UPSC Exam  >  UPSC Notes  >  Current Affairs (Hindi): Daily, Weekly & Monthly  >  International Relations (अंतर्राष्ट्रीय संबंध): July 2023 UPSC Current Affairs

International Relations (अंतर्राष्ट्रीय संबंध): July 2023 UPSC Current Affairs | Current Affairs (Hindi): Daily, Weekly & Monthly PDF Download

भारत-फिलीपींस संबंध

चर्चा में क्यों?  

  • हाल ही में भारत के विदेश मंत्री और फिलीपींस के समकक्ष के बीच द्विपक्षीय सहयोग पर संयुक्त आयोग की 5वीं बैठक आयोजित की गई थी।
  • भारत और फिलीपींस समुद्री सुरक्षा पर विशेष बल देने के साथ रक्षा सहयोग को बढ़ाने के लिये विभिन्न विकल्पों पर विचार कर रहे हैं।

International Relations (अंतर्राष्ट्रीय संबंध): July 2023 UPSC Current Affairs | Current Affairs (Hindi): Daily, Weekly & Monthly
बैठक के प्रमुख बिंदु

  • रक्षा सहयोग: दोनों मंत्रियों ने रक्षा सहयोग पर एक साथ काम करने में गहरी रुचि व्यक्त की जिसमें रक्षा एजेंसियों के बीच नियमित या उन्नत आधिकारिक स्तर की बातचीत, मनीला में एक निवासी रक्षा ‘अताशे’ कार्यालय खोलना तथा फिलीपींस की रक्षा आवश्यकताओं को पूरा करने के लिये भारत द्वारा रियायती ऋण सुविधा पर विचार करना शामिल है।  
  • समुद्री सुरक्षा: दोनों देशों का लक्ष्य समुद्री डोमेन जागरूकता (MDA) क्षमताओं को बढ़ाने के लिये समुद्री डोमेन जागरूकता (MDA), संयुक्त गश्त और सूचना के आदान-प्रदान पर सहयोग करना है।
    • MDA की उपयोगिता पर ज़ोर देते हुए दोनों देशों के मंत्रियों ने भारतीय नौसेना और फिलीपींस तटरक्षक के बीच व्हाइट शिपिंग समझौते के लिये मानक संचालन प्रक्रिया के शीघ्र कार्यान्वयन का आह्वान किया।
  • साइबर सुरक्षा सहयोग: आतंकवाद विरोधी उपायों और खुफिया सूचनाओं के आदान-प्रदान सहित मौजूदा डोमेन में सहयोग बढ़ाने पर चर्चा की गई। दोनों देशों ने साइबर सुरक्षा, कृत्रिम बुद्धिमत्ता तथा अंतरिक्ष के क्षेत्र में सहयोग बढ़ाने का आह्वान किया।
  • क्षेत्रीय और अंतर्राष्ट्रीय मुद्दे: दोनों देशों के मंत्री आपसी हित के क्षेत्रीय और अंतर्राष्ट्रीय मुद्दों पर व्यापक चर्चा में शामिल हुए, उदाहरणतः  दक्षिण चीन सागर में चीन की बढ़ती आक्रामकता और क्षेत्रीय दावे।
    • बैठक में विवादों के शांतिपूर्ण समाधान और अंतर्राष्ट्रीय कानून की आवश्यकता पर ज़ोर दिया गया, जिसमें संयुक्त राष्ट्र समुद्री कानून अभिसमय (UNCLOS) तथा दक्षिण चीन सागर पर 2016 का मध्यस्थता पुरस्कार शामिल है।

भारत-फिलीपींस संबंध 

  • परिचय: भारत और फिलीपींस हिंद-प्रशांत क्षेत्र में दो लोकतांत्रिक देश हैं जो स्वतंत्र, खुले और स्थिर क्षेत्र के महत्त्व पर ज़ोर देते हुए हिंद-प्रशांत के प्रति समान दृष्टिकोण साझा करते हैं।
  • राजनीतिक संबंध: भारत और फिलीपींस ने औपचारिक रूप से 26 नवंबर, 1949 को दोनों देशों के स्वतंत्रता प्राप्त करने (1946 में फिलीपींस और 1947 में भारत) के तुरंत बाद राजनयिक संबंध स्थापित किये। 
    • भारत ने वर्ष 1992 में लुक ईस्ट पॉलिसी की शुरुआत करते हुए आसियान के साथ साझेदारी में वृद्धि की जिसके फलस्वरूप फिलीपींस के साथ द्विपक्षीय और क्षेत्रीय संबंधों में भी तेज़ी आई। 
    • एक्ट ईस्ट पॉलिसी (2014) के तहत भारत-फिलीपींस संबंधों में राजनीतिक-सुरक्षा; व्यापार और उद्योग आदि क्षेत्रों में विविधता देखने को मिली है।
  • आर्थिक संबंध: वर्ष 2022 में भारत 3 बिलियन अमेरिकी डॉलर के व्यापार के साथ फिलीपींस का पंद्रहवाँ सबसे बड़ा व्यापारिक भागीदार है। 
    • इसके अलावा फिलीपींस भारत के साथ वस्तु व्यापार में शुद्ध आयातक रहा है। 
  • रक्षा सहयोग: भारत और फिलीपींस के बीच रक्षा एवं सुरक्षा साझेदारी बढ़ रही है। भारत तथा फिलीपींस के बीच रक्षा सहयोग में सबसे महत्त्वपूर्ण विकास कार्यों में से एक ब्रह्मोस मिसाइल सौदा है, जिसे जल्द ही अंतिम रूप दिये जाने की उम्मीद है।
    • ब्रह्मोस, भारत तथा रूस द्वारा संयुक्त रूप से विकसित एक सुपरसोनिक क्रूज़ मिसाइल है, जिसे धरातल, समुद्र या हवाई प्लेटफाॅर्म से लॉन्च किया जा सकता है।

फिलीपींस के बारे में मुख्य तथ्य

  • फिलीपींस,दक्षिण-पूर्व एशिया में स्थित एक द्वीपसमूह है, जिसकी सीमा पूर्व में फिलीपीन सागर, पश्चिम में दक्षिण चीन सागर तथा दक्षिण में सेलेब्स सागर से लगती है।
  • इसमें 7,641 द्वीप हैं, जिनमें लूज़ोन और मिंडानाओ सबसे बड़े हैं
  • इसकी राजधानी मनीला है, जो लुज़ोन द्वीप पर स्थित है।
  • मिंडानाओ द्वीप पर माउंट अपो (2,954 मीटर) सबसे ऊँची चोटी है, साथ ही यह एक सक्रिय ज्वालामुखी है।
  • फिलीपींस में वर्ष भर उच्च तापमान एवं आर्द्रता के साथ उष्णकटिबंधीय जलवायु पाई जाती है, जिसमें नम और शुष्क मौसम का अनुभव होता है। 
  • फिलीपींस को विश्व के जैव विविधता हॉटस्पॉट में से एक माना जाता है।
  • फिलीपींस भी पैसिफिक रिंग ऑफ फायर का भाग है, जो इसे भौगोलिक रूप से सक्रिय बनाता है। इसमें 20 से अधिक सक्रिय ज्वालामुखी हैं, जिनमें मेयोन (हाल ही में वर्ष 2023 में विस्फोट हुआ), ताल और माउंट पिनातुबो (वर्ष 1991 में विस्फोट हुआ) शामिल हैं।

भारत-UAE स्थानीय मुद्रा निपटान प्रणाली

चर्चा में क्यों? 

भारत और संयुक्त अरब अमीरात (UAE) ने सीमा पार लेन-देन के लिये भारतीय रुपए (INR) और संयुक्त अरब अमीरात दिरहम (AED) के उपयोग को बढ़ावा देने के लिये स्थानीय मुद्रा निपटान प्रणाली (LCSS) स्थापित करने हेतु एक समझौते पर हस्ताक्षर किये हैं।

  • हाल ही में इस समझौते पर प्रधानमंत्री की अबू धाबी, UAE की यात्रा के दौरान हस्ताक्षर किये गए थे।

प्रमुख समझौते 

  • LCSS
    • इसमें सभी चालू खाता लेन-देन और अनुमत पूंजी खाता लेन-देन शामिल हैं।
    • LCSS निर्यातकों और आयातकों को उनकी संबंधित घरेलू मुद्राओं में भुगतान करने में सक्षम बनाएगा और INR-AED विदेशी मुद्रा बाज़ार के विकास को सक्षम करेगा।
    • इससे संयुक्त अरब अमीरात में भारतीयों द्वारा प्रेषण सहित लेन-देन लागत और निपटान समय कम हो जाएगा।
    • भारत अपने चौथे सबसे बड़े ऊर्जा आपूर्तिकर्त्ता (वित्त वर्ष 22-23 में) UAE से तेल और अन्य वस्तुओं के आयात के भुगतान के लिये इस तंत्र का उपयोग कर सकता है।
  • UPI-IPP
    • दोनों देशों के केंद्रीय बैंकों ने भारत के यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस (UPI) को UAE के इंस्टेंट पेमेंट प्लेटफॉर्म (IPP) और RuPay स्विच एवं UAESWITCH के साथ जोड़ने पर सहयोग करने हेतु हस्ताक्षर किये हैं। 
    • UPI-IPP लिंक दोनों देशों के उपयोगकर्त्ताओं को तेज़, सुरक्षित और लागत प्रभावी सीमा पार स्थानांतरण करने में सक्षम बनाएगा।
    • कार्ड स्विचों को जोड़ने से घरेलू कार्डों की पारस्परिक स्वीकृति और कार्ड लेन-देन की प्रक्रिया में आसानी होगी।
    • समझौता ज्ञापनों पर RBI और सेंट्रल बैंक ऑफ यूएई के संबंधित गवर्नरों द्वारा हस्ताक्षर किये गए।
    • वे भारत के स्ट्रक्चर्ड फाइनेंशियल मैसेजिंग सिस्टम (SFMS) को UAE के भुगतान मैसेजिंग सिस्टम के साथ जोड़ने के बारे में भी पता लगाएंगे।
  • अबू धाबी में स्थापित किया जाएगा IIT दिल्ली परिसर
    • अबू धाबी में IIT दिल्ली परिसर की स्थापना के लिये एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किये गए।
    • नया समझौता ज्ञापन ‘IIT गो ग्लोबल’ अभियान में शामिल है। 
    • यह IIT मद्रास ज़ांज़ीबार, तंज़ानिया के बाद दूसरा अंतर्राष्ट्रीय IIT परिसर होगा।
    • इस डिग्री की शुरुआत वर्ष 2024 से होगी, जिसमें ऊर्जा एवं स्थिरता,  AI, कंप्यूटर विज्ञान एवं इंजीनियरिंग, स्वास्थ्य सेवा, गणित, कंप्यूटिंग और इंजीनियरिंग, विज्ञान तथा मानविकी के अन्य विषय जैसे पाठ्यक्रम शामिल हैं।
  • रुपए आधारित सीमा पार लेन-देन का महत्त्व
    • भारत द्वारा भारतीय निर्यातकों के घाटे को सीमित करने के लिये रुपए आधारित व्यापार में विनिमय दर के जोखिमों को कम करने का मार्ग खोजा जा रहा है
    • रुपया-आधारित लेन-देन डॉलर की मांग को कम करने के लिये रुपए का अंतर्राष्ट्रीयकरण करने में भारत की एक ठोस नीतिगत प्रयास का हिस्सा है।
    • रूस के अतिरिक्त अफ्रीका, खाड़ी क्षेत्र, श्रीलंका और बांग्लादेश जैसे देशों ने भी रुपए में व्यापार के संदर्भ में रुचि व्यक्त की थी।
    • अंतर्राष्ट्रीय व्यापार को स्थानीय मुद्रा में निपटाने की RBI की योजना आयातकों को रुपए में भुगतान करने की अनुमति देगी, जिसे भागीदार देश के संपर्की बैंक (Correspondent Bank) के विशेष खाते में जमा किया जाएगा, साथ ही निर्यातकों को निर्दिष्ट विशेष खाते में शेष राशि से भुगतान प्राप्त करने की अनुमति होगी।

भारत-संयुक्त अरब अमीरात द्विपक्षीय संबंध

राजनयिक गठबंधन 
  • भारत और संयुक्त अरब अमीरात ने वर्ष 1972 में राजनयिक संबंध स्थापित किये।
  • द्विपक्षीय संबंधों में तब और अधिक वृद्धि हुई जब अगस्त 2015 में भारत के प्रधानमंत्री की संयुक्त अरब अमीरात की यात्रा ने दोनों देशों के बीच एक नई रणनीतिक साझेदारी की शुरुआत की।
  • इसके अतिरिक्त जनवरी 2017 में भारत के गणतंत्र दिवस समारोह के अवसर पर मुख्य अतिथि के रूप में अबू धाबी के क्राउन प्रिंस की भारत यात्रा के दौरान यह सहमति बनी कि द्विपक्षीय संबंधों को एक व्यापक रणनीतिक साझेदारी के रूप में उन्नत किया जाएगा।
  • इससे भारत-संयुक्त अरब अमीरात के बीच व्यापक आर्थिक साझेदारी समझौते के लिये बातचीत शुरू करने में सफलता मिली।

द्विपक्षीय व्यापार

  • वर्ष 2022-23 में भारत और संयुक्त अरब अमीरात के बीच द्विपक्षीय व्यापार लगभग 85 बिलियन अमेरिकी डॉलर का था। साथ ही वर्ष 2022-23 में संयुक्त अरब अमीरात भारत का तीसरा सबसे बड़ा व्यापारिक भागीदार और दूसरा सबसे बड़ा निर्यात गंतव्य बन गया है। 
  • भारत विश्व का तीसरा सबसे बड़ा तेल आयातक है तथा वर्ष 2022 में संयुक्त अरब अमीरात कच्चे तेल का चौथा सबसे बड़ा आपूर्तिकर्त्ता था।
  • भारत वर्ष 2022 में संयुक्त अरब अमीरात के साथ व्यापक आर्थिक साझेदारी समझौते पर हस्ताक्षर करने वाला पहला देश बन गया था।
  • संयुक्त अरब अमीरात ने भारत में फूड पार्कों की एक शृंखला विकसित करने के लिये 2 बिलियन अमेरिकी डॉलर देने का वादा किया है जो अपनी अधिकांश खाद्य आवश्यकताओं का आयात करता है।
  • अनेक भारतीय कंपनियों ने संयुक्त अरब अमीरात में सीमेंट, निर्माण सामग्री, कपड़ा, इंजीनियरिंग उत्पाद, उपभोक्ता इलेक्ट्रॉनिक्स वस्तुओं आदि के लिये संयुक्त उद्यम के रूप में या विशेष आर्थिक क्षेत्रों में विनिर्माण इकाइयाँ स्थापित की हैं।
  • इसके अतिरिक्त अनेक भारतीय कंपनियों ने पर्यटन, आतिथ्य, खानपान, स्वास्थ्य, खुदरा और शिक्षा क्षेत्रों में भी निवेश किया है।
रक्षा अभ्यास
  • द्विपक्षीय
    • भारत-UAE BILAT (द्विपक्षीय नौसेना अभ्यास) 
    • डेज़र्ट ईगल-II (द्विपक्षीय वायु सेना अभ्यास) 
    • डेज़र्ट फ्लैग अभ्यास-VI: UAE 
  • बहुपक्षीय
    • पिच ब्लैक: ऑस्ट्रेलिया का द्विवार्षिक, बहुपक्षीय हवाई युद्ध प्रशिक्षण अभ्यास।
    • रेड फ्लैग: संयुक्त राज्य अमेरिका का बहुपक्षीय हवाई अभ्यास।

आगे की राह 

  • भारत-UAE की LCSS संभावित रूप से अन्य द्विपक्षीय मुद्रा समझौतों के लिये आधार के रूप में काम कर सकती है, यह रुपए के अंतर्राष्ट्रीयकरण की दिशा में एक महत्त्वपूर्ण पहला कदम है।
  • हालाँकि यह विचार प्रशंसनीय है, परंतु इसकी वास्तविक सफलता दोनों देशों के व्यवसायों द्वारा इसे अपनाने की सीमा पर निर्भर करेगी।
  • प्रौद्योगिकी, नवीकरणीय ऊर्जा, बुनियादी ढाँचे का विकास, पर्यटन और स्वास्थ्य सेवा जैसे क्षेत्रों में निरंतर सहयोग भारत तथा UAE के बीच द्विपक्षीय संबंधों को और मज़बूत करेगा।

बिम्सटेक

चर्चा में क्यों?

हाल ही में बहु-क्षेत्रीय तकनीकी और आर्थिक सहयोग के लिये बंगाल की खाड़ी पहल (बिम्सटेक) की पहली विदेश मंत्रियों की बैठक बैंकॉक में शुरू हुई। 

  • इस बैठक में भोजन, स्वास्थ्य और ऊर्जा सुरक्षा सहित अन्य सामूहिक चुनौतियों के क्षेत्रों पर चर्चा की गई।

बिम्सटेक

  • परिचय
    • बिम्सटेक सात सदस्य देशों का एक क्षेत्रीय संगठन है, जिसमें दक्षिण एशिया के पाँच देश- बांग्लादेश, भूटान, भारत, नेपाल, श्रीलंका और दक्षिण-पूर्व एशिया के दो देश-  म्याँमार एवं थाईलैंड शामिल हैं।
    • यह उप-क्षेत्रीय संगठन 6 जून, 1997 को बैंकाक घोषणा के माध्यम से अस्तित्त्व में आया।
    • BIMSTEC का सचिवालय बांग्लादेश के ढाका में है। 
  • संस्थागत तंत्र
    • बिम्सटेक शिखर सम्मेलन
    • मंत्रिस्तरीय बैठक
    • वरिष्ठ अधिकारियों की बैठक
    • बिम्सटेक कार्य समूह
    • व्यापार मंच एवं आर्थिक मंच
  • सहयोग
    • बिम्सटेक के अंर्तगत सहयोग प्रारंभ में वर्ष 1997 में 6 क्षेत्रों (व्यापार, प्रौद्योगिकी, ऊर्जा, परिवहन, पर्यटन और मत्स्य पालन) पर केंद्रित था तथा बाद में वर्ष 2008 में अन्य क्षेत्रों में विस्तारित हुआ।
    • प्रत्येक सदस्य देश ने पुनर्गठन के बाद वर्ष 2021 में विशिष्ट क्षेत्रों का नेतृत्व ग्रहण किया।
    • भारत आतंकवाद और अंतर्राष्ट्रीय अपराध, आपदा प्रबंधन तथा ऊर्जा सहयोग के साथ-साथ सुरक्षा पर भी ध्यान केंद्रित करता है।

बिम्सटेक का महत्त्व

  • वैश्विक स्तर पर महत्त्व 
  • विश्व की लगभग 22% आबादी बंगाल की खाड़ी के आसपास के सात देशों में रहती है जिनकी संयुक्त GDP 2.7 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर के करीब है।
  • वर्ष 2012 से 2016 तक सभी सात देशों की औसत वार्षिक वृद्धि दर 3.4% और 7.5% के बीच बनी रही।
  • प्रत्येक वर्ष विश्व के एक-चौथाई माल का व्यापार खाड़ी के माध्यम से किया जाता है।
  • क्षेत्रीय रणनीतिक प्रोत्साहन 
    • बिम्सटेक (BIMSTEC) के विकास हेतु बिम्सटेक देशों के पास रणनीतिक प्रोत्साहन प्राप्त है।
    • उदाहरण के लिये बांग्लादेश बिम्सटेक को बंगाल की खाड़ी पर एक लघु देश न मानकर अपनी स्थिति को सुदृढ़ करने के लिये एक मंच के रूप में देखता है।
    • श्रीलंका इसे दक्षिण-पूर्व एशिया से जुड़ने तथा हिंद-प्रशांत क्षेत्र का व्यापक केंद्र बनने के अवसर के रूप में देखता है।
    • नेपाल और भूटान का लक्ष्य अपनी स्थलरुद्ध भौगोलिक स्थिति पर नियंत्रण प्राप्त करने के लिये बंगाल की खाड़ी क्षेत्र से जुड़ना है।
    • म्याँमार एवं थाईलैंड भारत और बिम्सटेक के साथ गहरे संबंधों को भारत के बढ़ते उपभोक्ता बाज़ार तक पहुँचने, क्षेत्र में चीन के प्रभाव को संतुलित करने तथा दक्षिण-पूर्व एशिया में चीन की उपस्थिति के विकल्प के तौर पर विकसित करने के साधन के रूप में देखते हैं।
    • यह आर्थिक एकीकरण, क्षेत्रीय सुरक्षा सहयोग और शांति एवं विकास हेतु साझा मूल्यों का लाभ उठाने की अनुमति प्रदान करता है।
  • भारत के लिये महत्त्व
    • बिम्सटेक न केवल दक्षिण और दक्षिण-पूर्व एशिया को जोड़ता है बल्कि महान हिमालय और बंगाल की खाड़ी की पारिस्थितिकी को भी शामिल करता है।
    • भारत बिम्सटेक को "नेबरहुड फर्स्ट" और "एक्ट ईस्ट" के अपने विदेश नीति उद्देश्यों को प्राथमिकता देने के लिये एक सहज मंच के रूप में देखता है।
    • बिम्सटेक का महत्त्व तब सामने आया जब इसके कुछ सदस्य देशों ने इस्लामाबाद में दक्षिण एशियाई क्षेत्रीय सहयोग संगठन (South Asian Association for Regional Cooperation- SAARC) शिखर सम्मेलन के बहिष्कार के भारत के आह्वान का समर्थन किया, जिसके कारण इसे बाद में स्थगित करना पड़ा था। 
    • इस कदम से भारत ने पाकिस्तान को इससे बाहर रखने में सफलता हासिल की थी।
  • चीन की आक्रामकता
    • हिंद महासागर तक अपने पहुँच के मार्ग को बनाए रखने में तेज़ी से मुखर हो रहे चीन के लिये बंगाल की खाड़ी का काफी महत्त्व है।
    • भूटान और भारत को छोड़कर, चीन ने बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (BRI) के माध्यम से दक्षिण और दक्षिण-पूर्व एशिया में बुनियादी ढाँचे के वित्तपोषण तथा निर्माण के लिये एक वृहत अभियान शुरू किया है, जिस कारण बिम्सटेक भारत और चीन के बीच प्रभुत्त्व के संघर्ष के लिये एक नया मोर्चा बन गया है।
    • बिम्सटेक की सहायता से भारत, चीनी निवेश का मुकाबला करने के लिये एक रचनात्मक एजेंडे का निर्माण कर सकता है और/या फिर मान्यता प्राप्त अंतर्राष्ट्रीय मानदंडों के आधार पर कनेक्टिविटी परियोजनाओं के लिये सर्वोत्तम प्रथाओं का पालन कर सकता है। 
    • चीनी परियोजनाओं को व्यापक रूप से इन मानदंडों का उल्लंघन करते हुए पाया जाता है।
  • शांति और नौवहन की स्वतंत्रता को सुरक्षित रखना
    • दक्षिण चीन सागर में चीन के रवैये के विपरीत बंगाल की खाड़ी को खुले और शांतिपूर्ण क्षेत्र के रूप में प्रदर्शित किया जा सकता है।
    • यह नौवहन की स्वतंत्रता को संरक्षित करने और मौजूदा समुद्री कानून को क्षेत्रीय स्तर पर लागू करने वाले आचार संहिता का विकास कर सकता है।
    • इसके अतिरिक्त बिम्सटेक बंगाल की खाड़ी क्षेत्र की शांति जैसी पहल स्थापित करके इस क्षेत्र में बढ़ते सैन्यीकरण को रोक सकता है जिसका उद्देश्य अतिरिक्त क्षेत्रीय शक्तियों की आक्रामक कार्रवाइयों पर लगाम लगाना है।

बिमस्टेक की सार्क से भिन्नता
International Relations (अंतर्राष्ट्रीय संबंध): July 2023 UPSC Current Affairs | Current Affairs (Hindi): Daily, Weekly & Monthly

आगे की राह

  • बिमस्टेक सदस्य देशों को व्यापार, प्रौद्योगिकी, ऊर्जा, परिवहन, पर्यटन, मत्स्य पालन, सुरक्षा, आतंकवाद विरोधी, आपदा प्रबंधन और ऊर्जा जैसे विभिन्न क्षेत्रों में सहयोग को मज़बूत करने पर ध्यान केंद्रित करना चाहिये।
  • संगठन को वर्तमान समझौतों को लागू करने और सहयोग के लिये नए रास्ते तलाशने की दिशा में कार्य करना चाहिये।
  • बिमस्टेक को व्यापार सुविधा बढ़ाने, बाधाओं को कम करने और सदस्य देशों के बीच आर्थिक एकीकरण को बढ़ावा देने की दिशा में कार्य करना चाहिये।
  • संगठन को क्षेत्रीय व्यापार और निवेश को बढ़ावा देने के लिये मुक्त व्यापार समझौते (FTA) के अवसर तलाशने चाहिये।

SCO शिखर सम्मेलन 2023

चर्चा में क्यों?

  • हाल ही में भारत ने शंघाई सहयोग संगठन (SCO) वर्चुअल शिखर सम्मेलन की अध्यक्षता की, नेताओं ने वैश्विक हित में "अधिक प्रतिनिधिक" और बहुध्रुवीय विश्व व्यवस्था के गठन का आह्वान किया है।
  • 23वें शिखर सम्मेलन के दौरान ईरान ने आधिकारिक तौर पर इसके 9वें सदस्य देश के रूप में SCO की सदस्यता प्राप्त की।
  • SCO की भारत की अध्यक्षता की थीम- 'सुरक्षित संघाई सहयोग संगठन की ओर (Towards a SECURE SCO)' है। यहाँ SECURE शब्द वर्ष 2018 में आयोजित SCO के किंगदाओ शिखर सम्मेलन में भारतीय प्रधानमंत्री द्वारा दिये गए संक्षिप्त नाम से लिया गया है।
    • इसका अर्थ है: S: सुरक्षा, E: आर्थिक विकास, C: कनेक्टिविटी, U: एकता, R: संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता के लिये सम्मान, E: पर्यावरण संरक्षण। 

23वें SCO शिखर सम्मेलन की मुख्य विशेषताएँ

  • नई दिल्ली घोषणा
    • नई दिल्ली घोषणा पर सदस्य राष्ट्रों ने हस्ताक्षर किये, जिसमें कहा गया है कि अंतर्राष्ट्रीय समुदाय को "आतंकवादी, अलगाववादी एवं चरमपंथी समूहों की गतिविधियों का मुकाबला करने तथा धार्मिक असहिष्णुता, आक्रामक राष्ट्रवाद, जातीय एवं नस्लीय भेदभाव, विदेशी द्वेष, फासीवाद और अंधराष्ट्रवाद के विचार के प्रसार को रोकने पर विशेष ध्यान देने" हेतु एक साथ आना चाहिये।
  • संयुक्त वक्तव्य
    • नेताओं ने दो विषयगत संयुक्त वक्तव्यों को अपनाया- पहला अलगाववाद, उग्रवाद और आतंकवाद को बढ़ावा देने वाले कट्टरपंथ का मुकाबला करने हेतु सहयोग तथा दूसरा डिजिटल परिवर्तन के क्षेत्र में सहयोग।
  • सहयोग के नए स्तंभ
  • भारत ने SCO में सहयोग के लिये पाँच नए स्तंभ और फोकस क्षेत्र बनाए हैं, जिनमें शामिल हैं:  
    (i) स्टार्टअप और इनोवेशन
    (ii) पारंपरिक औषधि
    (iii) युवा सशक्तीकरण
    (iv) डिजिटल समावेशन
    (v) साझा बौद्ध विरासत
  • BRI पर भारत की आपत्तियाँ
    • भारत ने SCO सदस्यों के आर्थिक-रणनीति वक्तव्य में "इच्छुक सदस्य देशों" का उल्लेख करते हुए BRI (बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव) का भाग बनना अस्वीकार कर दिया।
    •  BRI को लेकर भारत का विरोध पाकिस्तान के अधिकृत कश्मीर (POK) में परियोजनाओं को शामिल करने से उत्पन्न हुआ है, जिसे भारत अपनी संप्रभुता का उल्लंघन मानता है।
  • भारतीय प्रधानमंत्री का संबोधन
    • भारतीय प्रधानमंत्री ने SCO के सदस्य देशों के बीच आपसी व्यापार और विश्वास बढ़ाने के लिये कनेक्टिविटी के महत्त्व पर प्रकाश डाला।
    • हालाँकि उन्होंने SCO चार्टर के मौलिक सिद्धांतों को बनाए रखने की आवश्यकता पर बल दिया लेकिन साथ ही विशेष रूप से सदस्य देशों की संप्रभुता एवं क्षेत्रीय अखंडता के सम्मान की सुरक्षा पर भी ज़ोर दिया।
  • अन्य परिप्रेक्ष्य 
    • भारतीय प्रधानमंत्री ने उन देशों की आलोचना की जो सीमा पार आतंकवाद को अपनी नीतियों के साधन के रूप में नियोजित करते हैं और आतंकवादियों को आश्रय प्रदान करते हैं, उन्होंने SCO से ऐसे देशों की निंदा करने में संकोच न करने का आग्रह किया और इन महत्त्वपूर्ण मुद्दों को संबोधित करने में निरंतरता के महत्त्व पर बल दिया।
  • चीनी राष्ट्रपति ने BRI की दसवीं वर्षगाँठ मनाते हुए अपनी नई वैश्विक सुरक्षा योजना (GSI) का उल्लेख किया, जिसमें क्षेत्र में एक ठोस सुरक्षा कवच स्थापित करने के लिये अंतर्राष्ट्रीय और क्षेत्रीय संघर्षों के राजनीतिक समाधान का आह्वान किया गया।
    • उन्होंने SCO सदस्यों से स्वतंत्र रूप से विदेशी नीतियाँ बनाने और नए शीत युद्ध या शिविर-आधारित टकराव को भड़काने के बाहरी प्रयासों के प्रति सतर्क रहने का आग्रह किया।
  • वैगनर समूह के विफल विद्रोह के बाद अपनी पहली बहुपक्षीय सभा में भाग लेते हुए रूसी राष्ट्रपति ने परोक्ष रूप से देश में हथियारों की आपूर्ति करने वाली बाहरी शक्तियों को यूक्रेन की रूस विरोधी भावना के लिये ज़िम्मेदार ठहराया।
    • उन्होंने सशस्त्र विद्रोह के प्रयासों के खिलाफ रूसी राजनीतिक समूहों और समाज की एकता का पक्ष लेते हुए बाह्य दबावों, प्रतिबंधों तथा उकसावे के विरुद्ध रूस के लचीलेपन पर ज़ोर दिया।

भारत-श्रीलंका संबंध

संदर्भ

  • हाल के एक घटनाक्रम में, तमिल नेशनल अलायंस (TNA) ने पुलिस शक्तियों के बिना 13वें संशोधन के कार्यान्वयन के संबंध में श्रीलंकाई राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे द्वारा की गई पेशकश को स्पष्ट रूप से खारिज कर दिया है। 13वां संशोधन, जो शक्ति हस्तांतरण पर केंद्रित है, 30 वर्षों से अस्तित्व में होने के बावजूद कभी भी पूरी तरह से लागू नहीं किया गया है।

13वें संविधान संशोधन के बारे में

  • श्रीलंकाई संविधान में 13वां संशोधन जुलाई 1987 में भारत के तत्कालीन प्रधान मंत्री राजीव गांधी और श्रीलंका के राष्ट्रपति जे.आर. जयवर्धने के बीच हस्ताक्षरित भारत-लंका समझौते का परिणाम था। इसका उद्देश्य श्रीलंका में जातीय संघर्ष को संबोधित करना था, जो सशस्त्र बलों और तमिल आत्मनिर्णय तथा एक अलग राज्य की माँग करने वाले उग्रवादी समूह लिबरेशन टाइगर्स ऑफ तमिल ईलम (एलटीटीई) के बीच गृह युद्ध में बदल गया था।
  • 1987 में अधिनियमित, 13वें संशोधन ने नौ प्रांतीय परिषदों सहित पूरे देश में प्रांतीय सरकारों की स्थापना की। इसने तमिल को आधिकारिक भाषा के रूप में मान्यता दी और अंग्रेजी को संपर्क भाषा के रूप में नामित किया। इसका एक प्रमुख उद्देश्य तमिलों की आत्मनिर्णय की मांग को संबोधित करना था, जिसने 1980 के दशक तक महत्वपूर्ण राजनीतिक गति प्राप्त कर ली थी।
  • संशोधन ने एक शक्ति-साझाकरण व्यवस्था की रूपरेखा तैयार की, जिसने श्रीलंका के सभी नौ प्रांतों को, जिनमें सिंहली बहुमत वाले प्रांत भी शामिल हैं, स्व-शासन अधिकारों का प्रयोग करने की अनुमति दी। इसने प्रांतीय स्तर पर सत्ता के हस्तांतरण और अधिक स्वायत्तता के लिए एक रूपरेखा प्रदान करने की मांग की।

13वें संविधान संशोधन का क्या महत्व है?

  • श्रीलंका के संविधान में 13वें संशोधन को 1948 में स्वतंत्रता प्राप्त करने के बाद से देश के बढ़ते सिंहली-बौद्ध बहुसंख्यकवाद के इतिहास के संदर्भ में एक उल्लेखनीय उपलब्धि के रूप में देखा जाता है। एक बार पूरी तरह से लागू होने के बाद, संशोधन प्रांतीय परिषदों को महत्वपूर्ण हस्तांतरणीय शक्तियां प्रदान करता है, जिससे उन्हें शिक्षा, स्वास्थ्य, कृषि, आवास, भूमि और पुलिस जैसे क्षेत्रों पर शासन करने की अनुमति मिलती है।
  • संशोधन का उद्देश्य श्रीलंका में विभिन्न समुदायों के बीच एकता को बढ़ावा देना, सह-अस्तित्व की भावना को बढ़ावा देना और उन्हें एक राष्ट्र के रूप में एक साथ रहने में सक्षम बनाना है। प्रांतीय परिषदों को सशक्त बनाने और विभिन्न क्षेत्रों के अधिकारों को मान्यता देकर, 13वां संशोधन हाशिए पर रहने वाले समुदायों, विशेषकर तमिलों की शिकायतों और आकांक्षाओं को संबोधित करने और अधिक समावेशी एवं न्यायसंगत शासन संरचना को बढ़ावा देने का प्रयास करता है।

यह विवादास्पद क्यों है?

  • श्रीलंकाई संविधान में 13वें संशोधन को देश के गृहयुद्ध के वर्षों से जुड़े होने के कारण विभिन्न समूहों के विरोध और संदेह का सामना करना पड़ा है। सिंहली राष्ट्रवादी पार्टियों ने सत्ता के हस्तांतरण को अतिशय मानते हुए इसका कड़ा विरोध किया, जबकि एलटीटीई (लिबरेशन टाइगर्स ऑफ तमिल ईलम) ने इसे अपर्याप्त माना।
  • सिंहली राजनीतिक परिदृश्य का एक महत्वपूर्ण हिस्सा, जिसमें जनता विमुक्ति पेरामुना (जेवीपी), एक वामपंथी-राष्ट्रवादी पार्टी, जिसने संशोधन के खिलाफ सशस्त्र विद्रोह का नेतृत्व किया, ने इसे अवांछित भारतीय हस्तक्षेप की अभिव्यक्ति के रूप में देखा। राष्ट्रपति जयवर्धने द्वारा हस्ताक्षर किए जाने के बावजूद, समझौते और उसके बाद के कानून को व्यापक रूप से भारत द्वारा थोपे गए रूप में देखा गया, जो एक पड़ोसी देश पर आधिपत्य प्रभाव का प्रयोग कर रहा था।
  • तमिल राजनीति के भीतर, विशेष रूप से प्रमुख राष्ट्रवादी गुटों के बीच, 13वें संशोधन को गुंजाइश और अर्थ की कमी के रूप में माना जाता है, जो उनकी आकांक्षाओं को संबोधित करने में सक्षम नहीं है। हालाँकि, तमिल नेशनल अलायंस (TNA) सहित कुछ लोग, जो हाल के चुनावों तक संसद में उत्तर और पूर्व के तमिलों का प्रतिनिधित्व करते थे, इसे एक महत्वपूर्ण प्रारंभिक बिंदु के रूप में देखते हैं जो तमिल चिंताओं को दूर करने में आगे की प्रगति और विकास की नींव के रूप में काम कर सकता है।

भारत श्रीलंका संबंधों की एक झलक

द्विपक्षीय संबंध

  • दरअसल, भारत और श्रीलंका के बीच 2,500 वर्षों से अधिक पुराना रिश्ता है। दोनों देशों के बीच संबंधों को बौद्धिक, सांस्कृतिक, धार्मिक और भाषाई आदान-प्रदान के समृद्ध इतिहास ने आकार दिया है। पड़ोसी देशों के रूप में भारत और श्रीलंका की निकटता ने उनके संबंधों की बातचीत और विकास को और अधिक सुविधाजनक बना दिया है।
  • हाल के वर्षों में, भारत और श्रीलंका के बीच द्विपक्षीय संबंधों की विशेषता उच्चतम राजनीतिक स्तर पर लगातार और सार्थक आदान-प्रदान रही है। दोनों देशों ने अपने संबंधों को मजबूत करने और साझा चुनौतियों का समाधान करने के लिए निकट संपर्क बनाए रखने और रचनात्मक बातचीत में शामिल होने के महत्व को पहचाना है।
  • विभिन्न स्तरों पर द्विपक्षीय आदान-प्रदान ने भारत और श्रीलंका के बीच समझ और सहयोग को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। इन आदान-प्रदानों में दोनों देशों के नेताओं, मंत्रियों, अधिकारियों और प्रतिनिधियों का दौरा शामिल है। इस तरह की उच्च स्तरीय बातचीत राजनीतिक, आर्थिक, सांस्कृतिक और रणनीतिक मामलों सहित कई मुद्दों पर चर्चा के लिए मंच के रूप में काम करती है।

राजनीतिक संबंध

  • श्रीलंका में आंतरिक रूप से विस्थापित व्यक्तियों (आईडीपी) और आबादी के वंचित वर्गों के लिए भारत की विकासात्मक सहायता परियोजनाओं ने दोनों देशों के बीच संबंधों को मजबूत करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। इन परियोजनाओं का उद्देश्य तीन दशक लंबे सशस्त्र संघर्ष और उसके परिणामों से प्रभावित कमजोर समुदायों का समर्थन करना और उनका उत्थान करना है।
  • श्रीलंकाई सेनाओं और लिबरेशन टाइगर्स ऑफ तमिल ईलम (एलटीटीई) के बीच 2009 में समाप्त हुए संघर्ष के दौरान, भारत ने आतंकवादी ताकतों के खिलाफ कार्रवाई करने के श्रीलंका सरकार के अधिकार का समर्थन किया था। हालाँकि, भारत ने मुख्य रूप से तमिल नागरिक आबादी की दुर्दशा पर भी गहरी चिंता व्यक्त की और इस बात पर जोर दिया कि लिट्टे (एलटीटीई) के खिलाफ लड़ाई में उनके अधिकारों और कल्याण से समझौता नहीं किया जाना चाहिए।
  • भारत ने नृजातीय मुद्दे के राजनीतिक समाधान के माध्यम से श्रीलंका में राष्ट्रीय सुलह की आवश्यकता पर लगातार जोर दिया। देश ने बातचीत के जरिए राजनीतिक समाधान का समर्थन किया है जो एकजुट श्रीलंका के ढांचे के भीतर सभी समुदायों को स्वीकार्य हो, जो लोकतंत्र, बहुलवाद और मानवाधिकारों के सम्मान के सिद्धांतों को कायम रखता हो। भारत ने उच्चतम स्तर पर इस रुख को दोहराया है, जिसमें संघर्ष के अंतर्निहित कारणों को संबोधित करने और दीर्घकालिक स्थिरता और सद्भाव को बढ़ावा देने के महत्व पर प्रकाश डाला गया है।
  • हाल के दिनों में, जब श्रीलंका को भोजन, ईंधन और दवा की कमी जैसे विभिन्न संकटों का सामना करना पड़ा है, प्रधानमंत्री विक्रमसिंघे ने अपने देश को सहायता प्रदान करने के लिए भारत को "एकमात्र राष्ट्र" के रूप में स्वीकार किया है। यह भारत और श्रीलंका के बीच संबंधों के महत्व और चुनौतीपूर्ण समय के दौरान अपने पड़ोसी का समर्थन करने की भारत की इच्छा पर प्रकाश डालता है।
  • सशस्त्र संघर्ष के दौरान और उसके बाद श्रीलंका को भारत की सहायता और समर्थन ने न केवल मानवीय प्रयासों में योगदान दिया है बल्कि दोनों देशों के बीच मित्रता और सहयोग को भी मजबूत किया है। विकासात्मक परियोजनाएं और चल रही सहायता श्रीलंका और उसके लोगों की भलाई एवं विकास के प्रति भारत की प्रतिबद्धता को दर्शाती है।

वाणिज्यिक संबंध

  • भारत-श्रीलंका मुक्त व्यापार समझौता (आईएसएफटीए), 1998 में हस्ताक्षरित और 2000 में लागू, भारत और श्रीलंका के बीच माल के लिए शुल्क-मुक्त पहुंच और शुल्क प्राथमिकताओं को सक्षम बनाता है।
  • 2003 में, व्यापार से परे आर्थिक एकीकरण को आगे बढ़ाने और दोनों देशों के बीच एक व्यापक आर्थिक साझेदारी समझौते (CEPA) को प्राप्त करने के लिए सिफारिशें प्रस्तावित करने के लिए एक संयुक्त अध्ययन समूह (JSG) की स्थापना की गई थी।
  • 'आर्थिक और तकनीकी सहयोग समझौता' (ईटीसीए) नामक एक नए ढांचे के तहत, संस्थानों के बीच तकनीकी क्षेत्रों, वैज्ञानिक विशेषज्ञता और अनुसंधान में सहयोग बढ़ाने के लिए चर्चा फिर से शुरू की गई है। इसका उद्देश्य वस्तुओं और सेवाओं के मानकों को ऊपर उठाना, उन्हें वैश्विक बाजार में प्रतिस्पर्धी बनाना है, साथ ही जनशक्ति प्रशिक्षण और मानव संसाधन विकास के अवसरों को भी बढ़ाना है।

व्यापार संबंध

  • विश्व के साथ श्रीलंका के कुल व्यापार में भारत की सबसे बड़ी हिस्सेदारी 16 प्रतिशत है।
  • भारत और श्रीलंका के बीच द्विपक्षीय व्यापार 2000-01 और 2018-19 के बीच लगभग नौ गुना बढ़ गया है।
  • ऐतिहासिक रूप से, भारत ने श्रीलंका के साथ लगातार व्यापार अधिशेष बनाए रखा है।
  • 2018-19 की अवधि के दौरान, श्रीलंका को भारत के प्राथमिक निर्यात में खनिज ईंधन, जहाज एवं नावें और वाहन शामिल थे, जो सामूहिक रूप से कुल निर्यात का 43 प्रतिशत था।
  • आयात के संदर्भ में, भारत की प्रमुख वस्तुओं में जहाज एवं नावें, खाद्य उद्योगों के अवशेष और अपशिष्ट, साथ ही कॉफी, चाय और मसाले शामिल हैं, जो कुल आयात का 56 प्रतिशत हैं।
  • श्रीलंका में भारत के निर्यात को चीन द्वारा श्रीलंका को निर्यात से बढ़ती प्रतिस्पर्धा का सामना करना पड़ रहा है, जिससे उनकी प्रतिस्पर्धात्मकता में गिरावट आ रही है।

विकास सहयोग

  • भारत ने श्रीलंका को लगभग 570 मिलियन अमेरिकी डॉलर का अनुदान प्रदान किया है, जबकि भारत सरकार (जीओआई) की ओर से कुल प्रतिबद्धता 3.5 बिलियन अमेरिकी डॉलर से अधिक है।
  • 16 जून, 2021 को श्रीलंका सरकार और EXIM बैंक ने श्रीलंका में सौर परियोजनाओं के कार्यान्वयन के लिए 100 मिलियन अमेरिकी डॉलर की क्रेडिट लाइन (LoC) पर हस्ताक्षर किए।
  • भारत सरकार (भारत सरकार) द्वारा शुरू की गई भारतीय आवास परियोजना, एक प्रमुख अनुदान परियोजना है जिसका उद्देश्य युद्ध प्रभावित क्षेत्रों में और वृक्षारोपण क्षेत्रों में श्रमिकों के लिए 50,000 घरों का निर्माण करना है।
  • एक अन्य उल्लेखनीय प्रमुख परियोजना देशव्यापी 1990 आपातकालीन एम्बुलेंस सेवा है।
  • कई महत्वपूर्ण अनुदान परियोजनाएं सफलतापूर्वक पूरी की गई हैं, जिनमें 150 बिस्तरों वाले डिकोया अस्पताल का निर्माण, हंबनटोटा में मछली पकड़ने और कृषक समुदायों के लगभग 70,000 व्यक्तियों को आजीविका सहायता प्रदान करना, वावुनिया अस्पताल को चिकित्सा उपकरणों की आपूर्ति और मुल्लाथिवु मछुआरों के लिए 150 नावें एवं मछली पकड़ने के सामान का प्रावधान शामिल है।
  • श्रीलंकाई विश्वविद्यालय में सबसे बड़ा सभागार, जिसका नाम रवीन्द्रनाथ टैगोर के नाम पर रखा गया है, मटारा में रुहुना विश्वविद्यालय में स्थित आधुनिक 1500 सीटों वाला सभागार है।
  • श्रीलंकाई रेलवे के लिए रोलिंग स्टॉक की खरीद, रेलवे पटरियों के उन्नयन और रेलवे कार्यशाला की स्थापना से संबंधित विभिन्न परियोजनाएं 318 मिलियन अमेरिकी डॉलर की क्रेडिट लाइन (एलओसी) के तहत कार्यान्वयन के विभिन्न चरणों में हैं।

सांस्कृतिक संबंध

  • भारत और श्रीलंका की सरकारों के बीच 1977 में हस्ताक्षरित सांस्कृतिक सहयोग समझौता, दोनों देशों के बीच नियमित सांस्कृतिक आदान-प्रदान कार्यक्रमों की नींव के रूप में कार्य करता है।
  • बौद्ध धर्म लंबे समय से भारत और श्रीलंका को जोड़ने में महत्वपूर्ण रहा है, जिसका इतिहास सम्राट अशोक द्वारा श्रीलंका के राजा देवनमपिया तिस्सा के अनुरोध पर भगवान बुद्ध की शिक्षाओं का प्रसार करने के लिए उनके बच्चों अरहत महिंदा और थेरी संगमित्ता को भेजे जाने से जुड़ा है।
  • 1970 में भारत में खोजे गए कपिलवस्तु से प्राप्त भगवान बुद्ध के प्रतिष्ठित अवशेषों को श्रीलंका में दो बार प्रदर्शित किया गया है।
  • 26 सितंबर, 2020 को भारत और श्रीलंका के बीच आयोजित वर्चुअल द्विपक्षीय शिखर सम्मेलन के दौरान, प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने दोनों देशों के बीच बौद्ध संबंधों के संरक्षण और प्रचार के लिए 15 मिलियन अमरीकी डालर की अनुदान सहायता की घोषणा की।
  • जुलाई 2020 में, भारत सरकार ने भगवान बुद्ध के महापरिनिर्वाण स्थल, भारत के कुशीनगर हवाई अड्डे को एक अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा घोषित किया। यह निर्णय श्रीलंका सहित दुनिया भर के बौद्ध तीर्थयात्रियों को इस श्रद्धेय स्थान की आसानी से यात्रा करने की अनुमति देता है। इसके बाद श्रीलंका से पहली उद्घाटन उड़ान हुई।
  • 1998 में अपनी स्थापना के बाद से, कोलंबो में भारतीय उच्चायोग की सांस्कृतिक शाखा, स्वामी विवेकानंद सांस्कृतिक केंद्र (एसवीसीसी) ने भारत और श्रीलंका के बीच संबंधों को मजबूत करने और लोगों से लोगों के बीच संबंधों को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
  • 2015 में, भारत ने श्रीलंकाई पर्यटकों के लिए ई-टूरिस्ट वीज़ा (ईटीवी) योजना शुरू की, जिससे उनकी भारत यात्रा आसान हो गई और दोनों देशों के बीच पर्यटन को बढ़ावा मिला।

सुरक्षा

  • भारत और श्रीलंका के बीच सैन्य अभ्यास को मित्रशक्ति के नाम से जाना जाता है, जबकि नौसैनिक अभ्यास को "स्लाइनेक्स" (Slinex) कहा जाता है।
  • दोनों देशों की रक्षा टीमें अपने रक्षा सहयोग और संबंधों को आगे बढ़ाने के उद्देश्य से हाल ही में भारत के कोच्चि में आयोजित कोलंबो सिक्योरिटी कॉन्क्लेव (सीएससी) बैठक में बुलाई गईं।

प्रमुख मुद्दे और चिंताएँ

  • भारत और श्रीलंका ने पारंपरिक रूप से अपने द्विपक्षीय संबंधों को सुरक्षा सहयोग, जातीय चिंताओं, मछुआरों के विवाद और निवेश माहौल जैसे प्रमुख मुद्दों पर केंद्रित किया है।
  • निवेश के मामले में, राजपक्षे शासन के दौरान भारत के साथ विशेष रूप से बिजली क्षेत्र में किए गए व्यापक निवेश समझौतों को लेकर आलोचनाएं हुईं, जिन्हें राजनीतिक विरोधियों के विरोध का सामना करना पड़ा।
  • बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (बीआरआई) के तहत देश में चीन के महत्वपूर्ण निवेश के कारण श्रीलंका ने भारत और चीन के साथ अपने संबंधों को संतुलित करने की कोशिश की है। चीन के प्रति भारत के भिन्न रुख को देखते हुए, इस संतुलन ने भारत के साथ श्रीलंका के संबंधों को प्रभावित किया है।
  • मत्स्य पालन के संबंध में, अंतर्राष्ट्रीय समुद्री सीमा रेखा (आईएमबीएल) का उल्लंघन करने और श्रीलंकाई जल में अवैध शिकार में संलग्न होने के आरोप में भारतीय मछुआरों को अक्सर गिरफ्तार किया जाता है और उनकी नौकाओं और उपकरणों को जब्त कर लिया जाता है।
  • दोनों देशों के बीच पाक जलडमरूमध्य में 12 समुद्री मील अंतरराष्ट्रीय जल के संबंध में कई समुद्री सीमा समझौतों पर हस्ताक्षर किए गए हैं। हालाँकि, इन समझौतों की शर्तों का लगातार पालन नहीं किया जाता है।
  • श्रीलंकाई नौसेना ने भारतीय मछुआरों पर सहमत सीमाओं को पार करने और श्रीलंका के क्षेत्रीय जल के भीतर अवैध शिकार में शामिल होने का आरोप लगाया है। विवाद का एक अन्य मुद्दा पाक जलडमरूमध्य में भारत द्वारा बॉटम ट्रॉलर के उपयोग की श्रीलंका की आलोचना है, जो एक निरंतर मुद्दा रहा है।
  • भारत श्रीलंका में चीन के प्रभाव को लेकर चिंतित है, हालांकि इस बात का कोई सबूत नहीं है कि चीनी वाणिज्यिक निवेश के परिणामस्वरूप कोई सैन्य या सुरक्षा गठबंधन हुआ है जिससे नई दिल्ली को चिंतित होना चाहिए।
  • चीन द्वारा वित्त पोषित कोलंबो पोर्ट सिटी परियोजना का भविष्य अनिश्चित है।
  • तमिल समुदाय के प्रस्तावों और सिंहली-बौद्ध बहुमत की प्रतिक्रिया सहित नृजातीय मुद्दे भी द्विपक्षीय संबंधों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
  • आज तक, श्रीलंका के संविधान में 13वां संशोधन, जो 29 जुलाई 1987 को हस्ताक्षरित भारत-श्रीलंका समझौते का परिणाम था, पूरी तरह से लागू नहीं किया गया है।

निष्कर्ष

  • भारत ने अपनी "पड़ोसी प्रथम नीति" द्वारा निर्देशित होकर, श्रीलंका सहित अपने पड़ोसी देशों के साथ संबंधों को मजबूत करने को लगातार प्राथमिकता दी है। वर्तमान संकट के आलोक में, भारत श्रीलंका की सहायता के लिए अतिरिक्त प्रयास करने तथा एक स्थिर और मैत्रीपूर्ण पड़ोस को बढ़ावा देने के लिए उसकी पूरी क्षमता को साकार करने की दिशा में उसकी यात्रा का समर्थन करने के लिए तैयार है।
  • सार्क (क्षेत्रीय सहयोग के लिए दक्षिण एशियाई संघ) और बिम्सटेक (बहु-क्षेत्रीय तकनीकी और आर्थिक सहयोग के लिए बंगाल की खाड़ी पहल) के सह-सदस्य के रूप में, भारत श्रीलंका के साथ अपने संबंधों के रणनीतिक महत्व को पहचानता है। अपनी अनुकूल भौगोलिक स्थिति के कारण, श्रीलंका क्षेत्रीय सहयोग और कनेक्टिविटी के मामले में भारत के लिए महत्वपूर्ण महत्व रखता है।
  • भारत-श्रीलंका संबंधों का भविष्य आशाजनक प्रतीत होता है, क्योंकि दोनों देशों को एक मजबूत और सहयोगात्मक साझेदारी से लाभ होगा। श्रीलंका के लिए भारत जैसे मित्र की विश्वसनीयता को पहचानना और अन्य देशों के अनुभवों से सबक लेना महत्वपूर्ण है। भारत के साथ घनिष्ठ गठबंधन की क्षमता का लाभ उठाकर, श्रीलंका एक स्थिर और मैत्रीपूर्ण पड़ोस के साथ मिलने वाले कई लाभों को प्राप्त कर सकता है।
  • निष्कर्षतः, सार्क और बिम्सटेक जैसे संगठनों के माध्यम से भारत और श्रीलंका के बीच मजबूत और पारस्परिक रूप से लाभप्रद संबंध, भारत के रणनीतिक हितों और श्रीलंका की क्षमता के साथ मिलकर, एक आशाजनक भविष्य की नींव रखते हैं। चीन जैसे अन्य देशों के साथ अनुभवों से सीखे गए सबक को ध्यान में रखते हुए, श्रीलंका भारत जैसे विश्वसनीय सहयोगी द्वारा प्रस्तुत अवसरों का लाभ उठा सकता है।

संयुक्त G-20 विज्ञप्ति की संभावनाए

चर्चा में क्यों?

  • सितंबर 2023 में नई दिल्ली में आयोजित होने वाले G-20 शिखर सम्मेलन में यूक्रेन में युद्ध से संबंधित अनुच्छेदों के संबंध में रूस और चीन के विरोधी रुख के कारण संयुक्त विज्ञप्ति जारी करने में बाधाओं का सामना करना पड़ रहा है
  • जैसे-जैसे शिखर सम्मेलन की तिथि नज़दीक आ रही है, भारतीय वार्ताकार गतिरोध का समाधान करने के लिये कड़ी मेहनत कर रहे हैं।

संयुक्त विज्ञप्ति का महत्त्व

  • G-20 समूह जिसमें विश्व की प्रमुख अर्थव्यवस्थाएँ सम्मिलित हैं, परंपरागत रूप से आम सहमति तक पहुँचने के साथ प्रत्येक शिखर सम्मेलन के अंत में एक संयुक्त घोषणा जारी करने में सफल रहा है।
  • भारत की अध्यक्षता में ऐसा न होने की स्थिति में इसके मौजूदा स्वरूप में G-20 की स्थिरता पर सवाल उठ सकते हैं। 
  • पिछले शिखर सम्मेलनों, जैसे- वर्ष 2014 में ब्रिस्बेन तथा वर्ष 2022 में इंडोनेशिया में चुनौतियों का सामना करना पड़ा लेकिन अंततः एक दस्तावेज़ तैयार करने में सफलता मिली।
  • चुनौतियों के बावजूद शेरपा अगस्त 2023 से "दिल्ली घोषणा" के लिये मसौदा वार्ता प्रारंभ करने के लिये तैयार हैं।
  • शेरपा मतभेद के क्षेत्रों को संबोधित करने का प्रयास करेंगे जिसमें ऋण स्थिरता पर अमेरिका-चीन तनाव तथा डिजिटल सार्वजनिक बुनियादी अवसंरचना को लेकर  गोपनीयता के मुद्दे शामिल हैं।
  • यूक्रेन मुद्दे के संबंध में अधिकारी "भू-राजनीतिक मुद्दों" के लिये "रिक्त स्थान" अपना  सकते हैं जब तक कि अधिकतम बिंदुओं पर सहमति न बन जाए।

G20 दस्तावेज़ों पर विभिन्न परिप्रेक्ष्य

भारत का रुख

  • बाली पैराग्राफ को बनाए रखना
    • अब तक भारत ने उनके निर्माण में कठिन परिश्रम का हवाला देते हुए अपने दस्तावेजों में "बाली पैराग्राफ" (बाली 2022 शिखर सम्मेलन में G-20 नेताओं की घोषणा) को शामिल करना जारी रखा है।
    • इस पैराग्राफ में यूक्रेन पर रूस के युद्ध की "निंदा" करने वाले संयुक्त राष्ट्र के प्रस्ताव का संदर्भ तथा बयान शामिल हैं कि "अधिकांश सदस्य" संघर्ष की कड़ी निंदा करते हैं।
    • भारतीय प्रधानमंत्री के वाक्यांश "यह युग युद्ध का नहीं है" का उपयोग भी सार्वभौमिक माना जाता है तथा किसी विशिष्ट देश या संघर्ष से संबंधित नहीं है।
  • आर्थिक मुद्दों हेतु न कि सुरक्षा मुद्दों के लिये
    • G-20 सुरक्षा मुद्दों के लिये मंच नहीं है बल्कि यह सुरक्षा चिंताओं से उत्पन्न आर्थिक मुद्दों के लिये मंच है जैसे- ईंधन, खाद्य और उर्वरक की कीमतों पर यूक्रेन युद्ध का प्रभाव।
  • यूक्रेन संघर्ष के लिये विकासशील देश ज़िम्मेदार नहीं
    • भारत का कहना है कि G-20 में यूक्रेन संघर्ष उसकी प्राथमिकता नहीं है तथा इस मुद्दे के लिये विकासशील देशों को ज़िम्मेदार नहीं ठहराया जाना चाहिये।
    • इसके बजाय भारत अफ्रीकी संघ को G-20 में शामिल करने, डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर (DPI), लिंग आधारित सशक्तीकरण और बहुपक्षीय विकास बैंकों में सुधार जैसी प्राथमिकताओं पर ध्यान केंद्रित करना चाहता है।

रूस और चीन का विरोध

  • रूस एवं चीन, यूक्रेन को लेकर विज्ञप्ति के आधार पर विरोध करते हैं, रूस का तर्क है कि बाली घोषणापत्र अब वर्तमान स्थिति को प्रतिबिंबित नहीं करता है क्योंकि इसमें यूक्रेन के लिये अमेरिका तथा यूरोपीय सैन्य समर्थन में वृद्धि या रूस के खिलाफ बढ़े हुए प्रतिबंध शामिल नहीं हैं और प्रासंगिक विकास को छोड़ दिया गया है। 
  • चीन का तर्क है कि G-20 को "भूराजनीतिक मुद्दों" पर चर्चा नहीं करनी चाहिये क्योंकि इसने पिछले दो दशकों में मुख्य रूप से आर्थिक मामलों पर ध्यान केंद्रित किया है।

आगे की राह

  • भारत, यूक्रेन संघर्ष पर साझा आधार तलाशने के लिये इंडोनेशिया और ब्राज़ील समेत अन्य G-20 देशों से सुझाव मांग रहा है।
  • गतिरोध को सुलझाने में नेताओं, विशेषकर भारतीय प्रधानमंत्री की भूमिका महत्त्वपूर्ण होगी।
  • वर्ष 2023 में दक्षिण अफ्रीका में ब्रिक्स शिखर सम्मेलन के दौरान कूटनीतिक प्रयास भी स्थिति को प्रभावित कर सकते हैं।
The document International Relations (अंतर्राष्ट्रीय संबंध): July 2023 UPSC Current Affairs | Current Affairs (Hindi): Daily, Weekly & Monthly is a part of the UPSC Course Current Affairs (Hindi): Daily, Weekly & Monthly.
All you need of UPSC at this link: UPSC
2310 docs|814 tests

Top Courses for UPSC

Explore Courses for UPSC exam

Top Courses for UPSC

Signup for Free!
Signup to see your scores go up within 7 days! Learn & Practice with 1000+ FREE Notes, Videos & Tests.
10M+ students study on EduRev
Related Searches

practice quizzes

,

Important questions

,

Extra Questions

,

pdf

,

Sample Paper

,

Objective type Questions

,

Free

,

Weekly & Monthly

,

mock tests for examination

,

Summary

,

International Relations (अंतर्राष्ट्रीय संबंध): July 2023 UPSC Current Affairs | Current Affairs (Hindi): Daily

,

video lectures

,

International Relations (अंतर्राष्ट्रीय संबंध): July 2023 UPSC Current Affairs | Current Affairs (Hindi): Daily

,

Previous Year Questions with Solutions

,

past year papers

,

shortcuts and tricks

,

Semester Notes

,

International Relations (अंतर्राष्ट्रीय संबंध): July 2023 UPSC Current Affairs | Current Affairs (Hindi): Daily

,

Weekly & Monthly

,

MCQs

,

Weekly & Monthly

,

Viva Questions

,

study material

,

Exam

,

ppt

;