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उत्पादन - स्वमूल्यांकन हेतु प्रश्न, पारंपरिक अर्थव्यवस्था | भारतीय अर्थव्यवस्था (Indian Economy) for UPSC CSE in Hindi PDF Download

प्रश्न 1. जब औसत उत्पादकता गिरती है तब वह सीमान्त उत्पादकता-
उत्तर :  से अधिक होती है

प्रश्न 2. रेखीय समरूप उत्पादन फलन सम्मिलित है-
उत्तर : स्थिर पैमाने के प्रतिफल

प्रश्न 3. अल्पकालीन उत्पादन पफलन में साध्नों का क्या बदलता है?
 उत्तर :  अनुपात

प्रश्न 4. दीर्धकालीन उत्पादन पफलन का सम्बन्ध् है-    
उत्तर :  पैमाने के प्रतिफल

प्रश्न 5. किसी फर्म के लिए उत्पादन फलन निर्धरित होती है-
उत्तर :  साध्नों की परिवर्तनशीलता या स्थिरता द्वारा तथा 
          साध्नों की विभाज्यता या स्थिरता द्वारा

प्रश्न 6. अनुपात एवं पैमाना का विचार क्रमशः सम्बन्ध्ति है-
उत्तर :  अल्पकाल, दीर्धकालीन

प्रश्न 7. मौद्रिक लागत =    
उत्तर :  स्पष्ट लागतें+ अस्पष्ट लागतें+ सामान्य लाभ

प्रश्न 8. परिवर्तनशील लागतें उत्पादन की मात्रा के साथ-
उत्तर :  कम अथवा अधिक हो सकती हैं

प्रश्न 9. साध्नों की अविभाज्यता उत्पन्न करती है-    
उत्तर :  आन्तरिक बचतें

प्रश्न 10. परिवर्तनशील लागतें उत्पादन की मात्रा के साथ-
उत्तर :  कम अथवा अधिक हो सकती है

प्रश्न 11. कुल लाभ =  कुल आगम - कुल लागत, औसत लागत = औसत आगम - औसत लागत तथा कुल लाभ = 
उत्तर :  औसत लाभ × कुल इकाई संख्या

प्रश्न 12. उत्पादन कर रही प्रत्येक फर्म का उद्देश्य होता है
उत्तर :   लाभ अधिकतम करना

प्रश्न 13. सीमान्त लागत- 
 उत्तर : 
केवल परिवर्तनशील लागत से सम्बन्ध्ति है

प्रश्न 14. किसी वस्तु की पूर्ति जब वस्तु की कीमत दी हुयी हो, तो-
उत्तर :   उस वस्तु की उत्पादन लागत पर निर्भर करती है

प्रश्न 15. अल्पकाल में - 
 उत्तर : 
कुल उत्पादन लागत = कुल स्थिर लागत + कुल परिवर्तनशील लागत

The document उत्पादन - स्वमूल्यांकन हेतु प्रश्न, पारंपरिक अर्थव्यवस्था | भारतीय अर्थव्यवस्था (Indian Economy) for UPSC CSE in Hindi is a part of the UPSC Course भारतीय अर्थव्यवस्था (Indian Economy) for UPSC CSE in Hindi.
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FAQs on उत्पादन - स्वमूल्यांकन हेतु प्रश्न, पारंपरिक अर्थव्यवस्था - भारतीय अर्थव्यवस्था (Indian Economy) for UPSC CSE in Hindi

1. उत्पादन - स्वमूल्यांकन हेतु क्या है?
उत्पादन - स्वमूल्यांकन क्या है, इसे कैसे परिभाषित किया जा सकता है? Ans. उत्पादन - स्वमूल्यांकन उद्योग, कंपनी या संगठन की विभिन्न उत्पादों की मूल्यांकन प्रक्रिया है। इसमें उत्पादों की प्रति इकाई मूल्य, मार्गिन, उच्चतम और निम्नतम मूल्य, बाजार की मांग और आपूर्ति के आधार पर मूल्य निर्धारण किया जाता है। उत्पादन - स्वमूल्यांकन उत्पादों के प्रबंधन, मार्केटिंग, और वित्तीय नियंत्रण प्रक्रियाओं के लिए महत्वपूर्ण है।
2. उत्पादन - स्वमूल्यांकन क्यों महत्वपूर्ण है?
उत्पादन - स्वमूल्यांकन क्यों महत्वपूर्ण है और यह किस तरह से उत्पादन और अर्थव्यवस्था को प्रभावित करता है? Ans. उत्पादन - स्वमूल्यांकन उत्पादन प्रक्रिया में मूल्य की निर्धारणा करने का एक प्रमुख तरीका है। यह उत्पादों की मूल्य को सुगमता से और सही तरीके से निर्धारित करने में मदद करता है। यह उत्पादन प्रक्रिया को अधिक निर्माणशील बनाता है, मार्जिनल मूल्य को स्पष्ट करता है और निवेशकों को आवश्यक निर्णय लेने में मदद करता है। इसके साथ ही, उत्पादन - स्वमूल्यांकन अर्थव्यवस्था को भी प्रभावित करता है, क्योंकि यह बाजार के दरों, मांग और आपूर्ति को समझने में मदद करता है और नई उत्पादों और विपणन कार्यक्रमों की योजना बनाने में मदद करता है।
3. उत्पादन - स्वमूल्यांकन में कौन-कौन से कारक होते हैं?
उत्पादन - स्वमूल्यांकन में मूल्य निर्धारित करने के कौन-कौन से कारक होते हैं? Ans. उत्पादन - स्वमूल्यांकन में मूल्य निर्धारित करने के लिए विभिन्न कारक होते हैं। इनमें उत्पाद की लागत, मार्गिन, उच्चतम और निम्नतम मूल्य, बाजार की मांग और आपूर्ति के आधार पर मूल्य निर्धारण किया जाता है। ये कारक उत्पादन प्रक्रिया के विभिन्न घटकों को ध्यान में रखकर मूल्य निर्धारित करने में मदद करते हैं।
4. उत्पादन - स्वमूल्यांकन कैसे विभाजित होता है?
उत्पादन - स्वमूल्यांकन स्वरूप कैसे होता है और इसे कैसे विभाजित किया जा सकता है? Ans. उत्पादन - स्वमूल्यांकन विभिन्न तरीकों में विभाजित हो सकता है। एक तरीका मार्गिनल मूल्य का होता है, जहां उत्पाद का मूल्य उत्पादन की लागत पर आधारित होता है। दूसरा तरीका, या उच्चतम और निम्नतम मूल्य का तरीका उत्पादों के मूल्य को उच्चतम और निम्नतम सीमाओं के बीच निर्धारित करता है। तीसरा तरीका, या बाजार की मांग और आपूर्ति का तरीका उत्पादों की मांग और आपूर्ति के आधार पर मूल्य निर्धारित करता है। इ
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