UPSC Exam  >  UPSC Notes  >  भारतीय राजव्यवस्था (Indian Polity) for UPSC CSE in Hindi  >  प्रस्ताव , सकंल्प आदि - भारतीय राजव्यवस्था

प्रस्ताव , सकंल्प आदि - भारतीय राजव्यवस्था | भारतीय राजव्यवस्था (Indian Polity) for UPSC CSE in Hindi PDF Download

  1. राष्ट्रपति का अभिभाषण और धन्यवाद प्रस्ताव
  2. स्थगन प्रस्ताव
  3. ध्यानाकर्षण प्रस्ताव
  4. अल्पकालिक चर्चा
  5. अध्यक्ष की सम्मति से किये गए प्रस्ताव
  6. आधे घंटे की चर्चा में 
  7. संकल्प प्रस्तुत करना
  8. व्यवस्था का प्रश्न

राष्ट्रपति का अभिभाषण और धन्यवाद प्रस्ताव
अनुच्छेद 87(1) के अनुसार लोक सभा के लिये प्रत्येक साधारण निर्वाचन के पश्चात प्रथम सत्र के आरम्भ तथा प्रत्येक वर्ष के प्रथम सत्र के आरम्भ में साथ समवेत संसद के दोनों सदनों को राष्ट्रपति संबोधन करेगा तथा संसद को उसके आह्नान का कारण बताएगा।

लोक सभा के लिए प्रत्येक साधारण निर्वाचन के पश्चात् प्रथम सत्र के आरंभ में, सदस्यों द्वारा शपथ ले लिये जानेे अथवा प्रतिज्ञान कर लिये जाने और लोक सभा के अध्यक्ष के निर्वाचित हो जाने के बाद राष्ट्रपति साथ समवत संसद के दोनों सदनों को संबोधन करता है। राष्ट्रपति ने जब तक संबोधन न कर लिया हो तब तक और कोई कार्य नहीं किया जाता। प्रत्येक वर्ष के प्रथम सत्र के मामले में दोनों सदनों के सत्र के आरंभ होने के लिए अधिसूचित समय पर और तारीख को राष्ट्रपति संसद के दोनों सदनों को संबोधन करते हैं। अभिभाषण की समाप्ति के आधे घंटे के बाद, दोनों सदनों की अपने.अपने कक्षों में अलग - अलग बैठकें होती हैं और दोनों सभाओं के पटल पर राष्ट्रपति के अभिभाषण की एक प्रति रखी जाती है। 

राष्ट्रपति के अभिभाषण में निर्दिष्ट  मामलों पर चर्चा किसी सदस्य द्वारा प्रस्तुत तथा अन्य सदस्य द्वारा अनुमोदित धन्यवाद प्रस्ताव पर होती है। सुस्थापित प्रथा के अनुसार धन्यवाद प्रस्ताव के प्रस्तावक और अनुमोदन का चयन प्रधान मंत्री द्वारा किया जाता है। 

स्थगन प्रस्ताव
स्थगन प्रस्ताव का मुख्य उद्देश्य सभा के सामान्य कार्य को रोक कर अविलंबनीय लोक महत्व के मामले पर चर्चा करना है। किसी अविलंबनीय लोक महत्व के सुस्पष्ट मामले पर चर्चा करने के प्रयोजन से सभा के कार्य को स्थगित करने का प्रस्ताव अध्यक्ष की सम्मति और सभा की अनुमति से प्रस्तुत किया जा सकता है। सामान्यतया, सभा में ऐसा कोई कार्य, जो कार्य सूची में सम्मिलित न हो, सभा में नहीं लिया जा सकता। स्थगन प्रस्ताव एक असाधरण प्रक्रिया हैं। अध्यक्ष स्थगन प्रस्ताव को पेश करने की अनुमति तभी देता है जब उसको यह विश्वास हो जाये कि प्रस्तावित मामला सुस्पष्ट, अविलंबनीय और लोक महत्व का है। सभाके स्थगित होने के पूर्व प्रस्ताव को निपटाना होता है। अध्यक्ष्य प्रत्येक सूचना के गुण.दोषों के आधार पर लोक महत्व और अविलंबनीय के प्रश्न पर स्वविवेक से निर्णय करता है। 
सभा द्वारा स्थगन प्रस्ताव को पेश किये जाने की अनुमति दिये जाने और उस पर चर्चा के लिए समय निर्धारित किये जाने के बाद, अध्यक्ष निर्धारित समय पर, जो सामान्यतया 16.00 बजे होता है, प्रस्ताव पेश करने की अनुमति देता हैं। चर्चा के लिये ढाई घंटे का समय नियत होता है जब तक कि वाद.विवाद उससे पहले पूरा न हो जाये।

जब इस प्रस्ताव पर "कि सभा अब स्थगित होती है" चर्चा की जा रही हो, तो अध्यक्ष को उस दिन के लिये सभा को स्थगित करने की शक्ति प्राप्त नहीं है क्योंकि उस अवधि के दौरान सभा को स्थगित करने की शक्ति सभा के पास ही रहती है। सभा के स्थगित होने से पहले ही प्रस्ताव को निपटा देना होता है। यदि प्रस्ताव स्वीकृत हो जाये, तो सभा प्रस्ताव को स्वीकार करने के अनुसरण में अपने आप स्थगित हो जाती है। यदि प्रस्ताव को अस्वीकार कर दिया जाये तो थोड़ी देर के लिए उस कार्य को जो स्थगन प्रस्ताव के कारण स्थगित कर दिया गया था, अथवा अध्यक्ष उस दिन के लिए सभा को स्थगित कर देता है। तब सभा के अगले कार्यक्रम को फिर से शुरू किये बिना, यदि सामान्य रूप से सभा को स्थगित करने का समय हो गया हो, सभा को स्थगित किया जा सकता है। 

नौंवी लोक सभा की अवधि के दौरान 375 स्थगन प्रस्तावों की सूचनायें प्राप्त हुईं। इनमें 8 विषयों पर 9 सूचनायें गृहीत हुईं और उन पर चर्चा की गई जिसमें 3 घंटे और 2 मिनट का कुल समय लगा।
इन स्थगन प्रस्तावों के माध्यम से पंजाब में उग्रवादियों की गतिविधियों, राजनीति का अपराधीकरण के फलस्वरूप लोक तंत्र को खतरा, मूल्यों में बेतहाशा वृद्धि, मंडल आयोग की रिपोर्ट को लागू करने के निर्णय से उत्पन्न व्यापक हिंसा, साम्प्रदयिक शक्तियों पर रोक लगाने में सरकार की असफलता तथा संसद सदस्यों की निरर्हता के बारे में संविधान के उपबंधों का पालन करने में असफलता जैसे मामले पर चर्चा की गई। शेष 366 स्थगन प्रस्तावों की सूचनाओं को प्रस्तुत करने के लिये अध्यक्ष ने अनुमति नही दी।

ध्यानाकर्षण प्रस्ताव
कोई सदस्य, अध्यक्ष की पूर्व अनुज्ञा से अविलंबनीय लोक महत्व के किसी विषय की ओर मंत्री का ध्यान दिला सकता है और मंत्री तत्काल एक संक्षिप्त वक्तव्य दे सकता है या बाद में किसी अगली तिथि को वक्तव्य देने के लिए समय मांग सकता है। मंत्री द्वारा दिये गये किसी वक्तव्य पर वाद.विवाद की अनुज्ञा नहीं दी जायेगी। परन्तु ध्यान आकर्षित करने वाल प्रत्येक सदस्य एक स्पष्ट और संक्षिप्त स्पष्टीकरण संबंधी प्रश्न पूछ सकेगा। किसी ध्यानाकर्षण प्रस्ताव को अविलंबनीयता और लोक महत्व के आधार पर गृहीत किया जाता है। सभा की किसी एक बैठक में दो से अधिक ध्यानाकर्षण प्रस्ताव नहीं लिये जा सकते। एक ही दिन के लिये एक से अधिक विषयों पर सूचनायें प्राप्त होने की स्थिति में सामान्यता अध्यक्ष उस मामले को चुन लेता है जो उसकी राय में अधिक अविलंबनीय और महत्वपूर्ण हो।
ध्यानाकर्षण सूचनाओं की अवधारणा भारत की अपनी है। आधुनिक संसदीय प्रक्रिया में यह एक नयी बात है। 
नौवीं लोक सभा के कार्यकाल के दौरान अविलम्बनीय लोक महत्व के विषयों पर 3897 ध्यानाकर्षण सूचनायें प्राप्त हुई। इनमें से विभिन्न विषयों पर 175 सूचनायें गृहीत की गईं, यह प्राप्त कुल सूचनाओं के 4.5 प्रतिशत के बराबर है। गृहीत सूचनाओं के उत्तर में संबंधित मंत्रियों ने सभा में 24 वक्तव्य दिये

अल्पकालिक चर्चा
सदस्यों की अविलम्बनीयता लोक महत्व के विषयों पर चर्चा करने का अवसर देने के उद्देश्य से लोक सभा में मार्च, 1953 से एक प्रथा शुरू की गयी जिसके अंतर्गत सदस्य बिना किसी विधिवत प्रस्ताव अथवा मतदान के थोड़े समय के लिए चर्चा उठा सकते हैं। बाद में यह प्रक्रिया सभा के प्रक्रिया संबंधी नियमों में अंतविरष्ट कर दी गई।
इस प्रकार की चर्चा के बारे में सभा के सामने न तो कोई विधिवत प्रस्ताव होता है और न ही उस पर मतदान कराया जाता है। सूचना देने वाला सदस्य संक्षिप्त वक्त्वय दे सकता है और किसी अन्य सदस्य को , जिसने अध्यक्ष को पहले सूचना दे दी हो, चर्चा में भाग लेने की अनुमति दी जा सकती है। चर्चा के अंत में संबंधित मंत्री संक्षिप्त उत्तर देता है।
नौंवी लोक सभा के कार्यकाल के दौरान सदस्यों ने 24 अल्पकालिक चर्चायें उठायीं। जो महत्वपूर्ण चर्चा उठायी गयीं उनमें से कुछ साम्प्रदायिक स्थिति, एयरबस, ए.320 की दुर्घटना, असम स्थित अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति पर अत्याचार, मूल्यों में वृद्धि, तमिलनाडु में लिट्टे की गतिविधियां, महिलाओं पर अत्याचार, खाड़ी स्थिति और मंडल कमीशन रिपोर्ट आदि जैसे विषयों पर थी।

अध्यक्ष की सम्मति से किये गए प्रस्ताव
संविधान या लोक सभा के प्रक्रिया तथा कार्य संचालन संबंधी नियमों में अन्यथा उपबंधित व्यवस्था को छोड़कर अध्यक्ष की सम्मति से किये गये प्रस्ताव के बिना सामान्य लोकहित के विषय पर कोई चर्चा नहीं हो सकती।

यद्यपि कोई तरीका विशेष निर्धारित नहीं किया गया है, तथापि सामान्य लोकहित के विषायों पर चर्चा उठाने के लिये प्रस्तावो को दो रूपों में रखा जा सकता है। पहले तरीके के अंतर्गत, सभा पटल पर रखे गये दस्तावेज की ओर ध्यान देती है। दूसरे तरीके के अंतर्गत, सभा नि£दष्ट विषय से संबद्ध स्थिति पर विचार करती है।
पहला तरीका सामान्यतः ऐसे प्रस्ताव के बार में अपनाया जाता है किसमें सभा पटल पर रखे गये प्रतिवेदन अथवा वक्तव्य आदि पर चर्चा के लिए मांग की गयी हो। इस तरीके में किया गया प्रस्ताव अप्रतिबद्ध मूल प्रस्ताव होता है और चर्चा के अंत में सभा में मतदान कराने के लिए प्रस्तुत किया जाता है। इस प्रकार के प्रस्तावों पर लोक सभा के प्रक्रिया तथा कार्य संचालन संबंधी नियमों के नियम 191 के अंतर्गत चर्चा की जाती है। 

प्रस्ताव का दूसरा तरीका सामान्यतः उस सयम अपनाया जाता है, जब किसी नीति अथवा स्थिति अथवा वक्तव्य अथवा अन्य किसी विषय पर विचार किया जाना हो। इस प्रकार के प्रस्तावों पर लोक सभा के प्रक्रिया तथा कार्य संचालन संबंधी  नियमों के नियम 342 के अंतर्गत चर्चा की जाती है। इस प्रकार का प्रस्ताव सभा में मतदान के लिए नहीं रखा जाता और वाद-विवाद के समाप्त होने के बाद उस पर कोई और प्रश्न नहीं पूछा जाता। तथापि, यदि कोई सदस्य प्रारंभिक प्रस्ताव के बदले में कोई मूल प्रस्ताव रखे तो उस पर सभा का मत प्राप्त किया जाता है। 
नौंवी लोक सभा के कार्यकाल के दौरान 191 और 342 के अंतर्गत प्रस्तावों के माध्यम से उठाये गये महत्वपूर्ण विषयों में से निम्नलिखित विषय उल्लेखनीय हैंः
मंत्रिपरिषद में विश्वास अभिव्यक्त करना, पंजाब की स्थिति, कश्मीर घाटी के गुमराह लोगों से हिंसा त्यागने का आग्रह, नई सरकार बनाने हेतु नागालैंड के राज्यपा द्वारा अपनाई गई विधि के लिए उसके आचरण का निरनुमोदन आदि।

आधे घंटे की चर्चा में 
कोई सदस्य पर्याप्त लोक हित के किसी भी ऐसे मामले पर आधे घंटे की चर्चा उठा सकता है जिस पर हाल ही में कोई तारांकित, अतारांकित अथवा अल्प सूचना प्रश्न पूछा गया हो और उसके उत्तर के लिए तथ्यों को स्पष्ट करने की आवश्यकता हो। प्रायः आधे घंटे की चर्चा उठाने की सूचना, जिस दिन प्रश्न, जिसमें संबंधित तथ्यों की जानकारी मांगी गयी है, का उत्तर सभा में दिया गया है, उसके तत्काल बाद अथवा उसके तीन दिन के अन्दर दी जानी चाहिए। चर्चा आधे घंटे तक सीमित रहती है और सभा की बैठक के अंतिम तीस मिनटों में होती है। बजट सत्र को छोड़कर अन्य सत्रों में आधे घंटे की चर्चा सप्ताह में तीन दिन होती है। बजट सत्र के दौरान प्रायः एक से अनधिक आधे घंटे की चर्चा, नियम 193 के अंतर्गत चर्चा अथवा अनियमित दिन वाले प्रस्ताव वित्तीय कार्य के निपटान तक सप्ताह में एक बार रखे जाते हैं। किन्तु सत्र के अंतिम कुछ दिनों में इस प्रकार की एकाधिक चर्चा की अनुमति दी जा सकती है। आधे घंटे की चर्चा पर मतदान नहीं कराया जाता, क्यांेकि सभा के सामने विधिवत् कोई प्रस्ताव नहीं होता। 

संकल्प प्रस्तुत करना

प्रक्रिया संबंधी नियमों के अध्यधीन कोई सदस्य या मंत्री सामान्य लोक हित के विषय के संबंध में संकल्प प्रस्तुत कर सकता है। संकल्पों को मोटे तौर पर तीन श्रेणियों में विभक्त किया जा सकता हैः
(1)    वे संकल्प जिन पर सभा में केवल विचार व्यक्त किये जाते है, 
(2)    सांविधिक प्रभाव वाले संकल्प, और
(3)    वे संकल्प जिन्हें सभा स्वयं अपनी कार्यवाही के विनियमन के बारे में परित करती है।

संकल्पों को इस रूप में भी श्रेणीकृत किया जा सकता हैः
(1)    गैर.सरकारी सदस्यों के संकल्प,
(2)    सरकारी संकल्प, और
(3)    सांविधिक संकल्प।

संकल्प राय की घोषणा अथवा सिफारिश के रूप में हो सकता है या ऐसे रूप में हो सकता है जिससे कि सरकार के किसी काम अथवा नीति का सभा द्वारा अनुमोदन या निरनुमोदन अधिलिखित किया जाये या कोई संदेश दिया जाये या किसी कार्यवाही के लिए संस्तवन, अनुरोध या प्रार्थना की जाये; या किसी विषय अथवा स्थिति पर सरकार द्वारा पुन£वचार के लिए ध्यान आकर्षित किया जाये या किसी ऐसे अन्य रूप में जो अध्यक्ष उचित समझे।
संकल्प का उद्देश्य समूची सभा की राय की जानकारी देना होना चाहिए, न कि उसके एक वर्ग की। इसके अतिरिक्त संकल्प का विषय किसी सामान्य लोक हित से संबद्ध होना चाहिये और केवल उन्हीं मामलों के बारे में संकल्प लाया जा सकता है जो बुनियादी तौर पर भारत सरकार से संबद्ध है।
सत्र के प्रत्येक वैकल्पिक शुक्रवार को बैठक के अंतिम ढाई घंटे का समय सामान्यतः गैर.सरकारी सदस्यों के संकल्पों पर चर्चा के लिए नियम किया जाता है। 
सरकारी संकल्प उन्ही नियमों के अधीन होते हैं जिन नियमों के अधीन गैर-सरकारी सदस्यों के संकल्प होते हैं। मोटे तौर पर सरकारी संकल्पों के निम्नलिखित श्रेणियों में वर्गीकृत किया जा सकता हैः

(1)    अंतराष्ट्रीय संधियों, समारोहों या करारो का, जिनमें एक पक्ष सरकार है, अनुमोदन करने वाले संकल्पः
(2)    सरकार की कतिपय नीतियों की घोषणा या उनका अनुमोदन करने वाले संकल्प ; तथा
(3)    कतिपय समितियों की सिफारिशों का अनुमोदन करने वाले संकल्प।

सांविधिक संकल्प वे संकल्प हैं, जो संविधान अथवा संसद के अधिनियम के किसी उपबंध के अनुसरण में प्रस्तुत किये जाते हैं। इस प्रकार के संकल्प सरकारी तथा गैर-सरकारी सदस्य दोनों के द्वारा प्रस्तुत किये जा सकते हैं। कुछ अधिनियमों के मामले में सरकार से स्पष्ट रूप से यह अपेक्षा की जाती है कि वह एक  निर्दिष्ट अवधि के भीतर संकल्प प्रस्तुत करे।
नौवीं लोक सभा के कार्यकाल के दौरान कुल मिलाकर 34 संकल्पों पर चर्चाकी गई जबकि आठवीं लोक सभा में 83; सातवीं लोक सभा में 110; छठी लोक सभा में 26; पांचवीं लोक सभा में 140; चैथी लोक सभा में 83; और पहली लोक सभा मे 67

नौवीं लोक सभा में जिन 34 संकल्पों पर चर्चा की गई उनमें से 4 सरकारी संकल्प थे और सभी स्वीकार कर लिये गये। इसमें 20 सांविधिक संकल्प थे जिनमें से 12 स्वीकार कर लिए गये। 5 गैर.सरकारी सदस्यों के संकल्प थे जिनमें से 1 स्वीकार कर लिया गया। 5 संकल्पों पर प्रस्ताव अध्यक्ष ने किया और सभी स्वीकार कर लिए गए।

प्रश्न VIII का उत्तर
कोई भी सदस्य सभा के नियम अथवा कानून के भंग किये जाने के किसी भी मामले की ओर अध्यक्ष का ध्यान तुरन्त आकर्षित कर सकता है। व्यवस्था का प्रश्न सभा के प्रक्रिया तथा कार्य संचालन संबंधी नियमों अथवा परम्पराओं अथवा सभा के कार्य संचालन को विनियमित करने वाले संविधान के अनुच्छेदों की व्याख्या अथवा उन्हें लागू किये जाने से संबद्ध होना चाहिए ओर अध्यक्ष के विचाराधिकार में होने चाहिएं। यह प्रश्न किसी ऐसे कार्य को लेकर उठाया जा सकता है जो उस समय सभा के सामने हो। व्यवस्था का प्रश्न विशेषाधिकार का प्रश्न नहीं है और कोई भी सदस्य जानकारी मांगने के लिए या अपनी स्थिति स्पष्ट करने के लिए व्यवस्था का प्रश्न नहीं उठा सकता। सूचनाओं की ग्राह्यता के बारे में अध्यक्ष के निर्णय के विरुद्ध व्यवस्था का प्रश्न नहीं उठाया जा सकता। नौवीं लोक सभा के कार्यकाल के दौरान व्यवस्था के 214 प्रश्न उठाये गये और उन पर 8 घंटे तथा 39 मिनट का समय लगा। इनमें से अध्यक्ष ने व्यवस्था के केवल 17 प्रश्न स्वीकार किये।

The document प्रस्ताव , सकंल्प आदि - भारतीय राजव्यवस्था | भारतीय राजव्यवस्था (Indian Polity) for UPSC CSE in Hindi is a part of the UPSC Course भारतीय राजव्यवस्था (Indian Polity) for UPSC CSE in Hindi.
All you need of UPSC at this link: UPSC
184 videos|557 docs|199 tests

Top Courses for UPSC

FAQs on प्रस्ताव , सकंल्प आदि - भारतीय राजव्यवस्था - भारतीय राजव्यवस्था (Indian Polity) for UPSC CSE in Hindi

1. यूपीएससी क्या है?
उत्तर: यूपीएससी (UPSC) भारतीय संघ की संघनिय सेवाओं की भर्ती के लिए एक संघर्ष कर्मचारी चयन आयोग है। यह भारतीय प्रशासनिक सेवा, भारतीय विदेश सेवा, भारतीय पुलिस सेवा, भारतीय वित्त सेवा, भारतीय रेल सेवा, आदि जैसी विभिन्न संघीय सेवाओं की भर्ती करता है।
2. UPSC के लिए पात्रता मानदंड क्या हैं?
उत्तर: UPSC के लिए पात्रता मानदंड नागरिकता, आयु, शारीरिक योग्यता, शिक्षागत योग्यता, और अन्य विशेष योग्यता परीक्षाओं के आधार पर निर्धारित किए जाते हैं। प्रत्येक संघीय सेवा के लिए अलग-अलग पात्रता मानदंड होते हैं और उम्मीदवारों को उनमें से एक या एक से अधिक पात्रता मानदंड पूरे करने होते हैं।
3. UPSC परीक्षा की तिथियाँ क्या हैं?
उत्तर: UPSC प्रतिवर्ष विभिन्न संघीय सेवाओं की भर्ती के लिए अधिसूचना जारी करता है। प्रायोगिक परीक्षा (प्रीलिम्स) और मुख्य परीक्षा (मेन्स) के लिए अलग-अलग तिथियाँ निर्धारित की जाती हैं। उम्मीदवारों को प्रायोगिक परीक्षा के लिए अभियांत्रिकी, सामान्य अध्ययन, और अभिरुचियों के विषयों पर प्रश्नों का सामरिक पेपर देना होता है। मुख्य परीक्षा में उम्मीदवारों को विभिन्न विषयों पर निबंध, सामान्य अध्ययन, और वैकल्पिक विषयों के पेपर देने होते हैं।
4. UPSC परीक्षा में सामान्य अध्ययन कितने प्रमुख हिस्सों में विभाजित होता है?
उत्तर: UPSC परीक्षा में सामान्य अध्ययन चार प्रमुख हिस्सों में विभाजित होता है - इतिहास, भूगोल, अर्थव्यवस्था, और राजनीति विज्ञान। इन हिस्सों में से प्रश्न पूछे जाते हैं और उम्मीदवारों को उनके ज्ञान, समझ, और विश्लेषण का प्रदर्शन करना होता है।
5. UPSC परीक्षा की संघीय सेवाएं क्या हैं?
उत्तर: UPSC परीक्षा के माध्यम से निम्नलिखित संघीय सेवाओं की भर्ती की जाती है - भारतीय प्रशासनिक सेवा (IAS), भारतीय विदेश सेवा (IFS), भारतीय पुलिस सेवा (IPS), भारतीय वित्त सेवा (IFS), भारतीय रेल सेवा (IRS), और अन्य संघीय सेवाएं। ये संघीय सेवाएं देश के विभिन्न क्षेत्रों में अधिकारियों की पदों को भरती हैं और संघ और राज्य सरकारों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं।
184 videos|557 docs|199 tests
Download as PDF
Explore Courses for UPSC exam

Top Courses for UPSC

Signup for Free!
Signup to see your scores go up within 7 days! Learn & Practice with 1000+ FREE Notes, Videos & Tests.
10M+ students study on EduRev
Related Searches

सकंल्प आदि - भारतीय राजव्यवस्था | भारतीय राजव्यवस्था (Indian Polity) for UPSC CSE in Hindi

,

Summary

,

Viva Questions

,

Important questions

,

Extra Questions

,

mock tests for examination

,

ppt

,

प्रस्ताव

,

Sample Paper

,

past year papers

,

सकंल्प आदि - भारतीय राजव्यवस्था | भारतीय राजव्यवस्था (Indian Polity) for UPSC CSE in Hindi

,

shortcuts and tricks

,

Objective type Questions

,

practice quizzes

,

video lectures

,

study material

,

pdf

,

Previous Year Questions with Solutions

,

प्रस्ताव

,

सकंल्प आदि - भारतीय राजव्यवस्था | भारतीय राजव्यवस्था (Indian Polity) for UPSC CSE in Hindi

,

Free

,

प्रस्ताव

,

MCQs

,

Exam

,

Semester Notes

;