Class 10 Exam  >  Class 10 Notes  >  Hindi Class 10 (Sparsh and Sanchayan)  >  पाठ का सार: तीसरी कसम के शिल्पकार शैलेंद्र

पाठ का सार: तीसरी कसम के शिल्पकार शैलेंद्र | Hindi Class 10 (Sparsh and Sanchayan) PDF Download

कवि परिचय

प्रहलाद अग्रवाल (1947) का जन्म मध्य प्रदेश के जबलपुर शहर में हुआ। इन्होंने हिंदी में एम.ए. तक शिक्षा प्राप्त की और किशोर वय से हिंदी फ़िल्मों के इतिहास तथा फ़िल्मकारों के जीवन पर गहरी रुचि और अध्ययन किया। वर्तमान में, सतना के शासकीय स्वशासी स्नातकोत्तर महाविद्यालय में प्राध्यापक के रूप में कार्यरत, अग्रवाल फ़िल्म क्षेत्र से जुड़े विभिन्न विषयों पर कई महत्वपूर्ण लेखन कर चुके हैं। उनकी प्रमुख कृतियाँ में 'सातवाँ दशक', 'तानाशाह', 'मैं खुशबू', 'सुपर स्टार', 'राजकपूर : आधी हकीकत आधा फसाना', 'कवि शैलेंद्र : ज़िंदगी की जीत में यकीन', 'प्यासा : चिर अतृप्त गुरुदत्त', 'उत्ताल उमंग : सुभाष घई की फ़िल्मकला', 'ओ रे माँझी : बिमल राय का सिनेमा', और 'महाबाज़ार के महानायक : इक्कीसवीं सदी का सिनेमा' शामिल हैं।

पाठ का सार: तीसरी कसम के शिल्पकार शैलेंद्र | Hindi Class 10 (Sparsh and Sanchayan)

पाठ प्रवेश

साल के किसी भी महीने का शुक्रवार लगभग हर बार हिंदी फ़िल्मों की प्रदर्शनी का दिन होता है। कुछ फ़िल्में सफल होती हैं, जबकि कुछ दर्शकों के मन में छाप छोड़ने में असफल रहती हैं। जब एक फ़िल्मकार किसी साहित्यिक कृति को पूरी लगन और ईमानदारी से पर्दे पर उतारता है, तो उसकी फ़िल्म न केवल यादगार बनती है, बल्कि दर्शकों को मनोरंजन के साथ-साथ महत्वपूर्ण संदेश भी देती है। फणीश्वर नाथ रेणु की अमर कृति 'तीसरी कसम उर्फ़ मारे गए गुलफाम' को सिनेमा में लाना एक ऐसा ही उदाहरण है, जिसे आज भी हिंदी सिनेमा की अमर फ़िल्मों में गिना जाता है। यह फ़िल्म राजकपूर और वहीदा रहमान की बेहतरीन अदाकारी और संगीतमयता के साथ एक उत्कृष्ट कृति है।

पाठ सार

'तीसरी कसम' फ़िल्म का निर्माण शैलेंद्र ने किया, जो राजकपूर के करीबी मित्र और एक प्रसिद्ध गीतकार थे। राजकपूर ने इस फ़िल्म में अपने जीवन की सबसे बेहतरीन भूमिका निभाई। फ़िल्म को 'राष्ट्रपति स्वर्णपदक', बंगाल फ़िल्म जर्नलिस्ट एसोसिएशन द्वारा सर्वश्रेष्ठ फ़िल्म और कई अन्य पुरस्कार मिले। इस फ़िल्म की संवेदनशीलता और कलात्मकता की व्यापक तारीफ हुई। शैलेंद्र ने फ़िल्म की कहानी को पूरी तरह से सैल्यूलाइड पर उतारने का प्रयास किया, और इसमें राजकपूर की अदाकारी ने फ़िल्म को एक अद्वितीय छाप दी।

हालांकि फ़िल्म को प्रदर्शित करने में वितरक मिलने में कठिनाइयाँ आईं, इसकी संवेदनशीलता और भावनात्मक गहराई ने इसे विशेष बना दिया। शैलेंद्र की कवितात्मकता और राजकपूर की मासूमियत ने इस फ़िल्म को एक अमूल्य कृति बना दिया। 'तीसरी कसम' ने यह साबित कर दिया कि साहित्यिक कृतियों को सिनेमा के माध्यम से सच्चे भाव में प्रस्तुत किया जा सकता है।

पाठ का परिप्रेक्ष्य

'तीसरी कसम' केवल एक फ़िल्म नहीं है, बल्कि यह साहित्य और सिनेमा के बीच का एक महत्वपूर्ण पुल है। शैलेंद्र की संवेदनशीलता और राजकपूर की अदाकारी ने इस फ़िल्म को एक अनमोल कृति बना दिया। यह फ़िल्म एक आदर्शवादी कवि की दृष्टि और एक महान अभिनेता की क्षमता को दर्शाती है, जिन्होंने मिलकर एक ऐसी कृति बनाई, जो न केवल दर्शकों को मनोरंजन प्रदान करती है, बल्कि उन्हें गहराई से प्रभावित भी करती है। 'तीसरी कसम' ने साबित किया कि कला के हर रूप को ईमानदारी और भावनात्मक गहराई के साथ प्रस्तुत किया जा सकता है।

The document पाठ का सार: तीसरी कसम के शिल्पकार शैलेंद्र | Hindi Class 10 (Sparsh and Sanchayan) is a part of the Class 10 Course Hindi Class 10 (Sparsh and Sanchayan).
All you need of Class 10 at this link: Class 10
16 videos|201 docs|45 tests

Top Courses for Class 10

FAQs on पाठ का सार: तीसरी कसम के शिल्पकार शैलेंद्र - Hindi Class 10 (Sparsh and Sanchayan)

1. तीसरी कसम के शिल्पकार शैलेंद्र कौन हैं?
उत्तर: तीसरी कसम के शिल्पकार शैलेंद्र एक भारतीय फिल्म गायक थे। उन्होंने अपनी आवाज़ के लिए बहुत सारे पुरस्कार जीते हैं और उनके गाने भारतीय सिनेमा की दुनिया में मशहूर हैं।
2. शैलेंद्र की आवाज़ किसे कहा जाता है?
उत्तर: शैलेंद्र की आवाज़ को "गायक का जादूगर" कहा जाता है। उनकी गायकी में एक अद्वितीय मिठास और रोमांच होता है जो उन्हें अन्य गायकों से अलग करता है।
3. शैलेंद्र ने कितनी फिल्मों में गाया?
उत्तर: शैलेंद्र ने अपनी करियर में लगभग 700 से अधिक फिल्मों में गाया है। उन्होंने हिंदी सिनेमा के सभी मुख्य संगीतकारों के साथ काम किया है और उनके गाने आज भी प्रसिद्ध हैं।
4. शैलेंद्र ने किन-किन पुरस्कारों को जीता है?
उत्तर: शैलेंद्र ने अपने करियर में कई पुरस्कार जीते हैं। उनमें से कुछ प्रमुख पुरस्कार हैं - फिल्मफेयर अवॉर्ड, नेशनल फिल्म अवॉर्ड, फिल्मी गानों का विमोचन अवॉर्ड और दादासाहेब फाल्के पुरस्कार।
5. शैलेंद्र के कुछ प्रसिद्ध गाने कौन-कौन से हैं?
उत्तर: शैलेंद्र के कई प्रसिद्ध गाने हैं, जैसे कि "ये शाम मस्तानी," "चाहूंगा मैं तुझे साथी," "कहीं दूर जब दिन ढल जाए," "मेरे मितवा," "जाँ ए चंदा ले आवा किस ओर," "मेरे साजन हैं उस पार," "एक शाम भीगी भीगी," और "ये रातें ये मौसम नदी का किनारा"। ये सभी गाने आज भी बहुत प्रसिद्ध हैं और शैलेंद्र की आवाज़ का एक अद्वितीय पहचान हैं।
16 videos|201 docs|45 tests
Download as PDF
Explore Courses for Class 10 exam

Top Courses for Class 10

Signup for Free!
Signup to see your scores go up within 7 days! Learn & Practice with 1000+ FREE Notes, Videos & Tests.
10M+ students study on EduRev
Related Searches

Semester Notes

,

Previous Year Questions with Solutions

,

MCQs

,

study material

,

video lectures

,

pdf

,

पाठ का सार: तीसरी कसम के शिल्पकार शैलेंद्र | Hindi Class 10 (Sparsh and Sanchayan)

,

Viva Questions

,

mock tests for examination

,

past year papers

,

ppt

,

Free

,

Sample Paper

,

पाठ का सार: तीसरी कसम के शिल्पकार शैलेंद्र | Hindi Class 10 (Sparsh and Sanchayan)

,

shortcuts and tricks

,

Important questions

,

Objective type Questions

,

Extra Questions

,

Summary

,

Exam

,

practice quizzes

,

पाठ का सार: तीसरी कसम के शिल्पकार शैलेंद्र | Hindi Class 10 (Sparsh and Sanchayan)

;