UPSC Exam  >  UPSC Notes  >  इतिहास (History) for UPSC CSE in Hindi  >  बाबर (1526-1530 ई.) और शेरशाह और सूर साम्राज्य (1540-1555 ई.) - मुगल साम्राज्य, इतिहास, युपीएससी

बाबर (1526-1530 ई.) और शेरशाह और सूर साम्राज्य (1540-1555 ई.) - मुगल साम्राज्य, इतिहास, युपीएससी | इतिहास (History) for UPSC CSE in Hindi PDF Download

बाबर (1526-1530 ई.)
¯ भारत में मुगल साम्राज्य की स्थापना करने वाले योद्धा जहीरूद्दीन मोहम्मद बाबर की नसों में तुर्क व मंगोल दोनों लड़ाकू जातियों का रक्त प्रवाहित था। 
¯ बाबर का पिता तैमूर के तुर्क वंश का था और उसकी माता चंगेज खां के मंगोल वंश की थी। 
¯ उसका जन्म 1483 ई. में हुआ था। 
¯ 1494 ई. में अपने पिता की आकस्मिक मृत्यु के पश्चात् वह फरगना नामक छोटे से रियासत का शासक बना। 
¯ वह तैमूर की राजधानी समरकंद पर अधिकार करना चाहता था। इसमें उसे दो-दो बार सफलता भी मिली, परन्तु समरकंद फिर हाथ से निकल गया। 
¯ 1498 ई. में उसे फरगना से भी हाथ धोना पड़ा। 
¯ बाबर को काबुल की ओर बढ़ने के लिए बाध्य होना पड़ा और उसने 1504 ई. में उस पर अधिकार कर लिया। 
¯ एक बार फिर उसने समरकंद को अपने कब्जे में कर लिया लेकिन फिर उसे समरकंद से खदेड़ दिया गया। 
¯ अब बाबर की राजनीतिक महत्वाकांक्षा भारत पर केन्द्रित थीं।
¯ बाबर ने भारत पर पांच बार आक्रमण किया। 
¯ अंतिम और निर्णायक आक्रमण नवम्बर 1525 में शुरू हुआ। पंजाब को उसने सरलता से जीत लिया और दौलत खां व आलम खां को आत्मसमर्पण के लिए  बाध्य किया। 
¯ इसके बाद वह दिल्ली की ओर बढ़ा। बाबर के आक्रमण की सूचना मिलते ही दिल्ली का तत्कालीन लोदी सुल्तान इब्राहीम लोदी अपने सैनिकों के साथ पानीपत की ओर प्रस्थान किया। 
¯ दोनों प्रतिद्वंद्वी सैनिकों के बीच 20 अप्रैल, 1526 को घमासान युद्ध शुरू हुआ। 
¯ इस युद्ध में बाबर ने मंगोल सेना की प्रसिद्ध व्यूहरचना तुलुगमा का प्रयोग किया। 
¯ बाबर ने अपनी आत्मकथा बाबरनामा में इस विधि को उस्मानी (रूमी) विधि कहा है, क्योंकि इसका प्रयोग उस्मानियों ने ईरान के शाह इस्माइल के विरुद्ध हुई प्रसिद्ध लड़ाई में किया था। 
¯ तुलुगमा सेना का वह भाग था जो सेना के दाएं व बाएं भाग के किनारे पर रहता था और चक्कर काटकर शत्रु पर पीछे से ध्वंसात्मक हमला करता था। 
¯ केन्द्र में बाबर सेना की कमान संभाले हुए था। 
¯ बाबर ने दो अच्छे निशानेबाज तोपचियों, उस्ताद अली और मुस्तफा की सेवाएं भी प्राप्त कर ली थी। 
¯ ऐसा अनुमान है कि बारूद से भारतीयों का परिचय तो था, लेकिन इसका प्रयोग बाबर के आक्रमण के साथ ही आरम्भ हुआ। 
¯ पानीपत के इस पहले युद्ध में लोदियों की सेना बुरी तरह पराजित हुई और इब्राहीम लोदी युद्ध में मारा गया। 
¯ इस तरह पानीपत के प्रथम युद्ध को भारत में मुगल शासन की शुरुआत माना जाता है।
¯ मेवाड़ का राणा संग्राम सिंह (राणा सांगा) उस काल का सबसे शक्तिशाली शासक था। बाबर से संघर्ष का अनुमान कर उसने बयाना को जीत लिया। 
¯ मार्च, 1527 में आगरा से 40 किलोमीटर दूर खानवा नामक स्थान पर बाबर व राणा संागा की सेनाओं के बीच घमासान युद्ध हुआ।
¯ राणा सांगा की पराजय हुई और उसके ही सामंतों ने उसे जहर देकर मार डाला। 
¯ बाबर ने अपनी सेना के गिरते हुए मनोबल को उठाने के लिए इस युद्ध को जिहाद (धर्मयुद्ध) का नाम दिया। 
¯ बाबर की विजय में सबसे बड़ा योगदान उसके तोपखाना का था। 
¯ इस विजय के उपरांत बाबर ने गाजी की उपाधि धारण की। 
¯ 1528 ई. में बाबर ने चंदेरी के मेदिनी राय को हराया।
¯ राणा सांगा की पराजय के पश्चात् महमूद लोदी ने, जो खानवा से भाग खड़ा हुआ था, बिहार में सेना एकत्रित की। वह इस समय बंगाल के नुसरत शाह की शरण में पड़ा हुआ था। 
¯ उसकी शक्ति पूर्णतः समाप्त करने के लिए बाबर का मई 1529 ई. में अफगानों से घाघरा नदी के तट पर युद्ध हुआ। अंत में अफगान पराजित हुए। 
¯ बंगाल के नुसरत शाह से संधि हुई जिसमें दोनों ने एक-दूसरे की सर्वोच्च सत्ता को स्वीकार कर लिया।
¯ 26 दिसम्बर, 1530 ई. को बाबर की मृत्यु हो गई। 
¯ उसका मृत शरीर पहले यमुना के किनारे आगरा के रामबाग में दफनाया गया लेकिन बाद में उसकी इच्छा के अनुसार काबुल में दफनाया गया। 
¯ बाबर ने अपनी आत्मकथा तुजुके बाबरी तुर्की भाषा में लिखी जिसका बाद में फारसी में अनुवाद हुआ। यह ग्रंथ गद्य में लिखा हुआ है। 
¯ कुषाण साम्राज्य के पतन के बाद पहली बार बाबर ने उत्तरी भारतीय साम्राज्य में काबुल और कन्धार को शामिल किया। 
¯ अपनी मातृभाषा तुर्की के अतिरिक्त वह अरबी और फारसी का भी अच्छा ज्ञाता था। वह संगीत और प्रकिृत का भी प्रेमी था।

हुमायूं (1530-1540 ई.)

¯ बाबर की मृत्यु के पश्चात् उसका पुत्र हुमायूं दिसम्बर 1530 ई. में 23 वर्ष की उम्र में गद्दी पर बैठा। 
¯ एक तरफ तो उसे असंगठित व अव्यवस्थित साम्राज्य विरासत में मिला था और दूसरी तरफ उसके भाईयों की लोलुप दृष्टि साम्राज्य पर लगी हुई थी। 
¯ शेर खां के योग्य नेतृत्व में अफगान फिर शक्तिशाली बनते जा रहे थे। हुमायूं ने इससे निजात पाने का प्रयास शुरू किया। 
¯ उसने चुनार के किले पर चार महीने की घेराबंदी के बाद शेर खां को संधि के लिए बाध्य किया। लेकिन हुमायूं ने शेर खां से सामान्य शर्तों पर सन्धि करके चुनार के किले का घेरा उठा लिया। 
¯ जब हुमायूं बहादूर शाह से संघर्ष में व्यस्त था, शेर खां ने शक्ति का संचय किया और बिहार में अपनी स्थिति को मजबूत बना लिया।

शेरशाह और सूर साम्राज्य (1540-1555 ई.)
¯ शेरशाह का आरम्भिक नाम फरीद था। 
¯ अपने पिता हसन की मृत्यु के पश्चात् फरीद ने राजकीय फरमान के बल पर पैतृक जागीर पर अधिकार कर लिया। 
¯ 1522 ई. में उसने बिहार के स्वतंत्र शासक बहार खां लोहानी के यहां नौकरी कर ली। 
¯ उसने अकेले ही एक शेर को मार डाला जिसके कारण उसके स्वामी ने उसे शेर खां की उपाधि दी।
¯ 1527 ई. में वह बाबर की सेना में शामिल हो गया लेकिन जल्द ही उसने नौकरी छोड़ दी। 
¯ चुनार के शासक की विधवा से विवाह कर उसने चुनार का गढ़ हासिल किया। 
¯ 1531 ई. में हुमायूं ने इसी चुनार के किले पर घेरा डाला था और संधि करके शेर खां ने इस किले को बचा लिया।
¯ हुमायूं और शेर खां के बीच संघर्ष का दौर 1538 में शुरू हुआ। शेर खां ने 1537 में बंगाल के विरुद्ध अभियान शुरू किया तथा 1538 में गौड़ को अपने अधीन कर लिया। 
¯ बंगाल के शासक की प्रार्थना पर हुमायूं उसकी सहायता के लिए प्रस्थान किया पर चुनार के दुर्ग को विजय करने में ही उसका बहुत समय बीत गया। 
¯ इसी बीच शेर खां ने रोहतास के दुर्ग पर अधिकार कर लिया था तथा अपने परिवार और गौड़ के खजाने को वहां सुरक्षित भेज दिया था। 
¯ हुमायूं जब बंगाल पहुंचा तब तक शेर खां उसे लूट कर वापस आ चुका था। हुमायूं बंगाल पर अपना अधिकार हो जाने की खुशी में मग्न रहा। 

प्रमुख पुस्तकें एवं उसके लेखक
पुस्तक    लेखक
सूर सागर    सूरदास
अकबरनामा    अबुलफजल
कादम्बरी    बाणभट्ट
राजतरंगिणी    कल्हण
रत्नावली    हर्षवर्द्धन
नागानन्द    हर्षवर्द्धन
मालविकाग्निमित्रम्    कालिदास
मेघदूत    कालिदास
अभिज्ञानशाकुंतलम्    कालिदास
रघुवंशम्    कालिदास
विद्धशालभंजिका    राजशेखर
बाल रामायण    राजेशखर
कथा सरितसागर    सोमदेव
बुद्धचरित    अश्वघोष
न्याय भाष्य    वात्स्यायन
गीत गोविन्द    जयदेव
कविराज मार्ग    अमोघवर्ष प्
तहकीक-ए-हिन्द    अलबरुनी
शाहनामा    फिरदौसी
सफरनामा    इब्नेबतूता
तारीख-ए-अलाई    अमीर खुसरो
तुगलकनामा    अमीर खुसरो
पद्यावत    मलिक मुहम्मद जायसी
तारीख-ए-फिरोजशाही    जियाउदीन बर्नी
फतुहात-ए-फिरोजशाही    फिरोजशाह
लैला मजनू    अमीर खुसरो
तुजुक-ए-बाबरी    बाबर
हुमायूंनामा    गुलबदन बेगम   (बाबर की बेटी)
सूर सारावली    सूरदास

¯ इसी बीच शेर खां ने बिहार एवं जौनपुर के मुगल प्रदेशों पर अधिकार कर लिया तथा पश्चिम में कन्नौज तक के प्रदेश को लूटा। 
¯ शेर खां की वारदातों की सूचना मिलते ही हुमायूं आगरा के लिए प्रस्थान किया। रास्ते में उसे शेर खां और उसके अनुगामियों ने काफी परेशान किया। 
¯ अंततः जून, 1539 में शेर खां ने बक्सर के पास चैसा नामक स्थान पर हुमायूं को पराजित किया। पूरी मुगल सेना क्षत-विक्षत हो गई। एक भिश्ती ने हुमायूं की जान बचाई। 
¯ चैसा की लड़ाई में विजय के उपरांत वह पश्चिम में कन्नौज से लेकर पूर्व में असम की पहाड़ियों एवं चटगांव तक तथा उत्तर में हिमालय से लेकर दक्षिण में झारखंड की पहाड़ियों एवं बंगाल की खाड़ी तक फैले हुए प्रदेश का वास्तविक शासक बन बैठा।
¯ उसने अब शेरशाह की उपाधि धारण की तथा अपने नाम से खुतबा पढ़ने और सिक्के ढलवाने का आदेश दिया। 
¯ हुमायूं ने आगरा पहुंच कर पुनः युद्ध की तैयारी की। वह एक विशाल सेना लेकर चला और कन्नौज के पास गंगा के किनारे बिलग्राम में दोनों सेनाओं का सामना हुआ। 
¯ 1540 ई. में हुए कन्नौज के इस युद्ध में अफगानों ने हुमायूं की सेना को बुरी तरह परास्त किया। हुमायूं किसी तरह बच निकला। 
¯ शेरशाह ने आगरा और दिल्ली पर कब्जा कर लिया। उसने लाहौर तक हुमायूं का पीछा किया, लेकिन हुमायूं बच निकलने में सफल हुआ। 
¯ शेरशाह ने अपने को भारत का बादशाह घोषित किया।
¯ 1541 ई. में उसने बंगाल के खिज्र खां को बन्दी बना लिया और नए ढंग से शासन का प्रबन्ध किया। 
¯ 1542 ई. में उसने मालवा पर आक्रमण कर कादिरशाह को पराजित किया और सुजात खां को वहां सूबेदार नियुक्त किया। 
¯ मालवा से लौटते वक्त उसने रणथम्भौर के किले पर आसानी से कब्जा कर लिया। 
¯ 1543 ई. में उसने रायसीन के चैहान राजपूत राजा पूरनमल पर आक्रमण किया और कूटनीतिक तरीके से पूरनमल को आत्मसमर्पण के लिए राजी कर लिया। 
¯ मुल्तान व सिंध पर भी उसने अधिकार कर लिया। 
¯ तत्पश्चात् उसने मारवाड़ के शासक मालदेव को पराजित कर उस पर अधिकार कर लिया। 
¯ मेवाड़ के अन्तर्कलह का लाभ उठाकर उसने चितौड़ पर कब्जा कर लिया तथा जयपुर भी जीत लिया। 
¯ शेरशाह का अंतिम सैनिक अभियान कालिंजर के शासक कीर्तिसिंह के विरुद्ध था। उसने कालिंजर के किले की घेराबंदी कर दी। घेराबंदी के दौरान एक तोप के फटने से वह गम्भीर रूप से घायल हो गया। किले पर फतह का समाचार सुनने के बाद वह मौत की नींद सो गया।
¯ शेरशाह के बाद उसका दूसरा पुत्र जलाल खां गद्दी पर बैठा। 
¯ उसने इस्लाम शाह की उपाधि धारण की और 1553 तक राज्य किया। 

अनुवादित पुस्तकें

  • मुगल सम्राट अकबर ने ‘अनुवाद विभाग’ की स्थापना की। इस विभाग में संस्कृत, अरबी, तुर्की एवं ग्रीक भाषाओं की अनेक कृतियों का अनुवाद फारसी भाषा में किया गया। फारसी मुगलों की राजकीय भाषा थी।
  • ‘महाभारत’ का फारसी भाषा में ‘रज्मनामा’ नाम से अनुवाद बदायूँनी, नकीब खां एवं अब्दुल कादिर ने किया।
  • ‘रामायण’ का अनुवाद 1589 में फारसी में बदायूँनी, नकीब खां एवं अब्दुल कादिर ने की।
  • ज्योतिष के प्रसिद्ध ग्रंथ ‘तजक’ एवं ‘तुजुक’ का फारसी में अनुवाद ‘जहान-ए-जफर’ नाम से ‘मुहम्मद खाँ गुजराती’ ने की।
  • अथर्ववेद का अनुवाद फारसी में हाजी इब्राहिम सरहिन्दी ने किया।
  • पंचतन्त्र का फारसी अनुवाद अबुल फजल ने ‘अनवर-ए-सादात’ नाम से तथा मौलाना हुसैन फैज ने ‘यार-ए-दानिश’ नाम से किया।
  • ‘कालिया दमन’ का अनुवाद फारसी में अबुल फजल ने ‘आयगर दानिश’ नाम से किया।
  • ‘राजतरंगिणी’ का फारसी में अनुवाद मौलाना शेरी ने किया।
  • गणित की पुस्तक ‘लीलावती’ का अनुवाद फारसी में फैजी ने किया।
  • ‘भगवत पुराण’ का अनुवाद फारसी में ‘टोडरमल’ ने किया।
  • ‘नलदमयन्ती’ का अनुवाद फारसी में फैजी ने किया।
  • ‘सिंहासन बत्तीसी’ का अनुवाद फारसी में अब्दुल कादिर एवं बदायूंनी ने किया।
  •  तुजुक-ए-बाबरी का अनुवाद अब्दुर्रहीम खानखाना ने फारसी में किया।
  • अरबी भाषा में लिखी गयी भूगोल की पुस्तक ‘मुजाम-उल-बुलदान’ का फारसी में अनुवाद मुल्ला अहमद टट्टवी, कासिम बेग एवं शेख मुनव्वर ने किया।
  • अरबी कृति ‘हयात-उल-हयवान’ का फारसी अनुवाद अबुल फजल एवं शेख मुबारक ने किया। ‘योगवशिष्ठ’ का अनुवाद फारसी में फैजी ने किया।
  • अल्लोपनिषद - इस्लाम के प्रति हिन्दुओं में भाईचारा एवं सम्मान की भावना जगाने के लिए अकबर ने इस ग्रंथ की रचना फैजी से करवायी।
  • ‘फारसी - संस्कृत कोष’ की रचना कृष्णदास ने किया।
  • दारा शिकोह ने ‘भगवद्गीता’, ‘योगवशिष्ठ’ तथा पचास उपनिषेदों का फारसी भाषा में अनुवाद करवाया।

¯ हालांकि वह योग्य शासक था लेकिन उसकी अधिकांश शक्ति आंतरिक कलह को दबाने में ही लगी। उसके बाद तो यह कलह और भी बढ़ गई तथा सूर साम्राज्य को अंतिम रूप से समाप्त करने का काम मुगलों ने किया।
शेरशाह का शासन
¯ उसके द्वारा भू-राजस्व प्रणाली में किए गए सुधार चर्चित और उल्लेखनीय हैं। भूमि-कर का निर्धारण उसकी गुणवत्ता के आधार पर किया जाता था। 
¯ शेरशाह ने बुआई के अन्तर्गत आने वाली भूमि की पैमाइश कराने पर जोर दिया। 
¯ भूमि कर सीधे खेतिहरों के साथ निश्चित किया जाता था।
¯ राज्य को औसत उपज का चैथाई अथवा तिहाई मिलता था, जो अनाज या नकद के रूप मे दिया जाता था। 
¯ दरों की एक प्रणाली रय थी, जिसके अंतर्गत उपज की अलग-अलग किस्मों पर राज्य के भाग की दर अलग-अलग होती थी। 
¯ शेरशाह ने राजस्व विभाग के अधिकारियों को आदेश दिया था कि वे कर-निर्धारण में नरमी बरतें, परन्तु कर वसूलने में सख्ती।
¯ उसने व्यापार को बढ़ावा देने के लिए चुंगी सम्बन्धी नियमों में भी सुधार किया। 
¯ विभिन्न करों की जगह वस्तुओं पर सिर्फ सरहदों पर तथा बेचने वाले स्थान पर कर लगाया जाता था। 
¯ उसने कई महत्वपूर्ण और लम्बी सड़कों का निर्माण कराया। पुरानी शाही सड़क, जिसे ग्रांड ट्रंक रोड कहा जाता है, की मरम्मत कराई गई। यह पंद्रह सौ कोस लम्बी थी। सड़कों के दोनों ओर छायादार वृक्ष  लगाए  गए  तथा  जगह-जगह  पर सराय का निर्माण किया गया। 
¯ यात्रियों की सुरक्षा का भी इंतजाम किया गया। 
¯ स्थानीय अपराधों के लिए स्थानीय उत्तरदायित्व के सिद्धान्त को लागू किय

The document बाबर (1526-1530 ई.) और शेरशाह और सूर साम्राज्य (1540-1555 ई.) - मुगल साम्राज्य, इतिहास, युपीएससी | इतिहास (History) for UPSC CSE in Hindi is a part of the UPSC Course इतिहास (History) for UPSC CSE in Hindi.
All you need of UPSC at this link: UPSC
398 videos|679 docs|372 tests

Top Courses for UPSC

FAQs on बाबर (1526-1530 ई.) और शेरशाह और सूर साम्राज्य (1540-1555 ई.) - मुगल साम्राज्य, इतिहास, युपीएससी - इतिहास (History) for UPSC CSE in Hindi

1. बाबर और शेरशाह सूर के बारे में क्या जानकारी है?
उत्तर: बाबर (1526-1530 ई.) मुग़ल साम्राज्य के संस्थापक थे और शेरशाह (1540-1555 ई.) एक प्रमुख सूर साम्राज्य का शासक थे। बाबर ने पनीर सिंह की हार पर लोदी साम्राज्य को हराकर दिल्ली को जीता और मुग़ल साम्राज्य की नींव रखी। शेरशाह ने मुग़ल साम्राज्य को अपने शासनकाल में कठोरता से शासित किया और अपने शासनकाल में महत्त्वपूर्ण सुधार कार्यक्रम आयोजित किए।
2. बाबर के और शेरशाह के शासनकाल में क्या बदलाव हुए?
उत्तर: बाबर के शासनकाल में मुग़ल साम्राज्य की स्थापना हुई और यह एक सत्तारूढ़ राज्य के रूप में विकसित हुआ। वह अपने शासन के दौरान कई नगरों को जीता और अपने शासन में तंदुरुस्ती और सुरक्षा को बढ़ाया। शेरशाह के शासनकाल में सूर साम्राज्य की स्थापना हुई और वह न्यायिक और प्रशासनिक सुधार के लिए प्रसिद्ध थे। उन्होंने सड़कों, सरायों और सरकारी निर्माण कार्यों को बढ़ावा दिया और गणतंत्र के साथी तंत्र की स्थापना की।
3. बाबर और शेरशाह के शासनकाल में व्यापार और आर्थिक स्थिति में कैसे बदलाव हुए?
उत्तर: बाबर के शासनकाल में व्यापार और आर्थिक स्थिति में मुग़ल साम्राज्य के स्थापना के कारण सुधार हुए। वह व्यापार को बढ़ावा देने के लिए नए व्यापारिक नीतियों की स्थापना की और विदेशी व्यापार को बढ़ावा दिया। शेरशाह के शासनकाल में भी व्यापार और आर्थिक स्थिति में सुधार हुए। उन्होंने कई नये बाजार और व्यापारिक केंद्र स्थापित किए और ग्रामीण क्षेत्रों में खेती और उद्योग को बढ़ावा दिया।
4. शेरशाह के शासनकाल में कौन से महत्त्वपूर्ण सुधार कार्यक्रम आयोजित किए गए?
उत्तर: शेरशाह ने अपने शासनकाल में कई महत्त्वपूर्ण सुधार कार्यक्रम आयोजित किए। उन्होंने सड़कों का निर्माण किया, सरायों की स्थापना की और गणतंत्र के साथी तंत्र को स्थापित किया। उन्होंने लोगों के लिए न्यायिक और प्रशासनिक सुधार किए, औद्योगिक विकास को बढ़ावा दिया और बांधों का निर्माण किया।
5. शेरशाह के शासनकाल में सूर साम्राज्य का क्या महत्त्व था?
उत्तर: शेरशाह के शासनकाल में सूर साम्राज्य ने एक महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई। इसके शासनकाल में कई सुधार कार्यक्रम आयोजित किए गए और इसने व्यापार, आर्थिक स्थिति और साम्राज्यिक सुरक्षा को सुधारा। सूर साम्राज्य के शासक शेरशाह ने गणतंत्र के साथी तंत्र की स्थापना की और अपने शासनकाल में न्यायिक और प्रशासनिक कार्यक्रमों को प्रमुखता दी।
398 videos|679 docs|372 tests
Download as PDF
Explore Courses for UPSC exam

Top Courses for UPSC

Signup for Free!
Signup to see your scores go up within 7 days! Learn & Practice with 1000+ FREE Notes, Videos & Tests.
10M+ students study on EduRev
Related Searches

MCQs

,

Extra Questions

,

pdf

,

study material

,

युपीएससी | इतिहास (History) for UPSC CSE in Hindi

,

बाबर (1526-1530 ई.) और शेरशाह और सूर साम्राज्य (1540-1555 ई.) - मुगल साम्राज्य

,

Viva Questions

,

बाबर (1526-1530 ई.) और शेरशाह और सूर साम्राज्य (1540-1555 ई.) - मुगल साम्राज्य

,

Semester Notes

,

बाबर (1526-1530 ई.) और शेरशाह और सूर साम्राज्य (1540-1555 ई.) - मुगल साम्राज्य

,

इतिहास

,

Previous Year Questions with Solutions

,

युपीएससी | इतिहास (History) for UPSC CSE in Hindi

,

ppt

,

Objective type Questions

,

Important questions

,

video lectures

,

इतिहास

,

युपीएससी | इतिहास (History) for UPSC CSE in Hindi

,

past year papers

,

Free

,

practice quizzes

,

Exam

,

Sample Paper

,

इतिहास

,

shortcuts and tricks

,

mock tests for examination

,

Summary

;