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लेखांश - 7 (Mental Ability) UPSC Previous Year Questions | UPSC Topic-wise Previous Year Questions (Hindi) PDF Download

परिच्छेद-4

जलवायु परिवर्तन एक ऐसा जटिल नीतिगत मुद्दा है जो वित्त पर व्यापक प्रभाव डालता है। जलवायु परिवर्तन से निपटने वाले हर प्रयास में अन्ततः लागत शामिल है। भारत जैसे देशों के लिए, अनुकूलन (अडैप्टेशन) तथा न्यूनीकरण (मिटिगेशन) की योजनाओं और परियोजनाओं के अभिकल्पन और कार्यान्वयन के लिए निधीयन (फंडिंग) अत्यावश्यक है। निधि का अभाव अनुकूलन योजनाओं के कार्यान्वयन में एक बड़ी बाधा है।
जलवायु परिवर्तन पर संयुक्त राष्ट्र फ्रेमवर्क कन्वेंशन (यूनाइटेड नेशन्स फ्रेमवर्क कन्वेंशन आनॅ क्लाइमेट चेंज) (UNFCCC) के अन्तर्गत बहुस्तरीय वार्ताओं में, विकासशील देशों द्वारा उनके घरेलू न्यूनीकरण तथा अनुकूलन कार्यों के संवर्धन के लिए अपेक्षित वित्तीय सहायता का पैमाना तथा परिमाण सघन चर्चा के विषय है। यह सम्मेलन विकसित देशों पर, वायुमंडल में ग्रीनहाउस गैसेां (GHGs) के जमाव में उनके योगदान के आधार पर, वित्तीय सहायता का प्रावधान करने की समान रूप से जिम्मेदारी डालता है। इस कार्य की मात्रा तथा उसके लिए निधियों की आवश्यकता को देखते हुए विकासशील देशों की मौजूदा तथा अनुमानित (प्रोजेक्टेड) आवश्यकताओं के लिए जरूरी घरेलू वित्तीय संसाधन कम पड़ने की संभावना है। इस सम्मेलन (कन्वेंशन) की बहुपक्षीय क्रियाविधि के माध्यम से किया गया वैश्विक निधीयन, न्यूनीकरण प्रयासों के वित्तपोषण के लिए उनकी घरेलू क्षमता की वृद्धि करेगा।

प्रश्न.133. इस परिच्छेद के अनुसार, जलवायु परिवर्तन में विकासशील देशों की भूमिका के संदर्भ में UNFCCC के अन्तर्गत बहपुक्षीय वार्ताओं में, निम्नलिखित में से कौन-सा/से, गहन चर्चा का/के विषय है। हैं?    (2015)
1. अपेक्षित वित्तीय सहायता का पैमाना तथा परिमाण।
2. विकासशील देशों में जलवायु परिवर्तन के कारण होने वाली उपज की हानि।
3. विकासशील देशों में न्यूनीकरण तथा अनुकूलन कार्यों का संवर्धन करना।
नीचे दिए गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिएः
(क) केवल 1 
(ख) केवल 2 और 3
(ग) केवल 1 और 3 
(घ) 1, 2 और 3
उत्तर. (ग)
उपाय.
परिच्छेद (1) तथा (3) के बारे में उल्लेख करता है। चौथे वाक्य को देखें " जलवायु परिवर्तन पर _______ चर्चा का विषय है। " - जो (1) तथा (3) दोनों का उल्लेख करते हैं। फसल हानि जो कि जलवायु परिवर्तन के कारण होता है- का उल्लेख परिच्छेद में नहीं है।

प्रश्न.134. इस परिच्छेद में, यह सम्मेलन विकसित देशों पर वित्तीय सहायता का प्रावधान करने की जिम्मेदारी किस कारण डालता है?   (2015)
1. उनका प्रति व्यक्ति आय का उच्चतर स्तर।
2. उनकी GDP की अधिक मात्रा।
3. वायुमंडल में ग्रीनहाउस गैसों (GHGs) के जमाव में उनका वृहत् योगदान।
नीचे दिए गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिएः
(क) केवल 1 
(ख) केवल 1 और 2
(ग) केवल 3 
(घ) 1, 2 और 3
उत्तर. (ग)
उपाय.
पाँचवें वाक्य को देखें - "यह सम्मेलन विकसित _______ जिम्मेदारी डालता है।" यह (3) का स्पष्ट उल्लेख करता है। (1) तथा (3) का परिच्छेद में उल्लेख नहीं है।

प्रश्न.135. विकासशील देशों के सम्बन्ध में, परिच्छेद से यह अनुमान निकाला जा सकता है कि जलवायु परिवर्तन से उनके    (2015)
1. घरेलू वित्त पर प्रभाव पड़ना संभावित है।
2. बहुपक्षीय व्यापार की क्षमता पर प्रभाव पड़ना संभावित है।
नीचे दिए गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिएः
(क) केवल 1
(ख) केवल 2
(ग) 1 और 2 दोनों
(घ) न तो 1, न ही 2
उत्तर. 
(क)
उपाय.
दूसरे अंतिम वाक्य को देखें, " भारत जैसे देशों _________ निधीयन (फंडिंग) अत्यावश्यक है। "  जो स्पष्ट करता है कि जलवायु परिवर्तन के कारण सम्भवतः उनके घरेलू वित्त व्यवस्था पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। (2) का उल्लेख परिच्छेद में नहीं है।

प्रश्न.136. इस परिच्छेद में, निम्नलिखित में से किस एक पर अनिवार्यतः विचार-विमर्श किया गया है?   (2015)
(क) न्यूनीकरण हेतु सहायता देने के बारे में, विकसित और विकासशील देशों के बीच द्वन्द्व
(ख) विकसित देशों और प्राकृितक संसाधनों के अतिशय दोहन के कारण जलवायु परिवर्तन का होना
(ग) अनुकूलन योजनाओं को कार्यान्वित करने में सभी देशों की राजनीतिक इच्छाशक्ति में कमी
(घ) जलवायु परिवर्तन के परिणाम के कारण, विकासशील देशों की शासन समस्याएँ
उत्तर. (क)
उपाय.
न्यूनीकरण के संदर्भ में, यह परिच्छेद स्पष्ट करता है कि विकसित तथा विकासशील देशों के मध्य संघर्ष है। नए मानदण्ड अपनाने के लिए विकासशील देशों को वित्तीय सहायता की आवश्यकता है तथा विकासशील देश चाहते है कि विकसित देश इसके लिए होने वाले खर्च को वहन करें। (ख), (ग) तथा (घ) गलत हैं क्योंकि यहाँ परिच्छेद न तो प्राकृतिक संसाधनों का दोहन, राजनैतिक इच्छा-शक्ति का अभाव अथवा शासन की समस्याओं का उल्लेख करता है।

निम्नलिखित 7 (सात) प्रश्नांशों के लिए निर्देशः
निम्नलिखित छह परिच्छेदों को पढ़िए और उनके नीचे आने वाले प्रश्नांशों के उत्तर दीजिए। इन प्रश्नांशों के आपके उत्तर केवल इन परिच्छेदों पर ही आधारित होने चाहिए।

परिच्छेद-1

जलवायु परिवर्तन के कारण फसलों की उपज में रुकावट और कीमतों में वृद्धि होने की वजह से, पूरे विश्व में बहुत सारे लोग पहले से ही भुखमरी का शिकार हैं। और जलवायु परिवर्तन के कारण केवल खाद्य ही नहीं बल्कि पोषक तत्व भी अर्पयाप्त होते जा रहे हैं। जैसे- जैसे फसलों की उपज और जीविका पर खतरे की स्थिति बन रही है, सबसे गरीब समुदायों को ही, भुखमरी और कुपोषण के बढ़ने के समेत, जलवायु परिवर्तन के सबसे बुरे प्रभावों से ग्रस्त होना पड़ेगा। दूसरी ओर, गरीबी जलवायु परिवर्तन की कारक है, क्योंकि निराशोन्मत समुदाय अपनी वर्तमान आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए संसाधनों के अधारणीय (अनसंस्टेनबल) उपयोग का आश्रय लेते हैं।
प्रश्न.137. निम्नलिखित में से कौन सा, उपर्युक्त परिच्छेद का सर्वाधिक तार्किक उपनिगमन (कोरोलरी) है? (2015)
(क) सरकार को गरीबी उन्मूलन कार्यक्रमों के लिए अधिक निधियों का आबटंन करना चाहिए और निर्धन समुदायों को दिए जाने वाले खाद्य उपदानों (सब्सिडीज) में वृद्धि करनी चाहिए।
(ख) निर्धनता तथा जलवायु के प्रभाव एक-दूसरे को बढ़ावा देते हैं और इसलिए हमें अपनी खाद्य प्रणालियों की पुनर्कल्पना करनी होगी।
(ग) विश्व के सभी देशों को गरीबी और कुपोषण से लड़ने के लिए एकजुट होना ही चाहिए और गरीबी को एक सार्वभौम समस्या की भांति देखना चाहिए।
(घ) हमें तुरन्त अधारणीय (अनसंस्टेनबल) कृषि पद्धतियों को बंद कर देना चाहिए और खाद्य कीमतों को नियंत्रित करना चाहिए।
उत्तर. (ख)
उपाय.
उपसिद्धातं एक प्रस्ताव है जो पहले से ही प्रमाणित होता है (ख) ज्यादा प्रासंगिक है क्योंकि परिच्छेद का कथन है कि निर्धनता तथा जलवायु प्रभाव एक दूसरे को बढ़ावा देती हैं। निर्धनता जलवायु विकृति को बढ़ावा देती हैं, संसाधनों के असधारणीय उपभोग के कारण (अंतिम पंक्ति को देखें) तथा जलवायु परिवर्तन के कारण गरीबी बढ़ती है।
(क) तथा (ब) गलत हैं क्योंकि ये गरीबी-उन्मूलन तथा खाद्य-उपदान में वृद्धि इत्यादि के बारे में उल्लेख करते हैं। इनका जलवायु परिर्वतन से कोई संबंध नहीं है।
(घ) गलत है, क्योंकि यह जलवायु परिर्वतन को नियंत्रित करने (असंधारणीय कृषि कार्यों को रोकना) तथा गरीबी-उन्मूलन (खाद्य मूल्य नियंत्रण) हेतु समाधान का सुझाव प्रस्तुत करता है। यह आपसी निर्भरता के बारे में उल्लेख नहीं करता है।


परिच्छेद-2

विश्व वित्तीय स्थिरता रिपोर्ट (ग्लोबल फाइनेंशियल स्टेबिलिटी रिपोर्ट) ने पाया है कि उन्नत अर्थव्यवस्थाओं से, उभरती हुई अर्थव्यवस्थाओं के कुल ऋण और ईक्विटी निवेशों में, किया गया पोर्टफोलियो निवेश का अंश पिछले दशक में दुगुना होकर 12 प्रतिशत हो गया है। इस घटना से भारतीय नीति निर्माताओं पर प्रभाव संभावित है क्योंकि ऋण तथा ईक्विटी बाजारों में विदेशी पोर्टफोलियो निवेश बढ़ता रहा है। इस घटना को एक आशंका भी बताया जा रहा है कि यूनाइटेड स्टेट्स फेडरल रिजर्व की "मात्रात्मक ढील (क्वांटिटेटिव ईंजिंग)" नीति में आसन्न उत्क्रमण (इम्मिनेंट रिवर्सल) होने की दशा में, एक श्रृंखलाबद्ध प्रतिक्रिया के रूप में विश्व की वित्तीय स्थिरता खतरे में पड़ सकती है।
प्रश्न.138. उपर्युक्त परिच्छेद से, निम्नलिखित में से कौन सा सर्वाधिक तर्कसगंत और निर्णायक अनुमान (इनफेरेंस) निकाला जा सकता है?  (2015)
(क) उभरती हुई अर्थव्यवस्थाओं के लिए विदेशी पोर्टफोलियो निवेश अच्छे नहीं है।
(ख) उन्नत अर्थव्यवस्थाएँ विश्व की वित्तीय स्थिरता को खोखला करती है।
(ग) भारत को भविष्य में विदेशी पोर्टफोलियो निवेश स्वीकार करने से बचना चाहिए।
(घ) उभरती हुई अर्थव्यवस्थाओं को, उन्नत अर्थव्यवस्थाओं से मिलने वाले आघात का खतरा रहता है।
उत्तर. (घ)
उपाय.
यह परिच्छेद अत्यधिक प्रासंगिक तथा समालोचनात्मक अनुमान का उल्लेख करता है। (क) गलत है क्योंकि यह परिच्छेद के केवल एक भाग का उल्लेख करता है। पोर्टफोलियो निवेश का लाभदायक तथा हानिकारक दोनों प्रभाव पड़ता है। (क) गलत है क्योंकि परिच्छेद पोर्टफोलियो निवेश से आशंका का सुझाव देता है। परिच्छेद के आधार पर यह नहीं कहा जा सकता कि विकसित अर्थव्यवस्थाएँ हमेशा वैश्विक वित्तीय स्थिरता को खोखला करती हैं। कई अन्य बाह्य कारक हैं जो एक साथ कार्य करते हैं। समान कारणों के लिए (ग) गलत है। (घ) ज्यादा प्रासंगिक तथा समीक्षात्मक अनुमान है। क्योंकि पोर्टफोलियों निवेश निश्चित रूप से विकासशील अर्थव्यवस्थाओं को कुछ मामलों में प्रभावित करते हैं। अतः खतरा है।

विशेष: पोर्टफोलियो निवेश - पोर्टफोलियो निवेश निष्क्रिय निवेश हैं क्योंकि ये सक्रिय व्यवस्थापन के लिए आवश्यक नहीं होते हैं अथवा उत्पादक कम्पनी को नियंत्रित नहीं करते हैं। बल्कि निवेश का उद्देश्य मात्र आर्थिक लाभ है। यह विदेशी प्रत्यक्ष निवेश (FDI) के विपरीत है जो निवेशक को कुछ सीमा तक कम्पनी के ऊपर व्यवस्थापन नियंत्रण की अनुमति देता है।अंतर्राष्ट्रीय लेन-देन के लिए, शेयर निवेश जहाँ मालिक कम्पनी के हिस्से का 10% से कम भाग को प्राप्त करता है, पोर्टफोलियो निवेश की श्रेणी में आता है। ये लेन-देन पोर्टफोलियो प्रवाह भी कहलाते हैं तथा राष्ट्रीय संतुलन भुगतान के वित्तीय लेखा में सूचीबद्ध होते हैं। पोर्टफोलियो निवेश में शेयर सुरक्षा के लेन-देन भी सम्मिलित होते हैं जैसे - उभयनिष्ठ स्टाॅक तथा ऋण सुरक्षा (जैसे - बैंकनोट, बाँड तथा डिवेंचर)

मात्रात्मक ढील - यह एक प्रकार की मौद्रिक नीति़ है जिसे केन्द्रीय बैंक अर्थव्यवस्था को उत्साहित करने के लिए करते हैं, जब मानक मौद्रिक नीति अप्रभावी हो जाती है। एक केन्द्रीय बैंक मात्रात्मक ढील का उपयोग वाणिज्यिक बैंको तथा अन्य वित्तीय संस्थानों से वित्तीय सम्पत्ति को खरीदकर करता है। इस प्रकार उन वित्तीय परिसम्पत्तियों का मूल्य बढ़ जाता है तथा उनका उत्पादन घट जाता है, साथ ही साथ मौद्रिक आपूर्ति बढ़ जाती है। मात्रात्मक ढ़ील यह सुनिश्चित कर सकती है कि मुद्रा स्फीति लक्ष्य से नीचे न गिरे। इसमें इस बात की आशंका रहती है कि मुद्रा अवमूल्यन की तुलना में नीति ज्यादा प्रभावी रहे। मौद्रिक आपूर्ति में वृद्धि के कारण, दीर्घ अवधि में उच्च मुद्रा स्फीति का होना पर्याप्त प्रभावी नहीं होते हैं। यदि अतिरिक्त रिजर्व को ऋण में प्रदान नही करते हैं।


परिच्छेद-3

खुले में मलत्याग अनर्थकारी हो सकता है, जब यह अति सघन आबादी वाले क्षेत्रों में व्यवहार में लाया जा रहा हो, जहां मानव मल को फसलों, कुओं, खाद्य सामग्रियों और बच्चों के हाथों से दूर रखना असंभव होता है। भौम जल (ग्राउन्डवाटर) भी खुले में किए गए मलत्याग से संदूषित हो जाता है। आहार में गए अनेक रोगाणु और कृमियां बीमारियां फैलाते हैं। वे शरीर को कैलोरियों और पोषक तत्वों का अवशोषण करने लायक नहीं रहने देते। भारत में लगभग आधे बच्चे कुपोषित बने रहते हैं। उनमें से लाखों, उन रागे दशाओं से मर जाते हैं जिनसे बचाव सम्भव था। अतिसार (डायरिया) के कारण भारतीयों के शरीर औसत रूप से उन लोगों से छोटे हैं जो अपेक्षाकृत गरीब देशों के हैं, जहां लोग खाने से अपेक्षाकृत कम कैलोरियाँ लेते हैं। न्यून-भार (अडंरवेट) माताएँ ऐसे अविकसित (स्टंटेड) बच्चे पैदा करती है जो आसानी से बीमारी का शिकार हो सकते हैं और अपनी पूरी संज्ञानात्मक संभावनाओं (कोग्निटिव पोटेंशियल) को विकसित करने में असफल रह सकते हैं। जो रोगाणु पर्यावरण में निर्मुक्त हो जाते हैं वे न केवल अमीर और गरीब, बल्कि शौचालयों का प्रयोग करने वालों को भी, एक समान हानि पहुँचाते हैं।
प्रश्न.139. उपर्युक्त परिच्छेद से निम्नलिखित में से कौन सा,सबसे निर्णायक अनुमान (इनफेरेंस) निकाला जा सकता है?  (2015)

(क) भारत की केंद्रीय और राज्य सरकारों के पास इतने पर्याप्त संसाधन नहीं है कि प्रत्येक घर के लिए एक शौचालय सुलभ करा सकें।
(ख) खुले में मलत्याग भारत की सर्वाधिक महत्वपूर्ण लोक स्वास्थ्य समस्या है।
(ग) खुले में मलत्याग, भारत के कार्यबल (वर्क-फोर्स) की मानव पूंजी (ह्यूमन कैपिटल) में हा्स लाता है।
(घ) खुले में मलत्याग सभी विकासशील देशों की लोक स्वास्थ्य समस्या है।
उत्तर. (ख)
उपाय.
(क) परिच्छेद के संदर्भ से बाहर है, क्योंकि यह परिच्छेद प्रत्येक घर के लिए शौचालय हेतु संसाधन प्रदान करने का उल्लेख नही करता है।
(ख) अधिक समीक्षात्मक अनुमान है। क्योंकि इसमें कुपोषण, अतिसार, न्यूनभार माताएँ आदि का विकट प्रभाव भारतीय जनसंख्या पर प्रदर्शित करता है तथा शीघ्र ध्यान देने की बात करता है।
(ग) गलत है, क्योंकि परिच्छेद यह उल्लेख नहीं करता है कि भारत के कार्यबल की मानव पूंजी में हा्स होता है।
(घ) गलत है, क्योंकि परिच्छेद का कथन है कि खुले में मलत्याग सभी विकासशील देशों की लोक स्वास्थ्य समस्या है। अंतिम तीसरा वाक्य को देखें। "अतिसार के कारण ________ कम कैलोरी लेते हैं।"


परिच्छेद-4

हम सामान्यतः लोकतंत्र की बात करते हैं पर जब किसी विशेष पर बात आती है, तो हम अपनी जाति या समुदाय या धर्म से सम्बन्ध रखना ज्यादा पसन्द करते हैं। जब तक हम इस तरह के प्रलोभन से ग्रस्त रहेंगे, हमारा लोकतंत्र एक बनावटी लोकतंत्र बना रहेगा। हमें इस स्थिति में होना चाहिए कि मनुष्य को मनुष्य की इज्जत मिले और विकास के अवसर उन तक पहुंचे जो उसके योग्य हैं न कि उन्हें जो अपने समुदाय या प्रजाति के हैं। हमारे देश में पक्षपात का यह तथ्य बहुत असंतोष और दुर्भावना के लिए उत्तरदायी रहा है।
प्रश्न.140. निम्नलिखित कथनों में से कौन सा एक, उपर्युक्त परिच्छेद का सर्वोत्तम सारांश प्रस्तुत करता है?   (2015)
(क) हमारे देश में अनके जातियों, समुदायों और धर्मों की अत्यधिक विविधता है।
(ख) सच्चा लोकतंत्र सभी को समान अवसर देकर ही स्थापित किया जा सकता है।
(ग) अब तक हममें से कोई भी वास्तव में लोकतंत्र का अर्थ समझ नहीं सका है।
(घ) हमारे लिए कभी सम्भव नहीं होगा कि हम अपने देश में सच्चा लोकतांत्रिक शासन स्थापित कर सके।
उत्तर. (ख)
उपाय.
(क) गलत है, क्योंकि यह एक सामान्य कथन है। तथ्य परिच्छेद के मूल भाव को व्यक्त करता है।
(ख) अधिक प्रासंगिक है। क्योंकि यह सभी के लिए समान अवसर उपलब्ध कराने की बात करता है। चाहे व्यक्ति किसी जाति या समुदाय का हो, यह है वास्तविक लोकतंत्र।
(ग) गलत है, क्योंकि परिच्छेद की प्रारम्भिक पंक्ति का कथन है कि लोग लोकतंत्र की बात करते हैं लेकिन वे अपने जाति या समुदाय या धर्म का पक्ष लेने में समर्थ नहीं हैं।
(घ) गलत है, क्योंकि यह चरम सीमा को व्यक्त करता है जो कि परिच्छेद के आशय से बाहर है।


परिच्छेद-5

बचत संग्रहण हेतु, सुरक्षित, विश्वसनीय और वैकल्पिक वित्तीय साधन (फाइनेंशियल इंस्ट्रूमेंटस) प्रदान करने वाली औपचारिक वित्तीय संस्थाओं का होना/स्थापित किया जाना मूलभूत रूप से आवश्यक है। बचत करने के लिए, व्यक्तियों को बैंक जैसी सुरक्षित और विश्वसनीय वित्तीय संस्थाओं के सुलभ होने की, और उपयुक्त वित्तीय साधनों और पर्याप्त वित्तीय प्रोत्साहनों की आवश्यकता होती है। इस तरह की सुलभता भारत जैसे विकासशील देशों में, और उस पर भी ग्रामीण क्षेत्रों में, सभी लोगों को हमेशा उपलब्ध नहीं है। बचत से गरीब परिवारों को नकदी प्रवाह की अस्थिरता के प्रबंधन में मदद मिलती है, उपभोग में आसानी होती है, और कार्यशील पूंजी के निर्माण में मदद मिलती है। औपचारिक बचत तंत्र के सुलभ न होने से गरीब परिवारों में तुरन्त खर्च कर देने के प्रलोभनों को बढ़ावा मिलता है।
प्रश्न.141. उपर्युक्त परिच्छेद के सन्दर्भ में, निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिएः (2015)
1. भारतीय वित्तीय संस्थाएं ग्रामीण परिवारों को अपनी बचत के संग्रहण के लिए कोई वित्तीय साधन उपलब्ध नहीं करातीं।
2. गरीब परिवार, उपर्युक्त वित्तीय साधनों के सुलभ न होने के कारण अपनी आय/बचत को व्यय करने की ओर प्रवृत्त होते हैं।
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?
(क) केवल 1 
(ख) केवल 2
(ग) 1 और 2 दोनों 
(घ) न तो 1, न ही 2
उत्तर. (ख)
उपाय.
(ख) स्पष्टतया (2) सत्य है। (1) गलत है क्योंकि परिच्छेद का कथन है कि भारत जैसे विकासशील देशों के ग्रामीण क्षेत्रों में ऐसे अवसर की उपलब्ध्ता सम्भव नहीं है। इसका आशय है कि यह कभी-कभी उपलब्ध होता है। (2) सत्य है क्योंकि परिच्छेद के अंतिम वाक्य में यह उल्लेखित है।

प्रश्न.142. इस परिच्छेद के द्वारा क्या महत्वपूर्ण संदेश दिया गया है?    (2015)
(क) अधिक बैंकों को स्थापित करना 
(ख) सकल घरेलू उत्पाद (GDP) की संवृद्धि दर को बढ़ाना
(ग) बैंक जमा (डिपाॅजिट) (GDP) पर ब्याज दर को बढ़ाना
(घ) वित्तीय समावेशन को प्रोत्साहित करना
उत्तर. (घ)
उपाय.
परिच्छेद का निर्णयात्मक संदेश यह है कि वित्तीय संस्थाओं को प्रोत्साहन मिले जिससे देश के प्रत्येक नागरिक को बैंक खाते का लाभ मिल सके तथा मुद्रा संग्रह को बढ़ावा मिले। अधिक बैंकों की स्थापना से वित्तीय समावेश को रास्ता मिलता है। बैंक के बचत योजनाओं पर अधिक ब्याज देने से बचत को बढ़ावा मिलेगा। अतः (घ) सही है।


परिच्छेद-6

सरकारों को ऐसे कदम उठाने पड़ सकते हैं जो अन्यथा व्यक्तियों के मौलिक अधिकारों का अतिलंघन करते हैं, जैसे किसी व्यक्ति की इच्छा के विरुद्ध उसकी भूमि का अधिग्रहण करना, या किसी भवन-निर्माण की अनुमति देने से इनकार करना, किन्तु जिस वृहत्तर लोकहित के लिए ऐसा किया जाता है, उसे जनता (संसद) द्वारा प्राधिकृत किया जाना आवश्यक है। प्रशासन के विवेकाधिकार को समाप्त किया जा सकता है। चूंकि, सरकार को अनेकों कार्य करने पड़ रहे हैं, इस अधिकार को सीमा में रखना निरन्तर कठिन होता जा रहा है। जहां विवेकाधिकार का प्रयोग करना होता है, वहां उस अधिकार के दुरूपयेाग को रोकने के लिए नियम एवं रक्षोपाय अवश्य होने चाहिए। ऐसी व्यवस्था की युक्ति करनी होगी, जो विवेकाधिकारों के दुरूपयोग को, यदि रोक न सके, तो न्यूनतम ही कर सके। सरकारी कार्य मान्य नियमों और सिद्धांतों के ढाँचे के अन्तर्गत ही किए जाने चाहिए, तथा निर्णय समान रूप तथा पूर्वानुमेय (प्रिडिक्टेबल) होने चाहिए।
प्रश्न.143. उपर्युक्त परिच्छेद से निम्नलिखित में से कौन-सी, सर्वाधिक तार्किक धारणा बनाई जा सकती है? (2015)
(क) सरकार को प्रशासन के सभी विषयों पर हमेशा विस्तृत विवेकाधिकार दिया जाना चाहिए।
(ख) प्राधिकार के अनन्य विशेषाधिकार के प्रभावी होने की अपेक्षा, नियमों और रक्षापायों की सर्वोंच्चता अभिभावी होनी चाहिए।
(ग) संसदीय लोकतंत्र तभी संभव है यदि सरकार को अपेक्षाकृत अधिक विस्तृत विवेकाधिकार प्राप्त हों।
(घ) उपर्युक्त में से कोई भी कथन ऐसी तार्किक धारणा नहीं है जो इस परिच्छेद से बनाई जा सके।
उत्तर.  (ख)
उपाय.
(क) स्पष्टतया गलत है क्योंकि परिच्छेद में कहीं भी इस बात का उल्लेख नहीं है कि प्रशासन के सभी मामलों में विवेकाधिकार सुनिश्चित हो। प्रथम वाक्य में उल्लेखित तथ्य यह है कि कुछ परिस्थितियों में यह क्रियान्वित हो।
(ख) सही है। क्योंकि परिच्छेद में नियमों तथा सुरक्षामानदंडों की सर्वोच्चता का उल्लेख है (अंतिम वाक्य को देखें)। आगे तीसरे वाक्य में - " जहाँ विवेकाधिकार ..................... न्यूनतम ही कर सके।" - नियमों तथा सुरक्षामानदंडों की प्रभावीकरण पर बल दिया गया है जो कि प्राधिकरण के विशेष विवेकाधिकार के विपरीत है।
(ग) गलत है, क्योंकि यह परिच्छेद में वर्णित ससंदीय लोकतंत्र (लोगों द्वारा अधिकृत) को अस्वीकार करता है।

निम्नलिखित 3 (तीन) प्रश्नांशों के लिए निर्देशः (2014)
निम्नलिखित परिच्छेद को पढ़िए और परिच्छेद के आगे आने वाले प्रश्नांशों के उत्तर दीजिए। इन प्रश्नांशों के आपके उत्तर इन परिच्छेद पर ही आधारित होने चाहिए।

परिच्छेद

अनेक राष्ट्र अब पूंजीवाद में विश्वास रखते हैं तथा सरकारें अपने लोगों के लिए सम्पत्ति सर्जित करने की रणनीति के रूप में इसे चुनती हैं। ब्राजील, चीन और भारत में उनकी अर्थव्यवस्थाओं के उदारीकरण के पश्चात् देखी गई भव्य आर्थिक संवृद्धि इसकी विशाल सम्भाव्यता और सफलता का प्रमाण है। तथापि, विश्वव्यापी बैंकिंग संकट तथा आर्थिक मंदी कइयों के लिए विस्मयकारी रहा है। चर्चाओं का केंद्रबिन्दु मुक्त बाजार संक्रियाओं और बलों, उनकी दक्षता और स्वयं सुधार करने की उनकी योग्यता की ओर हुआ है। विश्वव्यापी बैंकिंग प्रणाली की असफलता को दर्शाने हेतु न्याय, सत्यनिष्ठा और ईमानदारी के मुद्दों का वर्णन विरले ही किया जाता है। इस प्रणाली के समर्थक पूंजीवाद की सफलता का औचित्य ठहराते ही जाते हैं और उनका तर्क है कि वर्तमान संकट एक धक्का था। 
उनके तर्क उनके विचारधारागत पूर्वग्रह को इस पूर्वधारणा के साथ प्रकट करते हैं कि अनियंत्रित बाज़ार न्यायोचित तथा समर्थ होता है, और निजी लालच का व्यवहार वृहत्तर लोकहित में होगा। कुछ लोग पूंजीवाद और लालच के बीच द्विदिशिक सम्बन्ध होने की पहचान करते हैं, कि दोनों एक-दूसरे को परिपुष्ट करते हैं। निश्चित रूप से, इस व्यवस्था से लाभ पाने वाले धनाढ्य और सशक्त खिलाड़ियों के बीच हितों के टकराव, उनके झुकाव और विचारधाराओं के अपेक्षाकृत अधिक ईमानदार सम्प्रत्ययीकरण की आवश्यकता है साथ ही सम्पत्ति सर्जन को केंद्रबिन्दु में रखने के साथ उसके परिणामस्वरूप जनित सकल असमानता को भी दर्शाया जाना चाहिए।

प्रश्न.144. इस परिच्छेद के अनुसार, ‘‘मुक्त बाशार व्यवस्था’’ के समर्थक किसमें विश्वास करते हैं ?

(क) सरकारी प्राधिकारियों के नियंत्रण से रहित बाज़ार
(ख) सरकारी संरक्षण से मुक्त बाशार
(ग) बाज़ार की स्वयं के सुधार की क्षमता
(घ) निःशुल्क वस्तुओं व सेवाओं के लिए बाज़ार
उत्तर. (ग)
उपाय.
मुक्त बाजार व्यवस्था के समर्थक बाजार की स्वयं के सुधार की क्षमता पर विश्वास करते हैं। सामान्यतः उनकी चर्चाओं का संबंध मुक्त बाजार परिचालन तथा बल, ऐसे उद्यमों की क्षमता तथा स्वयं की सुधार की क्षमता से है।

प्रश्न.145. ‘‘विचारधारागत पूर्वग्रह’’ के संदर्भ में, इस परिच्छेद का निहितार्थ क्या है?
(क) मुक्त बाज़ार न्यायोचित होता है किंतु सक्षम नहीं
(ख) मुक्त बाज़ार न्यायोचित नहीं होता किंतु सक्षम होता है
(ग) मुक्त बाज़ार न्यायोचित और सक्षम होता है
(घ) मुक्त बाज़ार न तो न्यायोचित होता है, न ही पूर्वग्रहयुक्त
उत्तर. (ग)
उपाय.
वैचारिक पूर्वाग्रह का आशय एक ऐसे विचार से है जो आंशिक प्रकृति का हो। इस परिच्छेद में व्यक्त विचार का संबंध एक ऐसे अनियंत्रित बाजार से है जो स्वतंत्र तथा सक्षम हो।

प्रश्न.146. इस परिच्छेद से ‘‘निजी लालच का व्यवहार वृहत्तर लोकहित में होगा’’
1. पूंजीवाद की झूठी विचारधारा को निर्दिष्ट करता है।
2. मुक्त बाज़ार के न्यायसंगत दावों को स्वीकार करता है।
3. पूंजीवाद के सद्भावपूर्ण चेहरे को दिखाता है।
4. परिणामी सकल असमानता की अपेक्षा करता है।
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं ?
(क) केवल 1 
(ख) 2 और 3
(ग) 1 और 4
(घ) केवल 4
उत्तर. (ग)
उपाय.
यह स्पष्टः कहा जाता है कि तर्क पूर्वग्रह विचारधारा को स्पष्ट रूप से प्रकट करते हैं अतः (1) पूंजीवाद के गलत विचारधारा को व्यक्त करता है जो विकल्पों में से एक है। यह भी उल्लेखित है कि एक अधिक ईमानदार विश्लेषण परिणामी सकल असमानता को प्रतिबिम्बित करेगा। अतः (4) भी सही विकल्प है।

निम्नलिखित 5 (पाँच) प्रश्नांशों के लिए निर्देशः (2014)
निम्नलिखित परिच्छेद को पढ़िए और परिच्छेद के आगे आने वाले प्रश्नांशों के उत्तर दीजिए। इन प्रश्नांशों के आपके उत्तर परिच्छेद पर ही आधारित होने चाहिए।

परिच्छेद

केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र उपक्रमों के निवल लाभ उनकी कुल परिसम्पत्तियों का मात्र 2.2% है, जो प्राइवेट निगम क्षेत्रक की तुलना में कम है। भले ही सार्वजनिक निगम क्षेत्रक या राज्य संचालित उद्यमवृत्ति ने भारत के औद्योगिकरण को प्रेरित करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई है, तथापि, हमारी बढ़ती हुई विकास आवश्यकताएं, सार्वजनिक क्षेत्रक उद्यमों के संतोषजनक से अपेक्षाकृत न्यून निष्पादन, हमारे प्राइवेट क्षेत्रक में आई परिपक्वता, उद्यमवृत्ति के प्रसार हेतु इस समय उपलब्ध कहीं अधिक व्यापक सामाजिक आधार और प्रतियोगिता नीतियों को लागू कर सकने के बढ़ते हुए सांस्थानिक सामर्थ्य यह सुझाते हैं कि सार्वजनिक क्षेत्रक की भूमिका के पुनरवलोकन का समय आ गया है? 
सरकार का संविभाग-संघटन कैसा होना चाहिए? इसे सारे समय स्थिर नहीं बने रहना चाहिए। विमानन उद्योग पूर्णतः प्राइवेट मामलों की तरह भली-भांति कार्य करता है। दूसरी तरफ, सड़कों को, जिनका छुटपुट यातायात पथकर व्यवस्था को अव्यवहार्य बना देता है, राज्य के तुलन-पत्र पर होना चाहिए। यदि ग्रामीण सड़कें सरकार के स्वामित्व में न हों, तो उनका अस्तित्व ही न रहेगा। उसी तरह, हमारे क़सबों और नगरों में लोक स्वास्थ्य पूंजी का सार्वजनिक क्षेत्रक से आना जरूरी है। इसी प्रकार, वनाच्छादन के संरक्षण और संवर्धन को सावर्जनिक क्षेत्रक परिसम्पत्तियों की एक नई प्राथमिकता के रूप में होना चाहिए।
इस्पात का ही उदाहरण लें। लगभग शून्य प्रशुल्क के साथ, भारत इस धातु के लिए एक सार्वभौम प्रतियोगी बाजार है। भारतीय व्यापार-प्रतिष्ठान विश्व बाजार में इस्पात का निर्यात करते हैं, जिससे यह निदर्शित होता है कि प्रौद्योगिकी में कोई अंतराल नहीं है। भारतीय कम्पनियां विश्व की इस्पात कम्पनियों को खरीद रही है, जो यह दिखाता है कि पूंजी उपलब्धता में कोई अंतराल नहीं है। इन दशाओं में, प्राइवेट स्वामित्व उत्कृष्ट कार्य करता है।
विनियमित उद्योगों में, वित्त से लेकर आधारिक संरचना तक, प्राइवेट स्वामित्व साफ तौर पर वांछनीय है, जहां सरकारी अभिकरण विनियमन का कार्य निष्पन्न करे और बहुल प्रतियोगी व्यापार-प्रतिष्ठान प्राइवेट क्षेत्रक में अवस्थित हों। यहां, सरल और स्पष्ट समाधान है- सरकार का खेलपंच (अम्पायर) की तरह होना और प्राइवेट क्षेत्रक का खिलाड़ियों की तरह होना ही सबसे अच्छी तरह कार्य करता है। इनमें से अनेक उद्योगों में, सरकारी स्वामित्व की विरासत है, जहां उत्पादकता की प्रवृत्ति अपेक्षाकृत कम रहने की ओर है, दिवालियेपन का भय मौजूद नहीं है, और करदाताओं से धन की मांग का जोखिम हमेशा बना हुआ है। इसमें सरकार के स्वामी होने और नियामक होने के बीच एक हित-द्वन्द्व भी बना रहता है। यदि सरकारी कम्पनियां कार्यरत न हों, तो प्रतियोगिता नीति की रचना और कार्यान्वयन और भी सशक्त और निष्पक्ष होगा।
प्रश्न.147. इस परिच्छेद के अनुसार, यह कहने का/ के क्या कारण है/ हैं कि सार्वजनिक क्षेत्रक की भूमिका के पुनरवलेाकन का समय आ गया है ? (2014)
1. औद्योगीकरण प्रक्रिया में अब सार्वजनिक क्षेत्रक ने अपनी प्रासंगिकता खो दी है।
2. सार्वजनिक क्षेत्रक संतोषजनक ढंग से निष्पादन नहीं करता।
3. प्राइवेट क्षेत्रक में उद्यमवृत्ति बढ़ रही है।
4. अब प्रभावकारी प्रतियोगी नीतियां उपलब्ध हैं।
दिए गए संदर्भ में, उपर्युक्त में से कौन सा से कथन सही है/हैं?
(क) केवल 1 और 3 
(ख) केवल 2
(ग) केवल 2, 3 और 4 
(घ) 1, 2, 3 और 4
उत्तर. (ग)
उपाय.
परिच्छेद के अनुसार - केन्द्रीय सार्वजनिक क्षेत्र उपक्रमों के संबंध में शुद्ध लाभ केवल 2.2% है। अतः विकल्प (2) सही है। प्राइवेट क्षेत्र का विकास हुआ है। चारो तरफ अधिक शिक्षित तथा समृद्ध लोगों का एक आधार है।
अतः परिच्छेद के अवलोकन से विकल्प (3) सही है। प्राइवेट क्षेत्र के उद्यमों के बीच प्रतिस्पर्धा को प्रोत्साहित करने में सरकारी संस्थाओं की भूमिका इस क्षेत्र के सतत् विकास को सुनिश्चित करता है।

प्रश्न.148. इस परिच्छेद के अनुसार, ग्रामीण सड़कों को सार्वजनिक क्षेत्रक के दायरे में ही होना चाहिए। क्यों ? (2014)
(क) ग्रामीण विकास-कार्य केवल सरकार का अधिकार क्षेत्र है।
(ख) इसमें निजी क्षेत्रक को धन लाभ नहीं हो सकता।
(ग) सरकार कर दाताओं से धन लेती है, अतः यह सरकार का ही दायित्व है।
(घ) प्राइवेट क्षेत्रक की कोई सामाजिक जिम्मेदारी होना आवश्यक नहीं है।
उत्तर. (ख)
उपाय.
ग्रामीण सड़कों को सार्वजनिक क्षेत्रक के दायरे में ही होना चाहिए क्योंकि इस सड़कों पर विरल या लघु यातायात के कारण रोड कर या टोल कर के रूप में अर्जित आय लाभ प्रद नहीं हो सकती है।

प्रश्न.149. सरकार का संविभाग-संघटन किसे निर्दिष्ट करता है ? (2014)
(क) सार्वजनिक क्षेत्रक की परिसंपत्ति गुणता
(ख) तरल परिसंपत्तियों में निवेश
(ग) विभिन्न औद्योगिक क्षेत्रकों में सरकारी निवेश का मिश्रण
(घ) निवेश पर प्रतिफल देने वाली पूंजी परिसंपत्तियों का क्रय
उत्तर. (ग)
उपाय.
सरकार विभिन्न औद्योगिक क्षेत्रों में निवेश करती है। यह तथ्य परिच्छेद से प्रकट होता है। वास्तव में, विमान सेवा, सड़क, इस्पात तथा वित्त से लेकर ऐसे उद्योगों तक जहाँ प्राइवेट क्षेत्रक महत्त्वपूर्ण भूमिका अदा करते हैं, में सरकारी निवेश मौजूद है। क्योंकि बाद में, यह एम्पायर या नियंत्रक एजेंसी की भूमिका निभाती है ताकि उद्यमिता की वृद्धि हेतु प्रतिस्पर्धात्मक वातावरण उत्पन्न हो सके।

प्रश्न.150. लेखक सरकार को खेलपंच (अम्पायर) की तरह और प्राइवेट क्षेत्रक को खिलाड़ियों की तरह होना पसंद करता है, क्योंकि (2014)
(क) सरकार प्राइवेट क्षेत्रक के निष्पक्ष कार्य के लिए मानदण्ड विहित करती है।
(ख) नीति की रचना के लिए सरकार ही अंतिम सत्ता है।
(ग) सरकार का प्राइवेट क्षेत्रक में कार्य करने वालों पर कोई नियंत्रण नहीं होता।
(घ) इस संदर्भ में उपर्युक्त कथनों में से कोई भी सही नहीं है।
उत्तर. (क)
उपाय.
सरकार नियंत्रक एजेंसी के रूप में प्राइवेट उद्यमों के लिए मानदण्ड विहित करती है। जिससे ये भयमुक्त वातावरण में अपना कार्य कर सकें। इसी कारण सरकार को कारोबारियों के खेल में खेलपंच (अम्पायर) की भूमिका निभानी होती है।

निम्नलिखित 6 (छः) प्रश्नांशों के लिए निर्देशः
निम्नलिखित दो परिच्छेदों को पढ़िए और प्रत्येक परिच्छेद के आगे आने वाले प्रश्नांशों के उत्तर दीजिए। इन प्रश्नांशों के आपके उत्तर इन परिच्छेदों पर ही आधारित होने चाहिए।

परिच्छेद - 1

जलवायु परिवर्तन, भारत की कृषि पर संभावित रूप से विध्वंसकारी प्रभाव रखता है। जबकि, जलवायु परिवर्तन के समग्र प्राचल वर्धमानतः स्वीकृत हैं- अगले 30 वर्ष में 1°C की औसत ताप वृद्धि, इसी अवधि में 10 cm से कम की समुद्र तल वृद्धि, और क्षेत्रीय मानसून विचरण तथा संगत अनावृष्टि भारत में प्रभाव काफी स्थल एवं फसल विशिष्ट होने संभावित हैं। कुछ फसलें परिवर्तनशील दशाओं के प्रति अनुकूल प्रतिक्रिया दे सकती हैं, दूसरी नहीं भी दे सकती हैं। इससे कृषि अनुसंधान को प्रोत्साहन देने और प्रणाली में अनुकूलन हो सके इस हेतु, अधिकतम नम्यता बनाने की आवश्यकता पर बल पड़ता है। ‘‘अनावृष्टि रोधन’’ का मुख्य संघटक अंतःजलस्तर का प्रबंधित पुनर्भरण है। महत्त्वपूर्ण आधारिक फसलों (जैसे, गेंहू) की लगातार उपज सुनिश्चित करने के लिए, ताप परिवर्तनों तथा जल उपलब्धता को देखते हुए इन पफसलों की उगाई वाले स्थानों को बदलना भी आवश्यक हो सकता है। दीर्घावधि निवेश के निर्णय करने में जल उपलब्धता एक मुख्य कारक होगा।
उदाहरण के लिए, अगले 30 वर्षों में जैसे-जैसे हिमनद पिघलते जाते हैं, हिमालय क्षेत्र से जल के बहाव के बढ़ते जाने, और तदनंतर अत्यधिक घटते जाने का पूर्वानुमान किया गया है। कृषि-पारिस्थितिक दशाओं में बड़े पैमाने पर आने वाले इन बदलावों के लिए योजना बनाने हेतु प्रोत्साहन प्रदान करना निर्णायक होगा। 
भारत के लिए कृषि अनुसंधान और विकास में दीर्घावधि निवेश करना आवश्यक है। यह संभावित है कि भारत को भविष्य में एक बदलते हुए मौसम प्रतिरूप का सामना करना होगा।

प्रश्न.151. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिएः (2014)
जलवायु परिवर्तन वर्तमान फसलों के स्थानों में बदलाव लाने के लिए किस कारण से मजबूर करेंगे?
1. हिमनदों का पिघलना
2. दूसरे स्थानों पर जल उपलब्धता और ताप उपयुक्तता
3. फसलों की हीन उत्पादकता
4. सस्य पादपों की अपेक्षाकृत व्यापक अनुकूलता
उपर्युक्त कथनों में से कौन-से सही हैं ?
(क) 1, 2 और 3 
(ख) केवल 2 और 3
(ग) केवल 1 और 4 
(घ) 1, 2, 3 और 4
उत्तर. (क)
उपाय.
परिच्छेद के अनुसार हिमालय से हिमनदों के पिघलने से आगामी 30 वर्षो में जल प्रवाह में वृद्धि होगी। इसके बाद इसमें ह्रास होगा। अतः विकल्प (1) उन कारकों में से एक है जो जलवायु परिस्थिति के कारण मौजूदा पफसलों की स्थिति को स्थानान्तरित करने के लिए विवश करेगा। पूरे विश्व में 1°C तापमान की वृद्धि उसी काल में होगी। समुद्र के तल में 10 cm की वृद्धि सम्भावित है। अतः स्पष्ट है कि ज्यादा गर्म स्थल कुछ फसलों के लिए उपयुक्त नहीं होगें। अतः विकल्प (2) भी सही है। अनावृष्टि तथा मानसून में भिन्नता के कारण, फसल उत्पादन घटेगा। अतः फसल उत्पादन को पारिस्थितिक अंसुलन के साथ समायोजित करने के लिए अधिक उपयुक्त क्षेत्रों में स्थानान्तरित करना होगा। इसलिए विकल्प (3) को उत्तर के लिए सम्मिलित किया गया है

प्रश्न.152. इस परिच्छेद के अनुसार, भारत में कृषि अनुसंधान को बढ़ावा देना महत्त्वपूर्ण क्यों है ? (2014)
(क) मानसून प्रतिरूपों में विचरण का पूर्वानुमान करना और जल संसाधनों का प्रबंधन करना
(ख) आर्थिक संवृद्धि के लिए दीर्घावधि निवेश के निर्णय करना
(ग) फसलों की व्यापक अनुकूलता को सुकर बनाना
(घ) अनावृष्टि दशाओं का पूर्वानुमान करना और अंतःजलस्तरों का पुनर्भरण करना
उत्तर. (ग)
उपाय.
यह संभावना है कि भारत को भविष्य में एक परिवर्तित मौसम प्रतिरूप का सामना करना पड़ेगा। कृषि क्षेत्र में अनुसंधान तथा विकास हेतु निवेश आवश्यक है ताकि विभिन्न फसलों हेतु उपयोगी क्षेत्रों की स्थिति व पहचान सम्भव हो सके।

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