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All questions of पाठ 1 - पद for Class 10 Exam

गोपियाँ उद्धव से किस प्रकार की तुलना करती हैं?
  • a)
    तेल और पानी की तरह
  • b)
    आग और पानी की तरह
  • c)
    जल और कमल के पत्तों की तरह
  • d)
    आग और हवा की तरह
Correct answer is option 'C'. Can you explain this answer?

गोपियाँ उद्धव की तुलना जल और कमल के पत्तों से करती हैं क्योंकि कमल के पत्ते जल में रहते हुए भी अछूते रहते हैं, जैसे उद्धव श्री कृष्ण के प्रेम से अछूते हैं।

गोपियाँ श्री कृष्ण के प्रेम को किससे तुलना करती हैं?
  • a)
    मीठे रस से
  • b)
    आकाश से
  • c)
    एक लकड़ी से
  • d)
    एक जलधारा से 
Correct answer is option 'C'. Can you explain this answer?

Nk Classes answered
सही उत्तर:
c) एक लकड़ी से
विस्तृत व्याख्या:
  1. भावार्थ:
    • गोपियाँ श्रीकृष्ण के प्रेम की तुलना "हारिल (कठफोड़वा पक्षी) की लकड़ी" से करती हैं।
    • जिस प्रकार हारिल पक्षी लकड़ी से चिपका रहता है, वैसे ही गोपियों का प्रेम कृष्ण से अटूट और अडिग है।
  2. अन्य विकल्पों का खंडन:
    • मीठे रस से (a): कृष्ण-प्रेम मधुर है, पर यहाँ भाव आसक्ति पर है।
    • आकाश/जलधारा (b/d): इनका इस संदर्भ में कोई प्रासंगिकता नहीं।
निष्कर्ष:
गोपियों के अनुसार, कृष्ण का प्रेम लकड़ी जैसा है, क्योंकि वे उनसे ऐसे जुड़ी हैं जैसे कठफोड़वा पक्षी लकड़ी से चिपक जाता है।

“त्यों जल माहं तेल की गागरि” उदाहरण से क्या तात्पर्य है?
  • a)
    पानी में तेल मिलाना
  • b)
    अलिप्त रहना
  • c)
    घुल-मिल जाना
  • d)
    अलग रहना
Correct answer is option 'B'. Can you explain this answer?

उदाहरण का अर्थ
“त्यों जल माहं तेल की गागरि” एक हिंदी मुहावरा है, जिसका अर्थ है कि कोई व्यक्ति या वस्तु किसी परिस्थिति में पूरी तरह से अलिप्त या अलग है। यह एक रूपक है जो यह दर्शाता है कि जैसे तेल और पानी एक-दूसरे में नहीं मिलते, वैसे ही कुछ लोग या चीजें एक-दूसरे से अलग रहती हैं।
उदाहरण का विश्लेषण
- जल और तेल का संबंध: पानी और तेल एक-दूसरे में घुलते नहीं हैं। जब इन्हें मिलाने की कोशिश की जाती है, तो वे हमेशा अलग रहते हैं।
- अलिप्तता: इस मुहावरे में यह दर्शाया गया है कि कुछ लोग या बातें एक-दूसरे से पूरी तरह भिन्न और अलग हैं।
- समाज में प्रासंगिकता: यह उदाहरण उन व्यक्तियों पर भी लागू होता है जो किसी समूह या समाज में अपनी पहचान बनाए रखने के लिए खुद को अलग रखते हैं।
तात्पर्य
इस मुहावरे से यह सिखने को मिलता है कि हर व्यक्ति या वस्तु का अपना एक अलग स्थान और पहचान होती है। यह हमें यह समझाता है कि कभी-कभी हमें अपनी पहचान बनाए रखने के लिए दूसरों से अलग रहना पड़ सकता है।
निष्कर्ष
इस प्रकार, “त्यों जल माहं तेल की गागरि” का सही उत्तर ‘ब) अलिप्त रहना’ है। यह मुहावरा हमें यह सिखाता है कि कुछ चीजें हमेशा अलग-अलग बनी रहती हैं, चाहे हम कितनी भी कोशिश कर लें।

सूरदास की लोकधर्मिता का प्रमाण क्या है?
  • a)
    उनका ईश्वर भक्ति
  • b)
    राजधर्म की याद दिलाना
  • c)
    गीत-संगीत में रुचि
  • d)
    सामाजिक सुधार
Correct answer is option 'B'. Can you explain this answer?

Nk Classes answered
राजधर्म की याद दिलाना व्याख्या: पाठ के अंत में गोपियों द्वारा उद्धव को राजधर्म (प्रजा का हित) याद दिलाना सूरदास की लोकधर्मिता को दर्शाता है।

गोपियों की वाग्विदग्धता का मुख्य आधार क्या है?
  • a)
    उनकी शिक्षा
  • b)
    उनका वाक्चातुर्य
  • c)
    उनका गुस्सा
  • d)
    उनकी चतुराई
Correct answer is option 'B'. Can you explain this answer?

गोपियों की वाग्विदग्धता का महत्व
गोपियों की वाग्विदग्धता, जिसका अर्थ है उनकी वाणी में चातुर्य और कुशलता, का मुख्य आधार उनके वाक्चातुर्य में निहित है।
वाक्चातुर्य की विशेषताएं
- संवाद कौशल: गोपियाँ अपनी बातों में कुशलता से संवाद करती हैं। उनकी वाणी में मिठास और चतुराई होती है, जो उन्हें विशेष बनाती है।
- संदेश पहुंचाने की क्षमता: वे अपनी भावनाओं को प्रभावी ढंग से व्यक्त करने में सक्षम होती हैं, जिससे उनकी बातों का गहरा प्रभाव पड़ता है।
- चालाकी और हंसी-मजाक: गोपियों का वाक्चातुर्य न केवल गंभीरता में, बल्कि हंसी-मजाक के लहजे में भी देखने को मिलता है, जो उनके संबंधों को और भी मजेदार बनाता है।
गोपियों का गुस्सा और चतुराई
हालांकि, गोपियों का गुस्सा और चतुराई भी उनकी पहचान का हिस्सा हैं, लेकिन ये वाक्चातुर्य का मुख्य आधार नहीं हैं। गुस्सा कभी-कभी उनके व्यक्तित्व का एक पहलू हो सकता है, लेकिन यह उनकी संवाद करने की क्षमता को नहीं दर्शाता।
निष्कर्ष
इस प्रकार, गोपियों की वाग्विदग्धता का मुख्य आधार उनका वाक्चातुर्य है। यह न केवल उनके संवाद कौशल को दर्शाता है, बल्कि उनके रिश्तों को भी गहरा बनाता है।

गोपियाँ श्री कृष्ण के संदेश के बारे में क्या महसूस करती हैं?
  • a)
    वे इसे खुशी से स्वीकार करती हैं।
  • b)
    वे इसे बिल्कुल समझ नहीं पातीं।
  • c)
    वे इसे दुख के रूप में महसूस करती हैं।
  • d)
    वे इसे नकारती हैं।
Correct answer is option 'C'. Can you explain this answer?

गोपियों का भावनात्मक संघर्ष
गोपियाँ श्री कृष्ण के संदेश के प्रति गहन भावनाएँ रखती हैं, जो उनके प्रेम और भक्ति को दर्शाती हैं। जब श्री कृष्ण ने उन्हें संदेश दिया, तो उनका अनुभव दुख और विषाद से भरा था।
प्यार की गहराई
- गोपियाँ श्री कृष्ण के प्रति अपार प्रेम रखती थीं।
- जब श्री कृष्ण ने दूर रहने का संदेश दिया, तो उन्हें यह भावनात्मक रूप से गहरा आघात लगा।
आत्मिक संबंध
- गोपियों और श्री कृष्ण के बीच एक अद्वितीय आत्मिक संबंध था।
- इस संबंध की गहराई के कारण गोपियों ने कृष्ण के संदेश को दुख के रूप में अनुभव किया।
अवसाद और निराशा
- गोपियों को लगा कि उनकी भक्ति और प्रेम का कोई मूल्य नहीं रह गया।
- श्री कृष्ण के संदेश ने उन्हें अकेला और निराश महसूस कराया।
भावनात्मक प्रभाव
- गोपियों का मन हमेशा श्री कृष्ण की यादों से भरा रहता था।
- उनके लिए यह संदेश केवल एक आदेश नहीं, बल्कि उनके जीवन का अभिन्न हिस्सा था।
इस प्रकार, गोपियों ने श्री कृष्ण के संदेश को दुख के रूप में महसूस किया क्योंकि यह उनके गहरे प्रेम और भक्ति के लिए एक बड़ा आघात था।

भ्रमरगीत का प्रारंभ कैसे होता है?
  • a)
    कृष्ण के वापस आने से
  • b)
    उद्धव के आने से
  • c)
    एक भौंरे के आ पहुंचने से
  • d)
    गोपियों के गाने से
Correct answer is option 'C'. Can you explain this answer?

Gauri patil answered
भ्रमरगीत का परिचय
भ्रमरगीत, जिसे 'भौंरे का गीत' भी कहा जाता है, श्रीकृष्ण और गोपियों के बीच के प्रेम को व्यक्त करता है। यह गीत एक दृष्टांत के माध्यम से प्रेम और वियोग की गहराई को दर्शाता है।
प्रारंभिक स्थिति
इस गीत का प्रारंभ एक भौंरे के आगमन से होता है। यह भौंरा गोपियों के बीच आता है और उनकी भावनाओं को अभिव्यक्त करता है।
भौंरे का प्रतीकात्मक अर्थ
- प्रेम का दूत: भौंरा गोपियों की भावनाओं को श्रीकृष्ण तक पहुँचाने का माध्यम बनता है।
- वियोग और आशा: भौंरे का गाना, गोपियों के वियोग की करुणा और उनकी आशाओं को उजागर करता है।
गोपियों का संलाप
भ्रमरगीत में गोपियों की आवाज़ें और उनकी बातें भौंरे द्वारा प्रस्तुत की जाती हैं। वे अपने प्रेम की बातों को इस भौंरे के माध्यम से श्रीकृष्ण तक पहुँचाने की कोशिश करती हैं।
निष्कर्ष
इस प्रकार, भ्रमरगीत का आरंभ भौंरे के आगमन से होता है, जो गोपियों की भावनाओं का प्रतीक है। यह प्रेम, वियोग और आशा का एक अद्वितीय उदाहरण है, जो भारतीय काव्य परंपरा में महत्वपूर्ण स्थान रखता है।

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