जम्मू-कश्मीर के सम्बन्ध में विशेष प्रावधान
अनुच्छेद 370 में किया गया प्रावधान
(i) जम्मू-कश्मीर भारत के राज्य क्षेत्रा का भाग है।
(ii) भारतीय संविधान का कौन सा भाग जम्मू-कश्मीर को लागू होगा, इसका निर्णय राष्ट्रपति राज्य सरकार के परामर्श से करेंगे।
(iii) राज्य पर संसद का विधायी प्राधिकार संघ और समवर्ती सूची के उन्हीं मदों तक सीमित रहेगा, जो विलय पत्रा में निर्दिष्ट है।
(iv) राष्ट्रपति राज्य की संविधान सभा की सिफारिश पर अनुच्छेद 370 को समाप्त कर सकता है या इसमें संशोधन कर सकता है।
राज्य का संविधान निर्माण तथा संविधान का प्रवर्तन
राज्य के संविधान के मुख्य प्रावधान
(i) जम्मू-कश्मीर राज्य भारत का अविभाज्य अंग है।
(ii) जम्मू-कश्मीर राज्य का गठन उन सभी क्षेत्रों से मिलकर होता है, जो 15 अगस्त, 1947 को इस राज्य के शासक के अधीन था, अर्थात जम्मू-कश्मीर के राज्य क्षेत्रा में वह क्षेत्रा भी सम्मिलित है, जो पाकिस्तान के अधीन है और जिसे पाकिस्तान शासक आजाद कश्मीर कहते है।
(iii) राज्य की कार्यपालिका और विधायी शक्ति का विस्तार सभी विषयों पर है, सिवाय उन विषयों के, जिसके सम्बन्ध में विधि बनाने का अधिकार संसद को है।
(iv) जो व्यक्ति भारत का नागरिक है, उसे राज्य का स्थायी निवासी समझा जाएगा, यदि वह 14 मई, 1954 को राज्य का प्रजा था या राज्य में अचल सम्पत्ति अर्जित करके 14 मई, 1954 से कम से कम 10 वर्ष पूर्व तक राज्य का सामान्य निवासी रहा है।
(v) जो व्यक्ति 14 मई, 1954 के पहले राज्य की प्रजा था और जो 1 मार्च, 1947 के पश्चात उस राज्यक्षेत्रा में, जो अब पाकिस्तान में है, निवास करने के पश्चात राज्य में पुनः निवास करने की या स्थायी रूप से रहने की अनुज्ञा लेकर लौटता है और यह अनुज्ञा राज्य विधान मण्डल द्वारा बनायी गयी विधि द्वारा या उसके अधीन किसी प्राधिकृत अधिनियम द्वारा दी गयी है, तो ऐसे वापस आने पर वह राज्य का स्थायी निवासी हो जाएगा।
(vi) राज्य विधान सभा में 100 सदस्य होंगे। विधानसभा में 24 स्थान राज्य के उन क्षेत्रों के लोगों द्वारा भरे जाने के लिए रिक्त रहेंगे, जो पाकिस्तान के अधीन है। विधानसभा में दो महिला सदस्य राज्यपाल द्वारा मनोनीत की जायेंगी।
(vii) राज्य विधान परिषद् का गठन 36 सदस्यों से होगी। 11 सदस्य विधान सभा के सदस्यों द्वारा उन व्यक्तियों में से चुने जाएंगे, जो जम्मू-कश्मीर राज्य के निवासी है। इस प्रकार निर्वाचित सदस्यों में से कम से कम एक लद्दाख तहसील का और एक कारगिल तहसील का होगा। विधानसभा के सदस्यों द्वारा 11 सदस्य उन व्यक्तियों में से चुने जाएंगे जो जम्मू प्रांत के निवासी है। शेष 14 व्यक्ति विभिन्न निर्वाचक मण्डलों, जैसे नगरपालिका और अन्य स्थानीय निकाय द्वारा चुने जाएंगे।
(viii) राज्य के लिए एक लोक सेवा आयोग होगा। आयोग और उसके अध्यक्ष की नियुक्ति राज्यपाल द्वारा की जाएगी।
(ix) राज्य में एक उच्च न्यायालय होगा, जिसका गठन एक मुख्य न्यायाधीश तथा दो अन्य न्यायाधीशों द्वारा किया जाएगा। मुख्य न्यायाधीश की नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा भारत के मुख्य न्यायाधीश तथा राज्य के राज्यपाल से परामर्श करके की जाएगी तथा अन्य न्यायाधीशों की नियुक्ति करते समय राष्ट्रपति उक्त दोनों के साथ उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश से भी परामर्श करेगा।
(x) राज्य की राजभाषा उर्दू होगी किन्तु जब तक विधान मण्डल विधि द्वारा अन्यथा प्रावधान न करे, तब तक राज्य के शासकीय प्रयोजनों के लिए अंग्रेजी का प्रयोग चलता रहेगा।
(xi) राज्य के संविधान का संशोधन विधानसभा में विधेयक पेश करके और उसे प्रत्येक सदन द्वारा उस सदन के कुल सदस्यों के कम से कम दो तिहाई बहुमत से पारित करके किया जाएगा किन्तु राज्य और भारत संघ के बीच सम्बन्ध, राज्य की विधायी और कार्यपालिका शक्ति का विस्तार या राज्य के सम्बन्ध में लागू भारत के संविधान के प्रावधानों के बारे में किसी प्रावधान में संशोधन या उपांतरण करने वाला विधेयक किसी सदन में पेश नहीं किया जाएगा।
महत्वपूर्ण तथ्य
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जम्मू-कश्मीर पर भारतीय संविधान का प्रवर्तन
राष्ट्रपति ने 1950 में संविधान (जम्मू-कश्मीर को लागू होना) आदेश, 1950 द्वारा जारी किया था। इसमें यह प्रावधान किया गया था कि संसद प्रतिरक्षा, विदेश कार्य तथा संचार के विषय में जम्मू-कश्मीर के सम्बन्ध में कानून बना सकती है।
उसके बाद जून 1952 में दिल्ली में भारत सरकार तथा जम्मू-कश्मीर के राज्य के बीच एक करार हुआ, जिसमें जम्मू-कश्मीर राज्य की संविधान सभा के लम्बित रहने पर कुछ विषयों पर संघ को अधिकारिता प्रदान की गई।
जम्मू-कश्मीर की संविधान सभा ने 1954 में राज्य के भारत में विलय की पुष्टि कर दी और इसके बाद राष्ट्रपति ने राज्य सरकार से परामर्श करके संविधान (जम्मू-कश्मीर को लागू होना) आदेश, 1954 जारी किया, जो 14 मई, 1954 से लागू हुआ। इस आदेश में 1963, 1964, 1965, 1966, 1972, 1974, 1976 तथा 1986 में संशोधन किया गया है। इन आदेशों द्वारा निम्नलिखित प्रावधान किये गये -
1. जम्मू-कश्मीर राज्य के सम्बन्ध में संसद की अधिकारिता-
(i) संसद राज्य के सम्बन्ध में सातवीं अनुसूची के संघ सूची में शामिल विषयों पर कानून बना सकती है।
(ii) संसद राज्य के अध्यर्पण या विलग होने के या भारत की प्रभुता या अखण्डता को नुकसान पहुंचाने वाले क्रियाकलापों को रोकने के लिए कानून बना सकती है।
(iii) संविधान के अनुच्छेद 249 के अधीन राज्यसभा दो तिहाई बहुमत से संकल्प पारित करके राष्ट्रीय हित में जम्मू कश्मीर राज्य के सम्बन्ध में कानून बनाने का अधिकार संसद को दे सकती है।
2. संसद की अनधिकारिता तथा जम्मू-कश्मीर राज्य की स्वायत्तता- जम्मू-कश्मीर के सम्बन्ध में निम्नलिखित मामलों में संसद को वैसा अधिकार नहीं है, जैसा अन्य राज्यों के सम्बन्ध में है-
(i) संविधान की सातवीं अनुसूची के समवर्ती सूची में वर्णित विषयों पर जम्मू-कश्मीर के सम्बन्ध में संसद कानून नहीं बना सकती।
(ii) जम्मू-कश्मीर राज्य के नाम या राज्य क्षेत्रा में परिवर्तन करने वाला कोई विधेयक तब तक संसद में पेश नहीं किया जा सकता, जब तक राज्य विधानसभा की पूर्व सहमति न प्राप्त हो जाए।
(iii) राज्य के राज्यक्षेत्रा के किसी भाग के व्ययन को प्रभावित करने वाले किसी अन्तर्राष्ट्रीय करार या सन्धि के सम्बन्ध में संसद कोई कानून नहीं बना सकती।
(iv) राष्ट्रपति द्वारा अनुच्छेद 352 के अधीन जारी की गई राष्ट्रीय आपात की घोषणा राज्य सरकार की सहमति के बिना उस राज्य पर लागू नहीं होगी।
(v) भारत सरकार राज्य के व्ययन को प्रभावित करने वाला कोई निर्णय उस राज्य की सरकार की सहमति के बिना नहीं कर सकती।
(vi) जब राज्य में संवैधानिक तन्त्रा विफल होता है, तो दो प्रकार की घोषणायें की जाती। (क) भारतीय संविधान के अनुच्छेद 356 के अधीन राष्ट्रपति शासन की घोषणा, तथा (ख) राज्य के संविधान की धारा 92 के अधीन राज्यपाल शासन की घोषणा। जम्मू-कश्मीर में राज्यपाल शासन पहली बार 27 मार्च, 1977 को लागू किया गया था, जो 8 जुलाई, 1977 तक चला था। भारतीय संविधान के अनुच्छेद 356 के अधीन राष्ट्रपति शासन की घोषणा 7 सितम्बर, 1986 को लागू की गई थी। यह अभी तक लागू है। राज्यपाल राष्ट्रपति की पूर्व सहमति से ही राज्यपाल शासन की घोषणा कर सकता है।
(vii) अनुच्छेद 360 के अधीन राष्ट्रपति द्वारा घोषित वित्तीय आपात जम्मू-कश्मीर पर लागू नहीं होगी।
3. मूल अधिकार और निदेशक तत्व-अनुच्छेद 19 में प्रत्याभूत मूल अधिकार को छोड़कर सभी मूल अधिकार जम्मू-कश्मीर में लागू है। इसके अतिरिक्त अनुच्छेद 35-क को जोड़कर राज्य के स्थायी निवासियों को नियोजन, सम्पत्ति के अर्जन और निवास के विशेष अधिकार दिये गये । राज्य की नीति के निदेशक तत्व जम्मू-कश्मीर राज्य में लागू नहीं है।
4. संविधान का संशोधन-संसद द्वारा संविधान में किया गया संशोधन राज्य में तभी लागू होता है, जब राष्ट्रपति राज्य सरकार की सहमति से अनुच्छेद 370 (1) के अधीन घोषणा जारी करे।
महत्वपूर्ण तथ्य
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1. जम्मू कश्मीर के संशोधन नोटस क्या हैं? |
2. भारतीय राजव्यवस्था में जम्मू कश्मीर का स्थान क्या हैं? |
3. जम्मू कश्मीर के संबंध में विशेष प्रावधान क्या हैं? |
4. संशोधन नोटस के बाद जम्मू कश्मीर में क्या परिवर्तन हुए हैं? |
5. जम्मू कश्मीर के संबंध में संशोधन नोटस क्यों लागू किया गया? |
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