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लेखांश - 6 (Mental Ability) UPSC Previous Year Questions | UPSC Topic-wise Previous Year Questions (Hindi) PDF Download

निम्नलिखित (8) आठ प्रश्नांशों के लिए निर्देशः
निम्नलिखत सात परिच्छेदों को पढिए़ और उनके नीचे आने वाले प्रश्नांशों के उत्तर दीजिए। इन प्रश्नांशों के आपके उत्तर केवल परिच्छेदों पर ही आधारित होने चाहिए।

परिच्छेद-1

अपेक्षाकृत समृद्ध राज्यों की यह जिम्मेदारी बनती है कि वे कार्बन उत्सर्जन को कम करें और स्वच्छ ऊर्जा उत्पादन में निवेश को प्रोत्साहित करें। ये वे राज्य हैं, जिनको बिजली उपलब्ध है, जिनका विकास अपेक्षाकृत तीव्र गति से हुआ है और जिनकी प्रति व्यक्ति आय अब उच्च है, जिस कारण वे भारत को पर्यावरण-अनुकूली बनाने का भार वहन करने हेतु सक्षम हुए हैं। दिल्ली, उदाहरण के लिए, इस रूप में मदद कर सकती है कि वह छतों के ऊपर सौर पैनल के प्रयोग से अपने स्वयं के उपयोग की स्वच्छ बिजली उत्पादित करे या वह निर्धन राज्यों को उनकी स्वच्छ ऊर्जा परियोजनाओं के लिए वित्तपोषण करके भी मदद कर सकती है। यह कोई छिपी हुई बात नहीं है कि राज्य विद्युत बोर्ड, जो वितरण परिपथ-जल (डिस्ट्रिब्यूशन नेटवर्क) के 95% भाग को नियंत्रित करते हैं, अत्यधिक गहरे घाटे में डूबे हुए हैं। ये घाटे आगे राज्य के सेवा प्रदाताओं (युटिलिटीज) को नवीकरणीय ऊर्जा को अपनाने से हतोत्साहित करते हैं क्योंकि नवीकरणीय ऊर्जा को अपनाना जीवाश्मी इंधनों को अपनाने से अधिक महंगा है
प्रश्न.114. निम्नलिखित में से कौन-सी सर्वाधिक तार्किक और युक्तिसंगत पूर्वधारणा उपर्युक्त परिच्छेद से बनाई जा सकती है?   (2015)
(क) अपेक्षाकृत समृद्ध राज्यों को नवीकरणीय ऊर्जा उत्पादित करने और अपनाने में अग्रणी होना चाहिए।
(ख) निर्धन राज्यों को विद्युत के लिए सदा समृद्ध राज्यों पर निर्भर रहना पड़ता है।
(ग) राज्य विद्युत बोर्ड स्वच्छ ऊर्जा परियोजनाओं को अपनाकर अपनी वित्तीय स्थिति में सुधार ला सकते हैं।
(घ) समृद्ध और निर्धन राज्यों के बीच अत्यधिक आर्थिक असमानता, भारत में अधिक कार्बन उत्सर्जन का प्रमुख कारण है।
उत्तर. (क)
उपाय.
(क) विकल्प सत्य है, क्योंकि यह पूर्वधारणा परिच्छेद के प्रथम भाग में अन्तनिर्हित है जिसका आशय है कि विकसित एवं समृद्धशाली राष्ट्र भारत के बोझ को हल्का करने में समर्थ हैं जिससे भारत पारितंत्र पोषणीय राष्ट्र बन सके।
(ख) विकल्प निरर्थक है, क्योंकि परिच्छेद में कहीं भी इस तथ्य का वर्णन नहीं है कि गरीब देश समृद्धशाली देशों पर विद्युत हेतु निर्भर हैं।
(ग) विकल्प गलत है, क्योंकि स्वच्छ ऊर्जा परियोजनाएँ परम्परागत खनिज ईंधनों की तुलना में मंहगी हैं।
(घ) विकल्प गलत है, क्योंकि भारत में उच्च कार्बन उत्सर्जन का प्रमुख कारण विकास है; जिसमें सस्ते ऊर्जा स्रोतों का उपयोग किया जाता है, जो अत्यधिक कार्बन का उत्सर्जन करते हैं।


परिच्छेद-2

"स्टेंच ऑफ़ केरोसीन", ग्रामीण पृष्ठभूमि में सजाई गई, अनेक वर्षाें से विवाहित किंतु निःसंतान दम्पत्ति गुलेरी और मानक की कहानी है। मानक की मां खानदान के नाम को आगे जारी रखने हेतु एक पोता पाने के लिए तड़प रही है। अतः वह गुलेरी की गैर मौजूदगी में मानक का पुनर्विवाह करा देती है। मानक को, जो अनिच्छुक और निष्क्रिय दर्शक सा बना रहता है, इस बीच उसका एक मित्र सूचित करता है कि गुलेरी ने पति के दूसरे विवाह की बात सुनकर अपने कपडा़ें पर केरोसीन डाल कर आग लगा ली थी। इससे मानक का दिल टूट जाता है और वह एक मुर्दा इन्सान की तरह जीवन व्यतीत करने लगता है। जब उसकी दूसरी पत्नी एक पुत्र को जन्म देती है, तो मानक बच्चे को बहुत देर तक घूरता रहता है और फिर फूट पड़ता है, ‘‘इसे यहां से दूर करो। इससे केरोसीन की दुर्गंध आती है।’’
प्रश्न.115. यह संवेदनशील समस्या-आधारित कहानी पाठकों को किसके बारे में जागरूक करने का प्रयास करती है?   (2015)
(क) पुरुषवाद (मेल शोविनिज्म) और अन्यगमन (इनफिडेलिटी)
(ख) प्यार और विश्वासघात
(ग) महिलाओं के लिए विधिक संरक्षण की कमी
(घ) पितृतंत्रात्मक मनोवृत्ति का प्रभाव
उत्तर. (घ)
उपाय.
(क) विकल्प गलत है, क्योंकि परिच्छेद में पुरूष उग्रराष्ट्रीयता तथा अधर्मता का कही वर्णन नहीं है।
(ख) विकल्प गलत है, क्योंकि प्रेम तथा विश्वासघात कोई मुद्दा नहीं है जिसे परिच्छेद में संवेदनशील बनाने का प्रयास किया गया हो।
(ग) विकल्प गलत है, यह परिच्छेद महिलाओं के लिए वैधानिक सुरक्षा की कमी से संबंधित नहीं है। गुलेरी ने इस तरह की किसी भी प्रकार की सुरक्षा का सहारा नहीं लिया।
(घ) विकल्प सही है जैसा कि विकल्प (ख) में वर्णित है। मानक की माँ ही इस परिस्थिति की मुख्य कारण थी। वह अपनी पत्नी के प्रेम को महसूस नहीं कर सका क्योंकि उसके ऊपर उसकी माँ का वर्चस्व था।


परिच्छेद-3

सरकार का चरम लक्ष्य डराकर शासन करना या नियंत्रण करना नहीं है, और न ही आज्ञाकारिता की अपेक्षा रखना है, बल्कि उसके विपरीत, प्रत्येक व्यक्ति को डर से मुक्त करना है जिससे वह हर तरह से संभव सुरक्षित जीवन जी सके। दूसरे शब्दों में लोगों के, बिना खुद को या दूसरों को हानि पहुंचाए, अस्तित्व बनाए रखने और काम करने के नैसर्गिक अधिकार को सशक्त करना है। सरकार का उद्देश्य लोगों को विवेकशील व्यक्तियों से बदल कर उन्हें पशु या कठपुतलियां बनाना नहीं है। सरकार को इस प्रकार सहायक होना चाहिए कि लोग सुरक्षित महसूस करते हुए अपनी बुद्धि और शरीर को विकसित करने और मुक्त हो कर अपने विवेक का प्रयोग करने में समर्थ बन सकें।
प्रश्न.116. निम्नलिखित में से कौन-सा सर्वाधिक तार्किक और युक्तिसंगत अनुमान (इनफेरेंस) उपर्युक्त परिच्छेद से निकाला जा सकता है?   (2015)
(क) सरकार का वास्तविक लक्ष्य नागरिकों की सामाजिक एवं राजनीतिक स्वतंत्रता सुरक्षित करना है।
(ख) सरकार का प्राथमिक सरोकार अपने सभी नागरिकों को पूर्ण सामाजिक सुरक्षा प्रदान करना है।
(ग) सर्वश्रेष्ठ सरकार वह है जो नागरिकों को जीवन के सभी विषयों में पूर्ण स्वतंत्रता देती है।
(घ) सर्वश्रेष्ठ सरकार वह है जो देश के लोगों को पूर्ण शारीरिक सुरक्षा प्रदान करती है।

उत्तर. (ख)
उपाय.
(क) विकल्प गलत है, क्योंकि इस परिच्छेद में सामाजिक तथा राजनैतिक स्वतंत्रता का वर्णन नहीं है बल्कि इसमें सामाजिक सुरक्षा के बारे में बताया गया है।
(ख) विकल्प सही है, क्योंकि इस परिच्छेद में सभी नागरिकों के पूर्ण सामाजिक सुरक्षा की बात की गई है जो इस परिच्छेद का सार तत्व है। ''प्रथम वाक्य का अवलोकन करें प्रत्येक मनुष्य भय से मुक्त हो अर्थात् वह पूर्णतया सुरक्षा में जी सके''
(ग) विकल्प गलत है, क्योंकि इस परिच्छेद में, जीवन के सभी मामलों में पूर्ण स्वतंत्रता की बात नहीं की गई है बल्कि नागरिकों के मानसिक विकास तथा शारीरिक सुरक्षा के बारे में बताया गया है। अंतिम वाक्य का अवलोकन करें।
(घ) विकल्प गलत है, क्योंकि परिच्छेद पूर्ण सुरक्षा के बारे में वर्णन करता है, मात्र शारीरिक सुरक्षा की नहीं। जैसा कि प्रथम वाक्य में उल्लेखित ’सभी सम्भव सुरक्षा’ का तात्पर्य शारीरिक तथा मानसिक सुरक्षा है। (अन्तिम वाक्य को देखें)


परिच्छेद-4

हमारे नगर निगमों में कर्मचारियों की कमी है। कर्मचारियों के कौशलों और सक्षमताओं का मुद्दा और भी बड़ी चुनौती खड़ी करता है। शहरी सेवाओं के प्रदान किए जाने की और आधारिक संरचना की योजना बनाना और निष्पादित करना बहुत जटिल कार्य है। इनके लिए उच्च कोटि की विशेषज्ञता और वृत्ति-दक्षता (प्रोफेशनलिज्म) की आवश्यकता है। वर्तमान में जिस ढाँचे के अंतर्गत नगर निगमों में वरिष्ठ प्रबंधकों समेत कर्मचारियों की भरती की जा रही है, उसमें अपेक्षित तकनीकी और प्रबधंकीय सक्षमताओं के लिए पर्याप्त रूप से प्रावधान नहीं हैं। काडर और भर्ती नियम सिर्फ न्यूनतम शैक्षिक योग्यताओं का निर्धारण करते हैं। उनमें प्रबंधकीय या तकनीकी सक्षमताओं का, या संगत कार्य अनुभव का कोई उल्लेख नहीं होता। अधिकांश नगर निगमों की यही स्थिति है। उनका संगठनीय अभिकल्प (डिजा़इन) और संरचना भी कमजोर है।
प्रश्न.117. निम्नलिखित में से कौन सी सर्वाधिक तार्किक और युक्तिसंगत पूर्वधारणा (अजम्प्शन) उपर्युक्त परिच्छेद से बनाई जा सकती है? (2015)
(क) शहरी सेवाओं के प्रदान किए जाने का कार्य बहुत जटिल मुद्दा है, जिसके लिए पूरे देश में नगर निकायों के संगठन-विस्तार की आवश्यकता है।
(ख) हमारे शहर बेहतर गुणतायुक्त जीवन उपलब्ध करा सकते हैं यदि हमारे स्थानीय शासकीय निकायों के पास अपेक्षित कौशल और सक्षमताओं वाले यथेष्ट कर्मचारी हों।
(ग) कौशलयुक्त कर्मचारियों की कमी ऐसी संस्थाओं के अभाव के कारण है जो नगर प्रबधंन में अपेक्षित कौशल प्रदान करें।
(घ) हमारा देश तीव्रता से हो रहे शहरीकरण की समस्याओं के प्रबंधन के लिए जनांकिकीय लाभांश (डेमोग्राफिक डिविडेंड) का लाभ नहीं उठा रहा है।
उत्तर. (ख)
उपाय.
(क) विकल्प गलत है, क्योंकि परिच्छेद देश के सभी नगर निगम की संस्थाओं के संगठनात्मक विस्तार के बारे में वर्णन नहीं करता है।
(ख) विकल्प सही है, क्योंकि परिच्छेद स्थानीय सरकारी संस्थाओं अथवा नगर निगम में आवश्यक कौशल तथा क्षमता वाले पर्याप्त कर्मचारियों की कमी के बारे में वर्णन करता है, तथा इसका भी उल्लेख करता है कि इन कौशलों की बहुत आवश्यकता है, क्योंकि संचालन बहुत जटिल है। अतः यह कथन कि हमारे नगर अच्छे कौशल से युक्त कर्मचारियों से उच्च गुणवत्ता वाली जीवन शैली प्रदान कर सकते हैं, सीमित है।
(ग) विकल्प गलत है, क्योंकि परिच्छेद कुशल कर्मचारियों की कमी के कारण के बारें में उल्लेख नहीं करता है।
(घ) विकल्प गलत है, क्योंकि जनसंख्या लाभांश तथा तीव्रता से हो रहे शहरीकरण से सम्बन्धित समस्याएँ परिच्छेद के सन्दर्भ से बाहर है।


परिच्छेद-5

वनों में बड़े झुण्डों में रहने वाले फ्लेमिंगो सामाजिक और अत्यंत निष्ठावान होते हैं। वे समूह संगम नृत्य करते हैं। नर और मादा पक्षी अपने चूज़ों से बहुत प्यार करते हैं, और जब नर और मादा दोनों भोजन की तलाश में दूर उड़ जाते हैं तब सुरक्षा के लिए उन चूज़ों को क्रेशों में एकत्र रख जाते हैं।    (2015)
प्रश्न.118. निम्नलिखित में से कौन-सा, उपर्युक्त परिच्छेद का सबसे तर्कसंगत उपनिगमन (कोरोलरी) है?
(क) सभी स्पीशीज के पक्षियों में सामूहिक नीड़न (मास नेस्टिंग) अनिवार्य है ताकि उनकी संततियाँ पूरी तरह जीवित बनी रहें।
(ख) सिर्फ पक्षियों में सामाजिक व्यवहार विकसित करने की क्षमता होती है। अतः वे अपने चूजों को सुरक्षापूर्वक पालने के लिए सामूहिक नीड़न अपना सकते हैं।
(ग) कुछ स्पीशीज के पक्षियों में सामाजिक व्यवहार, असुरक्षित विश्व में जीवित बने रहने की विषमताओं को बढ़ा देता है।
(घ) सभी स्पीशीज के पक्षी अपने चूजों को सामाजिक व्यवहार और निष्ठा सिखाने के लिए क्रेशों (Creshes) की स्थापना करते हैं।

उत्तर. (ग)
उपाय.
विकल्प (क),(ख) तथा (घ) गलत हैं, क्योंकि ये सामान्यतः पक्षियों के बारे में उल्लेख करते हैं। परिच्छेद विशेषकर फ्रलेमिंगो के बारे में वर्णन करता है।
(ग) विकल्प सही है क्योंकि यह कुछ पक्षियों की स्पीशीज के बारें में वर्णन करता है।


परिच्छेद-6

बहुत बडी़ संख्या में ऐसे भारतीय नागरिक ग्रामीण क्षेत्रों में रहते हैं जिनके बैंक खाते नहीं है। ये वित्तीय और प्रकार्यात्मक (फंक्शनल)रूप से अशिक्षित हैं, और प्रौद्योगिकी के साथ इनका अनुभव नगण्य है। एक विशेष क्षेत्र में, जहाँ महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारन्टी योजना (MGNREGS) के अंतर्गत इलेक्ट्राॅनिक भुगतान के रूप में मजदूरी सीधे निर्धनों को दी जानी होती है, एक अनुसंधानपरक अध्ययन किया गया। यह पाया गया कि मजदूरी प्राप्त करने वाले प्रायः यह मान लेते हैं कि इस प्रक्रिया में गांव के नेता की मध्यस्थता आवश्यक है, जैसा कि पूर्व में कागजों पर आधारित व्यवस्था में होता था। इस अनुसंधानपरक अध्ययन के अंतर्गत, कम-से-कम एक बैंक खाता रखने का दावा करने वाले परिवारों में से एक तिहाई से अधिक परिवारों ने बताया कि वे अभी भी MGNREGS की मजदूरी नकद रूप में सीधे गावं के नेता से प्राप्त कर रहे हैं।
प्रश्न.119. उपर्युक्त परिच्छेद में निहित सर्वाधिक तार्किक, तर्कसंगत और महत्वपूर्ण सन्देश क्या है? (2015)
(क) MGNREGS का प्रसार सिर्फ उन तक किया जाना चाहिए जिनके पास बैंक खाता है।
(ख) वर्तमान परिदृश्य में कागजों पर आधारित भुगतान व्यवस्था इलेक्ट्राॅनिक भुगतान व्यवस्था से अधिक दक्ष है।
(ग) मजदूरी के इलेक्ट्राॅनिक भुगतान का लक्ष्य गांव के नेताओं की मध्यस्थता को समाप्त करना नहीं था।
(घ) ग्रामीण निर्धनों को वित्तीय साक्षरता उपलब्ध कराना आवश्यक है।
उत्तर. (घ)
उपाय.
(क) विकल्प गलत है, क्योंकि यह परिच्छेद के बारें में गलत है। MGNREGS का प्रसार सिर्फ उन लोगों तक किया जाना चाहिए जिनके पास बैंक खाता है। यह कथन योजना के लक्ष्य के खिलाफ है।
(ख) विकल्प गलत है, कागजों पर आधरित भुगतान व्यवस्था इलेक्ट्राॅनिक भुगतान व्यवस्था से अधिक दक्ष है। यह परिच्छेद का मुख्य संदेश नहीं है।
(ग) विकल्प गलत है, क्योंकि यह परिच्छेद में वर्णित तथ्य को खण्डित करता है। दूसरे वाक्य को देंखें जो यह बताता है कि MGNREGS में दिया जाने वाला इलेक्ट्राॅनिक मजदूरी भुगतान सीधे गरीबों के पास पहुँचता है।
(घ) विकल्प पूर्णतया सही है, क्योंकि प्रारिम्भक वाक्य स्पष्ट रूप से यह व्यक्त करता है कि ग्रामीण क्षेत्र में रहने वाले नागरिक वित्तीय रूप से निरक्षर हैं। अतः ग्रामीणों लोगों को वित्तीय साक्षरता देना आवश्यक है।


परिच्छेद-7

मानव विकास को संवर्धित करने वाले व्यक्ति, समूह और नेता कड़ी संस्थागत, संरचनात्मक और राजनीतिक बाध्यताओं के अंतर्गत कार्य करते हैं जिनसे नीति के विकल्प प्रभावित होते हैं। किंतु अनुभव यह सुझाव देता है कि मानव विकास हेतु एक उपयुक्त कार्यसूची को आकार देने के लिए व्यापक सिद्धांतों की आवश्यकता होती है। अनेक दशकों के मानव विकास के अनुभव से इस एक महत्वपूर्ण बात का पता लगा है कि आर्थिक संवृिद्ध पर ही अनन्य रूप से ध्यान केंद्रित करने से समस्याएं उत्पन्न होती हैं। हमारे पास स्वास्थ्य और शिक्षा को उन्नत करने के तरीकों की अच्छी जानकारी तो है, लेकिन संवृद्धि किन कारणों से होती है इसे समझने में काफी कमी है और संवृद्धि प्रायः भ्रामक है। साथ ही, संवृद्धि पर असंतुलित रूप से बल देने से प्रायः पर्यावरण पर नकारात्मक परिणाम और वितरण में प्रतिकूल प्रभाव होते हैं। संवृिद्ध के प्रभावशाली कीर्तिमान वाला चीन का अनुभव, इन व्यापक सरोकारों को प्रतिबिंबित करता है और मानव विकास के गैर आय पहलुओं में निवेश को प्रमुखता देने वाले संतुलित दृष्टिकोणों के साथ आगे बढ़ने के महत्व पर बल देता है।
प्रश्न.120. उपर्युक्त परिच्छेद के सन्दर्भ में, निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिएः (2015)
1. विकासशील देशों में, मानव विकास और नीति विकल्पों के लिए मजबूत संस्थागत संरचना ही एकमात्र आवश्यकता है।
2. मानव विकास और आर्थिक संवृद्धि सदैव सकारात्मक रूप से परस्पर संबंधित नहीं है।
3. केवल मानव विकास पर ही बल देना, आर्थिक संवृद्धि का लक्ष्य होना चाहिए।
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?
(क) केवल 1
(ख) केवल 2 और 3

(ग) केवल 2 
(घ) 1, 2 और 3
उत्तर. (ग)
उपाय.
(क) कथन गलत है, क्योंकि यह परिच्छेद के सन्दर्भ से पूर्णतया बाहर है।
(ख) कथन पूर्णतया सही है, क्योंकि परिच्छेद स्पष्ट रूप से व्यक्त करता है कि संवृद्धि के लिए असन्तुलित बल प्रायः नकारात्मक पर्यावरणीय परिणामों से सम्बन्ध्ति है साथ ही साथ प्रतिकूल वितरण प्रभाव से भी।
(ग) कथन गलत है, क्योंकि परिच्छेद में मात्र मानव विकास पर ही ध्यान देने की बात नहीं की गई है। यह समृद्धि पर असन्तुलित बल देता तो है परन्तु इसका आशय यह नहीं केवल मानव विकास पर ही बल दिया जाये।

प्रश्न.121. उपर्युक्त परिच्छेद के सन्दर्भ में, निम्नलिखित धारणाएं बनाई गई हैंः (2015)
1. आर्थिक असमानता में कमी सुनिश्चित करने के लिए उच्चतर आर्थिक संवृद्धि अनिवार्य है।
2. पर्यावरण का निम्नीकरण, कभी-कभी आर्थिक संवृद्धि का ही परिणाम होता है।
उपर्युक्त में से कान-सी वैध धारणा/धारणाएँ है/हैं ?
(क) केवल 1 
(ख) केवल 2
(ग) 1 और 2 दोनों 
(घ) न तो 1, न ही 2
उत्तर. (ख)
उपाय.
(क) कथन गलत है, क्योंकि परिच्छेद में कहीं भी आर्थिक विषमता के बारें में वर्णन न करके स्वास्थ्य शिक्षा अथवा मानव विकास के अन्य गैर आमदनी पक्षों के बारें में बताया गया है। इस परिच्छेद में मुख्य रूप से आर्थिक विकास तथा मानव विकास के मध्य सन्तुलन स्थापित करने का प्रयास किया गया है।
(ख) कथन सही पूर्ण धरणा है क्योंकि कभी-कभी असन्तुलित संवृद्धि से पर्यावरण क्षति होती है।

निम्नलिखित (8) आठ प्रश्नांशों के लिए निर्देशः
निम्नलिखित छह परिच्छेदों को पढिए़ और उनके नीचे आने वाले प्रश्नांशों के उत्तर दीजिए। इन प्रश्नांशों के आपके उत्तर केवल इन परिच्छेदों पर ही आधारित होने चाहिए।

परिच्छेद-1

मानव इतिहास ऐसे दावों और सिद्धान्तों से भरा पड़ा है, जो शासन करने का अधिकार केवल कुछ चुनिंदा नागरिकों तक सीमित करते हैं। अधिकांश लोगों को इसमें शामिल न करना इस आधार पर न्यायोचित ठहराया गया है कि मानव को, समाज की भलाई और राजनीतिक प्रक्रिया की व्यवहार्यता के लिए, न्यायसंगत रूप से पृथक्कृत किया जा सकता है।
प्रश्न.122. निम्नलिखित कथनों में से कौन-सा एक, उपर्युक्त परिच्छेद में युक्ति (आर्गुमेंट) के एक अंश के रूप में न्यूनतम आवश्यक है? (2015)
(क) मानव, उसे प्रभावित करने वाली बाह्य वस्तुओं पर नियंत्रण पाने का प्रयास करता है।
(ख) समाज में, ‘अधिमानव (सुपरह्यूमन)’ और ‘अवमानव (सबह्यूमन)’ होते हैं।
(ग) सर्वजनीन नागरिक भागीदारी में अपवाद, पूरे तंत्र की क्षमता के लिए सहायक हैं।
(घ) शासन करने में यह मान्यता निहित है कि अलग-अलग व्यक्तियों की क्षमताओं में असमानताएँ होती हैं। 

उत्तर. (क)
उपाय.
(क) तर्क का महत्त्वपूर्ण हिस्सा नहीं है या कम से कम है क्योंकि यह परिच्छेद के सन्दर्भ के अनुसार अप्रासंगिक है।
(ख) तर्क का एक महत्त्वपूर्ण भाग है क्योंकि अधिमानव तथा अवमानव कुछ चयनित नागरिकों तथा विशेष लोगेां की ओर संकेत करता है।
(ग) तर्क का एक महत्त्वपूर्ण हिस्सा है क्योंकि दूसरा वाक्य स्पष्ट रूप से इसके बारें में व्यक्त करता है।
(घ) महत्त्वपूर्ण है क्योंकि व्यक्तिगत क्षमता में विषमता का उल्लेख करता है जो विशेष नीतियों की ओर जाता है।


परिच्छेद-2

वर्ष 2050 तक, पृथ्वी पर जनसंख्या संभावित रूप से सात अरब (बिलियन) से बढ़ कर नौ अरब हो चुकी होगी। उन सबका पेट भरने के लिए- उपभोग के बदलते हएु प्रतिरूपों, जलवायु परिवर्तन, और कृषि-योग्य भूमि तथा पेय जल की सीमित मात्रा को ध्यान में रखते हुए- कुछ विशेषज्ञों का कहना है कि खाद्य उत्पादन दुगुना करना पड़ेगा। हम इसे किस प्रकार उपलब्ध कर सकते हैं? विशेषज्ञ कहते हैं कि अपेक्षाकृत अधिक उपज देने वाली फसलों की किस्में तथा कृषि के अपेक्षाकृत अधिक कुशल तरीके निर्णायक होंगे। इसी प्रकार संसाधनों को कम से कम व्यर्थ जाने देना भी निर्णायक होगा। विशेषज्ञों का आगह्र है कि नगरों को अपशिष्ट जलधाराओं (वेस्ट स्ट्रीम्स) से पोषक-तत्वों और जल को पुनः प्राप्त किया जाए, एवम् कृषि भूमि का संरक्षण करें। वे कहते हैं कि निर्धन राष्ट्र अपने फसल भंडारण एवं पैकेजिंग में सुधार कर सकते हैं और समृद्ध राष्ट्र मांस जैसे संसाधन सघन (रिसोर्स-इन्टेन्सिव) खाद्यों में कटौती कर सकते हैं।
प्रश्न.123. निम्नलिखित कथनों में से कौन सा एक, उपर्युक्त परिच्छेद का सर्वोत्तम सारांश रूप प्रस्तुत करता है? (2015)
(क) विश्व की जनसंख्या बहुत तेजी से बढ़ रही है।
(ख) खाद्य सुरक्षा केवल विकासशील देशों में ही एक चिरस्थायी समस्या है।
(ग) खाद्य के सन्निकट अभाव को पूरा करने के लिए विश्व के पास पर्याप्त संसाधन नहीं है।
(घ) खाद्य सुरक्षा एक लगातार बढ़ती हुई सामूहिक चुनौती है।
उत्तर. (घ)
उपाय.
(क) गलत है, क्योंकि यह परिच्छेद में उल्लेखित एक तथ्य का वर्णन करता है। यह परिच्छेद के निष्कर्ष का उल्लेख नहीं करता है।
(ख) गलत है, क्योंकि परिच्छेद केवल विकासशील देशों की समस्याओं को नियंत्रित नहीं करता है।
(ग) गलत है, क्योंकि परिच्छेद में केवल खाद्य उत्पादन के दोगुना की बात कहीं गयी है। इसमें खाद्य अभाव के बारें में नहीं कहा गया है। बल्कि आवश्यक लक्ष्य की पूर्ति हेतु प्रक्रियाओं के बारे में बताया गया हैं।
(घ) परिच्छेद का सही-सही निष्कर्ष व्यक्त करता है। खाद्य सुरक्षा बढ़ती हुई एक सामूहिक चुनौती है तथा परिच्छेद इससे निपटने के लिए सुझाव प्रकट करता है।


परिच्छेद-3

भारत में अनेक लोगों का यह विचार है कि यदि हम शस्त्र निर्माण पर अपने रक्षा व्यय को कम कर दें, तब हम अपने पड़ोसियों के साथ शांति का वातावरण बना सकते हैं, जिससे उत्तरोत्तर संघर्ष कम होगा अथवा युद्ध-मुक्त स्थिति बनेगी। जो लोग इस प्रकार के विचार घोषित करते हैं, वे या तो यद्धु पीडित़ हैं अथवा मिथ्या तर्क फैलाने वाले हैं।
प्रश्न.124. उपर्युक्त परिच्छेद के संदर्भ में, निम्नलिखित में से कौन सी एक सर्वाधिक वैध पूर्वधारणा (अजम्प्शन) है? (2015)

(क) हमारे शस्त्र-प्रणालियों के निर्माण से हमारे पड़ोसी हमारे विरुद्ध युद्ध के लिए उत्तेजित हुए हैं।
(ख) हम शस्त्र-निर्माण पर जितना अधिक व्यय करेंगे, हमारे पड़ोसियों के साथ सशस्त्र संघर्ष की संभावना उतनी ही कम होगी।
(ग) राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए यह आवश्यक है कि हमारे पास अत्याधुनिक शस्त्र-प्रणालियाँ हों।
(घ) भारत में अनेक लोगों को विश्वास है कि हम शस्त्र-निर्माण में अपने संसाधनों का अपव्यय कर रहें हैं।
उत्तर. (ख)
उपाय.
(क) गलत है, क्योंकि परिच्छेद कहता है कि यदि रक्षा खर्चों में कटौती कर सकें तो हमें शान्ति मिल सकती है अन्यथा हमारे द्वारा युद्ध सामग्री के निर्माण से पड़ोसी देशों से युद्ध भड़क सकता है यह एक झूठा प्रचार है।
(ख) सही है, क्योंकि परिच्छेद भारत द्वारा युद्ध सामग्री को समर्थन देता है। परिच्छेद से यह भी अनुमान लगता है कि भारत पड़ोसी देशों से शान्ति स्थापित करना चाहता है। अतः यह एक वैध पूर्वधारणा है कि शस्त्र निर्माण के द्वारा अपने पड़ोसी देशों के साथ सशस्त्र संघर्ष की सम्भावना कम हो जायेगी।
(ग) यद्यपि भी एक पूर्वधारणा है, लेकिन 'कला का राज्य' तथा ' राष्ट्रीय सुरक्षा' शब्दों का प्रयोग इसे सर्वाधिक वैध पूर्णधरणा नहीं बनाते है।
(घ) एक अनुमान है लेकिन पूर्वधारणा नहीं।


परिच्छेद-4

विश्व की बाल मृत्यु में लगभग पांचवां भाग भारत का है। संख्या के आधार पर, यह दुनिया में सर्वाधिक बाल मृत्यु है- लगभग 16 लाख प्रति वर्ष। इनमें से, आधे से अधिक की जीवन के प्रथम मास में ही मृत्यु हो जाती है। जैसा कि अधिकारियों का विश्वास है, इसका कारण यह है कि स्तनपान और प्रतिरक्षीकरण (इम्यूनाइजेशन) से संबंधित आधारभूत स्वास्थ्य आचरणों के प्रसार के लिए कदम नहीं उठाए गए हैं। साथ ही 2.6 करोड़ की विशाल गर्भधारण- योग्य जनसंख्या गर्भावस्था तथा प्रसव-पश्चात् के संकटपूर्ण समय के दौरान देखभाल से वंचित भी बनी रहती है। इसमें बाल विवाहों का प्रचलन, युवतियों में अरक्तता (अनीमिया) तथा किशोरावस्था की स्वच्छता पर विशेष ध्यान न होना भी शामिल है, जो सभी बाल मृत्यु दरों को प्रभावित करते हैं।    (2015)
प्रश्न.125. उपर्युक्त परिच्छेद से, कौन सा निर्णायक अनुमान (इनफेरेंस) निकाला जा सकता है?
(क) बहुत से भारतीय निरक्षर हैं इसलिए आधारभूत स्वास्थ्य आचरणों का मूल्य नहीं पहचानते हैं।
(ख) भारत की जनसंख्या अति विशाल है और केवल सरकार ही लोक स्वास्थ्य सेवाओं का प्रबंधन नहीं कर सकती।
(ग) मातृ स्वास्थ्य तथा बाल स्वास्थ्य सेवाओं को एकीकृत करने और सबको सुलभ कराने से इस समस्या को प्रभावी रूप से हल किया जा सकता है।
(घ) गर्भधारण-योग्य महिलाओं का पोषण बाल मृत्यु दर को प्रभावित नहीं करता।

उत्तर. (ग)
उपाय.
(ग) प्रश्नों का सम्बन्ध समालोचनात्मक अनुमान से है।
(घ) गलत है क्योंकि यह परस्पर विरोधी तर्क को व्यक्त करता है जैसा कि परिच्छेद में उल्लेखित है (क) तथा (ख) परिच्छेद के सन्दर्भ के अनुसार सही कथन हैं लेकिन वे परिच्छेद के तर्क में कुछ भाग को व्यक्त करते हैं। केवल (ग) सर्वाधिक समालोचनात्मक अनुमान को व्यक्त करता है, क्योंकि यह परिच्छेद में वर्णित समस्या तथा समाधन पर प्रकाश डालता है।


परिच्छेद-5

खाद्य पदार्थ, उनको खाने वाले मनुष्यों की अपेक्षा, अधिक यात्रा करते हैं। किराना भण्डार और सुपर बाजार परिरक्षित (प्रिजर्व्ड) और प्रसंस्कृत (प्राॅसेस्ड) खाद्य पदार्थों से भरे पड़े हैं। तथापि, प्रायः उससे पर्यावरणीय खतरे भी बढ़ते हैं, जैसे लम्बी दूरी तक खाद्य पदार्थों के परिवहन से होने वाला प्रदूषण तथा प्रसंस्करण एवं परिवहन के दौरान खाद्य पदार्थ का व्यर्थ जाना, वर्षा-प्रचुर वनों का विनाश, पोषक अंश में कमी, परिरक्षण और पैकेजिंग की बढ़ी हुई मांग। खाद्य असुरक्षा भी बढ़ जाती है क्योंकि ये उत्पाद उन क्षेत्रों से आते हैं जो अपनी जनसंख्या को उपयुक्त खाद्य पदार्थ नहीं खिला पाते।
प्रश्न.126. उपर्युक्त परिच्छेद के सन्दर्भ में, निम्नलिखित में से कौन सा/से कथन सही है/ हैं ? (2015)
1. क्षेत्रीय रूप से उगाए गए खाद्य पदार्थों का उपभोग करना और लंबी यात्रा से लाए गए खाद्य पदार्थाें पर निर्भर न होना पर्यावरण-अनुकूली व्यवहार का एक हिस्सा है।
2. खाद्य प्रसंस्करण (प्रोसेसिंग) उद्योग हमारे प्राकृतिक संसाधनों (रिसोसर्जे) पर बोझ डालता है।
नीचे दिए गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिएः
(क) केवल 1
(ख) केवल 2
(ग) 1 और 2 दोनों
(घ) न तो 1, न ही 2

उत्तर. (ख)
उपाय.
परिच्छेद में परिरक्षित तथा प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थों या खाद्य प्रसंस्करण उद्योग के बारें में बताया गया है। इसके द्वारा उत्पन्न विभिन्न के प्रभावों जैसे-प्रदूषण, खाद्य तथा वर्षा वनों का क्षय, पोषक तत्वों की कमी परिरक्षण तथा पैकेजिंग के बारें में उल्लेख है। इन सभी से हमारे प्राकृतिक संसाधनों पर बोझ बढ़ता है। अतः (2) सही है। (1) सही नहीं है क्योंकि यह परिच्छेद क्षेत्रीय खाद्य पदार्थो के उपज के बारें में वर्णन नहीं करता है। यहाँ उन क्षेत्रों के बारें में वर्णन है जो अपने खाद्य उत्पाद से विश्व के दूसरें भागों में खाद्य उपलब्ध कराते हैं तथा अपने क्षेत्रों को खाद्य उपलब्ध् नहीं कराते हैं। अतः (1) सत्य नहीं है।


परिच्छेद-6

मैं पक्के तौर पर कह सकता हूं कि मेरे स्वाभाविक शर्मीलेपन के कारण, सिवाय यदा-कदा हास्य का पात्र बन जाने के, मेरा किसी भी तरह और कोई नुकसान नहीं हुआ। वास्तव में, आज मुझे लगता है, कि इसके विपरीत, मुझे कुछ फायदा ही हुआ। बोलने का जो संकोच मुझे पहले कष्टकर था, वह अब सुखकर है। इसका सबसे बड़ा लाभ तो यह हुआ कि इसने मुझे शब्दों की मितव्ययिता सिखाई। मुझे अपने विचारों पर काबू रखने की आदत सहज ही पड़ गई। और अब मैं खुद को यह प्रमाण पत्र दे सकता हूं कि मेरी जीभ या कलम से बिना विचारे शायद ही कोई शब्द निकलता हो। मुझे याद नहीं पड़ता कि अपने भाषण या लेख के किसी अंश के लिए मुझे कभी पछताना पड़ा हो। इस तरह मैं अनेक खतरों से बचा हूं और मेरा बहुत-सा समय बचा है। अनुभव ने मुझे यह सिखाया है कि सत्य के उपासक के लिए मौन उसके आध्यात्मिक अनुशासन का अंग है। मनुष्य की यह स्वाभाविक कमजोरी है कि वह जाने-अनजाने में अक्सर बढ़ा-चढ़ा कर बोलता है अथवा जो कहने योग्य है उसे छिपाता है या भिन्न रूप में कहता है। इस पर विजय पाने के लिए भी मौन आवश्यक है। कम बोलने वाला बिना विचारे न बोलेगा; अपने प्रत्येक शब्द को तौलेगा। हम देखते हैं कि बहुत से मनुष्य बोलने के लिए आतुर रहते हैं। किसी बैठक का ऐसा कोई सभापति न होगा जिसे बोलने की अनुमति मांगने वाली चिटों से परेशान न होना पड़ा हो। और जब भी बोलने का समय दिया जाता है तो वक्ता आमतौर पर समय-सीमा से आगे बढ़ जाता है, और अधिक समय की मांग करता है, और बिना इजाजत के भी बोलता रहता है। इतना सारा बोलने से दुनिया का कोई लाभ हुआ हो ऐसा शायद ही कहा जा सकता है। यह समय का घोर अपव्यय है। मेरी लज्जाशीलता दरअसल मेरी ढाल और आड़ ही बनी रही। उससे मुझे परिपक्व होने का लाभ मिला। सत्य को पहचानने में मुझे उससे सहायता मिली।
प्रश्न.127. लेखक कहता है कि उसकी जीभ या कलम से बिना विचारे शायद ही कोई शब्द निकलता हो। निम्नलिखित में से कौन सा एक, इसका वैध कारण नहीं है? (2015)
(क) अपना समय बर्बाद करने का उसका कोई इरादा नहीं है।
(ख) वह शब्दों की मितव्ययिता में विश्वास करता है।
(ग) वह अपने विचारों पर काबू रखने में विश्वास करता है।
(घ) उसे बोलने में संकोच होता है।
उत्तर. (क)
उपाय.
परिच्छेद के प्रथम 6 वाक्य स्पष्ट रूप से प्रश्न का उत्तर देते हैं।
(ख) (ग) तथा (घ) का इन वाक्यों में स्पष्ट उल्लेख है। इस बात का उल्लेख नहीं है कि लेखक अपने समय को बर्बाद न करने की इच्छा नहीं रखता है बल्कि इस बात का उल्लेख है कि उसके स्वभाविक शर्मीले प्रभाव के कारण काफी समय की बचत हुई।

प्रश्न.128. लेखक के अनेक खतरों से बचे रहने का सर्वाधिक उपयुक्त कारण क्या है? (2015)
(क) वह बिना विचारे शायद ही कोई शब्द बोलता या लिखता है।
(ख) वह अत्यंत धैर्यशाली व्यक्ति है।
(ग) उसका विश्वास है कि वह एक आध्यात्मिक व्यक्ति है।
(घ) वह सत्य का उपासक है।
उत्तर. 
(क)
उपाय.

परिच्छेद के प्रथम आधे या प्रथम 7-8 वाक्य स्पष्ट रूप से भाषण में लेखक के संकोच या शर्मीलेपन को व्यक्त करते हैं।
इस प्रकृति के कारण लेखक के विचारों में संयम स्थापित होता है। इसके परिणास्वरूप कोई भी विचारहीन शब्द बोलते समय या लिखते समय उत्पन्न नहीं होते हैं। अतः लिखने या बोलते समय उसे कभी खेद नहीं हुआ है। इसके कारण दुर्भाग्य तथा समय की बरबादी से बचाव हुआ है। अत्यन्त धैर्यशाली तथा अध्यात्मिक व्यक्ति वह बिल्कुल नहीं हो सकता है। लेखक व्यंगात्मक रूप से उल्लेख करता है कि "मौन सत्य के उपासक के लिए अध्यात्मिक अनुशासन का एक भाग" है। अतः (क) सही उत्तर है।

प्रश्न.129. लेखक के लिए, किस पर विजय पाने के लिए मौन आवश्यक है?    (2015)
(क) स्वाभाविक शर्मीलापन 
(ख) बोलने में संकोच
(ग) विचारों पर काबू रखना
(घ) बढ़ा-चढ़ा कर बोलने की प्रवृत्ति
उत्तर. (घ)
उपाय.
परिच्छेद के 10 वाँ वाक्य में यह वर्णन है कि मनुष्य की यह स्वाभाविक कमजोरी है कि वह जाने-अनजाने में प्रायः किसी बात को बढ़ा-चढ़ाकार व्यक्त करता है अथवा जो बात कहनी चाहिए उसे प्रगट नहीं करता है या उसे अलग तरह से व्यक्त करता है इस पर नियंत्रण रखने के लिए मौन आवश्यक है। अतः (क) सही उत्तर है।

निम्नलिखित 7 (सात) प्रश्नांशों के लिए निर्देशः
निम्नलिखित चार परिच्छेदों को पढिए़ और उनके नीचे आने वाले प्रश्नांशों के उत्तर दीजिए। इन प्रश्नांशों के आपके उत्तर केवल इन परिच्छेदों पर ही आधारित होने चाहिए।

परिच्छेद-1

भारत सतत उच्च मुद्रास्फीति से ग्रस्त रहा है। निर्देशित कीमतों में वृद्धि, मांग और पूर्ति में असंतुलन, रुपए के अवमूल्यन से बदतर हुई आयातित मुद्रास्फीति, और सट्टेबाजी- इन सबने मिलकर उच्च मुद्रास्फीति को बनाए रखा है। यदि इन सभी मे कोई एक समान तत्व है, तो वह यह है कि इनमें से कई आर्थिक सुधारों के परिणाम है। अन्तर्राष्ट्रीय कीमतों में बदलाव के प्रभावों के प्रति भारत की सुभेद्यता (वल्नरेबिलिटी) व्यापार उदारीकरण के साथ-साथ और बढ़ी है। उपदानों को कम करने के प्रयासों के कारण उन वस्तुओं की कीमतों में निरन्तर वृद्धि हुई है जो निर्देशित है।
प्रश्न.130. उपर्युक्त परिच्छेद में अन्तर्निहित सर्वाधिक तार्किक, तर्कसंगत और महत्वपूर्ण संदेश क्या है? (2015)
(क) मौजूदा परिस्थितियों में, भारत को पूरी तरह से व्यापार उदारीकरण की नीतियों एवं सभी उपदानों से बचना चाहिए।
(ख) अपनी विशिष्ट सामाजिक-आर्थिक स्थिति के कारण, भारत अभी व्यापारिक उदारीकरण की प्रक्रिया के लिए तैयार नहीं है।
(ग) निकट भविष्य में भारत में सतत निर्धनता एवं मुद्रास्फीति की समस्याओं का कोई समाधान नहीं दिखता।
(घ) आर्थिक सुधार प्रायः उच्च मुद्रास्फीति वाली अर्थव्यवस्था उत्पन्न कर सकते हैं।
उत्तर. (घ)
उपाय.
(क) गलत है, क्योंकि यह पूरी तरह से व्यापार उदारीकरण की नीतियों तथा सभी उपदानों से बचने की बात करता है। जो कि मुद्रास्फीति के निराकरण का उपाय है, परन्तु यह परिच्छेद का सन्देश नहीं है।
(ख) गलत है, क्योंकि यह उन कारणों के बारें में वर्णन करता है कि भारत कभी व्यापारिक उदारीकरण प्रक्रिया के लिए तैयार नहीं है।
(ग) गलत है, क्योंकि परिच्छेद में गरीबी के बारे में वर्णन नही है।
(घ) यह परिच्छेद भारत में उच्च मुद्रास्फीति के बारें में वर्णन करता है तथा इसे बनाये रखने में अक्षमता को व्यक्त करता है। इसका कारण कई बाहरी कारक है, जो आर्थिक सुधारों के परिणाम है।अतः(घ) सत्य है।


परिच्छेद-2

कोई भी अधिकार परम, अनन्य और अनुल्लंघनीय नहीं है। इसी तरह, व्यक्तिगत सम्पत्ति के अधिकार को उसकी कल्पित वैधता के वहृत्तर सन्दर्भ में देखा जाना चाहिए। व्यक्तिगत सम्पत्ति के अधिकार में, स्वतंत्रता के सिद्धान्त का समता के सिद्धान्त के साथ, और इन दोनों का सहयोग के सिद्धान्त के साथ समन्वय होना चाहिए।
प्रश्न.131. उपर्युक्त परिच्छेद में दिए गए तर्क के आलोक में, निम्नलिखित में से कौन-सा एक कथन सबसे अधिक विश्वासप्रद स्पष्टीकरण है?    (2015)
(क) व्यक्तिगत सम्पत्ति का अधिकार, संविधियों और धर्मग्रन्थों द्वारा विधिवत समर्थित, एक नैसर्गिक अधिकार है।

(ख) व्यक्तिगत सम्पत्ति एक चोरी है तथा शोषण का उपकरण है। अतः व्यक्तिगत सम्पत्ति का अधिकार आर्थिक न्याय का उल्लंघन है।
(ग) व्यक्तिगत सम्पत्ति का अधिकार वितरक न्याय का उल्लंघन है तथा सहयोग के सिद्धान्त को नकारता है।
(घ) आर्थिक न्याय का व्यापक विचार इस बात की मांग करता है कि प्रत्येक व्यक्ति के सम्पत्ति अर्जन के अधिकार को, दूसरों के सम्पत्ति अर्जन के अधिकार के साथ सामंजस्यपूर्ण होना चाहिए।
उत्तर. (घ)
उपाय.
(क) गलत है, क्योंकि यह परिच्छेद के मौलिक सिद्धांत की बात नहीं करता है परिच्छेद के अनुसार कोई भी अधिकार परम अनन्य और अनुल्लंघनीय नहीं है जबकि (क) कहता है कि व्यक्तिगत सम्पत्ति का अधिकार एक नैसर्गिक अधिकार है।
(ख) गलत है, क्योंकि इसका कथन है कि व्यक्तिगत सम्पत्ति एक चोरी है तथा शोषण का उपकरण है। यह इस बात को व्यक्त नहीं करता है कि अधिकार को उसकी कल्पित वैधता के रूप में देखा जाना चाहिए जैसा कि यहाँ पर वर्णित है।
(ग) गलत है, क्योंकि इसका कथन है कि व्यक्तिगत सम्पत्ति का अधिकार वितरक न्याय का उल्लंघन है तथा सहयोग के सिद्धांत को नकारता है। यह तार्किक व्याख्या नहीं है।
(घ) सही है, क्योंकि इसका कथन है कि आर्थिक न्याय का व्यापक विचार इस बात की माँग करता है कि प्रत्येक व्यक्ति के सम्पत्ति अर्जन के अधिकार के साथ सामंजस्यपूर्ण होना चाहिए। अन्तिम वाक्य में वर्णित सहयोग के सिद्धांत को देखें।

विशेष: आर्थिक न्याय समाज व्यवस्था के साथ-साथ प्रत्येक व्यक्ति को शामिल करता है तथा नैतिक सिद्धांतों को निर्देशित करता है जो हमारे वित्तीय संस्थाओं के निर्माण में मार्गदर्शन प्रदान करता है। ये संस्थाएँ इस बात का निर्धारण करती है कि प्रत्येक व्यक्ति किस प्रकार जीविका चलाए, संविदा से जुड़े, एक दूसरे के साथ वस्तुओं तथा सेवाओं का विनिमय करे तथा अपने वित्तीय जीविका हेतु स्वतंत्र रूप से वस्तुओं का उत्पादन करें। आर्थिक न्याय का परम उद्देश्य प्रत्येक व्यक्ति को रचनात्मकता हेतु असीमित कार्यो में स्वतंत्र करना है जो अर्थशास्त्र के विचार तथा सार तत्त्व से परे है।
आर्थिक न्याय के तीन सिद्धांत - प्रत्येक व्यवस्था की तरह निवेश तथा उत्पादन के मध्य संतुलन कायम करने हेतु प्रतिपुष्टि का समावेश आर्थिक न्याय में है। लुइस केल्सो तथा मार्टिमर एडलर द्वारा परिभाषित आर्थिक न्याय की व्यवस्था में- तीन आवश्यक तथा अन्योन्याश्रित सिद्धांत होते हैं -

(I) सहभागी-न्याय (निवेश सिद्धांत)
(II) वितरण न्याय (निर्गत सिद्धांत)
(III) सामाजिक न्याय (प्रतिपुष्टि सिद्धांत) तीन पैर वाले स्टूल के पैर की तरह, इन सिद्धांतों में से एक भी कमजोर हुआ या टूटा तो आर्थिक न्याय की व्यवस्था बिखर (नष्ट) जाएगी।
केल्सो-एडलर के तीन सिद्धांत (आर्थिक न्याय के सिद्धांत)
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परिच्छेद-3

मानव एवं राज्य के मध्य संघर्ष उतना ही पुराना है जितना कि राज्य का इतिहास। यद्यपि सदियों से राज्य एवं व्यक्ति के प्रतिस्पर्धी दावों के बीच तालमेल बनाने के प्रयास हएु हैं, किन्तु समाधान अभी भी दूर प्रतीत होता है। यह मुख्यतः इसलिए है क्योंकि मानव समाज की प्रकृति गतिशील है जिसमें पुराने मूल्यों और विचारों ने निरन्तर नए मूल्यों और विचारों को स्थान दिया है। यह स्पष्ट है कि यदि व्यक्तियों को बोलने और कार्य करने की निरपेक्ष स्वतन्त्रता दे दी गई, तो उसका परिणाम अव्यवस्था, विनाश एवं अराजकता में हो सकता है।
प्रश्न.132. निम्नलिखित कथनों में से कौन-सा एक, लेखक के दृष्टिकोण का सर्वोत्तम सारांश प्रस्तुत करता है?   (2015)
(क) राज्य और व्यक्ति के दावों के बीच संघर्ष अनसुलझा बना रहता है।
(ख) अराजकता और अव्यवस्था लोकतांत्रिक परम्पराओं के स्वाभाविक परिणाम है।
(ग) मानव समाज की गतिशील प्रकृति के बावजूद प्राचीन मूल्य, विचार और परम्पराएँ बनी रहती हैं।
(घ) वाक् स्वातंत्रय (फ्रीडम ऑफ़ स्पीच) की संवैधानिक गारंटी समाज के हित में नहीं है।
उत्तर.
(क)
उपाय.
सत्य है क्योंकि, परिच्छेद मानव तथा राज्य के मध्य संघर्ष का वर्णन करता है तथा इस तथ्य को सुनिश्चित करता है कि यह संघर्ष उतना ही पुराना है जितना कि राज्य का इतिहास। " समाधन अभी भी दूर प्रतीत होता है "- इससे यह स्पष्ट होता है कि संघर्ष का कभी भी समाधन नहीं होगा। (ख) तथा (घ) गलत हैं क्योंकि ये उन विचारों को व्यक्त करते हैं जो परिच्छेद के अंतिम पंक्ति में निहित है।
(ग) गलत है, क्योंकि परिच्छेद का कथन है कि प्राचीन मूल्य तथा विचार निरन्तर नए मूल्यों तथा विचारों को स्थान प्रदान करते रहते हैं। यह (ग) में उल्लेखित तथ्य के विपरीत है। इसके अलावा यह लेखक का विचार नहीं है।

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FAQs on लेखांश - 6 (Mental Ability) UPSC Previous Year Questions - UPSC Topic-wise Previous Year Questions (Hindi)

1. What is the importance of mental ability in the UPSC exam?
Ans. Mental ability is a crucial aspect of the UPSC exam as it tests a candidate's logical reasoning, problem-solving skills, and analytical thinking. It helps in assessing the candidate's aptitude and their ability to make decisions under pressure, which are essential qualities for a civil servant.
2. How can one improve their mental ability for the UPSC exam?
Ans. To enhance mental ability for the UPSC exam, candidates can practice solving puzzles, riddles, and logical reasoning questions. They can also engage in activities like reading books, newspapers, and magazines to enhance their critical thinking skills. Regular practice of mock tests and previous year question papers can also help in improving mental ability.
3. Are there any specific strategies to solve mental ability questions in the UPSC exam?
Ans. Yes, there are certain strategies that can be employed to solve mental ability questions in the UPSC exam. These include understanding the question thoroughly, identifying the key information, breaking down complex problems into simpler components, and using logical reasoning to arrive at the correct answer. Time management is also crucial to ensure efficient utilization of the given time.
4. Can mental ability be developed over time for the UPSC exam?
Ans. Yes, mental ability can be developed over time for the UPSC exam. Regular practice of mental ability questions, solving puzzles and brain teasers, and engaging in activities that enhance critical thinking can significantly improve one's mental ability. It is important to be consistent in practicing and gradually increasing the difficulty level to strengthen mental aptitude.
5. How much weightage does the mental ability section carry in the UPSC exam?
Ans. The weightage of the mental ability section in the UPSC exam varies from year to year. It is an integral part of the Preliminary exam and also plays a role in the Main exam through questions related to logical reasoning and analytical ability. While there is no fixed percentage for the weightage, it is advisable to give equal importance to all sections of the exam for comprehensive preparation.
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