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मानवाधिकार आयोग - संशोधन नोटस, भारतीय राजव्यवस्था | भारतीय राजव्यवस्था (Indian Polity) for UPSC CSE in Hindi PDF Download

आयोग का गठन एवं कार्य

  • राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग का गठन अक्टूबर 1993 में भारत के राष्ट्रपति द्वारा जारी एक अध्यादेश द्वारा हुआ।
  • भारतीय संसद द्वारा इस अध्यादेश के स्थान पर एक अधिनियम बनाया गया जोकि 8 जनवरी, 1994 से लागू हो गया। आयोग इसी अधिनियम की परिधि में कार्य करता है।
  • राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के प्रथम अध्यक्ष भारत के उच्चतम न्यायालय के भूतपूर्व मुख्य न्यायाधीश रंगनाथ मिश्र को नियुक्त किया गया।
  • वर्तमान में इस आयोग के अध्यक्ष उच्चतम न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायमूर्ति एम.एन. वेंकटचलैया हैं।

कार्य

  • पीड़ित व्यक्ति या उसकी ओर से किसी अन्य व्यक्ति द्वारा मानवाधिकार हनन या उल्लंघन की शिकायत की जाँच करना। किसी सरकारी व्यक्ति द्वारा इन अधिकारों को अनदेखा करने पर आयोग द्वारा इसकी जाँच करना।
  • मानवाधिकार आयोग अदालत के अनुमोदन से उस अदालत में लम्बित मानवाधिकार उल्लंघन से सम्बन्धित किसी भी मामले की कार्यवाही में हस्तक्षेप कर सकता है।
  • राज्य सरकार को सूचित कर उसके नियंत्राण में कोई भी जेल या कोई भी अन्य संस्था, जहाँ व्यक्तियों को सुधार, बचाव या इलाज के लिए रखा जाता हो, वहाँ की स्थिति को देखना और उस पर अपनी संस्तुति देना।
  • संविधान के अन्तर्गत प्रदान किए गए अधिकारों या मानवाधिकारों की रक्षा हेत लागू किसी अन्य कानून द्वारा प्रदान किए गए रक्षा उपायों का पुनरीक्षण और उन्हें प्रभावी ढंग से लागू कराने के लिए कार्यवाही करना।
  • आतंकवादी कार्यों सहित उन तथ्यों का पुनरीक्षण करना जो मानवाधिकारों के उपयोग करने में रुकावट डालते है तथा उन्हें दूर करने के लिए उचित कदमों की संस्तुति करना।
  • मानवाधिकारों पर अन्तर्राष्ट्रीय विधियों तथा संधियों का अध्ययन करना तथा उनके समुचित लागूकरण के लिए संतुति करना।
  • मानवाधिकार के क्षेत्र में शोध करना और ऐसे कार्यों को प्रोत्साहित करना।
  • समाज के विभिन्न वर्गों में मानवाधिकार शिक्षा को बढ़ावा देना और इन अधिकारों के रक्षा उपायों के प्रति प्रकाशन, संचार माध्यमों और अन्य उपलब्ध माध्यमों से जागरुकता बढ़ाना।
  • मानवाधिकार के क्षेत्र में काम कर रहे गैर-सरकारी संगठनों तथा अन्य संस्थाओं के प्रयासों को बढ़ावा देना।
  • मानवाधिकार की उन्नति के लिए अन्य इसी प्रकार के आवश्यक समझे जाने वाले कार्य करना।
  • आयोग के कार्य एकदम पारदर्शी प्रणाली के है। ऐसा कोई भी व्यक्ति जिसे लगता है कि उसे किसी भी प्रकार से परेशान किया जा रहा है तथा उसके मानवाधिकारों का हनन किया जा रहा है, वह आयोग का दरवाजा खटखटा सकता है।

आयोग के मुख्य कदम

  • सभी जिला मजिस्ट्रेट तथा सभी जिला पुलिस अधीक्षकों को निर्देश दिए गए है कि हिरासत में होने वाली मौतों और बलात्कार आदि की घटनाओं की जानकारी तुरंत अथवा अधिकारियों की जानकारी में आने के चैबीस घन्टों के अंदर मानवाधिकार आयोग को दी जाए।
  • आयोग ने सभी राज्यों और केन्द्रशासित प्रदेशों से राज्य स्तर पर मानवाधिकार आयोग बनाने के लिए कहा है। प्रत्येक जिले में एक सत्रा न्यायालय को मानवाधिकार अदालत के रूप में लगाने के लिए कहा गया है, जो मानवाधिकार संरक्षण अधिनियम 1993 की धारा 21 तथा 30 के अन्तर्गत होगी।
  • आयोग ने सभी विश्वविद्यालयों के उप-कुलपतियों से अध्ययन की विभिन्न प्रणालियों के और विषयों के साथ मानवाधिकार को एक विषय के रूप में सम्मिलित करने का अनुरोध किया है। इसके प्रत्युत्तर में अधिकांश विश्वविद्यालयों ने इस प्रकार के शिक्षण में अपनी रुचि दिखाई है।
  • स्कूलों में भी मानवाधिकार को एक पाठ्यक्रम के रूप में सम्मिलित करने के लिए मानव संसाधन विकास मंत्रालय और एन. सी. ई. आर. टी. से बातचीत चल रही है। एन. सी. ई. आर. टी. बच्चों के लिए एक पुस्तक तैयार करेगा जो बच्चों को मानवाधिकार के बारे में जानकारी देगी।
  • आयोग के प्रयासों के परिणामस्वरूप राष्ट्रीय पुलिस अकादमी हैदराबाद, राज्य पुलिस प्रशिक्षण संस्थानों तथा सशó बलों के प्रशिक्षण संस्थानों ने अपने पाठ्यक्रमों में मानवाधिकार का प्रशिक्षण देना प्रारम्भ कर दिया है।
  • सभी बड़े राजनीतिक दलों के अध्यक्षों को मानवाधिकार संस्कृति को बनाने के व्यवहार दर्शाने के लिए कहा गया है। साथ ही दल के एक वरिष्ठ सदस्य को कमीशन के साथ लगातार सम्पर्क हेत नामित करने के लिए कहा गया है।
  • गैर सरकारी संस्थाओं की एक निर्देशिका बनाने का भी प्रस्ताव आयोग ने रखा है ताकि मानवाधिकार संरक्षण का काम आसानी से हो सके और देश में मानवाधिकार के सम्मान पर आधारित संस्कृति का विकास किया जा सके।
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FAQs on मानवाधिकार आयोग - संशोधन नोटस, भारतीय राजव्यवस्था - भारतीय राजव्यवस्था (Indian Polity) for UPSC CSE in Hindi

1. मानवाधिकार आयोग क्या है?
उत्तर. मानवाधिकार आयोग भारत में एक स्वायत्त संगठन है जो मानवाधिकारों के संरक्षण और संवर्धन के लिए गठित किया गया है। यह सरकारी निकाय अन्य सरकारी विभागों और संगठनों की ओर से उन्हें दिए गए कार्यों का निरीक्षण करता है और उनके खिलाफ शिकायतों की संग्रह और जांच करता है।
2. मानवाधिकार आयोग के कार्य क्षेत्र क्या हैं?
उत्तर. मानवाधिकार आयोग का कार्यक्षेत्र व्यापक है और इसके अंतर्गत विभिन्न मानवाधिकारों के मुद्दों पर कार्रवाई की जाती है। यह संगठन जातिवाद, जाति से उत्पन्न विवाद, धर्मान्धता, बाल मजदूरी, महिला सशक्तिकरण, नगरिकता, यौन उत्पीड़न, दलितों की समस्याएं, आरक्षण, जनसंख्या नियंत्रण, बाल विवाह, बालिका भ्रूण हत्या, बच्चों की शोषण, श्रमिकों के हक के मुद्दे, लैंगिक समानता, आदि पर कार्रवाई करता है।
3. मानवाधिकार आयोग किस तरीके से शिकायतों के बारे में जानकारी देता है?
उत्तर. मानवाधिकार आयोग शिकायतों की संग्रह और जांच के लिए विभिन्न तरीकों का उपयोग करता है। व्यक्ति आयोग की वेबसाइट पर जा सकता है और वहां ऑनलाइन शिकायत दर्ज कर सकता है। इसके अलावा, आयोग के कई शाखाओं और कार्यालयों में लिखित शिकायत पत्र भी जमा किए जा सकते हैं। साथ ही, आयोग ने अपने ऑनलाइन पोर्टल और हेल्पलाइन संख्या के माध्यम से भी शिकायतों के बारे में जानकारी देने का प्रयास किया है।
4. मानवाधिकार आयोग का उद्देश्य क्या है?
उत्तर. मानवाधिकार आयोग का मुख्य उद्देश्य मानवाधिकारों के संरक्षण और प्रोत्साहन का सुनिश्चित करना है। यह संगठन लोगों को उनके मूल्यों, स्वतंत्रता, और समानता के बारे में जागरूक करने का कार्य करता है। इसके साथ ही, आयोग न्यायपालिका, केंद्रीय और राज्य सरकारों के संगठनों को मानवाधिकारों के प्रति जागरूक करता है और उन्हें उच्चतम मानवाधिकारों के मामलों में कार्रवाई करने के लिए प्रोत्साहित करता है।
5. मानवाधिकार आयोग के कार्यालय कहाँ स्थित हैं?
उत्तर. मानवाधिकार आयोग का मुख्य कार्यालय नई दिल्ली में स्थित है। इसके अलावा, आयोग के कई उपकार्यालय और शाखाएं भारत भर में फैली हुई हैं जो देशभर में मानवाधिकारों के मामलों के निरीक्षण और संग्रह करती हैं।
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