UPSC Exam  >  UPSC Notes  >  भारतीय अर्थव्यवस्था (Indian Economy) for UPSC CSE in Hindi  >  विनिमय - स्वमूल्यांकन हेतु प्रश्न, पारंपरिक अर्थव्यवस्था

विनिमय - स्वमूल्यांकन हेतु प्रश्न, पारंपरिक अर्थव्यवस्था | भारतीय अर्थव्यवस्था (Indian Economy) for UPSC CSE in Hindi PDF Download

विनिमय
 

प्रश्न 1. जिस बाजार में क्रेताओं एवं विक्रेताओं की संख्या बहुत अधिक होती है उस बाजार को किस श्रेणी में रखा जाता है?    
 उत्तर
: पूर्ण प्रतियोगिता

प्रश्न 2. पूर्ण प्रतियोगिता में कीमत कौन निश्चित करता है?    
उत्तर:  उद्योग

प्रश्न 3. पूर्ण प्रतियोगिता के अन्तर्गत प्रत्येक विक्रेता प्रचलित बाजार मूल्य को 
उत्तर: स्वीकार करता है

प्रश्न 4. जैसे-जैसे समयाविधि बढ़ती जाती है वैसे-वैसे कीमत निर्धरण में-
उत्तर: पूर्ति पक्ष सबल और माँग पक्ष कमजोर होता जाता है

प्रश्न 5. दीर्धकाल सामान्य कीमत निर्धरित होती है-
उत्तर: माँग एवं पूर्ति में स्थायी सन्तुलन द्वारा

प्रश्न 6. एकाधिकार  में माँग की आड़ी लोच शून्य होने का कारण है-
उत्तर: वस्तु के निकट स्थानापन्न की उपलब्ध्ता का अभाव

प्रश्न 7. दीर्धकाल में एकाध्किारी को-    
उत्तर: सदैव असामान्य लाभ होता है

प्रश्न 8. एक पूर्ण प्रतियोगी फर्म को जब एकाधिकारी फर्म में बदला जाता है-
उत्तर: कुल कल्याण में कमी हो जाती है

प्रश्न 9. यदि क्रेताओं और विक्रेताओं की संख्या अधिक नहीं है, वस्तु एक रूप वाली नहीं है और क्रेताओं व विक्रेताओं को बाजार का पूर्ण ज्ञान नहीं है, तो ऐसी स्थिति में -
उत्तर: अपूर्ण प्रतियोगिता की स्थिति उत्पन्न हो जाएगी

प्रश्न 10. अपूर्ण प्रतियोगिता की स्थिती में मूल्य का निर्धरध्ण उस बिन्दु पर होता है जहाँ किसी वस्तु की सीमान्त लागत-
उत्तर: सीमान्त आगम के बराबर होती है

प्रश्न 11. अपूर्ण प्रतियोगिता में सीमान्त लागत तथा कीमत में कम अन्तर होता है, क्योंकि माँग वक्र-    
उत्तर: अधिक लोचदार होता है

प्रश्न 12. अपूर्ण प्रतियोगिता में उद्योग में किसी फर्म को प्रवेश की पूर्ण स्वतंत्रता रहती है, किन्तु पूर्ण प्रतियोगिता की तुलना में इनका प्रवेश कुछ कठिन होता है, इसका कारण है-    
उत्तर:  वस्तु विभेद का होना

प्रश्न 13. प्रतियोगी दशाओं के अन्तर्गत सामान्य मूल्य पर किसी फर्म को केवल सामान्य लाभ ही होता है अर्थात् सामान्य मूल्य-
उत्तर: उत्पादन लागत के बराबर होता है

प्रश्न 14. किस बाजार में फर्म के उत्पादन की माँग पूर्ण लोचदार नहीं होती?
उत्तर:   अपूर्ण प्रतियोगिता में 

The document विनिमय - स्वमूल्यांकन हेतु प्रश्न, पारंपरिक अर्थव्यवस्था | भारतीय अर्थव्यवस्था (Indian Economy) for UPSC CSE in Hindi is a part of the UPSC Course भारतीय अर्थव्यवस्था (Indian Economy) for UPSC CSE in Hindi.
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FAQs on विनिमय - स्वमूल्यांकन हेतु प्रश्न, पारंपरिक अर्थव्यवस्था - भारतीय अर्थव्यवस्था (Indian Economy) for UPSC CSE in Hindi

1. विनिमय-स्वमूल्यांकन क्या है?
उत्तर: विनिमय-स्वमूल्यांकन एक प्रक्रिया है जिसमें दो व्यक्तियों या समूहों के बीच किसी वस्तु या सेवा की मूल्यांकन और विनिमय की जाती है। इस प्रक्रिया में दो पक्षों के बीच मूल्य निर्धारित किया जाता है ताकि वस्तु या सेवा का विनिमय संभव हो सके।
2. पारंपरिक अर्थव्यवस्था क्या होती है?
उत्तर: पारंपरिक अर्थव्यवस्था एक आपसी व्यापारिक व्यवस्था होती है जिसमें व्यापार और विनिमय नियमों को पारंपरिक तरीकों से आचारित किया जाता है। इसमें व्यापारिक संबंधों में संदेह कम होता है और विश्वास की भावना बढ़ती है।
3. UPSC क्या है?
उत्तर: UPSC (संघ लोक सेवा आयोग) भारतीय संविधान के तहत संघ लोक सेवा परीक्षा आयोजित करने वाला एक संघीय आयोग है। इसका उद्देश्य भारतीय प्रशासनिक सेवा, भारतीय पुलिस सेवा, भारतीय खास सेवा, भारतीय विदेश सेवा और अन्य संघीय सेवाओं के लिए न्युनतम पात्रता मानदंड निर्धारित करना है।
4. विनिमय-स्वमूल्यांकन क्यों महत्वपूर्ण है?
उत्तर: विनिमय-स्वमूल्यांकन महत्वपूर्ण है क्योंकि इससे व्यापारिक संबंधों में मूल्य निर्धारित किया जाता है और सभी पक्ष समझौता कर सकते हैं। यह दोनों पक्षों के बीच न्यायसंगत मूल्य निर्धारित करने के लिए मदद करता है और संघर्षों को रोकता है।
5. पारंपरिक अर्थव्यवस्था के लाभ क्या हैं?
उत्तर: पारंपरिक अर्थव्यवस्था के कुछ लाभ निम्नलिखित हैं: - इसमें विश्वास की भावना होती है जो व्यापारिक संबंधों को मजबूत बनाती है। - इसमें संदेह कम होता है, जिससे व्यापारिक संबंधों में स्पष्टता और सहजता होती है। - इसमें व्यापारिक संबंधों के लिए निर्धारित नियमों और प्रक्रियाओं का उपयोग किया जाता है, जो संगठन को सुगमता और सुविधा प्रदान करता है।
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