सूरदास की लोकधर्मिता का प्रमाण क्या है?a)उनका ईश्वर भक्तिb)राजधर्म की ...
सूरदास की लोकधर्मिता
सूरदास, जो भक्ति आंदोलन के एक प्रमुख कवि थे, ने अपनी रचनाओं में लोकधर्मिता का गहरा प्रमाण प्रस्तुत किया है।
राजधर्म की याद दिलाना
- सूरदास की कविताएँ केवल ईश्वर भक्ति तक सीमित नहीं थीं, बल्कि उन्होंने समाज के प्रति भी अपनी जिम्मेदारियों का एहसास कराया।
- उनका मुख्य उद्देश्य समाज को सही मार्ग पर लाना और राजधर्म की याद दिलाना था।
- उन्होंने अपने गीतों के माध्यम से लोगों को यह समझाया कि राजनेताओं को जनता की भलाई के लिए कार्य करना चाहिए।
भक्ति और सामाजिक सुधार
- सूरदास ने भक्तिमार्ग को अपनाते हुए अपने गीतों में ईश्वर की भक्ति को प्रमुखता दी, लेकिन इसके साथ ही उन्होंने समाज के सुधार की भी बात की।
- उन्होंने अपने समय की सामाजिक और राजनीतिक समस्याओं को अपने काव्य में उठाया, जिससे यह स्पष्ट होता है कि उनका दृष्टिकोण केवल व्यक्तिगत भक्ति तक सीमित नहीं था।
सामाजिक और सांस्कृतिक योगदान
- सूरदास ने गीत-संगीत में रुचि रखते हुए, लोक संस्कृति को भी समृद्ध किया।
- उनके गीतों में सामाजिक मुद्दों को उठाने की क्षमता थी, जो उनके लोकधर्मिता के प्रमाण को और मजबूत बनाती है।
इस प्रकार, सूरदास की लोकधर्मिता का सबसे स्पष्ट प्रमाण उनके कार्यों में राजधर्म की याद दिलाना है, जो समाज के प्रति उनकी जिम्मेदारी को दर्शाता है।
सूरदास की लोकधर्मिता का प्रमाण क्या है?a)उनका ईश्वर भक्तिb)राजधर्म की ...
राजधर्म की याद दिलाना व्याख्या: पाठ के अंत में गोपियों द्वारा उद्धव को राजधर्म (प्रजा का हित) याद दिलाना सूरदास की लोकधर्मिता को दर्शाता है।