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जम्मू-कश्मीर के सम्बन्ध में विशेष प्रावधान - भारतीय राजव्यवस्था | भारतीय राजव्यवस्था (Indian Polity) for UPSC CSE in Hindi PDF Download

  • भारतीय स्वतन्त्राता अधिनियम, 1947 द्वारा देशी रियासतों को यह स्वतन्त्राता प्रदान की गयी थी कि वे चाहें तो भारत में मिल सकते है या पाकिस्तान में अथवा अपना पृथक अस्तित्व बनाये रख सकते है। 15 अगस्त, 1947 तक जम्मू-कश्मीर रियासत के महाराजा हरि सिंह भारत या पाकिस्तान में विलय का निर्णय नहीं कर पाये।
  • भारत-पाकिस्तान के विभाजन के बाद 26 अक्टूबर, 1947 को पाकिस्तान के कबाइलियों ने, जो पाकिस्तान सरकार द्वारा समर्थित थे, जम्मू-कश्मीर पर आक्रमण कर दिया, फलस्वरूप हरि सिंह भारत में जम्मू-कश्मीर के विलय के अधिपत्रा पर हस्ताक्षर किये। इस अधिपत्रा में यह व्यवस्था की गयी थी कि जम्मू-कश्मीर के सम्बन्ध में भारत सरकार को प्रतिरक्षा, विदेशी मामला तथा संचार के सम्बन्ध में अधिकार होगा।
  • जब 26 जनवरी, 1950 को भारत का संविधान प्रवर्तित किया गया, तब जम्मू-कश्मीर को संविधान के प्रथम अनुसूची के ‘ख’ राज्यों के वर्ग में शामिल किया गया और संविधान के अनुच्छेद 370 के अधीन जम्मू-कश्मीर को विशेष प्रास्थिति प्रदान की गयी। यद्यपि यह प्रास्थिति अस्थायी थी लेकिन 45 साल बाद अर्थात अब तक इस अस्थायी प्रास्थिति के सम्बन्ध में कोई स्थायी व्यवस्था नहीं की जा सकी है।

I.   अनुच्छेद 370 में किया गया प्रावधान
II.  राज्य का संविधान निर्माण तथा संविधान का प्रवर्तन
III. राज्य के संविधान के मुख्य प्रावधान
IV. जम्मू-कश्मीर पर भारतीय संवधिान का प्रवर्तन

अनुच्छेद 370 में किया गया प्रावधान
(i) जम्मू-कश्मीर भारत के राज्य क्षेत्रा का भाग है।
(ii) भारतीय संविधान का कौन सा भाग जम्मू-कश्मीर को लागू होगा, इसका निर्णय राष्ट्रपति राज्य सरकार के परामर्श से करेंगे।
(iii) राज्य पर संसद का विधायी प्राधिकार संघ और समवर्ती सूची के उन्हीं मदों तक सीमित रहेगा, जो विलय पत्रा में निर्दिष्ट है।
(iv) राष्ट्रपति राज्य की संविधान सभा की सिफारिश पर अनुच्छेद 370 को समाप्त कर सकता है या इसमें संशोधन कर सकता है।

राज्य का संविधान निर्माण तथा संविधान का प्रवर्तन

  • संविधान सभा में यह घोषणा की गयी थी कि जम्मू-कश्मीर का भारत में विलय के बावजूद राज्य का भावी संविधान तथा राज्य के भारत से सम्बन्ध उस राज्य की संविधान सभा द्वारा अवधारित किया जाएगा। इसके लिए राज्य के लोगों द्वारा संविधान सभा के सदस्यों का चुनाव किया गया और संविधान सभा का प्रथम अधिवेशन 30 अक्टूबर, 1951 को हुआ।
  • संविधान सभा ने नवम्बर, 1951 में जम्मू-कश्मीर संविधान (संशोधन) अधिनियम पारित किया, जिसके द्वारा जम्मू-कश्मीर के वंशानुगत प्रमुख के पद को समाप्त करके निर्वाचित सदर-ए-रियासत को राज्य का प्रमुख बनाया गया। इस पद पर सर्वप्रथम कर्ण सिंह को निर्वाचित किया गया।
  • फरवरी, 1954 में संविधान सभा ने इस बात की पुष्टि की कि भारत संघ में जम्मू-कश्मीर का विलय अन्तिम है। संविधान सभा के इस कार्य के बाद राष्ट्रपति संविधान (जम्मू-कश्मीर को लागू होना) आदेश, 1954 जारी किये, जिसमें यह उल्लेख किया गया था कि संविधान का कौन सा भाग जम्मू-कश्मीर पर लागू होगा।
  • अक्टूबर, 1956 में संविधान सभा ने राज्य का स्थायी संविधान बनाने के लिए अनेक समितियां गठित की। संविधान की प्रारूप समिति ने संविधान का प्रारूप पेश किया, जिसे विचार-विमर्श के बाद 17 नवंबर, 1952 को अंतिम रूप से स्वीकार कर लिया गया और 26 नवंबर, 1957 को लागू कर दिया गया।

राज्य के संविधान के मुख्य प्रावधान
(i)  जम्मू-कश्मीर राज्य भारत का अविभाज्य अंग है।
(ii) जम्मू-कश्मीर राज्य का गठन उन सभी क्षेत्रों से मिलकर होता है, जो 15 अगस्त, 1947 को इस राज्य के शासक के अधीन था, अर्थात जम्मू-कश्मीर के राज्य क्षेत्रा में वह क्षेत्रा भी सम्मिलित है, जो पाकिस्तान के अधीन है और जिसे पाकिस्तान शासक आजाद कश्मीर कहते है।
(iii) राज्य की कार्यपालिका और विधायी शक्ति का विस्तार सभी विषयों पर है, सिवाय उन विषयों के, जिसके सम्बन्ध में विधि बनाने का अधिकार संसद को है।
(iv) जो व्यक्ति भारत का नागरिक है, उसे राज्य का स्थायी निवासी समझा जाएगा, यदि वह 14 मई, 1954 को राज्य का प्रजा था या राज्य में अचल सम्पत्ति अर्जित करके 14 मई, 1954 से कम से कम 10 वर्ष पूर्व तक राज्य का सामान्य निवासी रहा है।
(v) जो व्यक्ति 14 मई, 1954 के पहले राज्य की प्रजा था और जो 1 मार्च, 1947 के पश्चात उस राज्यक्षेत्रा में, जो अब पाकिस्तान में है, निवास करने के पश्चात राज्य में पुनः निवास करने की या स्थायी रूप से रहने की अनुज्ञा लेकर लौटता है और यह अनुज्ञा राज्य विधान मण्डल द्वारा बनायी गयी विधि द्वारा या उसके अधीन किसी प्राधिकृत अधिनियम द्वारा दी गयी है, तो ऐसे वापस आने पर वह राज्य का स्थायी निवासी हो जाएगा।
(vi) राज्य विधान सभा में 100 सदस्य होंगे। विधानसभा में 24 स्थान राज्य के उन क्षेत्रों के लोगों द्वारा भरे जाने के लिए रिक्त रहेंगे, जो पाकिस्तान के अधीन है। विधानसभा में दो महिला सदस्य राज्यपाल द्वारा मनोनीत की जायेंगी।
(vii) राज्य विधान परिषद् का गठन 36 सदस्यों से होगी। 11 सदस्य विधान सभा के सदस्यों द्वारा उन व्यक्तियों में से चुने जाएंगे, जो जम्मू-कश्मीर राज्य के निवासी है। इस प्रकार निर्वाचित सदस्यों में से कम से कम एक लद्दाख तहसील का और एक कारगिल तहसील का होगा। विधानसभा के सदस्यों द्वारा 11 सदस्य उन व्यक्तियों में से चुने जाएंगे जो जम्मू प्रांत के निवासी है। शेष 14 व्यक्ति विभिन्न निर्वाचक मण्डलों, जैसे नगरपालिका और अन्य स्थानीय निकाय द्वारा चुने जाएंगे।
(viii) राज्य के लिए एक लोक सेवा आयोग होगा। आयोग और उसके अध्यक्ष की नियुक्ति राज्यपाल द्वारा की जाएगी।
(ix) राज्य में एक उच्च न्यायालय होगा, जिसका गठन एक मुख्य न्यायाधीश तथा दो अन्य न्यायाधीशों द्वारा किया जाएगा। मुख्य न्यायाधीश की नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा भारत के मुख्य न्यायाधीश तथा राज्य के राज्यपाल से परामर्श करके की जाएगी तथा अन्य न्यायाधीशों की नियुक्ति करते समय राष्ट्रपति उक्त दोनों के साथ उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश से भी परामर्श करेगा।
(x) राज्य की राजभाषा उर्दू होगी किन्तु जब तक विधान मण्डल विधि द्वारा अन्यथा प्रावधान न करे, तब तक राज्य के शासकीय प्रयोजनों के लिए अंग्रेजी का प्रयोग चलता रहेगा।
(xi) राज्य के संविधान का संशोधन विधानसभा में विधेयक पेश करके और उसे प्रत्येक सदन द्वारा उस सदन के कुल सदस्यों के कम से कम दो तिहाई बहुमत से पारित करके किया जाएगा किन्तु राज्य और भारत संघ के बीच सम्बन्ध, राज्य की विधायी और कार्यपालिका शक्ति का विस्तार या राज्य के सम्बन्ध में लागू भारत के संविधान के प्रावधानों के बारे में किसी प्रावधान में संशोधन या उपांतरण करने वाला विधेयक किसी सदन में पेश नहीं किया जाएगा।

जम्मू-कश्मीर पर भारतीय संवधिान का प्रवर्तन

  • भारतीय संविधान का जो प्रावधान जम्मू-कश्मीर पर लागू होगा, उसकी घोषणा राष्ट्रपति ने 1950 में संविधान (जम्मू-कश्मीर को लागू होना) आदेश, 1950 द्वारा जारी किया था। इसमें यह प्रावधान किया गया था कि संसद प्रतिरक्षा, विदेश कार्य तथा संचार के विषय में जम्मू-कश्मीर के सम्बन्ध में कानून बना सकती है।
  • उसके बाद जून 1952 मेंüदिल्ली में भारत सरकार तथा जम्मू-कश्मीर के राज्य के बीच एक करार हुआ, जिसमें जम्मू-कश्मीर राज्य की संविधान सभा के लम्बित रहने पर कुछ विषयों पर संघ को अधिकारिता प्रदान की गई।
  • जम्मू-कश्मीर की संविधान सभा ने 1954 में राज्य के भारत में विलय की पुष्टि कर दी और इसके बाद राष्ट्रपति ने राज्य सरकार से परामर्श करके संविधान (जम्मू-कश्मीर को लागू होना) आदेश, 1954 जारी किया, जो 14 मई, 1954 से लागू हुआ। इस आदेश में 1963, 1964, 1965, 1966, 1972, 1974, 1976 तथा 1986 में संशोधन किया गया है। इन आदेशों द्वारा निम्नलिखित प्रावधान किये गये है-

(क) जम्मू-कश्मीर राज्य के सम्बन्ध में संसद की अधिकारिता-
(i) संसद राज्य के सम्बन्ध में सातवीं अनुसूची के संघ सूची में शामिल विषयों पर कानून बना सकती है।
(ii) संसद राज्य के अध्यर्पण या विलग होने के या भारत की प्रभुता या अखण्डता को नुकसान पहुंचाने वाले क्रियाकलापों को रोकने के लिए कानून बना सकती है।
(iii) संविधान के अनुच्छेद 249 के अधीन राज्यसभा दो तिहाई बहुमत से संकल्प पारित करके राष्ट्रीय हित में जम्मू कश्मीर राज्य के सम्बन्ध में कानून बनाने का अधिकार संसद को दे सकती है।

(ख) संसद की अनधिकारिता तथा जम्मू-कश्मीर राज्य की स्वायत्तता- 

जम्मू-कश्मीर के सम्बन्ध में निम्नलिखित मामलों में संसद को वैसा अधिकार नहीं है, जैसा अन्य राज्यों के सम्बन्ध में है -
(i) संविधान की सातवीं अनुसूची के समवर्ती सूची में वर्णित विषयों पर जम्मू-कश्मीर के सम्बन्ध में संसद कानून नहीं बना सकती।
(ii) जम्मू-कश्मीर राज्य के नाम या राज्य क्षेत्रा में परिवर्तन करने वाला कोई विधेयक तब तक संसद में पेश नहीं किया जा सकता, जब तक राज्य विधानसभा की पूर्व सहमति न प्राप्त हो जाए।
(iii) राज्य के राज्यक्षेत्रा के किसी भाग के व्ययन को प्रभावित करने वाले किसी अन्तर्राष्ट्रीय करार या सन्धि के सम्बन्ध में संसद कोई कानून नहीं बना सकती।
(iv) राष्ट्रपति द्वारा अनुच्छेद 352 के अधीन जारी की गई राष्ट्रीय आपात की घोषणा राज्य सरकार की सहमति के बिना उस राज्य पर लागू नहीं होगी।
(v) भारत सरकार राज्य के व्ययन को प्रभावित करने वाला कोई निर्णय उस राज्य की सरकार की सहमति के बिना नहीं कर सकती।
(vi) जब राज्य में संवैधानिक तन्त्रा विफल होता है, तो दो प्रकार की घोषणायें की जाती है।
(क) भारतीय संविधान के अनुच्छेद 356 के अधीन राष्ट्रपति शासन की घोषणा, तथा
(ख) राज्य के संविधान की धारा 92 के अधीन राज्यपाल शासन की घोषणा। जम्मू-कश्मीर में राज्यपाल शासन पहली बार 27 मार्च, 1977 को लागू किया गया था, जो 8 जुलाई, 1977 तक चला था। भारतीय संविधान के अनुच्छेद 356 के अधीन राष्ट्रपति शासन की घोषणा 7 सितम्बर, 1986 को लागू की गई थी। यह अभी तक लागू है। राज्यपाल राष्ट्रपति की पूर्व सहमति से ही राज्यपाल शासन की घोषणा कर सकता है।
(vii) अनुच्छेद 360 के अधीन राष्ट्रपति द्वारा घोषित वित्तीय आपात जम्मू-कश्मीर पर लागू नहीं होगी।

3. मूल अधिकार और निदेशक तत्व- अनुच्छेद 19 में प्रत्याभूत मूल अधिकार को छोड़कर सभी मूल अधिकार जम्मू-कश्मीर में लागू है। इसके अतिरिक्त अनुच्छेद 35-क को जोड़कर राज्य के स्थायी निवासियों को नियोजन, सम्पत्ति के अर्जन और निवास के विशेष अधिकार दिये गये है। राज्य की नीति के निदेशक तत्व जम्मू-कश्मीर राज्य में लागू नहीं है।

4. संविधान का संशोधन - संसद द्वारा संविधान में किया गया संशोधन राज्य में तभी लागू होता है, जब राष्ट्रपति राज्य सरकार की सहमति से अनुच्छेद (370) के अधीन घोषणा जारी करे।

                                                                   महत्वपूर्ण तथ्य

  • विशेषाधिकार हनन - संविधान की धारा 105 तथा संसदीय कार्रवाई के नियम 222-228 के अंतर्गत संसद सदस्यों के कुछ विशेषाधिकार है। यदि कोई व्यक्ति या संस्था किसी बात से सदन के किसी सदस्य या स्वयं सदन के किसी भी विशेषाधिकार का हनन करता है तो उसे सदन की मानहानि समझा जाता है और उस पर कोई भी सदस्य सदन में मानहानि का प्रस्ताव ला सकता है। प्रस्ताव स्वीकृत हो जाने पर सदन चाहे तो उसी समय उस पर निर्णय दे सकता है और चाहे तो उस विषय को विशेषाधिकार समिति को सौंप सकता है। समिति विषय का गंभीरता से अध्ययन करने के बाद सदन को अनुशंसा करती है कि इस संबंध में व्यक्ति या संस्था के विरुद्ध क्या कार्रवाई की जानी चाहिए।
  • नियम 193-  इस नियम के अंतर्गत सदस्य अत्यावश्यक एवं अविलंबनीय विषय पर तुरंत अल्पकालिक चर्चा की मांग कर सकते है। यह नियम 1953 में बनाया गया था। इससे पहले सदन की नियमावली में अविलंब चर्चा के लिए स्थगन प्रस्ताव के अतिरिक्त अन्य कोई साधन सदस्यों के पास न था, इसीलिए यह नियम बनाया गया। इसके अंतर्गत सदस्य किसी भी सार्वजनिक महत्व के अविलंबनीय विषय पर अल्पकालिक चर्चा के लिए नोटिस दे सकते हैं। यह चर्चा किसी प्रस्ताव के माध्यम से नहीं होती। इस कारण चर्चा के अंत में सदन में मत विभाजन भी नहीं होता। केवल सभी पक्ष के सदस्यों को संबद्ध विषय पर अपने विचार प्रकट करने का अवसर मिलता है।
  • निर्देश 115 - इस निर्देश के अंतर्गत सदस्यों को किसी मंत्री या सदस्य के वक्तव्य के तथ्य दोषों पर आपत्ति उठाने का अधिकार है। संबद्ध सदस्य ऐसे वक्तव्य में दिये गये गलत तथ्य को अध्यक्ष के सम्मुख रखता है और साथ ही यह भी बताता है कि सही तथ्य क्या है। इस पर अध्यक्ष की अनुमति मिलने पर वह इस संबंध में संक्षिप्त वक्तव्य सदन में पढ़ सकता है, जिसके उत्तर में संबद्ध मंत्री या सदस्य अपने तथ्य दोष को सुधारने के लिए प्रत्युत्तर में वक्तव्य देता है।

 

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FAQs on जम्मू-कश्मीर के सम्बन्ध में विशेष प्रावधान - भारतीय राजव्यवस्था - भारतीय राजव्यवस्था (Indian Polity) for UPSC CSE in Hindi

1. जम्मू-कश्मीर क्या है और इसका महत्व क्या है?
उत्तर: जम्मू-कश्मीर भारत का एक राज्य है जो देश के उत्तरी भाग में स्थित है। यह राज्य अपने रूपरेखा, स्थानीय लोगों और संस्कृति के लिए प्रसिद्ध है। जम्मू-कश्मीर भारत के इतिहास, राजनीति और सुरक्षा के मामले में महत्वपूर्ण है।
2. जम्मू-कश्मीर के सम्बन्ध में विशेष प्रावधान क्या हैं?
उत्तर: जम्मू-कश्मीर के सम्बन्ध में विशेष प्रावधान कई हैं, जैसे कि धारा 370 और 35A। धारा 370 के तहत जम्मू-कश्मीर को विशेष राजनीतिक स्थिति प्रदान की गई है, जो इसे अन्य राज्यों से अलग करती है। धारा 35A के तहत अन्य भारतीय नागरिकों के लिए जम्मू-कश्मीर में संपत्ति खरीदने और नागरिकता प्राप्त करने की सीमाएं होती हैं।
3. जम्मू-कश्मीर के संविधानिक अधिकार क्या हैं?
उत्तर: जम्मू-कश्मीर के संविधानिक अधिकारों में धारा 370 की मुख्य विशेषता है। धारा 370 के तहत जम्मू-कश्मीर को अपना संविधान, अपने विधान सभा और अपनी स्वतंत्रता के अधिकार की मुहैया होती है। इसके अलावा, जम्मू-कश्मीर के नागरिकों को अन्य संविधानिक अधिकार भी होते हैं, जैसे कि मौलिक स्वतंत्रता, अवसंरचना, संघीय न्यायपालिका, स्वतंत्रता और सामान्य मानवाधिकार।
4. जम्मू-कश्मीर के संघ और राज्य संबंधों में विशेषताएं क्या हैं?
उत्तर: जम्मू-कश्मीर के संघ और राज्य संबंधों में विशेषताएं धारा 370 के तहत मौजूद हैं। इसके अंतर्गत, जम्मू-कश्मीर की विधानसभा अपने विधान निर्माण का अधिकार रखती है और केंद्र सरकार से अपनी स्वतंत्रता के अधिकार की संरक्षा की मांग कर सकती है। इसके अलावा, जम्मू-कश्मीर की संघ और राज्य संबंधों में विशेषताएं शामिल हैं, जैसे कि संघीय न्यायपालिका, संघीय विभाजन, और राज्य प्रशासन।
5. जम्मू-कश्मीर के सम्बन्ध में विशेष प्रावधानों का नवीनीकरण क्या है?
उत्तर: जम्मू-कश्मीर के सम्बन्ध में विशेष प्रावधानों का नवीनीकरण धारा 370 के तहत हुआ है। इसके अनुसार, जम्मू-कश्मीर को अनुच्छेद 370 के तहत विशेष राजनीतिक स्थिति नहीं रखी जाएगी और अनुच्छेद 35A भी नष्ट कर दिया जाएगा। इससे जम्मू-कश्मीर का आपातकालीन राष्ट्रीय राजमार्ग धारा 356 के तहत लागू होगा और वह सीमित संघीय अधिकारों के साथ अनुच्छेद 3 और 5 के तहत भी व्यवस्थित होगा।
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