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Indigenous Literature during the Delhi Sultanate Period Video Lecture | History for UPSC CSE

FAQs on Indigenous Literature during the Delhi Sultanate Period Video Lecture - History for UPSC CSE

1. दिल्ली सुलतानत काल के दौरान स्वदेशी साहित्य का क्या महत्व था?
Ans. दिल्ली सुलतानत काल (1206-1526) में स्वदेशी साहित्य ने समाज के विभिन्न पहलुओं को उजागर किया। इस समय हिंदू और मुस्लिम दोनों संस्कृतियों का मेल हुआ, जिससे बहुसांस्कृतिक साहित्य का विकास हुआ। यह साहित्य न केवल धार्मिक और दार्शनिक विचारों का संचार करता था, बल्कि सामाजिक और राजनीतिक मुद्दों पर भी प्रकाश डालता था।
2. इस काल में कौन-कौन से प्रमुख लेखक और कवि थे?
Ans. दिल्ली सुलतानत काल में कई प्रमुख लेखक और कवि हुए, जिनमें अमीर खुसरो, जो कि एक महत्वपूर्ण हिंदी, फारसी और तुर्की कवि थे, शामिल हैं। इसके अलावा, हिंदी साहित्य में सूरदास और तुलसीदास जैसे कवियों का योगदान भी महत्वपूर्ण था। इन लेखकों ने अपनी रचनाओं के माध्यम से सामाजिक और धार्मिक जीवन को प्रतिबिंबित किया।
3. इस काल के स्वदेशी साहित्य में किस प्रकार की भाषाएँ प्रचलित थीं?
Ans. दिल्ली सुलतानत काल के दौरान मुख्यत: फारसी, तुर्की और संस्कृत भाषाएँ प्रचलित थीं। फारसी को इस काल में सरकारी और शैक्षिक भाषा के रूप में अपनाया गया, जबकि संस्कृत का उपयोग धार्मिक और दार्शनिक ग्रंथों में हुआ। हिंदी और अन्य स्थानीय भाषाओं ने भी साहित्यिक विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
4. दिल्ली सुलतानत काल में स्वदेशी साहित्य का सामाजिक प्रभाव क्या था?
Ans. स्वदेशी साहित्य ने समाज में जागरूकता और संवेदनशीलता बढ़ाने में मदद की। इस साहित्य के माध्यम से सामाजिक असमानताओं, जाति भेदभाव और धार्मिक सहिष्णुता पर चर्चा हुई। यह साहित्य न केवल मनोरंजन का साधन था, बल्कि समाजिक सुधारों और धार्मिक एकता को भी बढ़ावा देता था।
5. दिल्ली सुलतानत काल का स्वदेशी साहित्य किस प्रकार की विषयवस्तुओं पर केंद्रित था?
Ans. दिल्ली सुलतानत काल का स्वदेशी साहित्य मुख्यतः प्रेम, भक्ति, इतिहास, और समाजिक मुद्दों पर केंद्रित था। कवियों ने ईश्वर के प्रति भक्ति, प्रेम की भावना, और समाज की वास्तविकताओं को अपनी रचनाओं में दर्शाया। यह साहित्य धार्मिक विचारों के साथ-साथ प्रेम और मानवता के मूल्यों को भी उजागर करता था।
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