विशेष रूप से पूर्वी एशिया, मध्य-पूर्व और पश्चिम अफ्रीका में तटीय क्षेत्रों के बढ़ते आर्थिक महत्त्व के परिणामस्वरूप विश्व स्तर पर भूमि पुनरुद्धार के काफी कार्य हुए हैं। इन परियोजनाओं से होने वाले आर्थिक लाभ के बावजूद इनके कारण समुद्र स्तर में वृद्धि तथा तूफान जैसी पर्यावरणीय बाधाओं से उत्पन्न होने वाले खतरों की संभावना बनी रहती है।
एक नए अध्ययन के अनुसार, "पर्माफ्रॉस्ट का विगलन ऐतिहासिक रूप से औद्योगिक संदूषण वाले हज़ारों स्थलों में पर्यावरणीय खतरा उत्पन्न कर सकता है", साथ ही पर्माफ्रॉस्ट के विगलन से आर्कटिक क्षेत्र में विषाक्त पदार्थों का प्रसार हो सकता है।
राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन (एनएमसीजी) और राष्ट्रीय शहरी मामलों के संस्थान (एनआईयूए) ने संयुक्त रूप से नई दिल्ली में ‘रिवर-सिटीज एलायंस (आरसीए) ग्लोबल सेमिनार: अंतर्राष्ट्रीय नदी-संवेदनशील शहरों के निर्माण के लिए साझेदारी’ का आयोजन किया। संगोष्ठी का उद्देश्य सदस्य शहरों और वैश्विक हितधारकों के बीच शहरी नदी प्रबंधन पर चर्चा और सर्वोत्तम प्रथाओं के आदान-प्रदान की सुविधा प्रदान करना है।
सोसाइटी पंजीकरण अधिनियम, 1860 के तहत एक पंजीकृत सोसाइटी के रूप में स्थापित, राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन (एनएमसीजी) को 12 अगस्त, 2011 से गंगा नदी के कायाकल्प, संरक्षण और प्रबंधन के लिए राष्ट्रीय परिषद द्वारा लागू किया जाता है, जिसे राष्ट्रीय गंगा परिषद के रूप में भी जाना जाता है।
हाल ही में राष्ट्रीय हरित अधिकरण (NGT) ने पंजाब के लुधियाना ज़िले में गैस रिसाव के कारण 11 लोगों की मौत की जाँच के लिये आठ सदस्यीय तथ्यान्वेषी समिति का गठन किया है।
पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम/प्रवासी प्रजातियों पर अभिसमय (United Nations Environment Programme/Convention on Migratory Species- UNEP/CMS) के सहयोग से मध्य एशियाई फ्लाईवे (Central Asian Flyway- CAF) में प्रवासी पक्षियों एवं उनके आवासों के संरक्षण प्रयासों को मज़बूत करने हेतु पक्षकार देशों की एक बैठक आयोजित की।
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