जैन धर्म, शिक्षायें और सभायें
जैन धर्म
पाश्र्वनाथ
महावीर
महावीर की शिक्षायें
(i) सम्यक् दर्शन,
(ii) सम्यक् ज्ञान, और
(iii) सम्यक् आचरण
(i) परोपकारी होना,
(ii) चोरी न करना,
(iii) व्यभिचार से बचना,
(iv) सत्य वचन और
(v) आवश्यकता से अधिक धन-संग्रह न करना।
जैन धर्म का विस्तार
(i) सम्भूतविजय और
(ii) भद्रबाहु
स्मरणीय तथ्य आदिनाथ - ये द्वितीय तीर्थंकर थे। इनका प्रतीक चिह्न हाथी है। पाश्र्वनाथ - ये तेइसवें तीर्थंकर थे। इनका प्रतीक चिह्न सर्प है। इनके पिता अश्वसेन बनारस के राजा थे। महावीर - ये चैबीसवें और अंतिम तीर्थंकर थे। इनका प्रतीक चिह्न सिंह है। त्रिशला - महावीर की माता। ये बिम्बिसार के ससुर लिच्छवी नरेश चेटक की बहन थीं। नंदिवर्धन - महावीर के अग्रज। त्रिरत्न - सम्यक् दर्शन, सम्यक् ज्ञान और सम्यक् आचरण को जैन धर्म का त्रिरत्न माना जाता है जिसके अनुसरण से आत्मा जन्म-मरण के बन्धन से मुक्त होकर विशुद्ध, आनन्दमय आवास (सिद्धशिला) को प्राप्त कर सकती है। श्वेताम्बर - सफेद वस्त्र धारण करने वाले और स्थूलबाहुभद्र के अनुयायी। |
जैन सभायें
बुद्ध से संबंधित प्रतीक चिह्न | |
जन्म | कमल और सांढ़ |
महाभिनिष्क्रमण (गृहत्याग) | घोड़ा |
निर्वाण | बोधि वृक्ष |
प्रथम उपदेश | धर्मचक्र या चक्र |
महापरिनिर्वाण (मृत्यु) | स्तूप |
संप्रदाय
जैन साहित्य
स्मरणीय तथ्य
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(i) बारह अंग
(ii) बारह उवंग या उपांग
(iii) दस पइण्णा या प्रकीर्णक
(iv) छः छेयसुत्त या छेदसूत्र
(v) दो सूत्र-ग्रंथ
(vi) चार मूल सुत्त या मूल सूत्र
(i) प्रथमानुयोग, जिसमें पुराण-पुरुषों के चरित और कथाग्रंथ हैं।
(ii) करणानुयोग, जिसमें भूगोल-खगोल, चारों गतियों और काल विभाग का वर्णन है।
(iii) द्रव्यानुयोग, जिसमें जीव-अजीव आदि तत्वों का, पुण्य-पाप, बंध-मोक्ष का वर्णन है।
(iv) चरणानुयोग, जिसमें मुनियों और श्रावकों के आचार का वर्णन है।
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1. जैन धर्म क्या है? |
2. बौद्ध धर्म क्या है? |
3. जैन धर्म का इतिहास क्या है? |
4. यूपीएससी और आईएएस में जैन धर्म के संबंध में कौन-कौन से विषय पूछे जाते हैं? |
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