तुगलक वंश (1320-1412 ई.) और लोदी वंश (1451-1526 ई.)
तुगलक वंश (1320-1412 ई.)
¯ तुगलक वंश के तीन सुयोग्य शासक हुए - ग़यासुद्दीन तुगलक (1320-1325 ई.), उसका पुत्र मुहम्मद-बिन-तुगलक (1325-1351ई.) और उसका भतीजा फीरोज तुगलक (1351-1388 ई.)।
¯ इनमें से प्रथम दो शासकों ने लगभग संपूर्ण देश पर शासन किया।
¯ फीरोज तुगलक का साम्राज्य छोटा था, तो भी यह लगभग उतना बड़ा था जितने पर अलाउद्दीन ख़लजी ने शासन किया था
¯ फीरोज के मरणोपरांत दिल्ली सल्तनत विघटित हो गया और उत्तर भारत कई छोटे-छोटे राज्यों में विभाजित हो गया।
¯ यद्यपि तुगलक शासकों ने सन् 1412 ई. तक शासन किया तथापि सन् 1398 ई. में तैमूर द्वारा दिल्ली पर आक्रमण को तुगलक साम्राज्य का अंत माना जा सकता है।
ग़यासुद्दीन तुगलक (1320-1325 ई.)
¯ फरिस्ता के अनुसार ग़यासुद्दीन का पिता बलबन का तुर्क गुलाम था तथा उसने पंजाब की एक जाट कन्या से शादी की थी।
¯ वारंगल के राजा प्रतापरूद्रदेव द्वितीय के भेंट देने से इंकार कर देने पर सुल्तान ने अपने ज्येष्ठ पुत्र जौना खां को उसके विरुद्ध भेजा। पर जौना खां को खाली हाथ लौटना पड़ा। जौना खां अपने दूसरे प्रयास में सफल रहा।
¯ 1324 ई. में ग़यासुद्दीन तुगलक का बंगाल के विरुद्ध सैनिक अभियान भी सफल रहा।
¯ उसके स्वागत समारोह के लिए जौना खां द्वारा निर्मित लकड़ी के भवन से गिरने से 1325 ई. के आरम्भ में उसकी मृत्यु हो गई।
¯ उसे दिल्ली के निकट तुगलकाबाद में दफनाया गया।
¯ उसने शासन-पद्धति के दुर्गुणों को दूर कर इसे व्यवस्थित करने का प्रयास किया। कृषि को प्रोत्साहित किया गया तथा सिंचाई सुविधा उपलब्ध कराने हेतु नहरें खोदी गईं।
¯ न्याय और पुलिस विभाग में भी सुधार किए गए।
¯ डाक-व्यवस्था का पुनर्गठन किया गया।
¯ उसने दिल्ली के समीप तुगलकाबाद नामक दुर्ग-नगर का निर्माण करवाया।
मुहम्मद गोरी
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मुहम्मद-बिन-तुगलक(1325-1351 ई.)
¯ 1325 ई. में ग़यासुद्दीन तुगलक की मृत्यु के पश्चात् उसका ज्येष्ठ पुत्र जौना ने अपने को मुहम्मद बिन तुगलक की उपाधि के साथ सुल्तान घोषित किया।
¯ वह बहुत विद्वान सुल्तान था। साथ ही अपने व्यक्तिगत जीवन में वह उस युग में विद्यमान व्यसनों से मुक्त था। सैद्धांतिक ज्ञान पर आधारित उसकी काल्पनिक योजनाएं वास्तविकता से दूर ही रहती थीं।
¯ दुर्भाग्यवश वह चिड़चिड़ा और अधीर स्वभाव का था। इसीलिए उसके अनेक अच्छे प्रयोग असफल रहे और उसे ”अभागा आदर्शवादी“ कहा जाता है।
¯ उसने 1326-27 ई. में अपनी राजधानी दिल्ली से दौलताबाद (देवगिरि) ले गया। उसका यह निर्णय सबसे विवादास्पद साबित हुआ।
¯ राजधानी को देवगिरि ले जाकर वह दक्षिण भारत पर बेहतर पकड़ स्थापित करना चाहता था जो दिल्ली से उसे दुरूह कार्य लगता था। लेकिन यही परेशानी राजधानी के देवगिरी जाने से उत्तर भारत पर नियंत्रण रखने में भी हुई।
¯ सुल्तान के साथ अनेक पदाधिकारियों, सूफी संतों और अन्य मुख्य लोगों को भी देवगिरि जाने का आदेश दिया गया।
¯ दिल्ली से दौलताबाद की यह यात्रा बहुत कष्टकर सिद्ध हुई। मात्र दो वर्षों के बाद ही मुहम्मद-बिन-तुगलक ने दौलताबाद का परित्याग करने का निश्चय किया।
¯ यद्यपि देवगिरि को दूसरी राजधानी बनाने का प्रयास विफल हो गया, लेकिन वहां आने-जाने से कुछ अच्छे परिणाम भी निकले।
¯ आवागमन के साधनों के विकसित हो जाने से उत्तर और दक्षिण भारत एक दूसरे के बहुत निकट आ गए। इसके परिणामस्वरूप दक्षिण और उत्तर भारत में सांस्कृतिक विचारों के आदान-प्रदान की नयी प्रक्रिया आरम्भ हुई।
¯ मुहम्मद-बिन-तुगलक द्वारा उठाया गया एक और महत्वपूर्ण कदम था प्रतीक मुद्रा का प्रचलन।
¯ उसने चांदी के एक टंके के बराबर कांसे की मुद्रा चलाने का निश्चय किया।
¯ भारत में प्रतीक मुद्रा प्रचलित करने का विचार बिल्कुल नया था और व्यापारियों तथा आम जनता को इसकी स्वीकृति के लिए राजी करना कठिन था। फिर भी मुहम्मद-बिन-तुगलक इस कार्य में सफल हो सकता था, यदि सरकार लोगों को नकली सिक्के ढालने से रोक सकती। सरकार ऐसा नहीं कर सकी और बाजार में नए सिक्कों का भारी अवमूल्यन हो गया।
¯ अन्त में मुहम्मद-बिन-तुगलक ने प्रतीक मुद्रा को वापस लेने का निर्णय लिया तथा लोगों को इन कांस्य सिक्कों के बदले चांदी का सिक्का दिया गया।
¯ मुहम्मद-बिन-तुगलक ने कृषि की उन्नति के लिए भी अनेक उपाय किए। इसमें से अधिकांश प्रयोग दोआब के क्षेत्र में किए गए।
¯ अधिक राजस्व प्राप्ति के लिए करों में वृद्धि की गई जिसके चलते दोआब के किसानों को भारी कष्ट का सामना करना पड़ा। दुर्भिक्ष के समय भी करों में छूट नहीं दी गई।
¯ कुछ किसान जो अपनी खेती-बाड़ी छोड़कर अन्य स्थानों पर चले गए, उनके साथ कठोरता से पेश आया गया।
¯ मुहम्मद-बिन-तुगलक के लिए अमीर वर्ग भी समस्या बन गए थे। यह वर्ग विभिन्न वर्ग के लोगों के सम्मिश्रण से बना था। उनके बीच आपस में न तो कोई लगाव की भावना विकसित हो सकी और न ही वे सुल्तान के प्रति निष्ठावान ही थे।
¯ मुहम्मद-बिन-तुगलक के शासन काल में ही अफ्रीकी यात्री इब्नेबतुता भारत आया। वह 1333 ई. में सिंध पहुंचा।
¯ सुल्तान ने उसे दिल्ली का काजी नियुक्त किया तथा 1342 में अपना राजदूत बनाकर चीन भेजा।
¯ उसने सफरनामा नामक पुस्तक की रचना की जिसमें सुल्तान मुहम्मद-बिन-तुगलक के बारे में सामान्यतः निष्पक्ष विवरण मिलते हैं।
¯ अंततः जब वह सिन्ध में विद्रोहियों का पीछा करने में व्यस्त था, तब थट्टा के निकट बीमार पड़ा और 1351 ई. में संसार से चल बसा।
¯ इस प्रकार मुहम्मद-बिन-तुगलक के काल में एक तरफ जहां दिल्ली सल्तनत के पराकाष्ठा पर पहुंचने का संकेत मिल रहा था, वहीं दूसरी ओर विघटन के आरम्भ की प्रक्रिया भी दिखाई दे रही थी।
फिरोज तुगलक (1351-1388 ई.)
¯ मुहम्मद तुगलक की मृत्यु के बाद उसका चचेरा भाई फीरोजशाह तुगलक दिल्ली का सुल्तान बना।
¯ उसे गद्दी संभालने के बाद मुख्य रूप से दिल्ली सल्तनत के विघटन को रोकने की समस्या का सामना करना पड़ा।
¯ उसने अमीरों, आध्यात्मवादियों और सेना को शांत करने की नीति अपनाई और उन्हीं क्षेत्रों को अपने अधिकार में रखा जिन पर केन्द्र से सुविधापूर्वक नियंत्रण रखा जा सकता।
¯ उसने आदेश दिया था कि जब भी किसी सरदार की मृत्यु हो जाए तो उसके पद और इक्ता पर उसके पुत्र का अधिकार होना चाहिए।
¯ उसने वंशानुगत सिद्धांत को सेना में भी लागू किया।
¯ फीरोज ने अपने को सच्चा मुसलमान शासक और अपने राज्य को सही अर्थों में इस्लामी राज्य बताकर आध्यात्मवादियों का समर्थन प्राप्त करने का प्रयास किया।
¯ इसी के तहत जजिया एक अलग कर बना दिया गया, जो पहले भू-राजस्व का ही एक भाग था।
¯ उसने अमानवीय घृणास्पद सजाओं को, जैसे चोरी या अन्य अपराधों के लिए हाथ, पैर, नाक आदि काट लिया जाना बंद करा दिया।
¯ निर्धनों की चिकित्सा के लिए चिकित्सालय बनवाए गए।
¯ निर्धन वर्ग के लोगों को लड़कियों की शादी के अवसर पर आर्थिक सहायता दी जाती थी।
¯ फीरोज सार्वजनिक निर्माण के कार्यक्रमों मे भी रुचि रखता था।
¯ उसने जौनपुर, फीरोजाबाद, फतेहाबाद और हिसारे-फीरोज सरीखे नगरों का भी निर्माण करवाया।
¯ फीरोज ने कुछ नहरों की खुदाई कराई और पुरानी नहरों की मरम्मत कराई। इन नहरों का उद्देश्य कृषि तथा नए नगरों के लिए पानी उपलब्ध कराना था।
¯ उसके काल में संगीत, चिकित्सा तथा गणित के संस्कृत ग्रंथों को फारसी में अनुवादित कराया गया। फीरोज की आत्मकथानक कृति फतुहाते फीरोज शाही भी महत्वपूर्ण है।
¯ उसी के शासन काल में बरनी और अफीफ ने फीरोज के नाम पर अपने प्रशंसनीय ऐतिहासिक ग्रंथों की रचना की।
¯ 1388 ई. में फीरोज का देहांत हो गया। तुगलक वंश का अंतिम शासक नासिरुद्दीन महमूद (1394-1412 ई.) था।
च उसी के शासन काल में 1398 ई. में मंगोल चंगेज का वंशज तैमूरलंग ने भारत पर आक्रमण करके लूटपाट की।
सैय्यद वंश (1414-1451 ई.)
¯ तुगलक शासकों के बाद दौलत खां लोदी दिल्ली का शासक बना।
¯ जल्दी ही खि़ज्र खां ने, जो तैमूर की ओर से मुल्तान एवं उसके अधीन प्रदेशों का शासक था, दौलत खां को पराजित कर 1414 ई. में दिल्ली पर सैय्यद वंश का शासन स्थापित किया।
¯ कुछ इतिहासकार खि़ज्र खां को पैगम्बर का वंशज बताते हैं और तदनुसार उसके द्वारा स्थापित वंश सैय्यद वंश कहा गया है।
¯ अपने सप्तवर्षीय शासन काल में खि़ज्र खां ने न तो कभी शाह की उपाधि धारण की और न ही अपने नाम के सिक्के चलाए। वह तैमूर के उत्तराधिकारी को कर भेजा करता था।
¯ 1421 में उसकी मृत्यु के पश्चात् उसका पुत्र मुबारक शाह (1421-1434 ई.) दिल्ली के राजसिंहासन पर बैठा। उसने शाह की उपाधि धारण की और अपने नाम के सिक्के चलाए।
¯ इसके बाद के दो शासक मुहम्मद शाह (1434-1445 ई.) और अलाउद्दीन आलमशाह (1445-1451 ई.) अयोग्य थे।
लोदी वंश (1451-1526 ई.)
¯ 1451 ई. में सैय्यद वंश का अंतिम शासक अलाउद्दीन आलमशाह ने स्वेच्छापूर्वक दिल्ली का शासन बहलोल लोदी को सौंप दिया और बदायुं चला गया। इस तरह दिल्ली पर लोदी वंश का शासन स्थापित हुआ।
¯ पन्द्रहवीं शताब्दी के मध्य से ही गंगा घाटी के उत्तरी भागों और पंजाब पर लोदियों का अधिकार था।
¯ दिल्ली के पूर्ववर्ती सुल्तान तुर्क थे, लेकिन लोदी शासक अफगान थे।
¯ बहलोल लोदी ने जौनपुर के महमूद शाह शर्की के दिल्ली पर अधिकार करने के प्रयास को निष्फल कर दिया।
¯ लगभग 38 वर्ष शासन के पश्चात् 1489 ई. में उसकी मृत्यु हो गई।
सिकन्दर लोदी
¯ लोदी वंश का सबसे महत्वपूर्ण सुल्तान सिकन्दर लोदी (1489-1517 ई.) था।
¯ वह गुजरात के महमूद बेगड़ा और मेवाड़ के राणा सांगा का समकालीन था। उसने दिल्ली को इन दोनों राज्यों से भविष्य में होने वाले संघर्षों के लिए समर्थ व शक्तिशाली बना दिया।
¯ सिकन्दर लोदी अपने राज्य को श्रेष्ठ प्रशासनिक व्यवस्था प्रदान करने में सफल हुआ।
¯ उसने न्याय पर बहुत बल दिया।
¯ राज्य के सभी प्रमुख मार्गों को डाकुओं और लुटेरों से सुरक्षित किया।
¯ इस काल में आम जरूरतों की चीजें बहुत सस्ती थीं।
¯ सुल्तान ने कृषि के क्षेत्र में काफी दिलचस्पी ली।
¯ उसने अनाज पर से चुंगी माफ कर दी और एक पैमाने की शुरुआत की जिसे गज्ज-ए-सिकन्दरी कहा जाता था। यह पैमाना मुगलों के काल तक चलता रहा।
¯ उसके समय में बनाई गई भू-राजस्व की विधि शेरशाह की विधि का आधार बनी।
¯ सिकन्दर लोदी को पुरातनपंथी और यहां तक कि धर्मान्ध शासक माना जाता है।
¯ उसने मुसलमानों के लिए शरा (मुस्लिम-विधान) के विरुद्ध कोई भी कार्य करने पर कड़ी पाबन्दी लगा दी। ¯ उसने फिर से हिन्दुओं पर जजिया लगा दिया। उसने अपने अभियानांे के दौरान कुछ सुविख्यात मंदिरों को भी गिरवा दिया। नगरकोट का मंदिर इसका उदाहरण है।
¯ वह विद्वानों, दार्शनिकों तथा साहित्यकारों को आश्रय देता था। उसके प्रयत्नों से कई संस्कृत ग्रन्थ फारसी में अनुवादित हुए।
¯ संगीत में भी उसकी रुचि थी और उसने संगीत पर कई दुर्लभ संस्कृत ग्रंथों का फारसी में अनुवाद करवाया।
¯ उसके शासन काल में बहुत से हिन्दुओं ने फारसी सीखी और उन्हें कई प्रशासकीय पदों पर रखा गया।
स्मरणीय तथ्य
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¯ सिकन्दर लोदी ने धौलपुर और ग्वालियर को जीतकर अपने राज्य का प्रसार किया। अपने इन अभियानों के दौरान (1506 ई. में) ही सिकन्दर लोदी ने आगरा शहर की नींव डाली जो कालांतर मंे लोदियों की दूसरी राजधानी बनी।
इब्राहिम लोदी
¯ 1517 ई. में सिकन्दर लोदी की मृत्यु के बाद उसका ज्येष्ठ पुत्र इब्राहिम लोदी गद्दी पर बैठा। वह सैनिक कुशलता से सम्पन्न था, पर उसमें सुबुद्धि एवं संयम का अभाव था।
¯ 1517-1518 ई. में इब्राहिम लोदी व राणा सांगा के मध्य युद्ध हुआ जिसमें लोदियों की हार हुई।
¯ इब्राहिम लोदी के एक केन्द्रीयकृत विशाल साम्राज्य स्थापित करने के प्रयत्नों ने अफगानों और राजपूतों दोनों को सावधान कर दिया था।
¯ अफगान सरदारों में सर्वाधिक शक्तिशाली सरदार दौलत खां लोदी था, जो पंजाब का हाकिम था पर वास्तव में लगभग स्वतंत्र था। उसने अपने पुत्र दिलावर खां के नेतृत्व में बाबर के पास दूत भेजा। उसने बाबर को भारत आने का निमंत्रण दिया और यह सुझाव दिया कि चूंकि इब्राहिम लोदी अत्याचारी है और सरदारों का समर्थन अब उसे प्राप्त नहीं है, इसलिए उसे अपदस्थ करके बाबर राजा बने।
¯ अप्रैल, 1526 ई. में पानीपत की प्रथम लड़ाई में इब्राहिम लोदी पराजित हुआ और मारा गया। इस तरह मुगल वंश की नींव पड़ी।
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1. तुगलक वंश क्या है? |
2. लोदी वंश कब और कैसे शासन कर रहा था? |
3. इन दोनों वंशों के बीच क्या सम्बंध थे? |
4. दिल्ली सल्तनत क्या थी? |
5. तुगलक वंश और लोदी वंश के राजा कौन थे? |
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