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आपदा प्रबंधन पर राष्ट्रीय नीति 2009 और 2016 | आंतरिक सुरक्षा और आपदा प्रबंधन for UPSC CSE in Hindi PDF Download

1. राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण द्वारा वर्ष 2009 में 'राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन नीति (NDMP)' जारी गई। इसे “रोकथाम, शमन, तैयारी और अनुक्रिया की संस्कृति के माध्यम से समग्र, अग्रसक्रिय, बहु-आपदा उन्मुख और प्रौद्योगिकी आधारित रणनीति विकसित कर सुरक्षित और आपदा प्रत्यास्थ भारत के निर्माण" के विज़न के तहत तैयार किया गया है।
2. आपदा प्रबंधन बहु-विषयक गतिविधि है जिसे सभी हितधारकों के मध्य परस्पर सहक्रिया के साथ सम्पन्न करने की आवश्यकता होती है। NDMP विभिन्न स्तरों पर रणनीतिक साझेदारी के निर्माण पर बल देते हुए प्रबंधन हेतु एकीकृत दृष्टिकोण का प्रावधान करती है।

राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन नीति, 2009 के उद्देश्य

  • ज्ञान, नवाचार और शिक्षा के माध्यम से सभी स्तरों पर रोकथाम, तैयारी और प्रत्यास्थता की संस्कृति को बढ़ावा देना।
  • प्रौद्योगिकी, पारंपरिक ज्ञान और पर्यावरणीय संधारणीयता के आधार पर शमन संबंधी उपायों को प्रोत्साहित करना। 
  • आपदा प्रबंधन को विकासात्मक योजना निर्माण प्रक्रिया में सम्मिलित करना।
  • सक्षमकारी विनियामकीय परिवेश और अनुपालन व्यवस्था का निर्माण करने के लिए संस्थागत और तकनीकी-कानूनी ढाँचों की स्थापना करना।
  • आपदा जोखिमों की पहचान, आकलन और निगरानी के लिए कुशल तंत्र सुनिश्चित करना।
  • सूचना प्रौद्योगिकी की सहायता से अनुक्रियाशील एवं अचूक सम्प्रेषण (fail-safe communication) द्वारा समर्थित समकालीन पूर्वानुमान और पूर्व चेतावनी प्रणाली का विकास करना।
  • समाज के सुभेद्य वर्गों की जरूरतों के प्रति देखभाल के दृष्टिकोण के साथ कुशल अनुक्रिया और राहत सुनिश्चित करना।
  • सुरक्षित जीवन सुनिश्चित करने हेतु पुनर्निर्माण गतिविधियों को आपदा प्रत्यास्थ संरचनाओं का निर्माण करने का एक अवसर मानकर सम्पन्न करना।
  • आपदा प्रबंधन के लिए मीडिया के साथ उपयोगी और अग्रसक्रिय भागीदारी को प्रोत्साहन प्रदान करना।

यह सभी के लिए सक्षमकारी परिवेश की स्थापना करती है और दिव्यांगजनों, महिलाओं, बच्चों और अन्य वंचित समूहों सहित समाज के सभी वर्गों की समस्याओं का समाधान करने का प्रयास करती है।

इसका उद्देश्य समुदाय, समुदाय आधारित संगठनों, पंचायती राज संस्थाओं (PRIs), स्थानीय निकायों और सिविल सोसाइटी को सहभागी बना कर आपदा प्रबंधन के सभी पहलुओं में पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करना है।

राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन योजना, 2016

  • भारत सरकार ने पहली बार 2016 में अपनी प्रथम राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन योजना जारी की। इस योजना का विज़न "प्रशासन के सभी स्तरों एवं समुदायों के मध्य आपदाओं से निपटने की क्षमता को अधिकतम कर, भारत को आपदा प्रत्यास्थ बनाना, आपदा जोखिम न्यूनीकरण उपलब्धि प्राप्त करना तथा जीवन, आजीविकाओं और आर्थिक, शारीरिक, सामाजिक, सांस्कृतिक एवं पर्यावरणीय परिसम्पत्तियों की हानि को न्यूनतम करना है।
  • इसे व्यापक रूप से आपदा जोखिम न्यूनीकरण हेतु सेंडाई फ्रेमवर्क, सतत विकास लक्ष्य 2015 - 2030 एवं COP-21 में जलवायु परिवर्तन पर पेरिस समझौते में निर्धारित लक्ष्यों और प्राथमिकताओं के अनुसार सूत्रबद्ध किया गया है। जहाँ सेंडाई फ्रेमवर्क 2015 के बाद के विकास एजेंडे के अंतर्गत अंगीकृत किया गया प्रथम अंतर्राष्ट्रीय समझौता है, वहीं सतत विकास लक्ष्य भी आपदा जोखिम न्यूनीकरण के महत्व को सतत विकास के अभिन्न घटक के रूप में मान्यता प्रदान करते हैं। पेरिस समझौता वैश्विक जलवायु परिवर्तन के कारण चरम मौसमी घटनाओं की बढ़ती बारंबारता पर तत्काल विचार करने की आवश्यकता पर ध्यान आकर्षित करता है।

1. योजना के प्रमुख बिन्दु

राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन योजना में शामिल दृष्टिकोण के तहत, प्रत्येक संकट के लिए आपदा जोखिम न्यूनीकरण के फ्रेमवर्क में सेंडाई फ्रेमवर्क में घोषित चार प्राथमिकताओं को शामिल किया गया है।

आपदा जोखिम न्यूनीकरण के लिए पांच कार्यक्षेत्र निम्न हैं:

  • जोखिम को समझना
  • एजेंसियों के मध्य समन्वय
  • आपदा जोखिम न्यूनीकरण (DRR) में निवेश- संरचनात्मक उपाय
  • आपदा जोखिम न्यूनीकरण में निवेश- गैर-संरचनात्मक उपाय
  • क्षमता विकास
  • यह आपदा प्रबंधन के सभी चरणों अर्थात् रोकथाम, शमन, अनुक्रिया और सामान्य स्थिति की बहाली को कवर करती है और मानव जनित आपदाओं जैसे रासायनिक. नाभिकीय आदि को कवर करती है।
  • यह आपदाओं से निपटने हेतु लघु, मध्यम और दीर्घावधि (क्रमशः 5, 10, और 15 वर्ष) योजनाओं की परिकल्पना करती है।

2. सुस्पष्ट भूमिका के साथ एकीकृत दृष्टिकोण

  • यह सभी सरकारी एजेंसियों एवं विभागों के मध्य क्षैतिज और ऊर्ध्वाधर एकीकरण का प्रावधान करती है तथा साथ ही एक मैट्रिक्स प्रारूप में पंचायत और शहरी स्थानीय निकाय स्तर तक सरकार के सभी स्तरों की भूमिकाएं और उत्तरदायित्व निर्धारित करती है।
  • मंत्रालयों को विशिष्ट आपदाओं हेतु भूमिका सौंपी जाती है; जैसे चक्रवातों से संबंधित उत्तरदायित्व पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय को सौंपा गया है।
  • इस योजना का दृष्टिकोण क्षेत्रीय है, जो न केवल आपदा प्रबंधन के लिए अपितु विकास योजना के निर्माण में भी लाभदायक होगा।
  • इसे इस प्रकार तैयार किया गया है कि इसे आपदा प्रबंधन के सभी चरणों में मापनीय रूप से कार्यान्वित किया जा सकता है।

3. प्रमुख गतिविधियाँ

  • यह आपदा के प्रति अनुक्रिया करने वाली एजेंसियों हेतु चेकलिस्ट के रूप में उपयोग किए। जाने के लिए पूर्व चेतावनी, सूचना प्रसार, चिकित्सा देखभाल, ईंधन, परिवहन, खोज और बचाव, फँसे हुए लोगों को बाहर निकालना (evacuation) आदि प्रमुख गतिविधियों की पहचान करती है।
  • यह सामान्य स्थिति की बहाली हेतु सामान्यीकृत ढांचा प्रदान करती है तथा स्थिति का आकलन करने और बेहतर पुनर्निर्माण हेतु लचीलापन भी प्रदान करती है।

4. सूचना एवं मीडिया विनियमन

  • समुदायों को आपदाओं से निपटने हेतु तैयार करने के लिए यह सूचना, शिक्षा और सम्प्रेषण कार्यकलापों की आवश्यकता पर अत्यधिक बल देती है।
  • यह आपदाओं की कवरेज के लिए नैतिक दिशा-निर्देशों एवं स्व-नियमन का निर्देश देती है।
  •  यह योजना, मीडिया से आपदा प्रभावित लोगों की गरिमा और निजता का सम्मान करने की अपेक्षा करती है। 
  • साथ ही, अफवाहों और दहशत के प्रसार को रोकने के उद्देश्य से इस योजना ने अधिकारियों को नियमित रूप से मीडिया ब्रीफिंग (आपदा की गंभीरता के आधार पर) का कार्यक्रम तय करने एवं सरकार की ओर से मीडिया से बातचीत करने हेतु एक नोडल अधिकारी को नामितकरने का निर्देश भी दिया है।
  • यह प्रशिक्षण, क्षमता निर्माण और सर्वश्रेष्ठ अंतर्राष्ट्रीय प्रणालियों को समाविष्ट करने पर ध्यान
    केन्द्रित करती है।

राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन योजना का महत्व


  • यह सरकारी एजेंसियों को आपदा प्रबंधन चक्र के सभी चरणों के लिए रूपरेखा और दिशा-निर्देश प्रदान करती है।
  • यदि उत्तरदायित्व सम्बन्धी रूपरेखा (responsibility framework) में किसी भी प्रकार की ऐसी अस्पष्टता है जिसे समाप्त न किया जा सके, तो यह योजना उस अस्पष्टता को न्यूनतम करने का प्रयास करती है। इस प्रकार यह निर्दिष्ट करती है कि आपदा प्रबंधन के विभिन्न चरणों में कौन किस कार्य के लिए उत्तरदायी है।
  • इस योजना की परिकल्पना इस प्रकार की गई है कि देश के किसी भी भाग में आपातस्थिति की
    अनुक्रिया में सक्रिय होने हेतु यह सदैव तैयार बनी रहे।
  • इसे इस प्रकार तैयार किया गया है कि आपदा प्रबंधन के सभी चरणों में आवश्यकतानसार लचीले एवं मापनीय तरीके से कार्यान्वित किया जा सकता है।

राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन योजना. 2016 की कमियाँ

NDMP, 2016 में एक बेहतर एवं सशक्त कार्य योजना का निर्माण करने वाले कई महत्वपूर्ण तत्वों का अभाव है।

कमियाँ

  • यह योजना स्पष्ट एवं व्यावहारिक रोडमैप बनाने में असफल रही है। इसमें केंद्र एवं राज्य सरकारों द्वारा आपदा जोखिम शमन, तैयारी, अनुक्रिया, सामान्य स्थिति की बहाली. पनःनिर्माण और शासन हेतु अपनाई जाने वाली कार्य प्रणालियों की पहचान करने का तरीका अत्यंत सामान्य है।
  • इन कार्य प्रणालियों के निष्पादन के लिए कोई समय सीमा तय नहीं की गयी है। अस्पष्ट रूप से केवल यह बताया गया है कि उन्हें लघु, औसत, मध्य तथा दीर्घकालिक आधार पर निष्पादित किया जाना चाहिए।
  • योजना में इन प्रणालियों के संचालन हेतु वांछित निधि की आवश्यकता को व्यक्त नहीं किया गया है, न ही इससे ऐसा कोई संकेत प्राप्त होता है कि इस उद्देश्य हेतु निधि किस प्रकार संग्रहित की जाए।
  • इसके अतिरिक्त योजना की निगरानी तथा मूल्यांकन हेतु कोई फ्रेमवर्क प्रदान नहीं किया गया है।
  • इस योजना को आपदा जोखिम न्यूनीकरण एवं सतत विकास लक्ष्यों की प्राप्ति हेतु सेंडाई फ्रेमवर्क के साथ संरेखित किया गया है; किन्तु सेंडाई फ्रेमवर्क या SDGs के समान इस योजना के तहत कोई लक्ष्य निर्धारित नहीं किया गया है। साथ ही इसमें यह भी नहीं बताया गया है कि सेंडाई लक्ष्यों (Sendai goals) को किस प्रकार प्राप्त किया जाए।

अतः, राष्ट्रीय योजना के साथ-साथ आपदा प्रत्यास्थता हेतु स्पष्ट लक्ष्यों, उद्देश्यों, समय सीमाओं तथा इसके कार्यान्वयन में संसाधनों के उपयोग हेतु एक राष्ट्रीय कार्ययोजना का प्रावधान किया जाना चाहिए।

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FAQs on आपदा प्रबंधन पर राष्ट्रीय नीति 2009 और 2016 - आंतरिक सुरक्षा और आपदा प्रबंधन for UPSC CSE in Hindi

1. आपदा प्रबंधन पर राष्ट्रीय नीति 2009 और 2016 क्या है?
उत्तर: आपदा प्रबंधन पर राष्ट्रीय नीति 2009 और 2016 भारत में आपदा प्रबंधन के लिए सरकारी नीतियों का एक महत्वपूर्ण दस्तावेज है। इन नीतियों का मुख्य उद्देश्य देश में आपदा प्रबंधन क्षमता को बढ़ाना और आपदा से होने वाले हानिकारक प्रभावों को कम करना है। यह नीतियां विभिन्न आपदा प्रबंधन क्षेत्रों के लिए दिशा-निर्देश और नीतिगत मार्गदर्शन प्रदान करती हैं।
2. 2009 और 2016 की राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन नीतियों के मुख्य तत्व क्या हैं?
उत्तर: 2009 और 2016 की राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन नीतियों के मुख्य तत्व निम्नलिखित हैं: 1. आपदा प्रबंधन क्षमता को बढ़ाने के लिए संगठनात्मक और प्रशासनिक उपायों का विकास। 2. आपदा पूर्व योजनाओं, आपदा प्रबंधन योजनाओं और आपदा प्रतिक्रिया योजनाओं की तैयारी और कार्यान्वयन का सुनिश्चित करना। 3. जनता को आपदा से संबंधित जागरूकता और तैयारी संबंधी जानकारी का प्रचार प्रसार करना। 4. आपदा से प्रभावित क्षेत्रों में पुनर्निर्माण और पुनर्वास की सुविधा उपलब्ध कराना। 5. आपदा से प्रभावित लोगों के लिए सहायता और आर्थिक संरक्षण की व्यवस्था करना।
3. राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन नीतियों का संचालन कौन करता है?
उत्तर: भारत में राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन नीतियों का संचालन गृह मंत्रालय द्वारा किया जाता है। इसके लिए गृह मंत्री और उसके तहत के अधिकारी जिम्मेदार होते हैं। राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (National Disaster Management Authority) भी नीतियों के संचालन में सहायता प्रदान करता है।
4. राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन नीतियों के लाभ क्या हैं?
उत्तर: राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन नीतियों के लाभ निम्नलिखित हैं: 1. इन नीतियों के माध्यम से आपदा प्रबंधन क्षमता में सुधार होता है जो आपदा से होने वाले हानिकारक प्रभावों को कम करता है। 2. राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन के तहत तैयार की गई योजनाएं आपदा पूर्व तैयारी और प्रतिक्रिया में मदद करती हैं। 3. लोगों को आपदा से संबंधित जागरूकता और तैयारी की सुविधा मिलती है। 4. राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन नीतियां आपदा प्रभावित क्षेत्रों में पुनर्निर्माण और पुनर्वास का काम आसान और नियमित बनाती हैं। 5. आपदा से प्रभावित लोगों को सहायता और आर्थिक संरक्षण की व्यवस्था मिलती है।
5. राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन नीतियों का आवंटन कैसे होता है?
उत्तर: राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन नीतियों का आवंटन राज्य सरकारों के बीच होता है। इसके
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