UPSC Exam  >  UPSC Notes  >  भारतीय अर्थव्यवस्था (Indian Economy) for UPSC CSE in Hindi  >  स्वतंत्र व्यापार एवं संरक्षण - पारंपरिक अर्थव्यवस्था

स्वतंत्र व्यापार एवं संरक्षण - पारंपरिक अर्थव्यवस्था | भारतीय अर्थव्यवस्था (Indian Economy) for UPSC CSE in Hindi PDF Download

  • ”स्वतंत्र व्यापार वह स्थिति है जहां पर कोई बाह्य हस्तक्षेप न हो।“ एडम स्मिथ स्वतंत्र व्यापार को परिभाषित करते हुए कहते हैं कि ”स्वतंत्र व्यापार से आशय व्यापारिक नीति को उस प्रणाली से है जो घरेलू एवं विदेशी वस्तुओं में कोई अन्तर नहीं करती न तो विदेशी वस्तुओं पर कोई अतिरिक्त कर लगाया जाता है और न ही घरेलू वस्तुओं की कोई विशेष रियायत या सुविधा दी जाती है।“ 

लाभ

  • स्वतंत्र व्यापार आपस में लाभकारी क्षेत्रीय श्रम विभाजन का विस्तार करता है, राष्ट्रों के सम्भावित वास्तविक राष्ट्रीय उत्पादन में वृद्धि तथा विश्व में उच्च जीवन-स्तर को सम्भव बनाता है। 
  • स्वतंत्र व्यापार के पक्ष में निम्न तर्क प्रस्तुत किये जाते हैं-
  • स्वतंत्र व्यापार, व्यापार चक्रों के कुप्रभावों को काफी हद तक समायोजित कर लेता है। 
  • मंदी के समय में निर्यातों में वृद्धि करके तथा मुद्रा प्रसार में आयातों को प्रोत्साहित करके व्यापार चक्रों के कुप्रभावों को कम किया जा सकता है।
  • भेदभाव रहित स्वतंत्र व्यापार होने के कारण सभी देशों में आवश्यक कच्चे माल की पर्याप्त मात्र में समान स्तर पर पूर्ति होती रहती है।
  • स्वतंत्र व्यापार होने से आवश्यकतानुसार कच्चे माल की प्राप्ति आसान हो जाती है जिससे औद्योगिक विकास की गति में तीव्रता लायी जा सकती है। जो आर्थिक विकास में अति सहायक होता है।
  • स्वतंत्र व्यापार के कारण साधनों का अनुकूलन उपयोग करके औद्योगिक उत्पादन क्षमता में वृद्धि की जा सकती है, जिससे देश की राष्ट्रीय आय स्वतः बढ़ जाती है। 
  • ऐसी  स्थिति में उन्हीं वस्तुओं का उत्पादन भी बढ़ाया जा सकता है जिससे राष्ट्र को अधिकतम आर्थिक लाभ मिल सके।
  • स्वतंत्र व्यापार के कारण देश में एकाधिकारी शक्तियां स्थापित नहीं हो पातीं। इससे फर्में अनुकूलतम आकार प्राप्त कर लेती हैं।
  •  स्वतंत्र व्यापार से बाजार का विस्तार होता है, प्रतियोगिता बढ़ती है जिससे वस्तुओं की गुणवत्ता मंे सुधार आता है तथा साथ ही साथ वस्तुओं के उत्पादन लागत में भी कमी आ जाती है।
  • स्वतंत्र व्यापार से प्रतियोगिता बढ़ती है, जिससे तकनीकी सुधार प्रोत्साहित होते हैं और उत्पादन में वृद्धि होती है। 
  • प्रो. हैबरलर ने स्पष्ट कहा है कि ”विदेशी प्रतियोगिता के कारण, घरेलू उत्पादक कुशल हो जाते हैं, तथा उत्पादन विधि में सुधार अपनाते हैं।“
  • स्वतंत्र व्यापार होने के कारण आयात करने वाला राष्ट्र इस बात के लिए पूरी तरह स्वतंत्र रहता है कि वह जिस राष्ट्र से चाहे वस्तुएं आयात करे। 
  • इस कारण निर्यात करने वाले राष्ट्र आपस में प्रतियोगिता करते हैं तथा वस्तुओं की कीमतें कम करके अपने निर्यात को बढ़ाने का प्रयत्न करते हैं। इससे आयातक राष्ट्र की वस्तुएं सस्ती कीमत पर उपलब्ध हो जाती हैं।
  • स्वतंत्र व्यापार प्रणाली में बिना रुकावट के आयात-निर्यात होने से बाजार का विस्तार होता है तथा श्रम विभाजन व विशिष्टीकरण के लाभ प्राप्त होते हैं, जिससे अनुकूलतम मात्र में उत्पादन होकर लागत में कमी आती है और पूरा विश्व लाभान्वित होता है।
  • स्वतंत्र व्यापार की स्थिति में बिना किसी बाह्य प्रतिबंध के एक राष्ट्र दूसरे राष्ट्र के सम्पर्क में आ जाते हैं और उनमें आपस में सद्भावना और सहयोग में वृद्धि हो जाती है।

हानि

  • स्वतंत्र व्यापार प्रणाली से विकासशील देशों में छोटे-छोटे उद्योगों की स्थापना में बाधा पड़ती है क्योंकि इस प्रणाली में प्रतियोगिता को बल मिलता है और नये उद्योग उनके सामने टिक नहीं पाते। अतः शिशु उद्योगों के पनपने के लिए स्वतंत्र व्यापार की नीति उचित नहीं होती है।
  • मुक्त व्यापार प्रणाली में विकासशील देश विकसित देशों के साथ प्रतियोगिता नहीं कर पाते, जिससे उनका शोषण होने लगता है।
  • स्वतंत्र व्यापार से विश्व केे बाजारों में स्वस्थ प्रतियोगिता की जगह गलाकाट प्रतियोगिता को बल मिलता है। विकसित राष्ट्र निर्यात बढ़ाने हेतु राशिपातन का भी सहारा लेने लगते हैं जिससे विकासशील राष्ट्रों को भारी हानि उठानी पड़ती है। इसी कारण अनेक देशों ने आयात पर प्रतिबन्ध लगाया।
  • स्वतंत्र व्यापार होने के कारण कभी-कभी देश में ऐसी वस्तुओं का आयात कर लिया जाता है जो राष्ट्र एवं उपभोक्ता दोनों के लिए हानिकारक होता है, जैसे-नशीली वस्तुएं या इसी तरह की अन्य वस्तुओं का आयात राष्ट्र के विकास में अधिक होता है। इस कारण भी प्रतिबन्धित बाजार उचित प्रतीत होने लगता है।
  • स्वतंत्र व्यापार विकसित तथा अर्द्ध विकसित देशों के मध्य आर्थिक विषमता की खाई को और अधिक चैड़ा कर देता है। विकसित राष्ट्र हमेशा अपनी शर्तों पर व्यापार करने में सफल हो जाते हैं।
  • कुछ अर्थशास्त्रिायों का यह तर्क भी है कि कोई व्यापार न होने से तो स्वतंत्र व्यापार श्रेष्ठ है अथवा कोई व्यापार न होने से कुछ व्यापार होना श्रेष्ठ है, परन्तु वे दृढ़तापूर्वक इस बात को नहीं कह पाते कि प्रतिबन्धित व्यापार की अपेक्षा स्वतंत्र व्यापार श्रेष्ठ है। 

 

                                          बैंकिंग एवं पूँजी बाजार

भारत का केन्द्रीय बैंक

रिजर्व बैंक ऑफ़ इण्डिया

रिजर्व बैंक के गवर्नर

रघुराम राजन

देश के 14 बड़े बैंकों का राष्ट्रीयकरण

19 जुलाई, 1969

छः अन्य बैंकों का राष्ट्रीयकरण

अप्रैल 1980

वर्तमान में राष्ट्रीयकृत बैंकों की संख्या

19

भारतीय मुद्रा बाजार में शीर्ष स्थान

रिजर्व बैंक ऑफ़ इण्डिया

भारतीय यूनिट ट्रस्ट (UTI)का स्थापना वर्ष

1964

UTI का विभाजन वर्ष (UTI- I एवं UTI-II)

2003

नाबार्ड की स्थापना

12 जुलाई, 1982

SEBI की स्थापना

अप्रैल 1988

सर्वाध्कि सकल गैर-निष्पादनीय परिसम्पति

 स्टेट बैंक ऑफ़ इण्डिया

सार्वजनिक क्षेत्रक बैंक

भारतीय स्टेट बैंक

 

 

 

प्रमुख शेयर मूल्य सूचकांक
(विश्व)

शेयर मूल्य सूचकांक

स्टॉक एक्सचेन्ज

सेंसेक्स (Sensex )डालेक्स (dolex)
एस. एण्ड पी.सी.एन.एक्स., निफ्रटी फिफ्टी
(S&PCNX Nifty-fifty बैंकेक्स bankex)

मुम्बई

शंघाई कॉम (shanghai com)

चीन

नासदाक (Nasdaq)

सं. रा. अमेरिका

एस एण्ड पी

कनाडा

बोवेस्पा

ब्राजील

मिब्टेल

इटली

आईपीसी

मैक्सिको

जकार्ता कम्पोजिट

इण्डोनेशिया

KLSE कम्पोजिट

मलेशिया

सियोल कम्पोजिट

दक्षिण कोरिया

डो जोन्स (Dow jones)

अमेरिका

निक्की (Nikkei)

जापान

मिड डेक्स (Mid dax)

फैंकफर्ट

हांग सेंग (Hang seng)

हांगकांग

सिमेक्स (simex), स्ट्रेट्स टाइम्स (strait times)

सिंगापुर

कोस्पी (KOSI)

कोरिया

सेट (SET)

थाइलैण्ड

तेन (TAIEN)

ताइवान


संरक्षण

  • संरक्षण किसी देश की वह विदेशी व्यापार नीति है जिसके अन्तर्गत एक देश अपने घरेलू उद्योगों को विकसित करने के लिए या तो विदेशों से आयातित माल पर ऊंची दर से सीमा शुल्क (आयात कर) लगा देता है, या आयातों पर कोटा प्रणाली द्वारा प्रतिबन्ध लगा देता है अथवा घरेलू उद्योगों को आर्थिक सहायता एवं प्रोत्साहन प्रदान करता है। 
  • सामान्यतः संरक्षण का अर्थ विदेशी माल की प्रतियोगिता से घरेलू उत्पादकों की रक्षा हेतु ऊंचे सीमा शुल्क एवं अन्य आयात प्रतिबन्धों से लगाया जाता है। 
  • संरक्षण का उद्देश्य देश में उद्योगों की स्थापना करना एवं विदेशी शक्तियों से रक्षा प्रदान करना है। 
  • संरक्षण की नीति में आर्थिक व राजनीतिक उद्देश्यों का भी समावेश रहता है।

लाभ

  • प्रशुल्क का उपभोग व्यापार की शर्तों को अधिक अनुकूल बनाने में किया जाता है। इस सम्बन्ध में विदेशियों को प्रशुल्क के भुगतान हेतु बाध्य करके व्यापार की शर्तों को सुधारा जा सकता है। 
  • प्रशुल्क लगाने से आयातक देश में मूल्य बढ़ते हैं व निर्यातक देश में घट जाते हैं। 
  • मांग लोचदार होने पर निर्यातक देश में कीमतें अधिक गिरती हैं एवं प्रशुल्क का भार भी निर्यातक देश पर पड़ता है। अतः आयात करने वाले देश की व्यापार शर्तों पर प्रशुल्क का अनुकूल प्रभाव पड़ता है।
  • संरक्षण के द्वारा देश के भुगतान शेष को अनुकूल बनाया जाता है। प्रशुल्क की दरों में वृद्धि होने से घरेलू वस्तुओं की मांग बढ़ जाती है, आयातों में कटौती की जाती है तथा भुगतान शेष पक्ष में अर्थात अनुकूल हो जाता है।
  • संरक्षण के पक्ष में सबसे मजबूत तर्क यह दिया जाता है कि यह देश में स्थापित नये या शिशु-उद्योगों को प्रोत्साहन देने का एक महत्त्वपूर्ण उपाय है। ऐसे उद्योगों की संरक्षण न देने से वे अपनी जड़ें मजबूत नहीं कर पाते और विदेशी प्रतियोगिता से अपने को बचा नहीं पाते।
  • राजस्व की दृष्टि से संरक्षण को आय का एक मुख्य साधन माना गया है। जिस प्रशुल्क से दीर्घकाल में आय प्राप्त होगी उसकी दर भी कम होगी। परन्तु जिस प्रशुल्क की दर से आयात नियन्त्रिात हो जाती है, उससे आय प्राप्त नहीं होती।
  • प्रशुल्क के कारण देश में विदेशी वस्तुओं को आना रुक जाता है तथा देश में ही उत्पादन में वृद्धि होकर रोजगार में वृद्धि हो जाती है।
  • राशिपातन में देश  के माल को विदेशी बाजारों में कम कीमत पर बेचा जाता है। 
  • देश में उद्योगों को जीवित रखने हेतु राशिपातन रोकना आवश्यक माना जाता है। 
  • अतः इसे रोकने हेतु प्रशुल्क लगाना उचित समझा जाता है।
  • सुरक्षा की दृष्टि से महत्त्वपूर्ण उद्योगों को संरक्षण दिया जाना चाहिए। क्योंकि सुरक्षा कार्यों में एक देश को दूसरे देशों पर निर्भर नहीं रहना चाहिए। क्योंकि धीरे-धीरे राजनीतिक  स्वतंत्रता खतरे में पड़ जाती है।
  • स्वदेशी भावना के आधार पर भी संरक्षण का समर्थन किया जाता है। स्वदेशी तर्क में अपने ही देश के हितों को प्राथमिकता दी जाती है।
  • जनसंख्या के कुछ वर्गों या व्यवसायों की सुरक्षा के लिए भी संरक्षण समर्थन किया जाता है। जैसे कृषकों की सुरक्षा के लिए कृषि के संरक्षण प्रदान किया जाता है।
  • आयातों को रोक दिये जाने पर मुद्रा देश के बाहर जाने से रूक जाती है तथा देश और अधिक समृद्ध हो जाता है। 
  • आयात करने पर मुद्रा देश के बाहर चली जाती है तथा देश और अधिक निर्धन हो जाता है।
  • जहां एक तरफ संरक्षण के पक्ष में इतने तर्क दिये जाते हैं, वहीं दूसरी तरफ इसके विपक्ष में भी अनेक तर्क प्रस्तुत किये जाते हैं।

हानि

  • जिन उद्योगों को संरक्षण प्राप्त हो जाता है वे अपनी इकाइयों में कुशलता बढ़ाने का प्रयास नहीं करते और न ही विवेकीकरण पर ध्यान देते हैं, जिससे उद्योगों में शिथिलता आ जाती है।
  • संरक्षण के नाम पर अकुशल उद्योगों को भी प्रोत्सहित किया जाता है, जिससे उपभोक्ताओं को तुलनात्मक रूप से खराब किस्म तथा ऊंचे मूल्यों पर वस्तुओं को खरीदना पड़ता है।
  • सरंक्षण में विभिन्न उपायों द्वारा आयातों को नियन्त्रिात कर दिया जाता है जिससे कुल अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार की मात्र कम हो जाती है।
  • संरक्षण प्राप्त करने वाले उद्योग प्रतियोगिता के भय से मुक्त हो जाते हैं जिससे उनमें एकाधिकार की प्रवृत्ति पनपने लगती है जो देश के लिए घातक होती है।
  • सरंक्षण के फलस्वरूप अकुशल एवं अयोग्य उद्योगों को प्रोत्साहन मिलता है और वे विदेशों से प्रतियोगिता नहीं कर पाते तथा अकुशल उद्योग देश पर भार बन जाते हैं।
  • आयात कम करने हेतु प्रशुल्क का सहारा लिये जाने पर अन्य देश भी बदले की भावना से प्रशुल्क की ऊंची दरें लगा देते हैं, जिससे शत्रुता की भावना पनपती है।
  • सरंक्षण से उद्योगों को जो वित्तीय सहायता दी जाती है उसकी पूर्ति करारोपण से की जाती है जिससे कर दाताओं पर कर का भार पड़ता है और देश में धन का असमान वितरण होता है।
The document स्वतंत्र व्यापार एवं संरक्षण - पारंपरिक अर्थव्यवस्था | भारतीय अर्थव्यवस्था (Indian Economy) for UPSC CSE in Hindi is a part of the UPSC Course भारतीय अर्थव्यवस्था (Indian Economy) for UPSC CSE in Hindi.
All you need of UPSC at this link: UPSC
245 videos|237 docs|115 tests

Top Courses for UPSC

FAQs on स्वतंत्र व्यापार एवं संरक्षण - पारंपरिक अर्थव्यवस्था - भारतीय अर्थव्यवस्था (Indian Economy) for UPSC CSE in Hindi

1. What is meant by free trade?
Ans. Free trade refers to a policy followed by governments, wherein they eliminate or reduce barriers to trade, such as tariffs and quotas, between countries. It is aimed at promoting international trade and increasing economic growth.
2. What is protectionism?
Ans. Protectionism is the opposite of free trade and refers to policies followed by governments to protect their domestic industries from foreign competition. This can be done through the imposition of tariffs, quotas, and other barriers to trade.
3. How does free trade impact the economy?
Ans. Free trade can have both positive and negative impacts on the economy. On the one hand, it can lead to increased competition, which can drive down prices and improve efficiency. On the other hand, it can also lead to job losses in certain industries and can result in the exploitation of workers in countries with lower labor standards.
4. How does protectionism impact the economy?
Ans. Protectionism can have both positive and negative impacts on the economy. On the one hand, it can protect domestic industries and jobs, and promote economic growth. On the other hand, it can lead to higher prices for consumers and can result in retaliation from other countries, leading to a trade war.
5. Which countries follow a policy of free trade?
Ans. Many countries follow a policy of free trade, including the United States, Canada, Japan, and many members of the European Union. Additionally, there are several international organizations, such as the World Trade Organization, that promote free trade and work to reduce barriers to trade between countries.
245 videos|237 docs|115 tests
Download as PDF
Explore Courses for UPSC exam

Top Courses for UPSC

Signup for Free!
Signup to see your scores go up within 7 days! Learn & Practice with 1000+ FREE Notes, Videos & Tests.
10M+ students study on EduRev
Related Searches

pdf

,

Free

,

Previous Year Questions with Solutions

,

Extra Questions

,

practice quizzes

,

ppt

,

mock tests for examination

,

study material

,

Summary

,

Exam

,

स्वतंत्र व्यापार एवं संरक्षण - पारंपरिक अर्थव्यवस्था | भारतीय अर्थव्यवस्था (Indian Economy) for UPSC CSE in Hindi

,

Viva Questions

,

MCQs

,

video lectures

,

Objective type Questions

,

Semester Notes

,

shortcuts and tricks

,

स्वतंत्र व्यापार एवं संरक्षण - पारंपरिक अर्थव्यवस्था | भारतीय अर्थव्यवस्था (Indian Economy) for UPSC CSE in Hindi

,

स्वतंत्र व्यापार एवं संरक्षण - पारंपरिक अर्थव्यवस्था | भारतीय अर्थव्यवस्था (Indian Economy) for UPSC CSE in Hindi

,

Sample Paper

,

past year papers

,

Important questions

;