भारत ने अपनी राष्ट्रीय विद्युत नीति (National Electricity Policy- NEP) के अंतिम मसौदे से एक प्रमुख खंड (clause) को हटाकर कोयला-संचालित नए विद्युत संयंत्रों का निर्माण नहीं करने (उन संयंत्रों को छोड़कर जो पहले से निर्माणरत हैं) की योजना बनाई है, जो जलवायु परिवर्तन से मुक़ाबले के प्रयासों में एक बड़ा प्रोत्साहन है।
सरकार को संभवतः यह लगता है कि संचालन के 25 वर्ष पूरे कर लेने के बाद भी पुराने संयंत्रों को बनाए रखना एक अच्छा विचार होगा। 25 वर्ष से अधिक पुरानी उत्पादन इकाइयों को बनाए रखना बुरा विचार नहीं है क्योंकि सुसंचालित संयंत्रों की ‘स्टेशन हीट रेट’ दीर्घ कार्यकरण के साथ प्रतिकूल रूप से प्रभावित नहीं होती है। पुराने संयंत्रों को चालू रखने का लाभ यह है कि पारेषण लिंक पहले से ही मौजूद हैं और इनका कोयला लिंकेज बना हुआ है।
हाल ही में पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री की गिरफ्तारी को लेकर पूरे देश में बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन हुए। पाकिस्तान के इतिहास में पहली बार हिंसक भीड़ द्वारा (जिसमें पूर्व प्रधानमंत्री के समर्थक शामिल थे) खैबर पख्तूनख्वा (KPK), पंजाब, बलूचिस्तान और पाकिस्तान के अन्य प्रमुख शहरों में सैन्य एवं अर्द्ध-सैन्य प्रतिष्ठानों पर हमला किया गया। वर्ष 1971 में बांग्लादेश की मुक्ति (पाकिस्तान विभाजन), सैन्य तख्तापलट की घटनाओं या यहाँ तक कि बेनज़ीर भुट्टो सदृश लोकप्रिय नेताओं की हत्या के बाद भी सेना को कभी निशाना नहीं बनाया गया था।
अफगानिस्तान में व्याप्त अस्थिरता ने आगे आग में और घी डालने का काम किया है, जबकि पाकिस्तान में व्याप्त अस्थिरता अफगानिस्तान को आगे और अस्थिर बना सकती है। पाकिस्तान में बढ़ती अस्थिरता जल्द ही व्यापक रूप से फैल सकती है और क्षेत्र की स्थिरता को प्रभावित कर सकती है।
निष्कर्ष: भारत विरोधी आतंकवादी समूहों का समर्थन करने वाले पाकिस्तानी व्यवस्था से कोई संवाद करना प्रियकर स्थिति नहीं है। लेकिन पाकिस्तान को चरमपंथी इस्लामवादियों के प्रभाव में आने का अवसर देना और भी गंभीर परिदृश्य का निर्माण करेगा। भारत को पाकिस्तान में स्थिरता लाने हेतु प्रयास करने चाहिये, क्योंकि सीमा पर तनाव और उग्रवाद जैसे इसके परिणाम भारत को प्रत्यक्ष रूप से प्रभावित करेंगे।
दक्षिणी भारतीय राज्य तमिलनाडु समृद्ध सांस्कृतिक परंपराएँ रखता है जिसके दर्शन उसके पर्व-त्योहारों और विभिन्न धार्मिक-सांस्कृतिक आयोजनों में होते रहते हैं। ऐसे ही सांस्कृतिक आयोजनों में से एक है जल्लीकट्टू (Jallikattu) जो स्थानीय लोगों और आगंतुकों को समान रूप से लुभाता रहा है। साँडों (bull) को वश में करने का यह प्राचीन खेल, जिसका इतिहास लगभग 2000 वर्ष तक प्राचीन है, तमिलनाडु के लोगों के लिये गर्व और विरासत का प्रतीक रहा है।
निष्कर्ष:
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