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Extract Based Questions: आत्मत्राण | Hindi Class 10 PDF Download

1. पद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्न  के उत्तर के लिए सही विकल्प का चयन कीजिए –
विपदाओं से मुझे बचाओ, यह मेरी प्रार्थना नहीं
केवल इतना हो (करुणामय)
कभी न विपदा में पाऊँ भय।
दुःख-ताप से व्यथित चित्त को न दो सांत्वना नहीं सही
पर इतना होवे (करुणामय)
दुख को मैं कर सकूँ सदा जय।
कोई कहीं सहायक न मिले
तो अपना बल पौरुष न हिले;
हानि उठानी पड़े जगत् में लाभ अगर वंचना रही
तो भी मन में ना मानूँ क्षय।।

प्रश्न 1: कवि ईश्वर से क्या प्रार्थना करता है?
(क) कवि ईश्वर से दुखों पर विजय प्राप्त करने की शक्ति के लिए प्रार्थना करता है
(ख) कवि ईश्वर से प्रार्थना करता है कि उसके दुखों को कम कर दे
(ग) कवि चाहता है कि ईश्वर उसे सांत्वना के दो शब्द कहे
(घ) उपरोक्त सभी
उत्तर: (क) कवि ईश्वर से दुखों पर विजय प्राप्त करने की शक्ति के लिए प्रार्थना करता है

प्रश्न 2: दुख से पीड़ित होने पर कवि क्या चाहता है?
(क) दुख सहने की शक्ति
(ख) सुख मिलते रहने का वरदान
(ग) दुख दूर करने का उपाय
(घ) दुखों को जीत सकने का वरदान
उत्तर: (घ) दुखों को जीत सकने का वरदान

प्रश्न 3: सहायक न मिलने पर कवि क्या चाहता है?
(क) सांत्वना मिलती रहे
(ख) दुख को सहता रहे
(ग) वह अकेला न रहे
(घ) बल-पौरुष कम न हो
उत्तर: (घ) बल-पौरुष कम न हो

प्रश्न 4: कविता में ‘करुणामय’ शब्द किसके लिए आया है?
(क) लेखक
(ख) कवि
(ग) ईश्वर
(घ) उपर्युक्त में से कोई नहीं
उत्तर: (ग) ईश्वर

प्रश्न 5: ‘क्षय’ शब्द से कवि क्या कहना चाहता है?
(क) दुख
(ख) सांत्वना
(ग) सुख
(घ) प्रसन्नता
उत्तर: (क) दुख

2. पद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्न  के उत्तर के लिए सही विकल्प का चयन कीजिए –
मेरा त्राण करो अनुदिन तुम यह मेरी प्रार्थना नहीं
बस इतना होवे (करुणायम)
तरने की हो शक्ति अनामय।
मेरा भार अगर लघु करके न दो सांत्वना नहीं सही।
केवल इतना रखना अनुनय-
वहन कर सकूँ इसको निर्भय।
नत शिर होकर सुख के दिन में
तव मुख पहचानूँ छिन-छिन में।
दुःख-रात्रि में करे वंचना मेरी जिस दिन निखिल मही
उस दिन ऐसा हो करुणामय,
तुम पर करूँ नहीं कुछ संशय।।

प्रश्न 1: कवि ईश्वर से क्या चाहता है?
(क) निर्भीकता
(ख) भार वहन करने की शक्ति
(ग) भार हलका करना
(घ) सांत्वना
उत्तर: (ख) भार वहन करने की शक्ति

प्रश्न 2: “नत शिर” का क्या अर्थ है-
(क) अहंकार से सिर उठाकर
(ख) सिर ऊँचा करके
(ग) झुककर
(घ) सिर झुका कर
उत्तर: (घ) सिर झुका कर

प्रश्न 3: “तव मुख पहचानूँ छिन-छिन में” से कवि का क्या भाव है?
(क) 
सुख के दिनों में भी सदा ईश्वर को याद करता रहूं।
(ख) विपत्ति आने पर पल-पल ईश्वर को याद करू।
(ग) दुख के दिनों में ईश्वर को याद करता रहूं।
(घ) सुख के दिनों में ईश्वर को न याद करूँ।
उत्तर: (क) सुख के दिनों में भी सदा ईश्वर को याद करता रहूं।

प्रश्न 4: कवि सुख के दिनों में क्या कामना करता है?
(क)
कवि सुख के दिनों में हर क्षण प्रभु को याद रखना चाहता है।
(ख) कवि सुख के दिनों में हर क्षण सुख भोगना चाहता है।
(ग) वह सुख के क्षणों को बनाए रखे
(घ) कवि सुख के दिनों में सुख कम न होने की कामना करता है।
उत्तर: (क) कवि सुख के दिनों में हर क्षण प्रभु को याद रखना चाहता है।

प्रश्न 5: “निखिल मही” से यहाँ तात्पर्य है-
(क) 
कवि के सगे-संबंधी
(ख) पृथ्वी के अन्य प्राणी
(ग) संपूर्ण संसार
(घ) उसके अपने कर्म
उत्तर: (ग) संपूर्ण संसार

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FAQs on Extract Based Questions: आत्मत्राण - Hindi Class 10

1. आत्मत्राण क्या है और इसका महत्व क्या है ?
Ans. आत्मत्राण का अर्थ है आत्म-रक्षा या अपने आप को संकट से बचाना। यह जीवन के विभिन्न पहलुओं में महत्वपूर्ण है, जैसे कि मानसिक, शारीरिक और भावनात्मक सुरक्षा। आत्मत्राण का अभ्यास हमें आत्मविश्वास और निर्भीकता के साथ जीवन जीने में मदद करता है।
2. आत्मत्राण के विभिन्न तरीके क्या हैं ?
Ans. आत्मत्राण के कई तरीके होते हैं, जैसे कि आत्म-समर्पण, ध्यान और योग, आपातकालीन स्थितियों में त्वरित निर्णय लेना, और आत्म-रक्षा तकनीकें सीखना। ये सभी तरीके हमें कठिन परिस्थितियों में सुरक्षित रहने के लिए सशक्त बनाते हैं।
3. आत्मत्राण का अभ्यास कैसे किया जा सकता है ?
Ans. आत्मत्राण का अभ्यास नियमित ध्यान, शारीरिक व्यायाम और आत्म-रक्षा कक्षाओं में भाग लेकर किया जा सकता है। इसके अलावा, मानसिक रूप से मजबूत रहने के लिए सकारात्मक सोच और आत्म-संवाद का प्रयोग करना भी महत्वपूर्ण है।
4. आत्मत्राण के लिए आवश्यक मानसिक स्थिति क्या होनी चाहिए ?
Ans. आत्मत्राण के लिए आवश्यक मानसिक स्थिति में आत्म-विश्वास, सजगता और त्वरित निर्णय लेने की क्षमता शामिल होनी चाहिए। व्यक्ति को हमेशा सचेत रहना चाहिए और संकट की स्थिति में सही निर्णय लेने के लिए मानसिक रूप से तैयार रहना चाहिए।
5. आत्मत्राण के अभ्यास से क्या लाभ होते हैं ?
Ans. आत्मत्राण के अभ्यास से व्यक्ति में आत्म-विश्वास बढ़ता है, मानसिक स्थिरता आती है, और संकट की परिस्थितियों में त्वरित निर्णय लेने की क्षमता विकसित होती है। इसके अलावा, यह शारीरिक स्वास्थ्य को भी सुधारता है और व्यक्ति को अधिक सुरक्षित महसूस कराता है।
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