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वनस्पति विज्ञान (भाग - 1) - जीव विज्ञान, सामान्य विज्ञान, UPSC | सामान्य विज्ञानं (General Science) for UPSC CSE in Hindi PDF Download

वनस्पति विज्ञान 

शैवाल (Algae)हरा शैवालहरा शैवाल

  • शैवाल का वर्गीकरण पर्णहरित (Chlorophyll) के भिन्न प्रकार के आधार पर किया गया है, किंतु इस वर्गीकरण में उनके संचित पदार्थ के प्रति और उनके कोशिकाओं को भी ध्यान में रखा गया है।
  • शैवाल मुख्यतः निम्न प्रकार के हैनीला-हरा शैवाल, हरा शैवाल, भूरा शैवाल, पीला-हरा शैवाल, लाल शैवाल तथा डायटम।
  • शैवाल के अध्ययन को फाइकोलॉजी (Phycology) कहते है।
  • ये स्व-पोषी  (Autotrophic) पौधे है, अर्थात् प्रकाश संश्लेषण विधि द्वारा स्वयं के लिए भोजन निर्मित करते है।

कवक (Fungi)

कवककवक

कवक का वर्गीकरण वृद्धि काल, जीवन चक्र तथा अलैंगिक बीजाणु के आधार पर किया गया है।
कवक के अध्ययन को माइकोलाॅजी (Mycology) कहते है।
ये मृतोपजीवी (Saprophytes) पौधे है, अर्थात् मृत पदार्थ के पोषण से जीवित रहते है।

ब्रायोफाइटा (Bryophyta)

  • ब्रायोफाइटा के अन्तर्गत मोस (Moss) एवं लिवरवट्र्स (Liverworts) आते है।
  • ब्रायोफाइटा भ्रूण (Embryo) बनाने वाले पौधों का सबसे साधारण व आद्य (Primitive)  समूह है। इनमें संवहन ऊतक (Vascular Tissue) नहीं होता है।
  • ये पौधे स्थलीय (Terrestrial) होने के साथ छायादार व नम (Moist) स्थानों पर उगते है और इन्हें अपने जीवन में पर्याप्त आद्र्रता की आवश्यकता होती है। अतः कुछ वैज्ञानिक ब्रायोफाइटा समुदाय को वनस्पति जगत् का एम्फीबिया वर्ग कहते है।
  • इनका मुख्य पौधा युग्मकोद्भिद् (Gametophyte) होता है। इस वर्ग के सदस्य आकार में सूक्ष्म होते है। इस वर्ग का सबसे बड़ा पौधा ‘डाॅसोनिया’ (Dawsonia) है। युग्मकोद्भिद् (Gametophyte) के मूलमासों को छोड़कर शेष भाग में क्लोरोप्लास्ट होते है, जिसके कारण ये आत्मपोषी होते है।
  • युग्मकोद्भिद् में विविध प्रकार का वर्धी जनन (Vegetative reproduction)  होता है, जैसे-विखण्डन, जेमा (Gemma), ट्यूबर (Tuber), प्रोटोनीमा (Protonema), पत्रा-प्रकलिका (Bulbil) द्वारा। माली गुटी या ग्रैफ्ट बाँधने के लिए मोस-घास प्रयोग करते हैं। इस मोस-घास को ‘स्फेगनम’(Sphagnum) कहते हैं।

टेरिडोफाइटा (Pteridophytes)

टेरिडोफाइटाटेरिडोफाइटा

  • टेरिडोफाइटा वर्ग में आद्य संवहनी (Primitive vascular) पौधे आते हैं, जिनमें बीज नहीं होता। ये अपुष्पोदभिद् (Cryptogams) होते हैं। मुख्य पौधों बीजाणुद्भिद् (Saprophyte) होता है, जिनमें प्रायः जड़, पत्ती तथा स्तम्भ होते हैं।
  • ये पुष्पहीन होते हैं तथा इनमें बीज निर्माण नहीं होता है। बीजाणु (Spores) बीजाणुधानियों (Sporangia) में उत्पन्न होते हैं।
  • युग्मकोद्भिद (Gametophyte) पौधा छोटा होता है। इन पौधों में निश्चित पीढ़ी एकान्तरण (Alternation of generation) होता है। फर्न (Fern) इस वर्ग का विख्यात पौधा है।

जिम्नोस्पर्म (Gymnosperm)

जिम्नोस्पर्मजिम्नोस्पर्म

  • अनावृतबीजी (Gymnosperm), बीजीये पौधों (Spermatophytes) का वह सब-फाइलम है, जिसके अन्तर्गत वे पौधे आते हैं जिनमें नग्न बीज होते हैं, अर्थात् बीजाण्ड (Ovules) तथा उनसे विकसित (Seeds)  किसी खोल या फल में बन्द नहीं होते।
  • अण्डाशय (Ovary) का पूर्ण अभाव होता है। यह पुराने पौधों का वर्ग है। अनावृतबीजी पौधे बहुवर्षीय (Perennial) तथा काष्ठीय होते हैं।
  • ये मरुद्भिद् (Xerophytic) होते हैं तथा इनकी पत्तियों में रन्ध्र (Stomata)  धँसे होते हैं और वाह्यत्वचा (Epidermis) पर क्यूटिकिल की पर्त चढ़ी रहती है।
  • इनमें जाइलम ऊतक में वाहिनिकाओं (Vessels) का अभाव रहता है तथा फ्लोएम ऊतक में सह-कोशा(Companion Cells)  नहीं होती। इनमें वायुपरागण (Wind pollination) होता है।
  • इस वर्ग के मुख्य उदाहरण है-साइनस (Cycas), पाइनस (Pinus), जिंगा (Ginkgo), सागो पाम (Sago palm) आदि।
  • जेनिफर पेड़ों से मुलायम लकड़ी (Soft wood) प्राप्त किया जाता है जो कि कागज उद्योग में प्रयोग किया जाता है।
  • पाइन रोजिन से टरपेन्टाइन(Turpentine) और रेजिन प्राप्त किया जाता है। खाने वाले चिलगोजा, पाइनस जिरारडिएना (Pinus gerardiana) के बीज हैं।
  • दमा (Asthma) एवं श्वसन सम्बन्धी रोगों में प्रयोग की जाने वाली दवा ‘एफेड्राइन’ (Ephedrine), एफेड्रा (Ephedra) से प्राप्त किया जाता है।

एंजियोस्पर्म (आवृतबीजी) (Angiosperms)

  • ये पुष्प (Flower) युक्त पेड़ व पौधे होते हैं जिनमें बीज सदैव फलों के अन्दर होता है। इनके जाइलम में वाहिकायें (Vessels)  पाई जाती हैं।
  • इस वर्ग के पादप बिजाणुदभिद (Sporophyte) होते हैं और जन्तुओं एवं मनुष्यों के लिए अति महत्वपूर्ण हैं। बीजों में भ्रूण (Embryo) और काॅटीलेडन्स (Cotyledons) होते हैं।
  • आवृतबीजी पौधों का दो उपवर्गमोनोकाॅटीलेडनस तथा डाईकाॅटीलेडनस में बाँटा गया है। मोनोकाॅटीलेडनस वर्ग में धान (चावल), गेहूँ, घास, मक्का आदि उदाहरण है तथा डाईकाॅटीलेडन्स वर्ग में चना, बीन्स, आम व गुलाब आदि है।

पौधों में पोषण के प्रकार (Modes of Nutrition in Plants)

पोषण विधि के आधार पर पौधों को निम्न श्रेणियों में बाँटा गया है

स्वपोषी पौधे (Autotrophic Plants or Autophytes)

  • इस वर्ग में वे पौधे आते है जो वातावरण से अकार्बनिक पदार्थों, जैसे CO2, अमोनिया, नाइट्रेट, जल, लवण इत्यादि लेकर पोषक पदार्थ स्वयं बना लेते है।
    ऐसे पौधे दो प्रकार के होते है
    (i) रसायन संश्लेषण (Chemosynthetic) कुछ जीवाणु अपना भोजन प्रकाश की अनुपस्थिति में, कुछ अकार्बनिक पदार्थों के जैविक आक्सीकरण के द्वारा उत्पन्न ऊर्जा से संश्लेषित करते है, इसे रासायनिक संश्लेषण कहते है, जैसे-नाइट्रोसोमोनास, नाइट्रोसोकोकस इत्यादि।
    (ii) प्रकाश संश्लेषण (Photosynthesis) पौधों में उपस्थित पर्णहरित (Chlorophyll) सौर ऊर्जा (Solar Energy) को रासायनिक ऊर्जा में बदलकर अपना भोजन बना लेते है, जैसे-हरे पादप, युग्लीना इत्यादि।

 विविधपोषी या विषमपोषी पौधे (Heterotrophic Plants)

  • ऐसे पौधे जो दूसरे पौधों द्वारा बनाए गए पोषक पदार्थों को अपने भोजन के रूप में लेते है। विषमपोषी पौधे निम्न प्रकार के होते है
    (i) परजीवी पौधे (Parasitic Plants) वे पौधे जो अपना भोजन दूसरे जीवित पौधे या जीवों से ग्रहण करते है, परजीवी पौधे कहलाते है। वे पौधे जिनसे परजीवी पौधे अपना भोजन ग्रहण करते है, पोषक (Host) पौधा कहलाते है, जैसे-कवक, शैवाल।
    (ii) मृतोपजीवी पौधे (Saprophytic Plants) वैसे पौधे जो मृत जीवों के सड़े-गले पदार्थों से अपना भोजन ग्रहण करते है, मृतोपजीवी पौधे कहलाते है, जैसे-यीस्ट (Yeast), म्यूकर (Mucor), पेन्सिलियम आदि।
    (iii) सहजीवी पौधे (Symbionts) दो पौधे का ऐसा पारस्परिक सम्बन्ध जिसके द्वारा दोनों पौधे लाभान्वित होते हों, तो इस क्रिया को सहजीविता (Symbiosis) एवं प्रत्येक पौधे को सहजीवी (Simbiont) कहते है, जैसे-लाइकेन में कवक एवं शैवाल का सम्बन्ध, लेग्यूमिनोसी कुल के पौधों में बैक्टीरिया का वास।
    (iv) कीटाहारी पौधे (Insectivorous Plants) -वैसे पौधे जो नाइट्रोजन की पूर्ति कीटों का भक्षण एवं पाचन करके करते है, कीटाहारी पौधे कहलाते है। ऐसे पौधे स्वपोषी होते है, लेकिन नाइट्रोजन की पूर्ति के लिए कीटों का भक्षण करते है, जैसे-कलश पादप (Pitcher Plant), वीनस फ्लाईट्रेप (Dionaea), ड्रोसेरा (Drosera) इत्यादि।

बैक्टीरिया

जीवाणु (बैक्टीरिया)जीवाणु (बैक्टीरिया)

  • हॉलैंड के ल्यूवेनहॉक ने सर्वप्रथम माइक्रोस्कोप द्वारा बैक्टीरिया को देखा।
  • लुइस पाश्चर (1822-1895) ने बैक्टीरियोलॉजी नामक विज्ञान की शाखा को स्थापित किया और राॅबर्ट कोच ने यह पता लगाया कि बैक्टीरिया रोगानुकारक होते है।

बैक्टीरिया के प्रकार

  • बैसिलस (Bacillus): छड़ के आकार का, जैसे टी. बी. एवं टिटनेस का बैक्टीरिया।
  • कोक्कस (Coccus): गोलाकार, जैसे स्टेफाइलोकोक्स, स्ट्रेप्टोकॉक्कस, एजोटोबैक्टर आदि।
  • स्पाइरल (Spiral): घुमावदार, जैसे स्पाइरल, स्पाइरल-कीट्स।
  • कौमा: कौमा की तरह ऐंठा शरीर, जैसे-हैजा के बैक्टीरिया।
  • बैक्टीरिया सभी जगह मिलते है, किंतु मनुष्य के रक्त, ज्वालामुखी के मुँह तथा भारी वर्षा के बाद आकाश में ये नहीं होते।
  • इसका आकार 0.5 μ और 500 μ के बीच रहता है। बैक्टीरिया एक प्रोकेरियोटिक एक-कोशिकीय सूक्ष्म जीवाणु है जिसकी कोशिका भित्ति प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट तथा काइटिन का बना होता है।
  • जनन दोनों विधियों-लैंगिक और अलैंगिक द्वारा होता है।

पोषण प्राप्त करने के आधार पर बैक्टीरिया को दो भागों में बाँटा गया है

  • स्वपोषी (Autotrophic): बैक्टीरिया जिनकी कोशिका में प्रकाश संश्लेषण हेतु रंग-कणिका (Chromatophores)  होती है, ऐसे बैक्टीरिया हरे पौधे की भाँति ही अपना सारा काम करते है। जैसे-क्रोमेसियम।
  • परपोषी: वे बैक्टीरिया जो स्वयं भोजन नहीं बना सकते। उदाहरण-वे सभी बैक्टीरिया जो जंतु तथा पौधे में रोगानुकारक है। 

वायरस (Virus)

वायरसवायरस

वायरस का पता सबसे पहले इवानोस्की (1892) ने लगाया। वायरस सूक्ष्मातिसूक्ष्म कोशिकीय प्राणी है जो सजीव तथा निर्जीव के बीच एक कड़ी का काम करता है, क्योंकि इसमें सजीव तथा निर्जीव दोनों के गुण है।
निर्जीवता के गुण

  • इनकी कोई कोशिकीय रचना नहीं होती।
  • इन्हें रवा के रूप में प्राप्त किया जा सकता है।
  • ये होस्ट (जिसमें बीमारी पैदा करते हैं) के बाहर निर्जीव हैं।
  • इनका अपना कोई मेटाबोलिज्म नहीं होता।

 सजीवता के लक्षण

  • यह होस्ट के अन्दर जनन कर सकता है।
  • इनमें आनुवंशिक वाहक या DNA/RNA होते है।
  • इनमे उत्परिवर्तन (mutation) हो सकता है।

वर्गीकरण

  • वायरस का वर्गीकरण उनके होस्ट के आधार पर किया गया है
    (i) वनस्पति वायरस,
    (ii) कशेरूकी वायरस,
    (iii) अकशेरूकी वायरस,
    (iv) बैक्टीरियाफेस (बैक्टीरिया का वायरस), तथा
    (v) साइनोफेज (नीला हरा शैवाल का वायरस)।

 संरचना

  • रासायनिक तौर पर वायरस न्यूक्लिओ-प्रोटीन का बना होता है, अर्थात इसमें प्रोटीन कोट (कैप्सिड) के अंदर दोनों जैनेटिक पदार्थों DNA और RNA में से कोई एक उपस्थित होता है।
  • वाहक उस जंतु को कहते है जो रोग कारक का वाहन और प्रसारण करते है। उदाहरण के लिए, मनुष्य के लिए मच्छर मलेरिया जीवाणु का वाहक है।
  • पौधे का वह भाग जो सामान्यतया नीचे की ओर भूमि में बढ़ता है जिससे कि पौधे जमीन पर स्थिर रह सकें तथा भोजन हेतु पानी तथा पोषण प्राप्त कर सकें, पौधे का जड़ कहलाता है।
  • प्राथमिक जड़ और उसकी शाखाओं को ‘मूसला जड़’ (Taproot) कहते हैं। पौधों का प्राथमिक जड़ भ्रूण के रेडिकल से निकलता है।
  • वे जड़ जो पौधे के असामान्य स्थानों से निकलते है, ‘अस्थानिक जड़’ (Adventitious root) कहे जाते है।
  • कुछ ऐसे पौधे, जैसे प्याज, ईख, बाँस आदि के प्राथमिक जड़ कुछ समय के बाद मृत हो जाते है और उसके स्थान पर रेशेदार जड़ (fibrous root) निकलते है जो जमीन के कुछ नीचे भूमि को पकड़े रहते है।
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FAQs on वनस्पति विज्ञान (भाग - 1) - जीव विज्ञान, सामान्य विज्ञान, UPSC - सामान्य विज्ञानं (General Science) for UPSC CSE in Hindi

1. What is Botany?
Ans. Botany is the study of plants, including their classification, structure, physiology, ecology, and economic importance.
2. What are the different types of plants based on their reproductive structures?
Ans. Plants can be classified into two major categories based on their reproductive structures - Gymnosperms and Angiosperms. Gymnosperms are plants with naked seeds, while Angiosperms are plants with seeds enclosed in fruits.
3. What are the different modes of nutrition in plants?
Ans. Plants can obtain their nutrition through two modes - Autotrophic and Heterotrophic. Autotrophic plants can synthesize their food using light energy, water, and carbon dioxide, while Heterotrophic plants obtain their food from other organisms.
4. What are fungi, and what are their characteristics?
Ans. Fungi are a group of eukaryotic organisms that lack chlorophyll and obtain their nutrition through absorption. They are characterized by their cell walls made up of chitin and their ability to reproduce through spores.
5. What is a virus, and how does it differ from other living organisms?
Ans. A virus is a non-living infectious agent that requires a host cell to replicate. It differs from other living organisms in that it does not have a cellular structure and cannot carry out metabolic functions on its own.
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