गुजरात
¯ जफर खान, जिसे दिल्ली के सुल्तान ने 1391 ई. में गुजरात का हाकिम बनाया था, तैमूर के आक्रमण के बाद व्यावहारिक रूप में स्वतंत्र हो गया।
¯ 1407-1408 ई. में उसने स्वतंत्रता की औपचारिक घोषणा कर दी और मुजफ्फर शाह की उपाधि के साथ गद्दी पर बैठा। उसका उत्तराधिकारी अहमद शाह प्रथम (1411-1443 ई.) ने मालवा, खानदेश तथा बहमनी राज्यों से संघर्ष किया।
¯ उसने 1415 ई. में अहमदाबाद नगर की आधारशिला रखी। वह अपनी राजधानी पाटन से हटाकर इस नये नगर में ले आया।
¯ उसके द्वारा निर्मित भवनों में गुजरात के जैनियों की स्थापत्य परम्परा और मुस्लिम शैलियों का समन्वय दिखाई पड़ता है।
¯ गुजरात का सबसे प्रसिद्ध सुल्तान महमूद बेगड़ा (1459-1511 ई.) था।
¯ उसे बेगड़ा इसलिए कहा जाता है कि उसने दो सबसे मज़बूत किलों - सौराष्ट्र का गिरनार (जिसे अब जूनागढ़ कहा जाता है) और दक्षिण गुजरात का चम्पानेर को जीता था।
¯ उसने गिरनार के निकट मुस्तफाबाद नामक नगर और चम्पानेर के निकट मुहम्मदाबाद नामक नगर बसाया।
¯ 1508 ई. में मिस्र और गुजरात के सुल्तान के संयुक्त सैन्य दल ने एक पुर्तगाली जहाजी बेड़े को मुम्बई से दक्षिण - चोल के निकट हरा दिया। पर 1509 ई. में पुर्तगालियों ने दीव के निकट इस संयुक्त मुस्लिम बेड़े को करारी हार दी।
दक्कन की पांच सल्तनतें ¯ बहमनी राज्य के टूटने के बाद दक्कन में एक-के-बाद-एक पांच विभिन्न सल्तनतों का उदय हुआ। ¯ इनके नाम इनके संस्थापकों की उपाधियों पर थे - बरार का इमादशाही वंश, बीजापुर का आदिलशाही वंश, अहमदनगर का निजामशाही वंश, गोलकुंडा का कुतुबशाही वंश और बीदर का बरीदशाही वंश। (i) बरारः सबसे पहले बरार अलग हुआ। वहां फतहल्ला इमादशाह ने, जो हिन्दू से मुसलमान बना था, 1484 ई. में स्वतंत्रता की घोषणा कर इमादशाही वंश की स्थापना की। 1574 ई. में बरार को अहमदनगर ने हड़प लिया। (ii) बीजापुरः बीजापुर के सूबेदार युसूफ आदिल खां ने 1489-1490 ई. में इस स्वतंत्र राज्य की स्थापना की । 1686 ई. में औरंगजेब ने इसे मुगल साम्राज्य में मिला लिया। (iii) अहमदनगरः अहमदनगर राज्य का संस्थापक निजामुल मुल्क बहरी का पुत्र मलिक अहमद था। मलिक अहमद जुन्नोर का सूबेदार नियुक्त किया गया था, पर 1490 ई. में उसने अपने को स्वतंत्र घोषित कर दिया। उसने अहमदनगर शहर की स्थापना की और अपनी राजधानी वहीं ले गया। 1595-96 ई. में चांद बीबी द्वारा अकबर के पुत्र युवराज मुराद का वीरतापूर्ण प्रतिरोध तथा मलिक अम्बर की सैनिक एवं प्रशासनिक कुशलता रोचक है। 1600 ई. में मुगलों ने इस राज्य को रौंद डाला, और अंततः और शाहजहां के शासन काल में 1633 ई. में मुगल साम्राज्य में मिला लिया गया। (iv) गोलकुंडाः इसका संस्थापक कुली शाह था। 1687 ई. में औरंगजेब द्वारा इसे मुगल साम्राज्य में मिला लिया गया। (v) बीदरः 1526 या 1527 ई. में अमीर अली बरीद ने विधिवत् कठपुतले बहमनी सुल्तानों के शासन को हटाकर बीदर के बरीदशाही वंश की स्थापना की, जो 1618-1619 ई. में बीजापुर द्वारा हड़पे जाने तक बना रहा। |
¯ महमूद ने पुर्तगालियों को दीव में कारखाने के लिए भूमि दी।
¯ अकबर ने 1572 ई. में अहमदाबाद पर अधिकार कर लिया और 1573 ई. में सूरत पर भी अधिकार कर लिया।
मालवा और मेवाड़
¯ अन्य प्रांतीय शासकों की भांति तैमूर के आक्रमण के बाद मालवा का सूबेदार दिलावर खां गोरी भी 1401 ई. में व्यावहारिक रूप से स्वतंत्र हो गया, हालांकि उसने इसकी औपचारिक घोषणा नहीं की।
¯ उसके पुत्र हुसंग शाह ने उड़ीसा को लूटा तथा बहमनी राज्य, दिल्ली, गुजरात और जौनपुर से लड़ाइयां लड़ी।
¯ 1531 ई. में गुजरात के बहादुर शाह ने माण्डु पर अधिकार कर लिया और इस प्रकार मालवा का एक स्वतंत्र राज्य के रूप में अन्त हो गया। उसे गुजरात में मिला लिया गया तथा बाद में अकबर ने अपने साम्राज्य का अंग बना लिया।
¯ 1303 ई. में अलाउद्दीन ने मेवाड़ पर आक्रमण करके चितौड़ पर अधिकार कर लिया किन्तु शेष मेवाड़ पर गहलौत राजपूतों का शासन बना रहा और कुछ समय बाद हम्मीर (1326-1364 ई.) ने चितौड़ को भी दिल्ली सल्तनत की दासता से मुक्त करा लिया।
¯ किन्तु इसे शक्तिशाली बनाने वाला व्यक्ति राणा कुम्भा (1433-1468 ई.) था।
¯ अपने शासन काल में उसे गुजरात और मालवा से संघर्ष करना पड़ा।
¯ उसने चितौड़ में कीर्ति-स्तम्भ बनवाया।
¯ एक अन्य योद्धा शासक राणा सांगा (1508- 1528 ई.) ने मेवाड़ की गद्दी को सुशोभित किया।
¯ 1517 ई. में राणा सांगा ने मालवा के शासक महमूद द्वितीय को पराजित करके छः मास तक बन्दी बनाए रखा।
¯ 1518 ई. में उसने दिल्ली के सुल्तान इब्राहिम लोदी को घटोली की लड़ाई में बुरी तरह पराजित किया।
¯ लेकिन 1527 ई. में खनवा की लड़ाई में वह बाबर के हाथों पराजित हुआ।
असम
¯ ब्रह्मपुत्र की घाटी के अनेक राज्यों में से असम राज्य सर्वाधिक महत्वपूर्ण था। पन्द्रहवीं शताब्दी में खैन लोगों ने कामरूप पर अधिकार करके कूचबिहार के दक्षिण में कामतापुर को राजधानी बनाया।
¯ सोलहवीं शताब्दी के प्रारम्भ में कूच जाति का कामरूप पर अधिकार हो गया तथा नर नारायण के शासन काल में कामत राज्य की विशेष उन्नति हुई।
¯ उसने मुस्लिम आक्रमण को असफल बनाया और वैष्णव सम्प्रदाय का प्रचार किया।
¯ बाद में जब यह राज्य दो भागों में विभाजित हो गया, तब दोनों में संघर्ष चला जिसके परिणामस्वरूप काम राज्य दुर्बल हो गया और इसके पश्चिमी भाग को मुसलमानों व महोमों ने आपस में बांट लिया।
बंगाल
¯ चैदहवीं शताब्दी के प्रारम्भ से लेकर दो सौ वर्षों तक बंगाल स्वतंत्र बना रहा।
¯ इस काल में हिन्दू व मुसलमानों के कई राजवंशों ने राजसत्ता पर अधिकार किया।
¯ हाजी इलियास 1342 ई. के लगभग शम्सुद्दीन इलियास शाह के नाम से सम्पूर्ण बंगाल प्रांत का स्वतंत्र शासक बना।
¯ 1357 ई. में पाण्डुआ में उसकी मृत्यु हो गई।
¯ उसका पुत्र सिकन्दर शाह उत्तराधिकारी बना।
¯ उसने 1368 ई. में पाण्डुआ में शानदार ‘अदीना मस्जिद’ का निर्माण कराया।
¯ ग्यासुद्दीन आजम इस वंश का योग्यतम व न्यायप्रिय शासक था।
¯ उसका चीन के मिंग वंश के सम्राट के साथ राजनयिक सम्बन्ध भी था।
¯ उसकी मृत्यु 1410 ई. में हुई।
¯ कमजोर उत्तराधिकारियों का लाभ उठाकर भाटूरिया के हिन्दू जमींदार राजा गणेश ने बंगाल की गद्दी हथिया ली।
¯ 1418 ई. में उसकी मृत्यु हो गई। उसने दनुजमर्दन की उपाधि धारण की।
¯ 1486 ई. में एक हिजड़े बारबक ने सुल्तान शाहज़ादा की उपाधि धारण कर बंगाल की गद्दी हड़प ली, परन्तु शीघ्र ही उसकी हत्या कर दी गई।
¯ बंगाल के सरदारों ने सैयद हुसैन को अलाउद्दीन हुसैन शाह के नाम से 1493 ई. में गद्दी पर बैठाया।
¯ वह अपनी राजधानी पाण्डुआ से एकदला ले गया।
¯ 1519 ई. उसकी मृत्यु के बाद उसका पुत्र नसीब खां गद्दी पर बैठा।
¯ उसने नासिरूद्दीन नसरत शाह की उपाधि धारण की।
¯ घाघरा नौका घाट के पास उसकी सेना बाबर से परास्त हुई।
¯ उसने ‘बड़ा सोना मस्जिद’ और ‘कदम रसूल मस्जिद’ बनवाया।
¯ यह इस वंश का अंतिम शासक था।
¯ उसने महाभारत का बंगला अनुवाद कराया।
¯ शेरशाह ने 1538 ई. में बंगाल पर अपना कब्जा जमाया।
उड़ीसा
¯ उड़ीसा राज्य का गठन अनन्त बर्मन चोल ने किया था।
¯ उसी ने पुरी के जगन्नाथ मन्दिर का निर्माण करवाया।
¯ नरसिंह के काल में तुर्कों ने उड़ीसा पर आक्रमण किए लेकिन उन्हे विफल कर दिया गया।
¯ फिरोज़ तुगलक जब बंगाल विजय करके 1360 ई. में वापस आ रहा था, तब उसने उड़ीसा पर आक्रमण किया और राजधानी पर अधिकार कर लिया।
¯ एक नए हिन्दू राजवंश की स्थापना कपिलेन्द्र ने की। इस राजवंश ने लगभग सौ वर्षों तक शासन किया।
¯ उसने विजयनगर व बहमनी राज्यों के आक्रमणों का सफलतापूर्वक सामना किया।
¯ उसकी मृत्यु के पश्चात् राज्य का आधा भाग विजयनगर साम्राज्य का अंग बन गया।
¯ उड़ीसा के एक अन्य शासक प्रतापरूद्र ने गोलकुण्डा के सुल्तान से लोहा लिया, किन्तु उसे अपमानजनक संधि करनी पड़ी।
¯ 1568 ई. में सुलेमान ने उड़ीसा को बंगाल में मिला लिया।
¯ अंततः 1592 ई. में यह मुगल साम्राज्य का अंग बन गया।
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1. गुजरात और बंगाल किस प्रकार के प्रांतीय साम्राज्य थे? |
2. गुजरात और बंगाल के साम्राज्य का इतिहास क्या है? |
3. गुजरात और बंगाल साम्राज्यों के प्रमुख इतिहासिक घटनाक्रम क्या हैं? |
4. गुजरात और बंगाल साम्राज्यों का यूपीएससी और आईएएस में महत्व क्या है? |
5. गुजरात और बंगाल साम्राज्यों के प्रमुख नगर क्या थे? |
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