UPSC Exam  >  UPSC Notes  >  सामान्य विज्ञानं (General Science) for UPSC CSE in Hindi  >  महत्वपूर्ण टिप्पणियाँ - विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी, सामान्य विज्ञानं

महत्वपूर्ण टिप्पणियाँ - विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी, सामान्य विज्ञानं | सामान्य विज्ञानं (General Science) for UPSC CSE in Hindi PDF Download

उच्च रक्तचाप से पीड़ित व्यक्ति को नमक का प्रयोग क्यों मना किया जाता है ?: खाने का नमक रासायनिक दृष्टि से सोडियम क्लोराइड है, जिसमें सोडियम एवं क्लोरीन आयन पाये जाते हैं। सोडियम आयन एक रसाकुचन गुण धर्म वाला आयन होता है, जो कि रसाकुचन की प्रक्रिया को बढ़ाता है। रसाकुंचन की प्रक्रिया वह प्रक्रिया है जो मुख्यतया कोशिकाओं में पायी जाती है। चाहे वह वनस्पति कोशिका हो या जन्तु कोशिका। उल्लेखनीय है कि रक्त भी एक कोशिका है। नमक खाने से आंतों में सोडियम आयनों की मात्रा में वृद्धि होती है, जिसका तात्पर्य है कि आंतों में सोडियम अवशोषण बढ़ जाता है। इससे रक्त में दबाव पड़ता है। अन्ततोगत्वा इससे शरीर के रक्त परिसंचरण तन्त्रा में रक्त का आयतन बढ़ जाता है। इसीलिए उच्च रक्तचाप से पीड़ित व्यक्ति को डाक्टर नमक न खाने की सलाह देता है।

अग्निशमन यंत्र कैसे कार्य करता है ?: आग बुझाने के लिये प्रयुक्त किया जाने वाला अग्निशमन यन्त्रा सामान्यतः धातु का बना एक सिलिण्डर होता है, जिसमें एक पाइप एवं एक नोजल लगा होता है। इसमें दो कक्ष होते हैं, जिन्हें क्रमशः बाह्य कक्ष एवं अंतः कक्ष कहते हैं। बाह्य कक्ष में सोडियम कार्बोंनेट एवं अंतः कक्ष में सल्फ्यूरिक एसिड या गंधकाम्ल भरा होता है। दोनों कक्षों के मध्य एक अवरोधक होता है, जो दोनों द्रवों को आपस में अलग रखता है। आग लगने पर जब यन्त्रा के प्रयोग के समय ओपनर को खोला जाता है, तो गंधकाम्ल सोडियम कार्बाेनेट से क्रिया कर कार्बन डाइआक्साइड गैस बनाता है।

क्या कारण है कि पेट्रोल इंजन में स्पार्क प्लग का उपयोग किया जाता है, जबकि डीजल इंजन में नहीं ?: पेट्रोल इंजन में पिस्टन के द्वारा उसके कुल आयतन का 1ध्8 भाग ईंधन  संपीडित किया जाता है। यह स्पार्क प्लग विद्युत स्पार्क के द्वारा ईंधन को प्रज्ज्वलित करता है, क्योंकि संपीडित ईंधन के इस आयतन में आवश्यक ताप एवं दाब उत्पन्न नहीं हो पाता। इसीलिये इंधन के प्रज्ज्वलन हेतु पेट्रोल इंजन में स्पार्क प्लग आवश्यक होता है। जबकि डीजल इंजन में ईधन के कुल आयतन का 1ध्6 भाग तक संपीडित किया जाता है, जो कि उच्च ताप एवं दाब उत्पन्न करता है। फलतः ईंधन अपने आप प्रज्ज्वलित हो जाता है। यही कारण है कि पेट्रोर्ल इंजन में स्पार्क प्लग का उपयोग किया जाता है, जबकि डीजल ईंजन में नहीं।

किस प्रकार वाहनों में लगा साइलेंसर, शोर को शांत करता है ?: वाहनों में स्टार्ट होने एवं चलने के समय पिस्टन एवं इंजन के अन्य भाग कार्य करना प्रारंभ कर देते हैं, जिससे काफी शोर उत्पन्न होता है। साइलेंसर शोर पैदा करने वाली इन ध्वनि तरंगों को या तो सोख लेता है या फिर उन्हें खंडित कर देता है, जिससे वे कम ध्वनि पैदा करती हैं। इसके अतिरिक्त साइलेंसर की आंतरिक रचना इस प्रकार होती है कि वह ध्वनि के निरंतर प्रवाह में बाधा उत्पन्न कर देता है, जिससे ध्वनि प्रदूषण की तीव्रता कम हो जाती है एवं कम शोर पैदा होता है। इसीलिये वाहनों में साइलेंसर का प्रयोग किया जाता है।

त्वचा की सुरक्षा के लिए लगाया जाने वाला ”सनस्क्रीन लोशन“ कैसे कार्य करता है ?: तेज धूप त्वचा को काफी नुकसान पहुंचाती है। इसीलिए तेज धूप में घर से बाहर निकलते वक्त महिलायें सनस्क्रीन लोशन का प्रयोग करती हैं। इस लोशन में धूप से सुरक्षा देने वाले सनस्क्रीनिंग कारक होते हैं। जब इस लोशन को एक पतले परत के रूप में त्वचा के ऊपर लगाया जाता है तो लोशन में उपस्थित सनस्क्रीनिंग कारक धूप में उपस्थित पराबैंगनी किरणें को त्वचा के सम्पर्क में नहीं आने देते। जब त्वचा पर ऐसे लोशन का प्रयोग नहीं किया जाता, तो धूप या सूर्य प्रकाश में उपस्थित पराबैंगनी किरणें त्वचा की कोशिकाओं एवं वर्णक को प्रभावित करती हैं। इसीलिये सनस्क्रीनिंग लोशन का प्रयोग करने पर त्वचा को कोई नुकसान नहीं होता।

बंद नाक को खोलने वाला इन्हेलर कैसे कार्य करता है?: कभी-कभी किसी कारणवश नाक के दोनों रंध्र बंद हो जाते हैं। इसका प्रमुख कारण नासारन्ध्रों की आंतरिक म्यूकस झिल्ली में जलन होना होता है। ऐसी अवस्था में नासारन्ध्रों में अवरोध उत्पन्न हो जाता है, जिससे सांस लेने में परेशानी होती है। इन अवरुद्ध नासारन्ध्रों को खोलने के लिये इन्हेलर का प्रयोग किया जाता है। इन्हेलर में स्टेराॅयड एवं जलन शांत करने वाली औषधियां होती हैं, जो कि नासारन्ध्रों की म्यूकस झिल्ली पर प्रतिक्रिया करती हैं एवं अवरूद्ध नासारन्ध्रों को खोल देती हैं,जिससे वायु का स्वच्छ आदान-प्रदान प्रारंभ हो जाता है। इसीलिए बंद नाक को खोलने के लिए इन्हेलर का प्रयोग किया जाता है।

‘रैनिन’ की हमारे शरीर में क्या उपयोगिता है?: ‘रैनिन’ गुर्दे में बनने बाला हारमोन जैसा पदार्थ है जो जक्साटाग्लोमरूलर कोशिकाओं द्वारा स्रावित किया जाता है। रक्त में आने के बाद यह प्लाज्मान्जिओ टैन्सिनोजल को एन्जिओटैन्सिन में बदलने के लिए बाध्य करता है। इधर एन्जिओटैन्सिन भी कुछ सामान्य दैहिक धमनियों में संकुचन उत्पन्न करती है जिससे धमनियों में दाब बढ़ जाता है। एल्डोस्टेरोन सोडियम तथा क्लोराइड्स के पुनः अवशोषण को उत्तेजित कर देता है परिणामस्वरूप मूत्रा तथा पसीना ग्रन्थियों द्वारा इनका उत्सर्जन कम हो जाता है।

 

 

बींसवी सदी के महत्वपूर्ण पेशकश

1901 -

जर्मन मोटर कंपनी डैमलर ने मर्सिडीज  नामक नयी कार पेश की।

1906 -

जर्मन के आर्थर काॅर्न ने तार से फोटो भेजने की विधि विकसित की।

1907 -

लुमियर बंधुओं ने रंगीन फिल्म की शुरुआत की।

1908 -

अमेरिका के थाॅमस अल्वा एडिसन ने मोशन पिक्चर्स प्रोजेक्टर का आविष्कार किया।

1911 -

अमेरिका के एल्मर ए स्पैरी ने गायरो दिग्सूचक बनाया।

1912 -

फ्रांसीसी डाक्टर दात्रो ने काॅ£नया के सफल प्रत्यारोपण से आंख की रोशनी लौटायी।

1913 -

थाॅमस अल्वा एडिसन ने टेलिफोन रिकार्डर बनाया।

1914 -

ब्रिटेन के अर्नस्ट स्विंगटन ने टैंक बनाया।

1914 -

कोडेक कंपनी ने रंगीन फोटो प्रक्रिया ईजाद की।

1915 -

ऊष्मारोधी ग्लास ‘पायरेक्स’ से खाना पकाने वाले बर्तनों का निर्माण हुआ।

1915 -

पहली बार थ्री डी फिल्म का निर्माण हुआ।

1916 -

कपड़े के जूते बाजार में आये जिनका ऊपरी हिस्सा कैनवास एवं निचला तलवा रबर का होता था।

1916 -

अल्बर्ट आइंस्टीन ने सापेक्षता का सिद्धांत प्रस्तुत किया।

1918 -

अमेरिकी अंतरिक्ष शास्त्राी होर्लोसेपले ने ‘मिल्की वे गैलैक्सी’ के आकार और संरचना की व्याख्या की।

1918 -

अमेरिकी के जाॅन ब्राउनिंग ने आॅटोमेटिक राइफल बनायी।

1918 -

अमेरिका में इलैक्ट्राॅनिक घड़ियां बनने लगीं।

1919 -

रेडियो का बड़े पैमाने पर उत्पादन शुरू हुआ।

1923 -

फ्रांस में यातायात के लिए ट्रेफिक लाइट का पहली बार प्रयोग हुआ।

1924 -

वाल्ट डिनी ने ‘एलिस इन वंडरलैण्ड’ नामक पहली कार्टून फिल्म बनायी।

1924 -

‘डिस्पोजेबल टिशू’ किम्बरले क्लार्क ने विकसित किया।

1924 -

फ्रांस के एटीन ओहमिशन ने हैलीकाॅप्टर बनाया।

1924 -

विलिस कैरियर ने एयर कंडीशनर का निर्माण किया।

1930 -

जनरल इलैक्ट्रिक कंपनी ने फ्लेश ब्लब का आविष्कार किया।

1931 -

इलैक्ट्रिक रेजर का निर्माण जेकाॅब सिक ने किया।

1933-35 -

जर्मन और ब्रिटेन में पृथक-पृथक रेडार का आविष्कार हुआ।

1934 -

क्यूरी दंपति ने रेडियो एक्टिवता की खोज की।

1935 -

जर्मनी में टेप रिकार्डर का आविष्कार हुआ।

1937 -

पहली एनीमेशन फिल्म वाल्ड डिजनी ने ‘स्नोव्हाइट एंड सेवन ड्वार्फ’ बनायी।

1938 -

जनरल इलैक्ट्रिक ने फ्लोरसेंट लाइटिंग को कम£शयल बनाया।

1938 -

ब्रिटिश इंजीनियर जार्ज कैलेंडर ने ग्रीन हाउस प्रभाव की प्रारंभिक व्याख्या की।

1938 -

हगंरी के लेडिसलाओ और जार्ज वीरो ने बाॅलपाइंट पैन का डिजाइन तैयार किया।

1938 -

अमेरिका में मुलायम टूथब्रश का निर्माण हुआ

1938 -

ड्यूपोंट ने टेफलाॅन का आविष्कार किया।

1939 -

नेस्ले ने इंस्टेंट काॅफी पेश की।

1939 -

जर्मनी के अर्नेस्ट हेंकिल ने जेट एयरक्राफ्ट से पहली उड़ान भरी।

1939 -

ड्यूपोंट ने नाॅयलान का आविष्कार किया।

1939-41 -

जर्मन के हेन्सवाॅन ओंहेन ओर फ्रैंक व्हिटल ने पृथक-पृथक जेट इंजन का आविष्कार किया।

1940 -

फ्रेड मोफेट ने इलैक्ट्रिक केतली का आविष्कार किया।

1941 -

सिकुड़नरहित टेरीलीन का जाॅनरेक्स व्हिनफिल्ड ने आविष्कार किया।

1941 -

स्वीडन जार्जडी मेस्टराल ने वेल्क्रो (कपड़ों पर टिच बटन के स्थान पर लगने वाला) का आविष्कार किया।

1942 -

अमेरिकी नौसेना ने टी-शर्ट की खोज की।

1948 -

एडविन लेण्ड ने पोलोराॅइड लेण्ड कैमरे का आविष्कार किया।

1949 -

हेलाॅइट ने फोटो काॅपीयर (अब जीराॅक्स) का निर्माण किया।

1955 -

पोलियो का वेक्सीन जाॅन्स साल्क ने तैयार किया।

1955 -

सोनी ने रेडियो ट्रांजिस्टर बनाया।

1958 -

डेनमार्क के लीगों कंपनी ने बच्चों के बिल्डिंग ब्लाक के खेल लीगो सिस्यम का निर्माण किया।

1963 -

फिलिप्स ने काॅम्पेक्ट आॅडियो कैसेट प्लेयर का निर्माण किया।

1963 -

एटी एंड टी ने टचटोन टेलीफोन विकसित किया।

1967 -

रेथिआॅन ने माइक्रोवेव ओवन का आविष्कार किया।

1969 -

सोनी के सीईओ एकियो मोरीटा की सोच पर वाॅकमैन तैयार किया गया।

1981-82 -

 फिलिप्स ने काम्पेक्ट डिस्क और सोनी ने डिस्क प्लेयर पेश किया।

1984 -

‘मेसीन्तोस 128 के’ कम्प्यूटर एपेल कम्प्यूटर की देन है।

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FAQs on महत्वपूर्ण टिप्पणियाँ - विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी, सामान्य विज्ञानं - सामान्य विज्ञानं (General Science) for UPSC CSE in Hindi

1. विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी क्या है?
उत्तर: विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी एक शाखा है जो विज्ञान के सिद्धांतों और तकनीकों का अध्ययन करती है और उन्हें व्यावसायिक और सामाजिक समस्याओं का निराकरण करने के लिए उपयोग करती है। यह विभिन्न क्षेत्रों में उपयोग होने वाली तकनीकों, उपकरणों, मशीनों और प्रक्रियाओं का विकास करने में मदद करती है।
2. विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्रों में कौन-कौन से विषय शामिल हैं?
उत्तर: विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्रों में निम्नलिखित विषय शामिल हैं: 1. गणितिकी और कंप्यूटर विज्ञान 2. भौतिक विज्ञान 3. रसायन विज्ञान 4. जैविक विज्ञान 5. इलेक्ट्रॉनिक्स और इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग 6. मैकेनिकल इंजीनियरिंग 7. केमिकल इंजीनियरिंग 8. आईटी और सॉफ्टवेयर इंजीनियरिंग 9. जल विज्ञान
3. विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी क्यों महत्वपूर्ण हैं?
उत्तर: विज्ञान और प्रौद्योगिकी मानव समाज और विकास के लिए महत्वपूर्ण हैं। ये हमें नई तकनीकों, उपकरणों और विज्ञान के अद्यतन ज्ञान का उपयोग करके समस्याओं का समाधान करने में मदद करते हैं। इसके द्वारा हम उत्पादन, संचालन और प्रबंधन को और भी सुगम और अधिक उत्पादक बना सकते हैं। इसके साथ ही, विज्ञान और प्रौद्योगिकी हमें सामाजिक समस्याओं का समाधान करने के लिए भी विभिन्न माध्यम और तकनीकों की प्रदान करते हैं।
4. UPSC में विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी का क्या महत्व है?
उत्तर: UPSC में विज्ञान और प्रौद्योगिकी का महत्वपूर्ण स्थान है क्योंकि यह एक महत्वपूर्ण विषय है जिसे छात्रों को अच्छी तरह समझना चाहिए। इसके अलावा, UPSC परीक्षा में विज्ञान और प्रौद्योगिकी से संबंधित प्रश्न पूछे जाते हैं और इसलिए इसे ध्यान में रखना आवश्यक है।
5. विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में कौन-कौन सी सरकारी नौकरियां होती हैं?
उत्तर: विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में कई सरकारी नौकरियां होती हैं, जैसे कि: 1. वैज्ञानिक 2. अनुसंधान अधिकारी 3. इंजीनियर 4. वैज्ञानिक सहायक 5. विज्ञान अध्यापक 6. वैज्ञानिक सलाहकार 7. रसायनज्ञ 8. जैवविज्ञानी 9. भौतिकविज्ञानी 10. उपग्रह अभियांता यह सिर्फ कुछ उदाहरण हैं, और इस खंड में और भी कई सरकारी नौकरियां हो सकती हैं।
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