तथा एक दुर्भिक्ष आयोग का गठन, 1901 में सर कोलिन स्काॅट माॅन्क्रिफ के नेतृत्व में एक ‘सिंचाई आयोग’ का गठन, झेलम नहर का कार्य सम्पन्न, ‘कृषि-विभाग’ का गठन, भारत को स्वर्ण मानक के अन्दर शामिल कर लिया गया, सेना की एक कठिन जांच परीक्षा ‘‘किचनर जांच’’ शुरू, 1899 के कलकत्ता नगर निगम, कानून द्वारा निगम में निर्वाचित सदस्यों की संख्या में कटौती, प्राचीन स्मारक कानून पारित (1904) बंगाल का विभाजन (1905) तथा बंग-भंग का प्रबल विरोध, स्वदेशी-आन्दोलन आरम्भ तथा एक नये उत्तर-पश्चिम सीमान्त प्रदेश का गठन।
लाॅर्ड मिन्टो-प्प् (1905.1910)
उग्रवादी नेताओं का निर्वासन, आतंकवाद का उत्थान,
भारत मंत्री लाॅर्ड मार्ले के साथ मिलकर भारत परिषद अधिनियम, 1909 लागू करना, जिसे ‘मार्ले मिन्टो सुधार’ के नाम से भी जाना जाता है।
लाॅर्ड हार्डिंग (1910.1916)
सम्राट जाॅर्ज पंचम के सम्मान में दिल्ली में अभिषेक दरबार (1911 ई.), ब्रिटिश सरकार द्वारा बंग-भंग का आदेश समाप्त एवं कलकत्ता के बदले दिल्ली राजधानी बनी (1911), 1914 में प्रथम विश्व युद्ध शुरू, मदन मोहन मालवीय द्वारा बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय की स्थापना।
लाॅर्ड चेम्सफोर्ड (1916.21)
20 अगस्त, 1917 को भारत सचिव माॅन्टेग्यू द्वारा सुधारों से सम्बन्धित अगस्त घोषणा, दमनकारी रौलट कानून (1919), जलियावाला बाग हत्याकांड 13 अप्रैल, 1919, माॅन्टेग्यू-चेम्सफोर्ड सुधार या भारत सरकार अधिनियम 1919, खिलाफत एवं असहयोग आन्दोलन (1919.22)
लाॅर्ड रीडिंग (1921.26)
वेल्स के राजकुमार के भारत भ्रमण का बहिष्कार (1921), सामूहिक ‘नागरिक अवज्ञा आन्दोलन’ की घोषणा (1 फरवरी, 1922), चैरी चैरा में 22 पुलिसकर्मियों की हत्या (5 फरवरी, 1922) एवं गांधी जी द्वारा आन्दोलन वापस, गांधी जी को छ: वर्षों के कारावास की सजा, दिसम्बर 1922 में देशबन्धु चितरंजन दास की अध्यक्षता में कांग्रेस-खिलाफत ‘स्वराज पार्टी’ (कांग्रेस के अधीन कार्य करने हेतु एक दल) की स्थापना, गांधीजी रिहा (5 फरवरी, 1924)।
लाॅर्ड इरविन (1926.31)
साइमन कमीशन भारत आया, द्वितीय सविनय अवज्ञा आन्दोलन (मार्च 1930) शुरू, लंदन में प्रथम गोल मेज सम्मेलन, 1930 (कांग्रेस ने इसका बहिष्कार किया), गांधी-इरविन समझौता (1931)।
लाॅर्ड वेलिंगटन (1931.36)
द्वितीय गोलमेज सम्मेलन, 1931 (कांग्रेस ने इसमें भाग लिया), साम्प्रदायिक अधिनिर्णय (1932), पूना समझौता (1932), तृतीय गोलमेज सम्मेलन (1932), बिहार में भूकम्प (1934), भारत सरकार अधिनियम, 1935।
लाॅर्ड लिनलिथगो (1936.43)
7 प्रांतों में नये कांग्रेस सरकारों की स्थापना (1937), द्वितीय विश्व युद्ध शुरू (1939), कांग्रेस मंत्रिमंडलों का सामूहिक त्यागपत्र, क्रिप्स मिशन भारत आया (1942), भारत छोड़ो आन्दोलन (8 अगस्त, 1942)।
लाॅर्ड वेवेल (1943.47)
शिमला सम्मेलन (1945), कैबिनेट मिशन (1946), जवाहर लाल नेहरू की अन्तरिम सरकार (1946)।
लाॅर्ड माउन्टबेटन (मार्च 1947-जून 1948)
भारतीय स्वतंत्रता अधिनियम (1947), भारत का विभाजन, माउन्टबेटन अन्तिम ब्रिटिश वायसराय एवं स्वतंत्र भारत के प्रथम गवर्नर जनरल बने।
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