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दल-बदल कानून - भारतीय राजव्यवस्था | भारतीय राजव्यवस्था (Indian Polity) for UPSC CSE in Hindi PDF Download

  • इस सम्बन्ध में 24 जनवरी, 1985 को लोकसभा में विधेयक (52वां संविधान संशोधन विधेयक) पेश किया गया, जिसे 30 जनवरी, 1985 को लोकसभा द्वारा तथा 31 जनवरी, 1985 को राज्य सभा द्वारा पारित कर दिया गया और राष्ट्रपति की सम्मति प्राप्त करके यह 52वां संविधान संशोधन अधिनियम के रूप में लागू हो गया।
  • 52वें संविधान संशोधन द्वारा संविधान में दसवीं अनुसूची जोड़कर निम्नलिखित प्रावधान किया गया है - 

सदन की सदस्यता के लिए अयोग्यता - संसद या राज्य विधान मण्डल के सदस्यों को निम्नलिखित आधार पर अयोग्य घोषित किया जा सकता है - 

(i) यदि वह उस राजनीतिक दल की सदस्यता छोड़ देता है, जिसके चुनाव चिन्ह पर निर्वाचित हुआ था, या अपने दल के सचेतक के निर्देश के विरोध में मतदान करे। लेकिन सचेतक के विरुद्ध मतदान करने के आधार पर उसे सदस्यता से तब वंचित नहीं किया जाता, जब उसे दल द्वारा ऐसा करने के लिए माफ कर दिया जाता है।

(ii) यदि संसद या राज्य विधान मण्डल का कोई सदस्य निर्दलीय सदस्य के रूप में निर्वाचित किया गया है और यदि वह किसी दल में शामिल हो जाता है, तो सदन की उसकी सदस्यता समाप्त हो जाती है।

(iii) यदि संसद या राज्य विधान मण्डल का कोई नामजद सदस्य सदन की सदस्यता के लिए शपथ ग्रहण करने के 6 माह बाद किसी राजनीतिक दल में शामिल हो जाता है, तो सदन की उसकी सदस्यता समाप्त हो जाती है।

सदन की सदस्यता के लिए अयोग्यता से छूट - निम्नलिखित आधार पर संसद या विधानमण्डल का कोई सदस्य सदन की सदस्यता के लिए अयोग्य नहीं होता-

(i) दलों के विलय पर - जब दो या दो से अधिक राजनीतिक दल आपस में विलय का निर्णय करें और उन दलों के संसदीय तथा विधायक दल के सम्बन्धित कम से कम दो तिहाई सदस्य ऐसे विलय के पक्ष में संकल्प पारित कर दें, तो विलय के लिए दल छोड़ने वाले सांसद या राज्य विधान मण्डल के सदस्य उसकी सदस्यता के लिए अयोग्य नहीं होते। 

(ii) दलों के विभाजन पर - जब किसी राजनीतिक दल का विभाजन होता है, तब दल के विभाजन के कारण दल से अलग होने वाले सदस्य संसद या विधान मण्डल की सदस्यता के लिए अयोग्य नहीं होते, लेकिन दल का विभाजन केवल तब माना जाएगा, जब संसद या विधान मण्डल के कम से कम एक तिहाई सदस्य सामूहिक रूप से दल को विभाजित करने की घोषणा करे।

(iii) सदन के पदाधिकारी के रूप में चुने जाने पर - यदि लोकसभा तथा विधान सभा के अध्यक्ष या उपाध्यक्ष पद पर, राज्यसभा के उपभापति या राज्य विधान परिषद के सभापति या उपसभापति के पद पर चुने जाने के कारण कोई सदस्य अपने दल की सदस्यता से त्यागपत्रा दे देता है, तो उसे सदन की सदस्यता के लिए अयोग्य नहीं घोषित किया जाएगा।

(iv) दल से निकाले जाने पर - यदि संसद या राज्य विधानमण्डल के किसी सदस्य को अनुशासनहीनता के कारण दल से निकाल दिया जाता है, तो वह सम्बन्धित सदन की सदस्यता के लिए अयोग्य नहीं होगा क्योंकि दल बदल से सम्बन्धित कानून तब लागू होता है, जब कोई सदस्य स्वेच्छा से दल बदलता है या दल के सचेतक के निर्देश के विरुद्ध मतदान करता है।

अयोग्यता से सम्बन्धित प्रश्न का निर्णय - लोक सभा तथा राज्य विधान सभा के सदस्यों की अयोग्यता से सम्बन्धित निर्णय सम्बन्धित सदन के अध्यक्ष तथा राज्य सभा और राज्य विधान परिषद के सदस्यों की अयोग्यता से सम्बन्धित निर्णय सम्बद्ध सदन के सभापति द्वारा किया जाएगा।      

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FAQs on दल-बदल कानून - भारतीय राजव्यवस्था - भारतीय राजव्यवस्था (Indian Polity) for UPSC CSE in Hindi

1. दल-बदल कानून क्या है?
उत्तर: दल-बदल कानून भारतीय राजव्यवस्था में एक विधान है जिसके तहत राज्य सरकार बदलने के लिए निर्धारित नियम और प्रक्रियाएं होती हैं। यह कानून चुनाव की प्रक्रिया, मंत्रिमंडल का गठन, सरकार का निर्देश, और विशेषाधिकारों के प्रदान के साथ संबंधित होता है।
2. दल-बदल कानून क्यों महत्वपूर्ण है?
उत्तर: दल-बदल कानून भारतीय राज्यों में सरकार के परिवर्तन की प्रक्रिया को संगठित और स्पष्ट बनाता है। यह दलों को चुनाव की प्रक्रिया के द्वारा सरकार में सत्रों के दौरान बदलने की स्वतंत्रता प्रदान करता है। इसके माध्यम से सरकारों को जनमत के आधार पर निष्पक्ष और न्यायपूर्ण बनाया जा सकता है।
3. दल-बदल कानून किस प्रक्रिया को संगठित करता है?
उत्तर: दल-बदल कानून चुनाव की प्रक्रिया को संगठित करता है। यह विभिन्न नियमों और निर्देशों के अनुसार चुनाव की तारीखें, चुनाव आयोग की गठन, उम्मीदवारों के पंजीकरण, मतदाता सूची का तैयारी, मतदान, और चुनाव परिणामों की घोषणा जैसी प्रक्रियाओं को संगठित करता है।
4. भारतीय राजव्यवस्था में दल-बदल कानून कौन से अधिकारों से संबंधित है?
उत्तर: दल-बदल कानून भारतीय राजव्यवस्था में चुनाव, मंत्रिमंडल का गठन, निर्देश, और सरकारी नीतियों के प्रदान के संबंध में है। इसके माध्यम से, लोकतंत्रिक प्रक्रिया के माध्यम से जनमत के आधार पर सरकारों को बदलने का अधिकार प्रदान किया जाता है।
5. दल-बदल कानून की प्रमुख प्रक्रिया क्या है?
उत्तर: दल-बदल कानून की प्रमुख प्रक्रिया चुनाव की होती है। यह विभिन्न नियमों और निर्देशों के अनुसार होता है जिसमें चुनाव आयोग चुनाव की तारीखें तय करता है, उम्मीदवारों का पंजीकरण होता है, मतदाता सूची तैयार की जाती है, मतदान की प्रक्रिया संपन्न होती है, और चुनाव परिणामों की घोषणा की जाती है।
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