भारतीय संविधान के अनुच्छेद - 1 में उल्लिखित राज्य की परिभाषा के अनुसार जम्मू-कश्मीर, भारत संघ का 15वां राज्य है। लेकिन संविधान में राज्यों से संबंधित उपबंध इस पर प्रभावी नहीं है। जम्मू-कश्मीर राज्य को ऐसी विशिष्टता भारतीय संविधान के अनुच्छेद 370 के अधीन मिली हुई है। भारतीय संविधान के अनुच्छेद 370 के कारण विशेष राज्य का दर्जा प्राप्त करने वाले जम्मू-कश्मीर से इस विशेष व्यवस्था को समाप्त करने के मुद्दे पर पक्ष-विपक्ष में शुरू से ही विवाद रहा है। वैसे अनुच्छेद 370 इस राज्य के लिए एक अस्थायी प्रावधान है, जिसे जरूरत होने पर हटाया जा सकता है।
(I) भारतीय संविधान की व्यवस्थाओं के बावजूद -
(क) अनुच्छेद 238 के प्रावधान जम्मू-कश्मीर में लागू नहीं होंगे।
(ख) इस राज्य के लिए संसद को कानून बनाने की शक्तियां निम्नलिखित मामलों तक ही सीमित रहेंगी -
संघीय सूची एवं समवर्ती सूची के वे विषय, जिनका भारतीय संघ में जम्मू-कश्मीर के विलय सम्बन्धी समझौते में उल्लेख है और जिन्हें राष्ट्रपति ने राज्य सरकार के साथ विचार-विमर्श के बाद विधिवत घोषित कर रखा है। अन्य विषयों पर राज्य सरकार कानून बनायेगी।
उक्त सूचियों के ऐसे अन्य विषय, जिन्हें राष्ट्रपति राज्य सरकार की सहमति से घोषित करे।
व्याख्या - उक्त अनुच्छेद के संदर्भ में राज्य सरकार से अभिप्राय राष्ट्रपति द्वारा तात्कालिक तौर पर मान्यता प्राप्त व्यक्ति से है, जैसे- जम्मू-कश्मीर के महाराजा 8 मार्च, 1948 की घोषणा के अंतर्गत मंत्रिपरिषद की सलाह से राजकाज चलाते रहे।
(ग) इस अनुच्छेद तथा अनुच्छेद 1 के प्रावधान इस राज्य पर लागू होंगे।
(घ) इस संविधान के ऐसे अन्य प्रावधान भी राज्य पर प्रभावी होंगे, जिन्हें राष्ट्रपति अपवादस्वरूप संशोधित रूप में लागू करने का आदेश दे।
इसके लिए शर्त यह है कि भारत में जम्मू-कश्मीर के विलय सम्बन्धी समझौते के उपखंड (ख) के पैरा 1 में वर्णित विषयों के लिए राष्ट्रपति कोई भी आदेश सरकार के साथ विचार-विमर्श के बगैर जारी नहीं करेंगे। एक अन्य शर्त यह भी है कि समझौते में उल्लिखित विषयों के अतिरिक्त किसी भी विषय पर कानून बनाने के लिए राष्ट्रपति को राज्य सरकार की सहमति प्राप्त करना अनिवार्य होगा।
II. यदि इस धारा के खंड (I) के उपखंड (ख) के पैराग्राफ (II) या उपखंड (घ) की दूसरी शर्त के अनुरूप कानून बनाने के लिए संविधान सभा के गठन से पूर्व ली गयी हो तो उसे राज्य विधानसभा के समक्ष रखना होगा, फिर वह चाहे जो फैसला करे।
III. इस धारा के समस्त पूर्ववर्ती प्रावधानों के बावजूद राष्ट्रपति सार्वजनिक अधिसूचना के जरिये यह घोषणा कर सकता है कि यह धारा अधिसूचना जारी किये जाने की तिथि से तत्काल प्रभाव से निरस्त कर दी गयी है या इस धारा के वे आपवादिक एवं संशोधित प्रावधान प्रभावी रहेंगे, जिनका उल्लेख अधिघोषणा में किया गया है। इसके लिए शर्त यह है कि राष्ट्रपति द्वारा ऐसी अधिसूचना जारी किये जाने से पूर्व खंड (II) में वर्णित राज्य की संविधान सभा की सिफारिश अनिवार्य होगी।
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1. अनुच्छेद 370 क्या है और यह किस तहत जम्मू-कश्मीर की विशेष स्थिति प्रदान करता है? |
2. अनुच्छेद 370 के तहत जम्मू-कश्मीर में क्या प्रावधान है? |
3. अनुच्छेद 370 को संविधानिक संशोधन के तहत क्यों हटाया गया? |
4. जम्मू-कश्मीर की विशेष स्थिति में अनुच्छेद 370 के नए संशोधन क्या हैं? |
5. अनुच्छेद 370 के हटाए जाने के बाद जम्मू-कश्मीर में क्या बदलाव हुए हैं? |
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