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आर्थिक अवस्था और सामाजिक जीवन - विजयनगर साम्राज्य, इतिहास, यूपीएससी, आईएएस | इतिहास (History) for UPSC CSE in Hindi PDF Download

आर्थिक अवस्था
     ¯ राज्य के विभिन्न भागों में खेती उन्नति पर थी तथा राज्य सिंचाई की एक बुद्धिमत्तापूर्ण नीति का अनुसरण करता था।
     ¯ प्रमुख व्यवसाय बुने हुए कपड़ों, खानों की खुदाई तथा धातुशोधनविद्या से सम्बन्धित थे तथा छोटे व्यवसायों में सबसे महत्त्वपूर्ण गंधी का पेशा था।
     ¯ राज्य के आर्थिक जीवन में शिल्पियों एवं व्यापारियों के संघों का एक महत्त्वपूर्ण भाग था।
     ¯ राज्य की आर्थिक अवस्था की सबसे उल्लेखनीय विशेषता थी - देश के भीतर का, तटवर्ती एवं सामुद्रिक व्यापार।
     ¯ मालावार तट पर सबसे महत्त्वपूर्ण बन्दरगाह कालीकट था तथा अब्दुर्रज्जाक के लेखानुसार साम्राज्य में ”तीन सौ बन्दरगाह“ थे।
     ¯ इसका हिंद-महासागर के द्वीपों, मलय द्वीपपुंज , म्यांमार (बर्मा), चीन, अरब, फारस, दक्षिण अफ्रीका, अबिसीनिया एवं पुर्तगाल के साथ व्यापारिक सम्बन्ध था।
     ¯ निर्यात की मुख्य वस्तुएँ कपड़ा, चावल, लोहा, शोरा, चीनी एवं मसाले थे।
     ¯ साम्राज्य के आयात की वस्तुएं घोड़े, हाथी, मुक्ताएँ, तांबा, मूंगा, पारा, चीनी, रेशम एवं मखमल थी।
     ¯ बारबोसा के लेखानुसार दक्षिण भारत के जहाज मालदीव द्वीपों में बनते थे।
 ¯ अभिलेख-सम्बन्धी प्रमाण से यह सिद्ध होता है कि विजयनगर के शासक जहाजी बेड़े रखते थे तथा पुर्तगीजों के आगमन के पहले वहाँ के लोग जहाज-निर्माण कला से परिचित थे।
     ¯ विजयनगर साम्राज्य के सिक्के विभिन्न प्रकारों के होते थे। ये सोने और ताँबे दोनों के थे; चाँदी के सिक्के का एक ही नमूना था।
     ¯ सिक्के पर विभिन्न देवताओं एवं पशुओं के प्रतीक रहते थे, जो शासकों के धार्मिक विश्वास के अनुसार बदलते रहते थे।
     ¯ वस्तुओं के मूल्य कम थे।

सामाजिक जीवन
     ¯ स्त्रियों का सामान्यतः समाज में ऊँचा स्थान था तथा देश के राजनीतिक, सामाजिक एवं साहित्यिक जीवन में उनके सक्रिय भाग लेने के दृष्टान्त दुष्प्राप्य नहीं हैं।
     ¯ कुश्ती लड़ने, तलवार एवं ढाल चलाने तथा संगीत एवं अन्य ललित कलाओं में प्रशिक्षित होने के अतिरिक्त कम-से-कम कुछ स्त्रियों को अच्छी साहित्यक शिक्षा दी जाती थी।
     ¯ बहुपत्नी प्रथा विशेष रूप से धनी वर्गों में प्रचलित थी।
     ¯ बाल-विवाह सामान्य रीति थी।
     ¯ जीवन में अच्छे स्थान ग्रहण करनेवालों में अत्यधिक दहेज ऐंठने की कुप्रथा उग्र रूप में प्रचलित थी। विभिन्न सम्प्रदायों में झगड़ों को सुलझाने के लिए कभी-कभी राज्य सामाजिक मामलों में हस्तक्षेप किया करता था।
     ¯ सती प्रथा विजयनगर में बहुत प्रचलित थी तथा ब्राह्मण स्वच्छन्दता से इसके लिए अनुमति देते थे।
     ¯ शासकों से उच्च सम्मान पाने के कारण ब्राह्मणों का महत्त्वपूर्ण प्रभाव केवल सामाजिक एवं धार्मिक बातों में ही नहीं, बल्कि राज्य के राजनीतिक मामलों में भी था।
     ¯ भोजन के मामलों में कड़े प्रतिबंध नहीं थे। फलों, सब्जियों तथा तेल के अतिरिक्त साधारण लोग बैलों एवं गायों का, जिनके लिए लोगों में बड़ी श्रद्धा थी, मांस छोड़कर, सभी प्रकार के मांस खाते थे।
     ¯ ब्राह्मण किसी ”जीवित वस्तु“ को कभी मारते अथवा खाते नहीं थे।
     ¯ प्रसिद्ध ”नवरात्रि पर्व“ के अन्तिम दिन अढ़ाई सौ भैंसों तथा साढ़े चार हजार भेंड़ों की बलि चढ़ायी जाती थी।

कला और साहित्य
     ¯ सम्राट संस्कृत, तेलुगु, तमिल एवं कन्नड़ सभी भाषाओं के संरक्षक होते थे तथा उनके प्रोत्साहनपूर्ण आश्रय में साहित्य की कुछ सर्वश्रेष्ठ कृतियों की रचना हुई।
     ¯ वेदों के प्रसिद्ध भाष्यकार सायण तथा उनके भाई माधव विजयनगर के शासन के प्रारम्भिक काल में प्रादुर्भूत हुए तथा राज्य से उनका घनिष्ठ सम्बन्ध था।
     ¯ इस क्षेत्र में भी कृष्णदेव राय का राज्यकाल विशेष रूप से महत्त्वपूर्ण था।
     ¯ उसने अपनी सबसे महत्वपूर्ण कृति अमुक्तमाल्यद तेलुगु में लिखी, जिसकी भूमिका में उसने संस्कृत में लिखी अपनी पाँच पुस्तकों की चर्चा की है।
     ¯ उसके दरबार में ”अष्टदिग्गज थे, जिन पर (तेलुगु) साहित्य का संसार टिका था“।
     ¯ उसके राजकवि पेद्दन की बड़ी ख्याति थी तथा तेलुगु लेखकों में उसका स्थान ऊँचा था।
     ¯ लौंघस्र्ट कहता है कि कृष्णदेव राय के शासनकाल में बनाया गया प्रसिद्ध हज़ारा मन्दिर ”विद्यमान हिन्दू मन्दिरों की वास्तुकला के सर्वोत्तम नमूनों में एक“ है।
     ¯ बिट्ठलस्वामी मन्दिर भी विजयनगर शैली का एक सुन्दर नमूना है। फर्गुसन के विचार में यह ”फूलों से अलंकृत वैभव की पराकाष्ठा का द्योतक है, जहाँ तक शैली पहुँच चुकी थी“। 
     ¯ कृष्णदेव राय तथा संरक्षक (रीजेंट) रामराय संगीत में प्रवीण थे।
     ¯ बारबोसा लिखता है: ”राजा ऐसी स्वतंत्रता देता है कि प्रत्येक मनुष्य बिना किसी खीझ और जाँच-पड़ताल के, कि वह ईसाई, यहूदी, मूर (मुस्लिम) अथवा हिदू है, अपने धर्म के अनुसार कहीं आ-जा तथा रह सकता है।“

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FAQs on आर्थिक अवस्था और सामाजिक जीवन - विजयनगर साम्राज्य, इतिहास, यूपीएससी, आईएएस - इतिहास (History) for UPSC CSE in Hindi

1. विजयनगर साम्राज्य क्या था?
उत्तर: विजयनगर साम्राज्य भारतीय इतिहास में एक महत्वपूर्ण राज्य था जो कि 1336 ईस्वी से 1646 ईस्वी तक विद्रोह के बाद के दक्षिण भारत में विराजमान था। इस साम्राज्य की स्थापना हरिहर और बुखारी नामक दो भाइयों द्वारा की गई थी और यह दक्षिण भारत में विजयनगर नामक नगर के आसपास स्थित था।
2. विजयनगर साम्राज्य में आर्थिक अवस्था कैसी थी?
उत्तर: विजयनगर साम्राज्य में आर्थिक अवस्था काफी मजबूत थी। यह राज्य वाणिज्यिक गतिविधियों के लिए प्रसिद्ध था और व्यापारिक संबंधों की व्यापक जाल से जुड़ा था। विजयनगर साम्राज्य में गहन वनिकी और कृषि उत्पादन व्यापार भी महत्वपूर्ण थे। इसके अलावा, साम्राज्य में शिल्प और कला का भी विकास हुआ था।
3. विजयनगर साम्राज्य में सामाजिक जीवन कैसा था?
उत्तर: विजयनगर साम्राज्य में सामाजिक जीवन व्यवस्था काफी प्रबल थी। यह एक व्यवस्थित समाज में आधारित था जहां वर्गों की पहचान की जाती थी। विजयनगर साम्राज्य में जाति प्रथा आम थी और लोग अपनी जाति के अनुसार काम करते थे। साम्राज्य में काव्य, संगीत, नृत्य, चित्रकला और कविता के क्षेत्र में भी विकास हुआ था।
4. विजयनगर साम्राज्य की स्थापना कब और कैसे हुई?
उत्तर: विजयनगर साम्राज्य की स्थापना 1336 ईस्वी में हुई थी। इसे हरिहर और बुखारी नामक दो भाइयों ने स्थापित किया था। यह साम्राज्य विजयनगर नामक नगर के आसपास स्थित था और अपनी विकासशीलता के लिए प्रसिद्ध था।
5. विजयनगर साम्राज्य कब और कैसे समाप्त हुआ?
उत्तर: विजयनगर साम्राज्य 1646 ईस्वी में अदिलशाही सल्तनत के अधीन लगभग 300 वर्षों तक समाप्त हुआ। इसके पश्चात यह साम्राज्य अदिलशाही सल्तनत के आक्रमण के कारण नष्ट हो गया।
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