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हुंगा टोंगा-हुंगा हापाई ज्वालामुखी | |
जोशीमठ में भू-अवतलन का अध्ययन | |
प्रशांत मौसम में परिवर्तन: अधिक बहुवर्षीय अल नीनो और ला नीना | |
भारतीय जलाशयों के जल स्तर में गिरावट |
वर्ष 2023 में अब तक वैश्विक स्तर पर अभूतपूर्व तापमान वृद्धि दर्ज़ की गई है। वैज्ञानिकों का मानना है कि इसका एक कारण वर्ष 2022 में दक्षिण प्रशांत में हुंगा टोंगा-हुंगा हापाई ज्वालामुखी का जल के नीचे विस्फोट हो सकता है।
हाल ही में उत्तराखंड के जोशीमठ शहर में भूमि धँसने का कारण जानने के लिये भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) सहित भारत के आठ प्रमुख संस्थानों द्वारा अलग-अलग अध्ययन किये गए और हिमालयी शहर के धँसने के विभिन्न कारण बताए गए।
एक हालिया अध्ययन ने अल नीनो और ला नीना घटनाओं की अवधि एवं व्यवहार पर मानवीय गतिविधियों के प्रभाव के विषय में चिंता जताई है।
आर्थिक और सामाजिक प्रभाव
भारत, मानसूनी बारिश पर बहुत अधिक निर्भर देश है, अगस्त 2023 में बारिश में अभूतपूर्व कमी के कारण इसे अनेक चुनौतियों का सामना करना पड़ा।
कृषि:
ऊर्जा:
पर्यावरण:
जल आपूर्ति पर प्रभाव:
अल-नीनो:
हिंद महासागर द्विध्रुव (IOD):
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1. हापाई ज्वालामुखी क्या है? |
2. जोशीमठ में भू-अवतलन का अध्ययन क्यों महत्वपूर्ण है? |
3. अल नीनो और ला नीना क्या हैं और सितंबर 2023 में इसका क्या महत्व है? |
4. किस प्रकार से अल नीनो और ला नीना भू-अवतलन के साथ जुड़े हुए हैं? |
5. जोशीमठ में अध्ययन करने के लिए क्या कारण हैं? |
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