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विजयनगर साम्राज्य - इतिहास,यु.पी.एस.सी | इतिहास (History) for UPSC CSE in Hindi PDF Download

विजयनगर साम्राज्य
-    सन् 1325 में मुहम्मद बिन तुगलक के चचेरे भाई ‘बहाउद्दीन गुर्शप’ ने कर्नाटक में सागर नामक स्थान पर विद्रोह कर दिया। मुहम्मद तुगलक को स्वयं विद्रोह दमन के लिए दक्षिण जाना पड़ा। बहाउद्दीन ने भागकर कर्नाटक स्थित ‘कंपिली’ के राजा के पास शरण ली। फलस्वरूप सुल्तान ने ‘कंपिली’ को विजित कर सल्तनत में मिला लिया।

स्मरणीय तथ्य
• जैन साहित्य को किस नाम से जाना जाता है? आगम
• आलमगीरपुर टीला, जिसका पता 1958 में लगा था, कहां स्थित है? उत्तर प्रदेश के मेरठ जिले में
• राजपूतों की विदेशी उत्पत्ति के सिद्धांत का विरोध किसने किया था? भण्डारकर
• किस विद्रोह का सम्बन्ध पश्चिम भारत से नहीं है? फरैजी विद्रोह
• ‘बहिष्कृत हितकारिणी सभा’ के संस्थापक कौन थे? भीमराव राम जी अम्बेडकर
• ऋग्वेद का कौन-सा मंडल पूर्णतः सोम को समर्पित है? नौवां मंडल
• गुप्त युग में भूमि राजस्व की दर क्या थी? उपज का छठा भाग
• प्रथम मगध साम्राज्य का उत्कर्ष किस शताब्दी में हुआ? ई.पू. छठवीं शताब्दी
• अछूतोद्धार के लिए ‘दलित वर्ग मिशन’ की स्थापना 1906 में किसने की? शिंदे ने
• मनुस्मृति और विष्णुस्मृति का संकलन किस के काल में किया गया? पुष्यमित्र
• बौद्ध धर्म की योगाचार शाखा की स्थापना किसने की? असंग और वसुबंधु ने
• वाकाटक राजवंश की स्थापना किसने की?  विध्ंयशक्ति  ने
• मुहम्मद बिन तुगलक ने किस समकालीन इतिहासकार को दिल्ली के मुख्य काजी के रूप में नियुक्त किया? इब्नबतूता
• किस साम्राज्य के ध्वंसावेष पर गोलकुंडा का मुस्लिम साम्राज्य जन्म? वारंगल
• विजयनगर की राजस्व व्यवस्था से संबंध महत्वपूर्ण दस्तावेज है अथवाम-तमत्रम
• ‘लेबर किसान गजट’ की मद्रास में स्थापना किसने की? एम. सिंगारवेलु
• क्षत्रिय व्यापारी का उल्लेख किस गुप्तोत्तरकालीन अभिलेख में प्राप्त होता है? आहार अभिलेख
• 974 ई. में राष्ट्रकूटों की सत्ता का अंत किस सामन्त ने किया? तैलप द्वितीय
• अबुल फजल के अनुसार मुगल काल में कितने प्रकार की लिपियां प्रचलित थीं? आठ
• 1760 का वाण्डीवाश का युद्ध किन दो सेनापतियों के कौशल का युद्ध था? आयरकूट एवं लैली
• ब्लूम फील्ड जांच आयोग किससे संबंधित है? बारदौली से
• बाम्बे यूथ लीग का गठन किसने किया? यूसुफ मेहर अली ने
• बेहरामजी एम. मालाबारी ने किसके विरुद्ध आवाज उठाई थी? शिशु एवं  बाल विवाह के विरुद्ध
• आर्यसमाज जो एक पुनरुक्थानवादी आंदोलन था, के कुल कितने मूल सिद्धांत थे? दस
• टीपू किस दृष्टिकोण से अपने पिता के प्रतिकूल था? राजनीतिक दूरदर्शिता
• दिल्ली सल्तनत का वह प्रथम सुल्तान कौन था जिसने ‘स्थायी सेना’ रखी? अलाउद्दीन खिलजी
• अशोक का उसके किस लघु शिलालेख में ‘बुद्धशाक्य’ एवं ‘अशोक’ नाम मिलता है? मास्की लघु शिलालेख में
• शिवाजी के अष्ट प्रधान का कौन-सा सदस्य विदेशी मामलों की देख-रेख करता था? सुमंत
• जैन धर्म में कर्म परमाणुओं के पूर्ण विनाश को सूचित करने वाली अवस्था को कहते हैं निर्जरा
• ‘वरियंत्र’ या ‘वातानुकूलित यंत्र’ का उल्लेख किस ग्रंथ में किया गया है? मालविकाग्निमित्र

-    ‘कंपिली’ विजय के दौरान उसके दो अधिकारियों ‘हरिहर एवं बुक्का’ को भी बन्दी बना कर दिल्ली लाया गया।
-    ‘विजयनगर’ साम्राज्य के संस्थापक ये  ही दोनों बंधु ‘हरिहर एवं बुक्का’ थे।
-    1325 के बाद से ही दक्षिण में सल्तनत के विरुद्ध विद्रोह की भावना प्रबल हो गयी थी एवं विद्रोह की शंृखला सी चल पड़ी थी। इन्हीं विद्रोहों का दमन (विशेषकर कंपिली के विद्रोह का) करने के लिए मुहम्मद तुगलक ने ‘हरिहर एवं बुक्का’ को अपना सेनापति बनाकर दक्षिण भेजा।
-    ‘हरिहर एवं बुक्का’ ने कंपिली के विद्रोह का दमन किया। इसी बीच ‘विद्यारण्य’ नामक संत के प्रभाव व निर्देशन से इन्हें अपना स्वतंत्रा राज्य स्थापित करने की प्रेरणा मिली।
-    1336 ई. में ‘हरिहर एवं बुक्का’ ने विजयनगर साम्राज्य की स्थापना कर अपनी स्वतंत्राता की घोषणा कर दी।
-    विजयनगर साम्राज्य की स्थापना की परिस्थितियों एवं इसके संस्थापकों की मूल उत्पत्ति अत्यन्त विवादास्पद है। कतिपय विद्वानों के मतानुसार पहले वे काकतीयों के यहाँ अधिकारी थे, एवं काकतीयों के पतन के बाद कंपिली राज्य की सेवाएं स्वीकार कर ली। इस सम्बन्ध में कुछ अन्य विद्वानों के मतानुसार वे होयसलों के सामन्त शासक थे एवं मूलतः कर्नाटक निवासी थे।
-    उत्पत्ति का मूल चाहे जो भी हो, इतना निश्चित है कि साम्राज्य के संस्थापक ‘हरिहर’ एवं ‘बुक्का’ ”संगम“ वंशीय थे। ‘संगम’ सम्भवतः इन बंधुओं के पिता का नाम था।
-    ‘हरिहर’ (1336 से 1356 ई.) विजय-नगर का प्रथम शासक बना। 1346 ई. में होयसल बल्लाल चतुर्थ के मदुरा के विरुद्ध युद्ध में मारे जाने के बाद ‘हरिहर’ ने सम्पूर्ण होयसल साम्राज्य को विजयनगर में मिला लिया।
-    1346 में ही बहमनी साम्राज्य की  भी स्थापना हो चुकी थी और वह उत्तर में विजय-नगर के प्रसार को स्वीकार नहीं कर सकता था। बहमनी वंश के संस्थापक ‘अलाउद्दीन हसन बहमन शाह’ ने कृष्णा एवं तुंगभद्रा नदियों के मध्य स्थित ‘रायचूर’ के किले व दोआब पर अधिकार कर लिया। यह बहमनी एवं विजय- नगर साम्राज्य के मध्य संघर्ष का प्रारम्भ था। बाद में यह संघर्ष अगले दो सौ वर्षों तक जारी रहा और ‘रायचूर दोआब’ इस संघर्ष का आधार बना रहा।
-    बुक्का प्रथम (1356-77) ने जो कि ‘हरिहर’ के बाद शासक बना, मदुरा तथा दक्षिण के अन्य बहुत से क्षेत्रों को अपने साम्राज्य के अधीन कर लिया।
-    बुक्का प्रथम की मृत्यु के बाद क्रमशः हरिहर द्वितीय (1377-1405 ई.), देवराय प्रथम (1405-22 ई.) उत्तराधिकारी हुए। देवराय प्रथम को बहमनियों के आक्रमण के अलावा आन्तरिक विद्रोहों का भी सामना करना पड़ा। आंध्र में कोंडबिन्दु का शासक विद्रोह करके बहमनियों से जा मिला। बहमनी सुल्तान फिरोजशाह ने वेलेम शासक के साथ मिलकर आंध्र में विजयनगर की सत्ता को क्षतिग्रस्त करना चाहा किन्तु देवराय प्रथम ने उसकी सारी गतिविधियों को विफल कर दिया था।
-    देवराय प्रथम ने तुंगभद्रा पर बांध बंधवा कर विजयनगर के लिए नहर बनवाया।
-    1422 में देवराय प्रथम की मृत्यु के बाद अल्पकाल के लिए वीर विजय एवं रामचन्द्र नामक शासक उत्तराधिकारी हुए।
-    देवराय द्वितीय संगम वंश का महानतम शासक था। उसने उत्तर पूर्व में कृष्णा नदी तक साम्राज्य विस्तार कर लिया एवं वेलेम के शासक सेे विजयनगर की  प्रभुसत्ता स्वीकार करवाया। इनके शासन काल में उड़ीसा के गजपति नरेश द्वारा दक्षिण की ओर साम्राज्य विस्तार का प्रयास किया गया। प्रसिद्ध तेलगु कवि ‘श्री नाथ’ कुछ समय तक उनके दरबार में रहे। देवराय द्वितीय संस्कृत का महान विद्वान व संरक्षक था।

स्मरणीय तथ्य
•   पाणिनि, कौटिल्य तथा चरक जैसे विद्वानों का संबंध किस शिक्षा केंद्र से था? -तक्षशिला
•   स्वातकेतु की प्रसिद्ध कथा किस उपनिषद् में वर्णित है? - छान्दोग्य उपनिषद्
•   ‘वैश्रवण’ किस देवता का दूसरा नाम है?    -कुबेर
•   किस सम्प्रदाय के सदस्यों को ‘जंगम’ कहा जाता था?    -लिंगायत
•   तमिलों द्वारा प्रयुक्त लिपि को कहा जाता था    - ग्रंथ
•    प्राचीनकाल में ‘यवनिका’ किस चीज का द्योतक था?    - पर्दा
•   ‘वाराह सिक्के’ किसके शासनकाल में सर्वाधिक लोकप्रिय थे?    - विजयनगर
•   दिल्ली सल्तनत के शासनकाल में सबसे उत्कृष्ट सिक्के किसके समय में चलाये गये थे?    -मुबारक शाह
•   मध्यकालीन भारत में सरखेज व बयाना किस वस्तु के उत्पादन के लिए प्रसिद्ध थे?    -नील
•   दारा ने उपनिषदों का अनुवाद किस नाम से किया था?    -सिर्र-ए-अकबर
•   खलिमपुर ताम्रपत्रा अभिलेख किस शासक से संबंधित थे?    -धर्मपाल
•   शेख बहाउद्दीन जकारिया किस सूफी सिलसिले से सम्बद्ध थे?    -सुहरावर्दी
•   शिवाजी की पैदल सेना में सबसे नीचे श्रेणी का अधिकारी कौन था?    -नायक
•   किस सिख गुरु को अकबर के शासनकाल में भूमि अनुदान प्राप्त हुआ, जिस पर प्रसिद्ध स्वर्ण मंदिर का निर्माण किया गया?    -गुरु रामदास
•   मध्यकालीन भारत में सरखेज व बयाना किस वस्तु के उत्पादन के लिए प्रसिद्ध थे?    - नील
•   दारा ने उपनिषदों का अनुवाद किस नाम से किया था?    -सिर्र-ए-अकबर
•   खलिमपुर ताम्रपत्रा अभिलेख किस शासक से संबंधित थे?    -धर्मपाल
•   शेख बहाउद्दीन जकारिया किस सूफी सिलसिले से सम्बद्ध थे?    -सुहरावर्दी
•   शिवाजी की पैदल सेना में सबसे नीचे श्रेणी का अधिकारी कौन था?    -नायक
•   किस सिख गुरु को अकबर के शासनकाल में भूमि अनुदान प्राप्त हुआ, जिस पर प्रसिद्ध स्वर्ण मंदिर का निर्माण किया गया?    -गुरु रामदास
•   वह भूमि जिसे मंदी के कारण्
•   वह भूमि जिसे मंदी के कारण लगान न दे पाने के कारण किसानों ने जमींदारों को दे दिया था, कहलाती थी    -बकाश्त
•   ‘भूमि पर ईश्वर का अधिकार है।’ यह किन आंदोलनकारियों की धारणा थी?    -फरैजी
•   ‘पोडनुर की कालकोठरी’ का सम्बन्ध किस विद्रोह से है?    -मोपिला विद्रोह
•   1843 के इंडिया एक्ट पंचम ने किस प्रथा को अवैध घोषित किया था? -गुलामी
•   महेन्द्र प्रताप, बरकतुल्लाह तथा ओबेदुल्लाह सिन्धी ने स्वतंत्रा भारत की अंतरिम सरकार की स्थापना कहां की थी?    -काबुल
•   किस आयोग की सिफारिशों से तेभागा आंदोलन को प्रेरणा मिली? -फ्लाउड आयोग
•   ‘पीरपुर रिपोर्ट’ किससे सम्बद्ध है?    -सम्प्रदायवाद
•   1942 में कई स्थानों में राष्ट्रीय सरकारें स्थापित की गयीं। इनमें से सबसे लम्बी अवधि तक किस सरकार ने कार्य किया?    -सतारा
•   सिकन्दर का भारत पर आक्रमण किस वर्ष हुआ?    - 327 ई. पू.
•   दक्षिण के किस राजवंश ने अपने दूतमंडल चीन भेजे ?    -चोल राजवंश
•   अखिल भारतीय ट्रेड यूनियन के प्रथम अधिवेशन की अध्यक्षता किसने की थी ?    -लाला लाजपतराय ने
•   1940 में भारतीय मुसलमानों के दिल्ली सम्मेलन का अध्यक्ष कौन था? -अल्लाबक्स
•   लोक शिक्षा समिति कब स्थापित की गई ?    -1823 में
•   ब्राह्ममण क्या है ?  -कर्मकाण्ड के विधि सूचक ग्रंथ

-    देवराय द्वितीय ने अपनी सेना में मुसलमानों को भर्ती करना प्रारम्भ किया और इन सैनिकों को जागीर दी।
-    1446 में देवराय द्वितीय की मृत्यु के बाद ‘मल्लिकार्जुन’ गद्दी पर बैठा। ‘मल्लिकार्जुन’ को ‘प्रौढ़ देवराय’ भी कहा जाता है। इनके काल में साम्राज्य का पतन आरम्भ हो गया। गजपति नरेश कपिलेश्वर एवं उत्तर की ओर से बहमनी सुल्तानों का आक्रमण शुरू हो गया।
-    मल्लिकार्जुन के उपरान्त विरुपाक्ष द्वितीय (1465-85 ई.) शासक बना। आंतरिक विघटन एवं बाह्य आक्रमण दोनों तीव्र हो गए। ‘चंद्रगिरि’ में विजयनगर के गवर्नर ‘सालुव नरसिंह’ ने गजपति नरेश के आक्रमण का अत्यन्त वीरता के साथ सामना किया। बहमनियों ने भी स्थिति का लाभ उठाया एवं तेलंगना क्षेत्र में सत्ता विस्तार कर लिया।
-   1485 ई. में विरुपाक्ष की उसके बड़े बेटे के द्वारा हत्या कर दिए जाने के साथ ही संगम वंश समाप्त हो गया।
-   अराजकता की इस स्थिति में ‘सालुव’ नरसिंह ने जो कि विजयनगर के एक क्षेत्रा का गवर्नर था, नायकों के साथ मिलकर अलोकप्रिय शासन को हस्तगत करना चाहा।
-   एक सेनानायक ‘नरसा नायक’ ने ‘राजप्रासाद’ पर आधिपत्य करके ‘सालुव नरसिंह’ को राजगद्दी संभालने का आमंत्राण दिया।
-   ‘सालुव नरसिंह’ विजयनगर के द्वितीय राजवंश ‘सालुव’ की स्थापना के साथ अत्यन्त विपरीत परिस्थिति में सिंहासनारूढ़ हुआ।
-   उसने सर्वप्रथम सामंत शासकों एवं विद्रोही नायकों के विद्रोहों का दमन किया।
-   संगम वंश के पतन के समय ही बहमनी साम्राज्य भी विघटित होकर पाँच राज्यों में विभाजित हो गया।
-   पुरुषोत्तम गजपति ने विजयनगर पर आक्रमण करके उदयगिरि पर अधिकार कर लिया एवं सालुव नरसिंह को बंदी बना लिया। मुक्ति की याचना करने पर उसे छोड़ दिया गया। बाद में सालुव नरसिंह ने विजयनगर को संभावित विनाश से बचा लिया।
-   1490 ई. में सालुव नरसिंह की मृत्यु के बाद उसका अल्पवयस्क पुत्रा ‘इम्माड़ि नरसिंह’ उत्तराधिकारी हुआ। सालुव नरसिंह का सेनानायक ‘नरसा नायक’ उसका संरक्षक बना। अवसर पाकर नरसा नायक ने सारी सत्ता स्वयं हथिया ली और विजयनगर का वास्तविक शासक बन गया।


स्मरणीय तथ्य
•      सुभाष चन्द्र बोस ने 1943 में आजाद हिन्द फौज की कमान किस देश में संभाली? -सिंगापुर
•      किस दैवीय शक्ति के प्रति गायत्री मंत्र सम्बोधित किया जाता था? -सावित्री (सविता)
•      महात्मा गांधी ने किस वर्ष चम्पारन सत्याग्रह किया था ? -1917
•      कार्तिकेय का उल्लेख किस वंश की मुद्राओं पर मिलता है ? -यौधेय
•      बौद्ध गाथाओं में हाथी किसका प्रतीक है ? -बुद्ध के जन्म का
•      साइमन कमीशन में कुल कितने सदस्य थे? -7
•      1858 से भारत में वित्तीय प्रशासन का सर्वोपरि नियंत्राण किसमें निहित था?-ब्रिटिश पार्लियामेन्ट
•      भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की प्रथम महिला अध्यक्ष  ऐनी बेसेन्ट थीं। वह किस वर्ष इस संगठन की अध्यक्षा बनी थीं ?-1917
•      ‘सोशल सर्विस लीग’ की स्थापना किसने की थी ? -नारायण मल्हार जोशी
•      बंग-भंग आन्दोलन के दौरान कांगे्रस अध्यक्ष कौन था ? -गोपाल -ष्ण गोखले
•     1859 में नील विद्रोह का वर्णन दीनबंधु मित्र ने अपने किस नाटक में किया?-नील दर्पण
•      सुभाष चन्द्र बोस ने 1941 में कहाँ पर एक ‘भारतीय सैन्य दल’ का गठन किया -बर्लिन
•      खेड़ा सत्याग्रह, नागपुर झण्डा सत्याग्रह तथा बोरसाड़ दण्डात्मक कर सत्याग्रह में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करने वाले प्रमुख नेता थे -वल्लभभाई पटेल
•      श्री पी. मिश्रा ने एक गुप्त क्रांतिकारी सभा का गठन किया था, जिसका नाम था-अनुशीलन समिति
•      विजयनगर साम्राज्य से संबंधित खंडहर का वह स्थान, जिसको आज विश्व विरासत संरक्षण के अंतर्गत यूनेस्को द्वारा सम्मिलित कर लिया गया है?- हम्पी
•      प्रथम अंग्रेज-मराठा युद्ध का काल क्या रहा? -वर्ष 1775.82
•      किस स्थल को ‘प्राचीन राजस्थान का टाटानगर’ कहा गया है? -राढ

स्मरणीय तथ्य
•      बाहरी लोगों के खिलाफ संथाल आदिवासियों ने विद्रोह किया था? - 1855 में
•      ब्रिटिश काल में आदिवासियों की पारंपरिक सामूहिक भू-स्वामित्व की व्यवस्था कहलाती थी? - खूंटकट्टी के नाम से
•      राजा महेंद्र प्रताप, बरकतुल्ला तथा उबैदुल्ला सिंधी द्वारा काबुल में ‘अस्थायी स्वतंत्रा भारत सरकार’ की स्थापना कब की गयी थी? -  1915 में
•      विशाल मात्रा में प्राचीन धर्मग्रन्थों का अनुवाद सैक्रेड बुक्स आॅफ द ईस्ट सीरिज (पचास खंडों में) किसके अधीन हुआ? -  एफ. मैक्समूलर
•      प्राचीन तिथि के अध्ययन को क्या कहा जाता है? - पुरालिपि शास्त्र
•      महाभारत, रामायण और प्रमुख पुराणों का अंतिम रूप से संकलन कब किया गया था? -  400 ई. के आसपास
•      वराहमिहिर की सुविख्याति कौन है? - वृहत् संहिता
•      प्रतिहार वंश का अंतिम शासक कौन था? - राज्यपाल
•      दासवंश के शासक गयासुद्दीन बलबन का वास्तविक नाम क्या था? - बहाउद्दीन
•      अमीर खुसरो का वास्तविक नाम क्या था? - यमीनुद्दीन मुहम्मद हसन
•      संगमवंश में दीवानखाना का मालिक क्या कहलाता था? - दयंग
•      बारदोली सत्याग्रह किसके नेतृत्व में हुआ था? - सरदार बल्लभभाई पटेल
•      17 मई, 1498 ई. को कालीकट के प्रसिद्ध बंदरगाह पर सामुद्रिक अभियान पूर्ण करते हुए भारत पहुंचने वाला कौन विदेशी यात्राी था? - वास्को-डि-गामा
•      फ्रांस के सम्राट लुई चैदहवें ने वित्तमंत्राी कोल्बर्ट के अनुरोध पर 1664 ई. में किस कंपनी की स्थापना की? -  कंपनी द. इंदु ओरिएंताल
•      डचों ने भारत में ‘ईस्ट इंडिया कंपनी’ की स्थापना कब की थी? - 1602 ई. में
•      यूनाइटेड इंडिया हाउस संगठन के संस्थापक कौन थे? - तारकनाथ दास और जी. डी. कुमार
•      इंडियन मिरर पत्रा के सम्पादक एवं संस्थापक कौन थे?  - देवेन्द्रनाथ टैगोर व मनमोहन घोष
•      एका आंदोलन कब हुआ था? - 1920.22
•      संगमकाल में चोलों की द्वीपीय राजधानी तथा सूती कपड़ों का बहुत बड़ा केन्द्र था? - नेडुजेलियन

-   इम्माड़ि नरसिंह के बालिग होने पर ‘नरसा’ के साथ उनका विवाद शुरू हो गया। ‘नरसा’ ने उसे ‘पेनुकोंडा’ के किले में नजरबंद कर दिया और अगले बारह-तेरह वर्षों तक सफलतापूर्वक शासन करते हुए   विजयनगर की खोई हुई प्रतिष्ठा को वापस लाने का प्रयास किया। उसने बीजापुर, बीदर, मदुरा आदि के विरुद्ध सफलतापूर्वक अभियान किया। उसकी सबसे महत्वपूर्ण सफलता रायचूर दोआब की थी जब वह वीदर के ‘कासिम वरीद’ के साथ मिलकर रायचूर के अनेक किले पर आधिपत्य स्थापित कर सका।
-   1505 ई. में इम्माड़ि नरसिंह की नरसा नायक के पुत्रा वीर नरसिंह ने हत्या कर दी। इस प्रकार सुलुव राजवंश का अन्त करके उसने तृतीय राजवंश ‘तुलुव’ की स्थापना की।
-     उसे आन्तरिक विद्रोहों व बाह्य आक्रमणों से जूझना पड़ा। चार वर्ष के संक्षिप्त शासनकाल के बाद उसकी मृत्यु हो गयी।
-   वीर नरसिंह के उपरान्त उसका छोटा भाई कृष्णदेव राय (1509-29 ई.) ने गद्दी संभाली। उसका शासनकाल विजयनगर साम्राज्य का श्रेष्ठतम काल था।
-   कृष्णदेव राय के शासन का भी प्रारम्भ शांतिपूर्ण नहीं हुआ था। उसे भी विभिन्न स्वतन्त्राता कामी सामंतों एवं बाह्य शक्तियों का सामना करना पड़ा।
-     कृष्णदेव राय ने उम्मतूर के सामन्त शासक, उड़ीसा के गजपति नरेश प्रताप रूद्र, आदिल शाही सुल्तान (बीजापुर) युसूफ आदिल एवं उसके पुत्रा इस्माइल आदिल, बीदर के महमूद शाह आदि को पराजित कर अपने साम्राज्य का विस्तार किया।
-    सम्पूर्ण रायचूर दोआब, जो एक लम्बे अर्से से संघर्ष का कारण था, को कृष्णदेव राय ने विजित कर अपने साम्राज्य में मिला लिया (1512 ई.)।
-    गुलबर्गा के किले पर अधिकार करने के बाद ‘बीदर’ पर आक्रमण करके सुल्तान ‘महमूद शाह’ को ‘बरीद’ के चंगुल से मुक्त कराके पुनः सिंहासनारूढ़ किया और ‘यवनराज स्थापनाचार्य’ का विरुद धारण किया।
-    1510 ई. में पुर्तगाली गवर्नर अल्बुकर्क ने फादर लुई को कालीकट के जमोरिन के विरुद्ध युद्ध सन्बन्धी समझौता करने और मत्कल तथा मंगलौर के मध्य एक कारखाने की स्थापना की अनुमति मांगने के लिए विजयनगर भेजा। कृष्णदेव राय ने स्पष्ट उत्तर देते हुए उसे वापस लौटा दिया।
-    गजपति नरेश प्रतापरुद्र चार बार पराजित होने पर ‘सन्धि’ की याचना करने लगे। कृष्णदेव राय ने प्रत्युत्तर में कृष्णा के उत्तर के विजित प्रदेश उन्हें वापस लौटा दिए तथा गजपति नरेश ने अपनी पुत्राी का विवाह कृष्णदेव राय से कर दिया।
-    1520 ई. तक कृष्णदेव राय ने विजयनगर के सारे शत्राुओं को पराजित कर दिया  तथा विजयनगर को एक अजेय शक्ति के रूप में स्थापित किया।
-    कृष्णदेव राय आरम्भ में पुर्तगालियों के प्रति तटस्थ दृष्टिकोण अपनाना चाहते थे, परन्तु जमोरिन के ऊपर पुर्तगाली विजय एवं ‘गोआ’ पर पुर्तगाली आधिपत्य से अपने व्यापारिक हितों को देखते हुए कृष्णदेव राय ने पुर्तगालियों से मित्राता का सम्बन्ध स्थापित कर लिया। इसके दो आधार थे
1.  बीजापुर का विरोध
2. आयातित घोड़ों की पुर्तगालियों द्वारा विजयनगर को आपूर्ति।

-    उसने विजयनगर की सेना को असीमित रूप से शक्तिशाली बनाया और साम्राज्य की समस्त राजनीतिक एवं सैनिक समस्याओं का सफल निदान किया।
-    वह संस्कृत एवं तेलगू का प्रकाण्ड विद्वान था।
-    उसने तेलगू में ‘अमुक्त माल्यद्’ नामक ग्रंथ का लेखन किया जिसमें उसके राजनीतिक विचार संगृहीत हैं।
-    सांस्कृतिक, साहित्यिक संरक्षक होने के कारण उसे ‘अभिनव भोज’ भी कहा जाता है।
-    उसने ‘विवाह-कर’ जैसे अलोकप्रिय करों को समाप्त कर जनता को करों से राहत दी।
-    ‘तेलगू साहित्य’ का यह गौरवपूर्ण काल था। कृष्णदेव राय अपने योगदान के लिये ‘आंध्र पितामह’ कहे जाते हैं।
-    कृष्णदेव राय ने ‘अमुक्त माल्यद’ में व्यक्त किया है कि राजा को कभी भी धर्म एवं न्याय की अवहेलना नहीं करनी चाहिए। उसने इस आदर्श का सदैव पालन भी किया।
-    उसने विजयनगर के निकट ‘नागलापुर’ नामक नगर का निर्माण कराया।
-    कृष्णदेव राय की 1529 ई. में मृत्यु हो गयी, परन्तु अपने पुत्रा के अल्पवयस्क (18 मास) होने के कारण उसने अपने जीवन काल में ही अपने चचेरे भाई ‘अच्युत राय’ को अपना उत्तराधिकारी नियुक्त कर दिया था।
-    कृष्णदेव राय के जामाता राम राय (राम राजा) को यह व्यवस्था रास नहीं आयी और अच्युत राय के सत्तारूढ़ होते ही वह अपने साले ‘सदाशिव’ का पक्ष लेने लगा। फलस्वरूप गृह युद्ध का संकट उपस्थित हो गया। ऐसी परिस्थिति में ‘अच्युत’ ने राम राय को शासन में सहभागी बना लिया।
-    आंतरिक अशान्ति का लाभ उठाते हुए गजपति प्रतापरुद्र एवं बीजापुर के इस्माइल आदिल ने अपनी पूर्व पराजय का बदला लेना चाहा। गजपति के आक्रमण को विफल कर दिया गया, परन्तु इस्माइल ने रायचूर एवं मुदगल के किलों पर अधिकार कर लिया।
-    1534 में अच्युत ने बीजापुर से रायचूर व मुदगल पुनः जीत लिया।
-    अच्युत के शेष शासन काल में सत्ता उसके साले ‘सिलक राज तिरुमल’ के  हाथों में केन्द्रीभूत हो गयी, जिसके भ्रष्टाचार व अन्यायपूर्ण करों से अच्युत के प्रति प्रजा की सहानुभूति समाप्त होती गयी।
-    दक्षिण में मदुरा, जिंजी एवं तंजावूर (तंजौर) अपने स्वतंत्राता का मार्ग प्रशस्त करने लगे और पुर्तगालियों ने तूतीकोरिन के मोती उत्पादक क्षेत्रों पर अपना आधिपत्य बढ़ा लिया।
-    1542 ई. में अच्युतराय की मृत्यु हो गयी। उसके साले सिलक राज तिरुमल ने अच्युत के अल्पवयस्क पुत्रा वेंकट प्रथम को सत्तारूढ़ किया। राजमाता ‘वरदेवी’ अपने पुत्रा को कुटिल भाई के चंगुल से बचाना चाहती थी, अतः इब्राहिम आदिल शाह से सहायता मांगी। राम राय आदिल शाह से मिलकर अच्युत के भतीजे सदाशिव को गद्दी पर बिठा दिया।
-    सदाशिव (1542) के शासन काल में वास्तविक सत्ता ‘रामराय’ के हाथ में रही। उसने साम्राज्य के शासन व्यवस्था में बुनियादी परिवर्तन किए। विजयनगर की पारम्परिक नीतियों के विपरीत उसने समकालीन दक्षिण की अंतर्राज्यीय राजनीति में भी हस्तक्षेप करना प्रारम्भ किया। यह अंततः विजयनगर साम्राज्य के लिये पतन का कारण बना।
-    रामराय को प्रशासन में उसके दो भाइयों (तिरुमल एवं वेंकटाद्रि) ने असीम सहायता की।
-    1560 ई. तक दक्षिण भारत में विजय-नगर की स्थिति सर्वोच्च हो गयी थी। अहमद नगर, गोलकुण्डा एवं बीदर की शक्तियों का दमन कर दिया गया था जबकि बीजापुर का अस्तित्व विजयनगर की दया पर निर्भर था।
-    विजयनगर की बढ़ती हुई शक्ति से दक्षिणी सल्तनत अत्यन्त आशंकित हो गयीं और पुराने भेद-भावों को भुलाकर चार दक्षिण राज्यों ने एक संघ का निर्माण कर लिया। यह आदिलशाह  के मस्तिष्क की उपज थी जब कि ‘सिराजी’ के अनुसार ‘अहमद नगर’ ने इसकी पहल की थी।
-    महासंघ के निर्माण के बाद आदिलशाह ने रामराय से ‘रायचूर’, मुदगल एवं अन्य दुर्गों की वापसी की मांग की। ‘राम राय’ के द्वारा मांग ठुकरा दिये जाने पर इस महासंघ की सेनाएं ‘राक्षसी तांगड़ी’ के मैदान के बीच आ डटीं।
-    25 जनवरी, 1565 ई. को मुस्लिम संघ एवं विजयनगर के मध्य निर्णायक ‘राक्षसी तंगड़ी’ (तालिकोटा) का युद्ध शुरू हो गया। प्रारम्भ में संघ की सेनाएं पराजित हुयीं परन्तु बाद में मुस्लिम तोपों ने विजयनगर की सेना को छिन्न-भिन्न कर दिया। ‘राम राय’ मार डाला गया एवं ‘विजयनगर’ को जो कि तत्कालीन विश्व का गौरवपूर्ण नगर था, नष्ट-भ्रष्ट कर दिया गया।
-    यह युद्ध भारतीय इतिहास के सर्वाधिक विनाशकारी युद्धों में से एक था। यद्यपि इस युद्ध के बाद विजयनगर साम्राज्य एक शताब्दी तक जीवित रहा, तथापि इसका वैभव व शक्ति नष्ट हो चुका था।
-    युद्ध के पश्चात् शासन का केन्द्र विजय-नगर से ‘पेनुकोण्ड’ ले जाया गया। वहाँ से पुनः ‘चंद्रगिरि’ को केन्द्र बनाया गया।
-    ‘चन्द्रगिरि’ में राम राय के भाई तिरुमल ने चैथे राजवंश ‘आरविडु’ की नींव रखी। परन्तु नायकों ने अब अपनी स्वतंत्राता घोषित करना शुरू कर दिया। मुगलों, मराठों ने भी लाभ उठाया एवं 17वीं शताब्दी के मध्य तक यह गौरवपूर्ण विजयनगर साम्राज्य लुप्त हो गया।
-    भारतीय इतिहास में ‘विजयनगर’ ‘अन्तिम राज्य’ था जहाँ परम्परागत ‘वर्णाश्रम’ व्यवस्था की स्थापना के महत्व पर बल दिया गया। शासक वर्णाश्रम धर्म के प्रति अत्यन्त जागरुक थे।
-    सामाजिक जीवन का आदर्श परम्पराएं व रुढ़िगत आचार थे।
-    ब्राह्मणों को समाज में सर्वोच्च स्थान प्राप्त था। इनके कार्य शिक्षा एवं पूजा-पाठ तक ही सीमित नहीं थे। इनमें से कुछ अधिकारी व मंत्राी भी होते थे। ‘माधव एवं सायण’ जो कि वेदों के विद्वान व्याख्याता थे, वुक्का एवं हरिहर के अधीन मंत्राी थे। 
-    ब्राह्मणों को मृत्युदण्ड नहीं दिया जा सकता था।
-    विजयनगर के सामाजिक परिदृश्य से क्षत्रियों की अनुपस्थिति महत्वपूर्ण है। सम्भवतः मध्यवर्गीय ‘सेट्टि’ अथवा ‘चेट्टि’ की उपस्थिति से ऐसा हुआ। ‘सेट्टि’  व्यापारी, क्लर्क एवं एकाउन्टेंट थे।

स्मरणीय तथ्य
•      विजयनगर साम्राज्य में सबसे लम्बे समय तक शासन करने वाला वंश था ‘संगम वंश’।
•      विजयनगर एवं बहमनी के मध्य संघर्ष का सर्वाधिक महत्वपूर्ण कारण था ‘रायचूर एवं तुंगभद्रा के दोआब’ क्षेत्र पर अधिकार।
•      विद्यारण्य नामक वैष्णव सन्त ने हरिहर एवं बुक्का को पुनः हिन्दू बनाया और साथ ही विजयनगर साम्राज्य की स्थापना में सहयोग किया।
•      बुक्का प्रथम ने एक दूतमण्डल चीन भेजा था।
•      विजयनगर साम्राज्य ‘तंुगभद्रा’ नदी के किनारे स्थित था।
•      कृष्णदेव राय ने ‘अमुक्तमाल्यद’, ‘जाम्बवतीकल्याण’ एवं ‘उषा परिणय’ की रचना की।
•      कृष्णदेव राय का राजकवि पेड्डाना था। इसके राजदरबार में रहने वाले तेलुगु साहित्य के आठ कवियों को ‘अष्टदिग्गज’ कहा गया।
•      कृष्णदेव राय ने ‘यवनराज स्थापनाचार्य’, ‘आंध्र भोज’ ‘आन्ध्र पितामह’ आदि उपाधि धारण की।
•      तालिकोटा के युद्ध को ‘राक्षसी-तंगड़ी’ एवं बेन्नी हट्टी की लड़ाई के नाम से भी जाना जाता है।
•      विजयनगर के विरुद्ध बने मुस्लिम महासंघ तिरुमल ने ‘पेनुगोंडा’ को अपनी राजधानी बनाया।"
•      नाडु की सभा के सदस्यों को ‘नात्तवर’ कहते थे।
•      मनयम आयंगारों को दी गई कर-मुक्त भूमि को कहते थे।
•      विजयनगर नरेश कृष्णदेव राय ने भूमि का सर्वेक्षण करवाया।
•      गीली भूमि को ‘नन्जाई’ कहते थे।
•      नकद लगान को सिद्दम कहा जाता था।
•      भंडारवाद ग्राम वे होते थे जिनकी भूमि राज्य के प्रत्यक्ष नियंत्राण में होती थी।
•      ‘उम्बलि’ भूमि उस भूमि को कहते थे, जो गाँव में कुछ विशेष सेवाओं के बदले दी जाती थी। यह भूमि लगान मुक्त होती थी।
•      ‘कुट्टगि’ भूमि कुछ बड़े भूस्वामियों तथा मन्दिरों द्वारा पट्टे पर दी जाती थी।
•      ‘वेसबाग’ मनुष्यों के क्रय-विक्रय को कहते थे।
•      ‘बोमलाट’ छाया नाटक को कहते थे।
•      विजयनगर के शासक शैव एवं वैष्णव धर्म के अनुयायी थे।
•      विजयनगर आये विदेशी यात्रियों में अब्दुल रज्जाक राजदूत की हैसियत से आया था।
•      विजयनगर दरबार के महत्वपूर्ण कवि पेड्डाना को ‘आन्ध्र कविता का पितामह’ कहा गया।

-   ‘विप्रविनोदिन्’ एवं ‘वीर पांचाल’ लौहकार, स्वर्णकार, पीतल का कार्य करने वाले, मूर्ति निर्माता, बढ़ई आदि का समूह था।
-   ‘कैक्कोल’ (बुनकर) भी महत्वपूर्ण वर्ग था।
-   ‘रेड्डी’ जो कि देवराय के कार्यकाल में महत्वपूर्ण हो गये, तेलगू प्रांत में महत्वपूर्ण प्रभाव रखते थे।
-   ‘दोम्बरा’ (फेरी वाले), ‘मरवा’ (मछली पकड़ने वाले), जोगी आदि समाज के निम्न वर्ग एवं उपेक्षित थे।
-   उत्तर से आये लोगों को ‘बदुगा’ कहा जाता था। इन्होंने समाज पर व्यापक प्रभाव छोड़ा एवं उत्तर-दक्षिण परम्पराओं को एकमेक किया।

स्मरणीय तथ्य
•      शमशुद्दीन इल्तुतमिश ने कौन सी उपाधि धारण की थी? - ‘सुल्तान’ ए-आजम’
•      खलजीवंश का संस्थापक कौन था? - जलालुद्दीन खिलजी
•      भारत पर मंगोल आक्रमण मंगोल नेता चंगेज खान के नेतृत्व में किसके शासनकाल के दौरान हुआ? - इल्तुतमिश के शासन काल में
•      तुगलक वंश किस दूसरे वंश के नाम से प्रसिद्ध है? - करौना तुर्क वंश
•      ‘तारीखे-फिरोज शाही की रचना किसने की? - जियाउद्दीन बरनी
•      दिल्ली के पुराने किले को किसने बनवाया था? -  शेहशाह ने
•      मुगल शासन प्रणाली के अन्तर्गत सूबे का सर्वोच्च अधिकारी क्या कहलाता था? - ‘साहिब-ए-सूबा’
•      मुगल शासन प्रणाली के अन्तर्गत वित्त विभाग का प्रधान क्या कहलाता था? - दीवान-ए-आलाह
•      अमेरिका एवं कनाडा में गदर पार्टी का 1913 में गठन किन लोगों ने मिलकर किया था? - लाला हरदयाल, काशीराम व सोहन सिंह
•      सुभाष चंद्र बोस ने भारत को स्वतंत्र कराने के उद्देश्य से सिंगापुर में आजाद हिन्द फौज की स्थापना कब की थी? - 1943 में
•      भारतीयों के सत्ता हस्तांतरण के संबंध में बातचीत करने ब्रिटिश मंत्रिमंडल के सदस्यों का कैबिनेट मिशन नामक दल भारत कब आया था? - 1946 में
•      1875 ई. में न्यूयार्क में थियोसाफिकल सोसाइटी की स्थापना किसने की थी? - मैडम ब्लावटस्की तथा कर्नल अल्काट ने
•      किस वेद में इन्द्र की प्रतिमा का मूल्य दस गायें आंका गया है? - ऋग्वेद
•      बिहू नामक नृत्य मनाया जाता है  - असम
•      पंचमवेद माना गया है - महाभारत
•      महाभारत का प्रारम्भिक नाम है -  जय-युद्ध
•      जनक की सभा में गार्गी और याज्ञवल्क्य के बीच वाद-विवाद का उल्लेख मिलता है - वृहदारण्यक उपनिषद्
•      ‘पेरीप्लस आॅफ इरीथियन सी’ में भारत के किस बन्दरगाह का वर्णन है? - भडौंच
•      मध्य एशिया को आर्यों का आदि देश बताया है -  मैक्समुलर
•      ‘पीटरा डयूरा’ कला का प्रथम बार प्रयोग हुआ है  -  एत्माद्दौला के मकबरे
•      खान-ए-जहां मकबूल हिन्दू था -  तेलंगाना
•      अपने को कौन ‘वुत-शिकन’ कहता था? - महमूद गजनवी

-    अपनी आर्थिक क्षमताओं के आधार पर अनेक निम्न जातियों ने अपनी श्रेष्ठता स्थापित कर स्वयं को उच्च वर्ग में लाना चाहा। इनमें ‘शत् शूद्र’ महत्वपूर्ण थे।
-    ‘वेलांगै’ (दाएं हाथ) एवं इडंगै (बाएं हाथ) जैसे औद्योगिक वर्ग का अस्तित्व यहाँ भी था एवं इनमें भी श्रेष्ठता को लेकर निरन्तर संघर्ष चलता रहता था।
-    स्त्रियों की स्थिति सम्मानजनक थी। अनेक स्त्रियाँ विद्वान एवं साहित्य ज्ञाता थीं। सामान्यतया ‘एक विवाह’ प्रथा प्रचलित थी किन्तु राजा एवं शिष्ट वर्ग ;ज्ञपदह ंदक छवइपसपजलद्ध ‘बहुल विवाह’ भी करते थे।
-    ब्राह्मणों में अल्पवयस्क विवाह एक सामान्य परम्परा थी।
-    विधवा स्त्रियों की दशा अत्यन्त दयनीय थी किन्तु वे पुनर्विवाह कर सकती थीं। राज्य विधवा-पुनर्विवाह को बढ़ावा देने के लिए उनसे विवाह-कर नहीं लेता था।
-    शिष्ट एवं उच्च वर्गीय महिलाओं की शिक्षा पर अत्यन्त ध्यान दिया जाता था। नृत्य एवं संगीत इसका अभिन्न अंग था।
-    विजयनगर में स्त्रियाँ फेरीवाली, ज्योतिषी, अंगरक्षक, लेखक, लेखाकार, संगीतज्ञ, योद्धा, व्यापारी आदि सभी कार्यों में जुड़ी दिखती है।
-   स्त्रियों का एक वर्ग वेश्याओं (Courtesans) का था जिनका समाज में महत्वपूर्ण योगदान था। इनके दो वर्ग थे-
1. मंदिरों से जुड़ा वर्ग
2. स्वतंत्रा रहने वाली
-   विजयनगर साम्राज्य में ‘सती’ प्रथा (सहगमन) के प्रचलन का पूर्ण साक्ष्य मिलता है। यह ऐच्छिक थीं एवं विशेषतया उच्च वर्ग में प्रचलित थीं।
-   दास प्रथा (बेसबग) प्रचलित थी एवं मनुष्य बेचे भी जाते थे। दासों की दशा कतिपय निर्धारित नियमों से अनुशासित थीं एवं उनसे दुव्र्यवहार नहीं किया जा सकता था। दासत्वमुक्ति का भी प्रावधान था।
-   परम्परागत पद्धति पर आधारित समाज होने पर परिवर्तनों की भी स्वीकारोक्ति मिलती है। विवाह, दहेज, धार्मिक तनाव एवं वर्गीय विभेद के गम्भीर मुद्दों पर प्रजा एवं प्रशासन दोनों द्वारा कतिपय सुधारों को प्रस्तुत किया जाता था।
-   जब ‘दहेज प्रथा’ प्रचलन में अत्यधिक आने लगी तो ब्राह्मणों के सभी वर्ग ने इसको अवैध घोषित कर दिया।
-   जातीय एवं साम्प्रदायिक विवादों को न्यायिक व्यवस्था में प्राथमिकता दी जाती थी एवं इनको बिना किसी न्यायिक कर के निपटाया जाता था।
-   राजा सर्वोच्च प्रशासनिक प्रमुख था एवं राज्य का सर्वेसर्वा था। विजयनगर के राजा, प्राचीन हिन्दू राजाओं की तरह राज्यारोहण समारोह करते थे। राजा के चयन में मंत्राीगण भी अपना पक्ष रखते थे।
-   प्राचीन परम्परानुसार ही विजयनगर के सम्राट अपने जीवन काल में अपना उत्तराधिकारी -‘युवराज’ नियुक्त करते थे। ‘युवराज’ राजा के साथ सह-शासक की भूमिका भी निभाता था। राजा के अन्य पुत्रा प्रादेशिक प्रमुख (Provincial Viceroy) नियुक्त किए जाते थे।
-   राजा का प्राथमिक कर्तव्य था प्रजा को सुरक्षा व संरक्षण प्रदान करना एवं उनके कष्टों का उन्मूलन करना। शांति, न्याय आदि व्यवस्था की स्थापना हेतु पुलिस तथा सैन्य बल का संगठन करना उसका दूसरा प्रमुख कर्तव्य था। प्रदेश प्रमुख द्वारा जनता के शोषण की स्थिति में राजा सीधे हस्तक्षेप करते थे।
-   राजा स्वयं को धर्म प्रमुख के रूप में भी प्रस्तुत करते थे। वे समाज की एकता, समृद्धि व शांति के कामी थे। वे मूलतः धर्मनिरपेक्ष थे तथा समन्वित एवं संतुलित दृष्टिकोण अपनाते थे।
-   राजा सर्वशक्ति सम्पन्न होते हुए भी निरंकुश आचरण नहीं करता था। उनकी शक्तियां कतिपय नियमन एवं संस्थाओं द्वारा संचालित व नियंत्रित थीं। कुछ सामुदायिक संगठन अपने लिये स्वयमेव नियम बनाते थे, जिसे राजा लागू करता था।
-   ‘राजकीय परिषद’ (Royal Council) राजा पर नियंत्राण की अन्य महत्वपूर्ण संस्था थी। राजा इस परिषद से राज्य के मुद्दों व नीतियों पर सलाह लेता था। यह मंत्रिपरिषद भी थी।
-   अन्य परिषदें जैसे शासकीय परिषद जो कि कुछ प्रभावपूर्ण मंत्रियों एवं कतिपय निम्न अधिकारियों से निर्मित थी, का भी अस्तित्व था।
-   विजयनगर से सम्बन्धित अभिलेखों में कतिपय अधिकारियों का विवरण मिलता है-उप प्रधानि, प्रधानि, महाप्रधानि, श्री प्रधानि, सर्व श्री प्रधानि आदि। सम्भवतः यह मंत्रियों की अवस्थिति थी।
-   ‘प्रधानि’ जो कि राज्य का महत्वपूर्ण अधिकारी होता था-‘दण्डनायक’ की उपाधि धारण करता था। इसके दो आधार दिये गये है-
1. बलों (सैन्य, पुलिस आदि) का नेता
2. प्रशासन का प्रमुख।

-   ‘दण्डनायक’ सम्भवतः एक सामान्य नाम था जो कि अधिकारियों के समूह जिसमें कि प्रधानमंत्राी भी होता था, के लिए लागू होता था।
-   ‘रायसम्’ राजकीय सचिव के रूप में कार्य करता था, जिसका एक सचिवालय होता था तथा उससे विभिन्न विभाग जुड़े थे।
-   ‘कर्निमक’ (लेखाकार-Accountant) अन्य महत्वपूर्ण अधिकारी था।
-   नम भूमि (wet land) जिस पर शुष्क फसलें उगायी जाती थीं ननजई कहलाती थी। 
-   ‘वसल पानम्’ नामक कर गृह एवं गृह-क्षेत्रों (मनाई) पर लागू होता था।
-   भूमि का उचित सर्वेक्षण किया जाता था तथा करारोहण हेतु भूमि से होने वाली आय को महत्व दिया जाता था।
-   राजकीय आय में व्यापारिक एवं वाणिज्यिक गतिविधियों पर लगने वाले करों का भी महत्वपूर्ण योगदान था।
-   जिन ग्रामों की भूमि राज्य के सीधे नियंत्राण में थी ऐसे ग्रामों को ‘भंडारवाद ग्राम’ कहा जाता था।
-   पूरे साम्राज्य में न तो भूमि के समान  पैमाइश की व्यवस्था थी और न लगान की दरें ही समान थी। ब्राह्मण के स्वामित्व वाली भूमि से उपज का 20वां भाग तथा मंदिरों की भूमि से तीसवां भाग लगान के रूप में लिया जाता था। सामान्य कर 1/6 भाग से कुछ अधिक था।
-   सीमा शुल्क एवं नियंत्राण शुल्क स्थलीय एवं जलीय दोनों व्यापार पर निश्चित दर पर लिया जाता था। ‘सीमा शुल्क’ का संकलन स्थानीय व्यक्ति करता था तथा एक निश्चित राशि राजकोष को दे देता था।
-   नमक एवं ताड़ी जैसे वस्तुओं के निर्माण पर उत्पाद शुल्क लगता था।
-   व्यवसाय कर भी लगता था, परन्तु यह आय के आधार पर न होकर परम्परागत व्यवसाय के आधार पर लगता था। यह वार्षिक एवं नकद था।
-   राज्य करों का संग्रहण नकद एवं वस्तु दोनों रूप में करता था। भू-कर वस्तुओं (Kind) के रूप में लिया जाता था जबकि भूमि पर अन्य अधिभार नकद (Cash) लिए जाते थे।
-   ‘नकद’ भुगतान किये गये करों के लिए ‘सिद्धय’ शब्द प्रयुक्त मिलता है।
-   विभिन्न परिस्थितियों व आवश्यकताओं पर ‘रैयतों’ को करों से मुक्त भी किया जाता था।
-   ‘राजस्व विभाग’ को ‘अथावन्’ कहा जाता था जिसका प्रमुख राजस्व मंत्राी होता था।
-   सैनिकों के चयन की दो विधियां थीं-
1. राज्य द्वारा सैनिकों का सीधे चयन व नियुक्ति। यह स्थायी सेना थी।
2. सामन्तों के माध्यम से प्रदत्त सैन्य सुविधा। यह अल्पकालीन सूचना पर सामन्तों द्वारा उपलब्ध कराई जाने वाली सेना थी।

-   वे सामन्त जो कि राजा के साथ सैन्य बन्धन (Ties of Military Service) से जुड़े थे ‘अमर नायक’ कहलाते थे एवं इनकी सेवा के बदले इनको दी जाने वाली भूमि ‘अमरम’ कहलाती थी।
-   विजयनगर सेना में ब्राह्मणों का महत्वपूर्ण स्थान था। वे सैनिक तथा सेना नायक सभी वर्ग में थे।
-   विजयनगर प्रशासन में ‘सैन्य विभाग’ को ‘कण्डचार’ कहा जाता था।
-   सैनिकों को राजकोष से सामान्यतः नकद वेतन दिया जाता था।
-   ‘नाडु’ ‘मेल ग्रामों’ में भी विभाजित मिलते है। मेलग्राम में 50 गाँव होते थे।
-   गवर्नर या दण्डनायक राज्य (प्रदेश) के प्रमुख होते थे तथा इनको काफी स्वायत्तता प्राप्त थी। ये सिक्के जारी कर सकते थे, कर लगा सकते थे, कर समाप्त कर सकते थे एवं भूमि दान दे सकते थे।
-   ग्रामों में स्थानीय स्वशासन प्रचलित था एवं वह ‘उर’, ‘सभा’, ‘महासभा’ जैसी संस्थाओं के माध्यम से शासित होता था।
-   ‘आयगार व्यवस्था’ ने ग्रामीण स्वायत्त शासन को कुचल दिया था। इसके तहत ग्राम को एक स्वतंत्रा इकाई के रूप में सुगठित करके इस ग्रामीण शासकीय इकाई पर शासन के लिए 12 व्यक्तियों को नियुक्त कर दिया जाता था।
-   ग्राम शासन के लिए नियुक्त इस 12 शासकीय अधिकारियों के समूह को ‘आयगार’ कहा जाता था।
 

स्मरणीय तथ्य
 •     गान्धार मूर्ति कला शैली की कल्पना का आधार है  - हरक्यूलीज
 •     ”आओ हम इस पुराने वृक्ष के खोखले तने पर प्रहार करें, शाखाएं तो स्वयं ही गिर जाएंगी“ यह कथन किसके बारे में है? - मुगलों ने
•     अलाउद्दीन खिलजी ने राय-रय्यन की उपाधि प्रदान की थी - रामचन्द्र
•     उन्नीसवीं शताब्दी में वहाबी आन्दोलन का मुख्य केन्द्र था - पटना
•     ”ये मुसलमान नहीं वरन उनके सरकारी आका हैं, जो कांग्रेस का विरोध करते हैं“ किसने कहा था? - शेख रजा हुसैन खान
•     खेड़ा आन्दोलन सम्बन्धित था - वर्षा न होने के कारण फसल नष्ट होने पर कर मत दो
•     बंगाल के तेभागा आन्दोलन का नेतृत्व कर्ता था - प्रान्तीय किसान सभा
•     बौद्ध विश्वविद्यालय विक्रमशिला की स्थापना किसने की थी?- पालवंश के शासक धर्मपाल ने
•     चंगेज खां ने भारत पर आक्रमण किसके शासनकाल में किया था? - इल्तुतमिश के शासनकाल में
•     ‘तारीख-ए-फिरोजशाही’ किसकी रचना है? - जियाउद्दीन बरनी की
•     रामचन्द्र पाण्डुरंग कानपुर के प्रसिद्ध स्वतंत्राता सेनानी थे, गदर के इतिहास में इनका किस नाम से उल्लेख है? - तांत्या टोपे
•     भारत में गठित सर्वप्रथम राजनीतिक संगठन कौन था? - लैण्डहोल्डर्स सोसाइटी, कलकत्ता
•     संगमयुगीन ग्रन्थ ‘तोलक्कप्पियम’ किस विषय से संबंधित है? - व्याकरण और काव्य से
•     ‘शर्व’ कर किस पर लगाया जाता था? - सिंचाई पर
•     विक्रम संवत् कब से प्रारम्भ हुआ? - 58 ईसा पूर्व से

-    इन ‘आयगारों’ के पद आनुवंशिक होते थे तथा ये अपने पद को बेच या गिरवी रख सकते थे। इन्हें वेतन के बदले लगान या कर मुक्त भूमि प्रदान की जाती थी।
-    नायकर व्यवस्था में सामन्तवादी लक्षण बहुत अधिक थे।
-    कमजोर शासक के काल में ‘नायक’ उच्शृंखल हो जाते थे एवं अपनी स्वतन्त्राता घोषित कर देते थे। परिणामस्वरूप ‘नायकर व्यवस्था’ साम्राज्य के विनाश का कारण बनी।
-    साम्राज्य के परवर्ती दिनों में ‘नायकों’ की उच्शृंखलता को रोकने के लिए ‘महामण्डलेश्वर’ या विशेष कमिश्नरों की नियुक्ति सम्पूर्ण साम्राज्य में की गयी।
-    ‘महानवमी’ जो कि दुर्गा को समर्पित हुआ करती थी, इस त्यौहार के समारोह में राजा की उपस्थिति अनिवार्य थी।
-    मुख्य निर्यात की वस्तुएं थीं-चावल, चीनी, मसाले, रंग, छपे हुए वस्त्र, लोहा एवं नमक।
-    मुख्य आयात की वस्तुएं थीं-घोड़े, हाथी, सोना, चाँदी, मोती, मूँगा, पारा, रेशम, मखमल आदि।
-    सोने तथा तांबे के सिक्के मुख्यतः प्रचलन में थे। चाँदी के सिक्के कम चलते थे

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FAQs on विजयनगर साम्राज्य - इतिहास,यु.पी.एस.सी - इतिहास (History) for UPSC CSE in Hindi

1. विजयनगर साम्राज्य क्या था?
उत्तर: विजयनगर साम्राज्य भारत के दक्षिणी भाग में स्थित एक प्रमुख राज्य था। यह साम्राज्य 14वीं से 17वीं शताब्दी तक मच्छुकुंदा वंश के शासकों द्वारा स्थापित किया गया था। विजयनगर साम्राज्य एक सांस्कृतिक, धार्मिक और आर्थिक केंद्र था और विजयनगर की स्थापना विष्णु द्वारा योग्य राजा के द्वारा की गई थी।
2. विजयनगर साम्राज्य कितने समय तक चला?
उत्तर: विजयनगर साम्राज्य लगभग 300 वर्षों तक चला, यानी 14वीं से 17वीं शताब्दी तक।
3. विजयनगर साम्राज्य के शासक कौन थे?
उत्तर: विजयनगर साम्राज्य के शासक मच्छुकुंदा वंश के राजा थे। इस वंश के शासकों में मुख्य रूप से हरि हर राय, देवराय और कृष्ण देव राय प्रमुख हैं।
4. विजयनगर साम्राज्य की स्थापना कब हुई?
उत्तर: विजयनगर साम्राज्य की स्थापना 1336 ईस्वी में हुई थी।
5. विजयनगर साम्राज्य का महत्व क्या था?
उत्तर: विजयनगर साम्राज्य भारतीय इतिहास में महत्वपूर्ण राज्यों में से एक था। इसे एक सांस्कृतिक, धार्मिक और आर्थिक केंद्र के रूप में जाना जाता है। इसके शासकों ने कला, साहित्य, संगीत, वाणिज्यिक गतिविधियों और सामरिक कौशल को प्रोत्साहित किया। विजयनगर साम्राज्य के अवशेष आज भी दक्षिण भारतीय सांस्कृतिक विरासत का महत्वपूर्ण हिस्सा हैं।
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