UPSC Exam  >  UPSC Notes  >  विज्ञान और प्रौद्योगिकी (Science & Technology) for UPSC CSE  >  DRDO की हाल की उपलब्धियां

DRDO की हाल की उपलब्धियां | विज्ञान और प्रौद्योगिकी (Science & Technology) for UPSC CSE PDF Download

इंटरसेप्टर मिसाइल

  • DRDO ने एक नई स्वदेशी तकनीक द्वारा एडवांस एयर डिफेन्स (AAD) इंटरसेप्टर मिसाइल 'अश्विन' विकसित की है।
  • इस मिसाइल का परीक्षण अब्दुल कलाम द्वीप पर किया गया। यह द्वीप ओडिशा के बालाशोर जिले में अवस्थित है। इंटरसेप्टर मिसाइल विकसित करने की दिशा में यह 12वाँ परीक्षण था।
  • परीक्षण में एकल चरणीय अश्विन एडवांस डिफेन्स इंटरसेप्टर मिसाइल का एक मोबाइल लांचर द्वारा लांच किया जाना और इसके द्वारा रास्ते में आने वाले टारगेट का विनाश शामिल था।

मुख्य बातें

  • 7.5 मीटर लम्बी, एकल चरणीय राकेट प्रणोदक, गाइडेड, सुपरसोनिक मिसाइल।
  • यह रास्ते में आने वाले शत्रु के किसी भी बैलिस्टिक मिसाइल को मार गिराने में सक्षम है।
  • इस मिसाइल में एक इनबिल्ट नेविगेटर, एक उन्नत कंप्यूटर और एक इलेक्ट्रो-मैकेनिकल एक्टिवेटर संलग्न है
  • मिसाइल में इस्तेमाल की गई तकनीक एन्क्रिप्टेड है जिसमें एक सुरक्षित डाटा लिंक का इस्तेमाल किया गया है जो स्वतंत्र ट्रैकिंग और होमिंग क्षमता तथा परिष्कृत राडार्स से युक्त है। 
  • इस सफल परीक्षण के बाद, भारत पूर्ण रूप से मल्टी-लेयर बैलिस्टिक मिसाइल रक्षा प्रणाली विकसित करने वाला विश्व का चौथा देश बन गया। अभी इस श्रेणी में केवल संयुक्त राज्य अमेरिका, रूस और इजरायल हैं।
  • जल्द ही, नई सुपरसोनिक मिसाइल इंटरसेप्टर भारतीय सेना के शस्त्रागार का हिस्सा बन जाएगी।

भारत के बैलिस्टिक मिसाइल डिफेन्स सिस्टम के बारे में

  • भारत ने 1999 में मल्टी-टायर्ड (बहु-स्तरीय) बैलिस्टिक मिसाइल डिफेन्स सिस्टम विकसित करना प्रारंभ किया। यह कारगिल युद्ध की समाप्ति के उपरांत पाकिस्तान के बढ़ते हुए मिसाइल शस्त्रागार को देखते हुए किया गया था।
  • इस बैलिस्टिक मिसाइल डिफेन्स शील्ड को विकसित करने में 40 भारतीय कंपनियों का समूह शामिल है।
  • भारत की BMD शील्ड द्वि-स्तरीय रक्षा प्रणाली है:
    • बाह्य वायुमंडल में 50-80 किलोमीटर (31-50 मील) की तुंगता पर पृथ्वी एयर डिफेंस (PAD) अथवा प्रद्युम्न बैलिस्टिक मिसाइल इंटरसेप्टर।
    • आंतरिक वायुमंडल में 20-40 किलोमीटर (12-24 मील) की तुंगता पर एडवांस्ड एयर डिफेंस (AAD)/ अश्विन एडवांस्ड इंटरसेप्टर मिसाइल।
  • स्वदेश निर्मित BMD सिस्टम के साथ-साथ, भारत ने रुसी 5-300 एयर डिफेन्स सिस्टम के छः रेजिमेंट्स की अधिप्राप्ति की है। इसके साथ ही अधिक उन्नत S-400 की 5 अन्य रेजिमेंट्स के लिए बातचीत चल रही है।

अग्नि-V

अग्नि-V के बारे में।

  • इस परमाणु सक्षम मिसाइल की मारक क्षमता 5,000 किलोमीटर से अधिक है।
  • यह DRDO द्वारा विकसित की गयी है।
  • इस मिसाइल का परिवहन सरलता से किया जा सकता है तथा इसे भू-सतह से किसी भी स्थान से तीव्रता से प्रक्षेपित किया जा सकता है। इसे कनस्तरों से भी प्रक्षेपित किया जा सकता है।
  • यह पिछले अग्नि समकक्षों की तुलना में नेविगेशन एवं गाइडेंस, वॉरहेड तथा इंजन के मामले में नई प्रौद्योगिकियों को सम्मिलित करने वाली सतह से सतह पर मार करने वाली मिसाइल है।
  • यह विश्व में सर्वाधिक सटीक बैलिस्टिक मिसाइलों में से एक है और इसलिए इसकी मारक क्षमता उच्च है।

प्रक्षेपण का महत्व

  • इसकी रेंज सम्पूर्ण पाकिस्तान तथा चीन के उत्तरी भागों तक विस्तृत है। अतः यह हमारी रक्षा तैयारियों में वृद्धि करती है। वर्तमान समय में यह मिसाइल मजबूत होती जा रही चीन-पाक धुरी तथा इस क्षेत्र में व्याप्त आक्रामक भू-राजनीति के संदर्भ में विशेष रूप से प्रासंगिक है।
  • यह प्रक्षेपण भारतीय उपमहाद्वीप में हमारी निवारक नीति एवं क्षेत्रीय शक्ति संतुलन को बढ़ावा देने को प्रोत्साहित करेगा।

एकीकृत निर्देशित मिसाइल विकास कार्यक्रम

  • 1983 में मिसाइल प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में आत्मनिर्भरता की प्राप्ति हेतु डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम द्वारा इस पहल की शुरुआत की गयी थी।
  • DRDO इसकी कार्यान्वयन एजेंसी है।
  • इसका उद्देश्य निम्नलिखित मिसाइलों को समयबद्ध तरीके से विकसित करना था:
    • कम दूरी की सतह से सतह पर मार करने वाली बैलिस्टिक मिसाइल- पृथ्वी
    • मध्यम दूरी की सतह से सतह पर मार करने वाली बैलिस्टिक मिसाइल- अग्नि
    • कम दूरी एवं कम उंचाई की सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल- त्रिशूल
    • मध्यम दूरी की सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल - आकाश
    • तृतीय पीढ़ी की एंटी टैंक मिसाइल- नाग
  • 1990 के दशक में सागरिका (बैलिस्टिक मिसाइल), धनुष (पृथ्वी का नौसैनिक संस्करण) और सूर्य मिसाइलों को सम्मिलित करने के लिए इस कार्यक्रम का विस्तार किया गया था। । 2008 में DRDO ने इस कार्यक्रम के सफल समापन की घोषणा की थी।

भविष्य की योजनाएं

  • भारत ने अग्नि-VI पर कार्य शुरू कर दिया गया है। इसे सतह के साथ साथ पनडुब्बियों के माध्यम से प्रक्षेपित करना भी सक्षम होगा तथा इसकी मारक क्षमता 8,000-10,000 किलोमीटर तक होगी।
The document DRDO की हाल की उपलब्धियां | विज्ञान और प्रौद्योगिकी (Science & Technology) for UPSC CSE is a part of the UPSC Course विज्ञान और प्रौद्योगिकी (Science & Technology) for UPSC CSE.
All you need of UPSC at this link: UPSC
27 videos|124 docs|148 tests

Top Courses for UPSC

Explore Courses for UPSC exam

Top Courses for UPSC

Signup for Free!
Signup to see your scores go up within 7 days! Learn & Practice with 1000+ FREE Notes, Videos & Tests.
10M+ students study on EduRev
Related Searches

MCQs

,

Objective type Questions

,

DRDO की हाल की उपलब्धियां | विज्ञान और प्रौद्योगिकी (Science & Technology) for UPSC CSE

,

pdf

,

Exam

,

practice quizzes

,

Summary

,

ppt

,

shortcuts and tricks

,

past year papers

,

DRDO की हाल की उपलब्धियां | विज्ञान और प्रौद्योगिकी (Science & Technology) for UPSC CSE

,

Extra Questions

,

video lectures

,

mock tests for examination

,

Sample Paper

,

Viva Questions

,

study material

,

DRDO की हाल की उपलब्धियां | विज्ञान और प्रौद्योगिकी (Science & Technology) for UPSC CSE

,

Important questions

,

Free

,

Previous Year Questions with Solutions

,

Semester Notes

;