Class 10 Exam  >  Class 10 Notes  >  Hindi Class 10 (Sparsh and Sanchayan)  >  Long Question Answer: आत्मत्राण

Long Question Answer: आत्मत्राण | Hindi Class 10 (Sparsh and Sanchayan) PDF Download

निबन्धात्मक प्रश्न
प्रश्न 1. ‘आत्मत्राण’ शीर्षक का अर्थ बताते हुए उसकी सार्थकता, कविता के संदर्भ में स्पष्ट कीजिए।
उत्तर: 
‘आत्मत्राण’ का अर्थ है-स्वयं अपनी सुरक्षा करना। इस कविता में कवि ईश्वर से सहायता नहीं माँगता। वह ईश्वर को हर दुःख से बचाने के लिए नहीं पुकारता। वह स्वयं अपने दुःख से बचने और उसके सामना करने योग्य बनना चाहता है। इसके लिए वह केवल स्वयं को समर्थ बनाना चाहता है। इसलिए यह शीर्षक विषय वस्तु के अनुरूप बिल्कुल सही और सटीक है।

प्रश्न 2. ‘आत्मत्राण’ कविता में कवि की प्रार्थना से क्या संदेश मिलता है? अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तर:
 

  • जीवन-भार स्वयं वहन कर सकें।
  • सुख के समय में भी प्रभु को निरन्तर याद रखें।
  • ईश्वर की शक्ति और करुणा पर विश्वास रखें।
  • विपत्तियों और बाधाओं में आत्मबल, आत्मविश्वास व आत्मनिर्भरता बनाए रखें।
    (उपयुक्त विस्तार अपेक्षित)

व्याख्यात्मक हल:
‘आत्मत्राण’ कविता में कवि की प्रार्थना से आत्मनिर्भर जीवन जीने का संदेश मिलता है। कवि ईश्वर से अपने जीवन का भार स्वयं वहन कर सकने की क्षमता माँगता है। वह चाहता है कि सुख के समय में भी हम ईश्वर को निरन्तर याद करते रहें और ईश्वर की शक्ति और करुणा पर अपना अटूट विश्वास बनाये रखें। जीवन में आने वाली विपत्तियों व बाधाओं में हम अपना आत्मबल, आत्मविश्वास और आत्मनिर्भरता बनाए रखें।

प्रश्न 3. आत्मत्राण कविता में किसी सहायक पर निर्भर न रहने की बात कवि क्यों कहता है? कविता का केन्द्रीय भाव अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तर:
 

  • कवि स्वावलंबी है और वह अपने बलबूते जीवन की सभी बाधाओं और विपत्तियों का सामना करना चाहता है।

केन्द्रीय भाव:

  • विपत्ति के समय ईश्वर पर विश्वास बनाए रखना।
  • सुख के समय भी ईश्वर को याद रखना।
  • अपने आत्मबल और पुरुषार्थ के बल पर बाधाओं और विपत्तियों का सामना करना।
  • सहायक न मिलने पर भी विचलित न होना।
    (उपयुक्त विस्तार अपेक्षित)

व्याख्यात्मक हल:
‘आत्मत्राण’ कविता में किसी सहायक पर निर्भर न रहने की बात कवि इसलिए कहता है कि यदि ऐसी परिस्थिति आ जाए कि कोई सहायक न भी मिले अर्थात कोई सहायता करने वाला न हो तो भी उसमें आत्मबल, हिम्मत-साहस और बल पौरुष बना रहे। क्योंकि कवि स्वावलंबी है और वह अपने बलबूते जीवन की सभी बाधाओं और विपत्तियों का सामना करना चाहता है। ‘आत्मत्राण’ का अर्थ है-स्वयं अपनी सुरक्षा करना। इस कविता में कवि ईश्वर से सहायता नहीं माँगता। वह ईश्वर को हर दुःख से बचाने के लिए नहीं पुकारता। वह स्वयं अपने दुःख से बचने और उसके योग्य बनना चाहता है। इसके लिए वह केवल स्वयं को समर्थ बनाना चाहता है।

प्रश्न 4. आत्मत्राण कविता के द्वारा कवि क्या कहना चाहता है ? उसका संदेश स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
 

  • विपदाओं से भयभीत न हों।
  • किसी सहायक के न मिलने पर भी बल-पौरुष बनाए रखें।
  • लोगों द्वारा छले जाने पर भी मन से हार न मानें।
  • सुख के दिनों में भी ईश्वर को याद रखें।
  • ईश्वर के प्रति मन में कभी भी संदेह न रखें। 

व्याख्यात्मक हल:
आत्मत्राण कविता के द्वारा कवि रवीन्द्रनाथ ठाकुर ने हमें विपत्तियों से न घबराने का संदेश दिया है। भले ही कोई सहायक न मिले पर हम साहस बनाए रखें। यदि कोई हमें धोखा दे या छल-कपट करे तो भी मन में हमें हार नहीं माननी चाहिए। सुख के दिनों में भी सदैव ईश्वर को याद रखें और कभी ईश्वर के प्रति मन में अविश्वास और संदेह की भावना न लाएँ:यही संदेश इस कविता से हमें प्राप्त होता है।

प्रश्न 5. कवि ईश्वर पर संशय नहीं करना चाहता, क्यों ? कविता के संदर्भ में उत्तर दीजिए।
उत्तर:
कवि ईश्वर पर सदैव विश्वास बनाए रखना चाहते हैं। दुख के दिनों में भी परमेश्वर के प्रति उनकी आस्था पर किसी प्रकार का संदेह या संशय न हो, क्योंकि ईश्वर पर उनके विश्वास का संबल ही उन्हें हर कठिनाई को सहने की शक्ति प्रदान करता है। ईश्वर पर पूर्ण विश्वास ही उन्हें कठिनाइयों में निर्भय होकर आगे बढ़ने की प्रेरणा देता है।

प्रश्न 6. कवि को ईश्वर के अतिरिक्त और किस पर भरोसा है और क्यों ?
उत्तर:
कवि को ईश्वर के अतिरिक्त अपनी बुद्धि व कौशल पर विश्वास है। उन्हें अपनी शक्ति व कठिनाइयों का सामना करने के लिए बुद्धि के बल पर बनाई गई योजनाओं और कुशलता के बल पर उनका सामना करने की क्षमता पर विश्वास है, क्योंकि कवि का मानना है कि मनुष्य अपना उद्धार स्वयं ही कर सकता है, अपनी कठिनाइयों से खुद छुटकारा पा सकता है, कोई और उसकी सहायता नहीं कर सकता। वह जानता है कि वह यदि अपनी समस्त शक्तियों का उचित प्रयोग करेगा, तो कठिनाइयाँ निश्चय ही दूर होंगी।

प्रश्न 7. सामान्यतः मनुष्य कैसे दिनों में ईश्वर को भूल जाता है और क्यों? वर्णन कीजिए।
उत्तर:
सामान्यतः मनुष्य सुख के दिनों में ईश्वर को भूल जाता है, क्योंकि वह स्वार्थी प्राणी है। जब-जब उसे किसी चीज की आवश्यकता होती है, तब-तब वह उसे पाने के लिए प्रयत्नशील होता है और ईश्वर से इच्छा-पूर्ति की कामना करता है और इच्छा-पूर्ति हो जाने पर भगवान को पूरी तरह भूल जाता है। फिर दुख के समय आपत्तियों से छुटकारा पाने के लिए पुनः ईश्वर का स्मरण करता है।

प्रश्न 8. हमें संकटों का सामना किस प्रकार करना चाहिए?
उत्तर:
हमें संटकों का सामना डटकर करना चाहिए। आत्मसंघर्ष करके, संकटों से जूझकर ही विजय प्राप्त की जा सकती है। पुरुषार्थ के बल पर संकटों का सामना करने में ही भलाई है। कवि निर्भय बनकर जीवन की कठिनाइयों से संघर्ष कर विजय पाने का प्रयत्न करना चाहता है। हमें ईश्वर पर विश्वास बनाए रखकर कठिनाइयों पर पार पाना चाहिए।

प्रश्न 9. कविता का प्रतिपाद्य लिखिए।
उत्तर:
‘आत्मत्राण’ कविता में कवि की आकांक्षा सामान्य लोगों की आकांक्षा से भिन्न है। सामान्य रूप से लोग ईश्वर से दुःखों को दूर करने की प्रार्थना करते हैं। पर इस कविता में कवि दुःखों से विचलित न होकर अपने बुद्धि-बल और साहस के बल पर कठिनाइयों से त्राण पाना चाहता है। वह ईश्वर से इतनी शक्ति चाहता है कि विपत्तियाँ, हानि, धोखा सहन कर पाए। उसका ईश्वर पर सदैव विश्वास बना रहे। सुख-दुःख को समभाव से वहन कर सके। कवि ने जीवन में संघर्ष करने की शक्ति की कामना की है।

The document Long Question Answer: आत्मत्राण | Hindi Class 10 (Sparsh and Sanchayan) is a part of the Class 10 Course Hindi Class 10 (Sparsh and Sanchayan).
All you need of Class 10 at this link: Class 10
16 videos|201 docs|45 tests

Top Courses for Class 10

FAQs on Long Question Answer: आत्मत्राण - Hindi Class 10 (Sparsh and Sanchayan)

1. आत्मत्राण क्या है?
उत्तर: आत्मत्राण एक विशेष प्रकार की कला है जिसमें व्यक्ति अपने मन को नियंत्रित करते हुए अपने शरीर को शक्तिशाली बनाने की कला सीखता है। यह भारतीय मर्म विज्ञान, योग और जीवन शैली के साथ जुड़ा होता है।
2. आत्मत्राण क्यों जरूरी है?
उत्तर: आत्मत्राण करना शरीरिक और मानसिक स्वास्थ्य के लिए महत्वपूर्ण है। इसके माध्यम से हम अपने शरीर की कसरत, प्राणायाम और ध्यान करके अपने शरीर और मन को सुस्थ रख सकते हैं। यह हमें ताकत, स्थैर्य और स्वास्थ्यपूर्ण जीवन का आनंद देता है।
3. आत्मत्राण के क्या फायदे हैं?
उत्तर: आत्मत्राण करने से हमें कई फायदे होते हैं। इससे हमारा मन शांत होता है और हमें मानसिक स्थिरता मिलती है। यह हमारी शारीरिक और मानसिक स्वस्थता को सुधारता है और हमें ऊर्जा और सक्रियता का अनुभव कराता है। इसके साथ ही, आत्मत्राण हमें स्वस्थ जीवनशैली के साथ समाधान और समायोजन प्रदान करता है।
4. आत्मत्राण के लिए कौन-कौन से उपाय हैं?
उत्तर: आत्मत्राण के लिए कई उपाय हैं। कुछ प्रमुख उपाय शामिल हैं - योगाभ्यास, ध्यान करना, प्राणायाम करना, व्यायाम करना, मनन करना, मन को नियंत्रित करना और अपने शरीर की देखभाल करना। इन उपायों को नियमित रूप से अपनाने से हम आत्मत्राण की कला को सीख सकते हैं।
5. आत्मत्राण का अभ्यास कैसे किया जा सकता है?
उत्तर: आत्मत्राण का अभ्यास करने के लिए आप निम्नलिखित कदमों का पालन कर सकते हैं: 1. योगाभ्यास करें - अपने शरीर को प्रशिक्षित करने के लिए नियमित योगाभ्यास करें। 2. ध्यान करें - ध्यान और मन को शांत करने के लिए ध्यान करें। 3. प्राणायाम करें - विशेष श्वासायाम करने के लिए नियमित प्राणायाम करें। 4. अपने शरीर की देखभाल करें - स्वस्थ शारीर के लिए नियमित व्यायाम करें और सही आहार लें। 5. मन को नियंत्रित करें - अपने मन को स्वाधीन करने के लिए ध्यान और मनन करें। ये उपाय आपको आत्मत्राण की कला सीखने में मदद करेंगे।
16 videos|201 docs|45 tests
Download as PDF
Explore Courses for Class 10 exam

Top Courses for Class 10

Signup for Free!
Signup to see your scores go up within 7 days! Learn & Practice with 1000+ FREE Notes, Videos & Tests.
10M+ students study on EduRev
Related Searches

Semester Notes

,

video lectures

,

Extra Questions

,

Viva Questions

,

Summary

,

shortcuts and tricks

,

Important questions

,

Exam

,

Previous Year Questions with Solutions

,

MCQs

,

study material

,

ppt

,

Long Question Answer: आत्मत्राण | Hindi Class 10 (Sparsh and Sanchayan)

,

Free

,

mock tests for examination

,

pdf

,

Long Question Answer: आत्मत्राण | Hindi Class 10 (Sparsh and Sanchayan)

,

past year papers

,

Objective type Questions

,

Long Question Answer: आत्मत्राण | Hindi Class 10 (Sparsh and Sanchayan)

,

practice quizzes

,

Sample Paper

;