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Moral Integrity (नैतिकता अखंडता): December 2022 UPSC Current Affairs | Current Affairs (Hindi): Daily, Weekly & Monthly PDF Download

डार्क पैटर

चर्चा में क्यों? 
हाल ही में "डार्क पैटर्न" या "भ्रामक पैटर्न" के मामलों में वृद्धि देखी गई है जहाँ इंटरनेट आधारित कंपनियाँ उपयोगकर्त्ताओं को कुछ शर्तों से सहमत होने या कुछ लिंक पर क्लिक करने के लिये बरगला (Tricking) रही हैं।

  • ऐसी स्वीकृति और क्लिक के परिणामस्वरूप प्रयोक्ताओं के इनबॉक्स में ऐसे विज्ञापित ईमेल (जिनकी सदस्यता समाप्त करना या हटाने का अनुरोध करना कठिन हो) भेजे जा रहे हैं जिन्हें वे कभी नहीं प्राप्त करना चाहते

डार्क पैटर्न

  • परिचय: 
    • डार्क पैटर्न अनैतिक UI/UX (यूज़र इंटरफेस/यूज़र एक्सपीरियंस) इंटरैक्शन हैं, जो यूज़र्स को भ्रमित करने या उनसे कुछ ऐसा करने के लिये डिज़ाइन किये गए हैं, जो वे नहीं करना चाहते।
    • बदले में वे डिज़ाइनों को नियोजित करने वाली कंपनी या प्लेटफॉर्म को लाभान्वित करते हैं।
    • डार्क पैटर्न का उपयोग करके डिजिटल प्लेटफॉर्म उपयोगकर्त्ता द्वारा उपयोग की जा रही सेवाओं और उनके ब्राउज़िंग अनुभव पर उनके नियंत्रण के बारे में पूरी जानकारी का अधिकार छीन लेते हैं।
    • डार्क पैटर्न के उदाहरणों में शामिल हैं- ऑनलाइन सौदों हेतु बेसलेस काउंटडाउन, छोटे प्रिंट में लिखी गई शर्तें, कैंसिलेशन बटन का न दिखना या उस पर क्लिक करने में कठिनाई, विज्ञापनों को समाचार रिपोर्ट या चर्चित व्यक्ति के समर्थन के रूप में प्रदर्शित करना, ऑटो-प्लेइंग वीडियो, लेन-देन पूरा करने हेतु उपयोगकर्त्ताओं को अकाउंट बनाने के लिये मजबूर करना, फ्री ट्रायल समाप्त होने के बाद बिना किसी सूचना के क्रेडिट कार्ड पर चार्ज लगाना और उपयोगकर्त्ताओं के जानने योग्य जानकारी को छिपाने के लिये धूमिल रंगों का उपयोग करना।
  • कंपनियों द्वारा उपयोग:
    • सोशल मीडिया कंपनियाँ और बिग टेक कंपनियाँ जैसे कि एप्पल, अमेज़न , स्काइप, फेसबुक, लिंक्डइन , माइक्रोसॉफ्टऔर गूगल अपने लाभ के लिये उपयोगकर्त्ता अनुभव को डाउनग्रेड करने हेतु डार्क या भ्रामक पैटर्न का उपयोग करते हैं।
    • अमेज़न प्राइम सब्सक्रिप्शन में भ्रामक, बहु-चरणीय कैंसिलेशन प्रक्रिया हेतु अमेज़न को यूरोपीय संघ में आलोचना का सामना करना पड़ा।
    • उपभोक्ता नियामकों के साथ संवाद करने के बाद अमेज़न ने वर्ष 2022 में यूरोपीय देशों में ऑनलाइन ग्राहकों के लिये अपनी कैंसिलेशन प्रक्रिया को आसान बनाया।
    • सोशल मीडिया में लिंक्डइन (LinkedIn) उपयोगकर्त्ताओं को अक्सर प्रभावशाली लोगों से अवांछित, प्रायोजित संदेश प्राप्त होते हैं।  
    • इस विकल्प को अक्षम करना कई चरणों के साथ एक कठिन प्रक्रिया है जिसके लिये उपयोगकर्त्ताओं को प्लेटफॉर्म नियंत्रणों से परिचित होने की आवश्यकता होती है।
    • इंस्टाग्राम जैसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्मों पर डार्क पैटर्न का एक अन्य रूप प्रायोजित वीडियो विज्ञापन हैं, जो उन रील्स और स्टोरी के बीच मौजूद होते हैं जिन्हें देखने का विकल्प उपयोगकर्त्ता चुनते हैं और स्पाँसर्ड का लेबल दिखाई देने से पहले वह वीडियो कुछ सेकंड तक चल चुका होता है।
    • गूगल के स्वामित्त्व वाले यूट्यूब उपयोगकर्त्ताओं को यूट्यूब प्रीमियम के लिये साइन-अप करने हेतु कहा गया है, जिसमें अन्य वीडियोज़ को थंबनेल के साथ अंतिम सेकंड के वीडियो के साथ पॉप-अप किया गया है। 
  • उपयोगकर्त्ताओं को नुकसान: 
    • डार्क पैटर्न इंटरनेट उपयोगकर्त्ताओं के अनुभव को खतरे में डालते हैं और उन्हें बिग टेक फर्मों द्वारा वित्तीय एवं डेटा शोषण के प्रति अधिक संवेदनशील बनाते हैं। 
    • डार्क पैटर्न उपयोगकर्त्ताओं को भ्रमित करते हैं, ऑनलाइन बाधाएँ पेश करते हैं, सरल कार्यों को समय लेने वाला बनाते हैं, उपयोगकर्त्ताओं को अवांछित सेवाओं/उत्पादों के लिये साइन- अप करवाने व उन्हें अधिक पैसे देने या उनकी इच्छा से अधिक व्यक्तिगत जानकारी साझा करने के लिये मजबूर करते हैं।

आगे की राह

  • डार्क और भ्रामक पैटर्न केवल लैपटॉप एवं स्मार्टफोन तक ही सीमित नहीं हैं। संघीय व्यापार आयोग (FTC) की रिपोर्ट ने चेतावनी दी है कि जैसे-जैसे संवर्द्धित वास्तविकता (AR) और आभासी वास्तविकता (VR) प्लेटफॉर्म तथा उपकरणों का उपयोग डार्क पैटर्न में बढ़ता है, वैसे-वैसे उपयोगकर्त्ताओं के इन नए चैनलों का भी अनुसरण करने की संभावना बढ़ती है
  • इंटरनेट उपयोगकर्त्ता जो अपने दैनिक जीवन में डार्क पैटर्न को पहचानने में सक्षम हैं, वे अधिक अनुकूल मंच चुन सकते हैं तथा अपनी पसंद और गोपनीयता के अधिकार का सम्मान करेंगे। 

कॉर्पोरेट गवर्नेंस

चर्चा में क्यों? 

चंदा कोचर (ICICI बैंक की पूर्व CEO) कॉर्पोरेट जगत में धोखाधड़ी संबंधी खतरे के सचेतक के रूप में शामिल हैं।

  • केंद्रीय जाँच ब्यूरो (CBI) ने आरोप लगाया है कि ICICI बैंक ने बैंकिंग विनियमन अधिनियम, RBI के दिशा-निर्देशों और बैंक की क्रेडिट नीति का उल्लंघन करते हुए वेणुगोपाल धूत द्वारा प्रवर्तित वीडियोकॉन समूह की कंपनियों को 3,250 करोड़ रुपए का क्रेडिट स्वीकृत किया था।

कॉर्पोरेट गवर्नेंस: 

  • परिचय: 
    • कॉर्पोरेट गवर्नेंस नियमों, प्रथाओं और प्रक्रियाओं की प्रणाली को संदर्भित करता है, इसके द्वारा एक कंपनी को निर्देशित और नियंत्रित किया जाता है, जो यह सुनिश्चित करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है कि व्यवसाय नैतिक रूप से तथा उनके हितधारकों के सर्वोत्तम हित में चलाए जाते हैं।
    • कॉर्पोरेट गवर्नेंस की प्रमुख ज़िम्मेदारियों में से एक कॉर्पोरेट लालच को रोकना तथा यह सुनिश्चित करना है कि व्यवसायों को उत्तरदायी और पारदर्शी तरीके से संचालित किया जाए।
    • मज़बूत नैतिक मानकों को लागू करके तथा व्यक्तियों को उनके कार्यों के लिये उत्तरदायी बनाकर, कॉर्पोरेट गवर्नेंस लालच को रोकने और शेयरधारकों, ग्राहकों एवं व्यापक समुदाय के हितों की रक्षा करने में मदद कर सकता है।

कॉर्पोरेट गवर्नेंस के सिद्धांत

  • निष्पक्षता:
    • निदेशक मंडल को शेयरधारकों, कर्मचारियों, विक्रेताओं और समुदायों के साथ उचित एवं समान विचार से व्यवहार करना चाहिये।
  • पारदर्शिता: 
    • बोर्ड को वित्तीय प्रदर्शन, हित संबंधी मतभेद और शेयरधारकों एवं अन्य हितधारकों को ज़ोखिम जैसी स्थिति के बारे में समय पर सटीक तथा स्पष्ट जानकारी प्रदान करनी चाहिये।
  • ज़ोखिम प्रबंधन: 
    • बोर्ड और प्रबंधन को सभी प्रकार के ज़ोखिमों का निर्धारण तथा उन्हें नियंत्रित करना चाहिये। उन्हें प्रबंधित करने के लिये संबद्ध सिफारिशों पर कार्रवाई करनी चाहिये। उन्हें सभी संबंधित पक्षों को ज़ोखिमों की मौजूदगी तथा स्थिति के बारे में सूचित करना चाहिये।
  • ज़िम्मेदारी: 
    • बोर्ड कॉर्पोरेट मामलों और प्रबंधन गतिविधियों की निगरानी के लिये ज़िम्मेदार है।
    • इसे कंपनी की प्रगति और प्रदर्शन के बारे में पता होना चाहिये, साथ ही उसका समर्थन करना चाहिये। इसकी ज़िम्मेदारी में CEO की भर्ती और नियुक्ति करना भी शामिल है। इसे किसी कंपनी एवं उसके निवेशकों के सर्वोत्तम हित में कार्य करना चाहिये।
  • जवाबदेही: 
    • बोर्ड को कंपनी की गतिविधियों के उद्देश्य और उसके आचरण के परिणामों की व्याख्या करनी चाहिये। बोर्ड एवं कंपनी का नेतृत्त्व कंपनी की क्षमता एवं प्रदर्शन के आकलन के लिये जवाबदेह है। इसे शेयरधारकों के महत्त्व के मुद्दों को संप्रेषित करना चाहिये। 

भारत में कॉर्पोरेट प्रशासन के संदर्भ में नैतिक मुद्दे

  • व्यक्तिगत रुचि के बीच मतभेद:  
    • शेयरधारकों की कीमत पर संभावित रूप से व्यक्तिगत रुचि को समृद्ध करने वाले प्रबंधकों की चुनौती एक बड़ी समस्या है, हाल ही की एक घटना में ICICI बैंक की पूर्व कार्यकारी चंदा कोचर ने अपने पति के लिये एक व्यापार के हिस्से के रूप में वीडियोकॉन कंपनी को ऋण स्वीकृति किया।
  • कमज़ोर बोर्ड:  
    • अनुभव और पृष्ठभूमि की विविधता का अभाव इन बोर्डों की  कमज़ोरी का एक प्रमुख विषय रहा है। शेयरधारकों के व्यापक हितों के मामले में बोर्ड के प्रदर्शन पर सवाल उठते रहे हैं। 
  • स्वामित्त्व और प्रबंधन का पृथक्करण:  
    • परिवार द्वारा संचालित कंपनियों के मामले में भारत की कुछ शीर्ष कंपनियों सहित अधिकांश कंपनियों में स्वामित्त्व और प्रबंधन को अलग करना एक प्रमुख चुनौती बनी हुई है। 
  • स्वतंत्र निदेशक:  
    • स्वतंत्र निदेशक पक्षपातपूर्ण होते हैं और प्रमोटरों की अनैतिक प्रथाओं की जाँच करने में सक्षम नहीं होते हैं। 

भारत में कॉरपोरेट गवर्नेंस में सुधार

  • विविध बोर्ड बेहतर बोर्ड:  
    • इस संदर्भ में व्यापक 'विविधता' है, जिसमें लिंग, जातीयता, कौशल और अनुभव शामिल हैं। 
  • मज़बूत जोखिम प्रबंधन नीतियाँ:  
    • बेहतर निर्णय लेने के लिये प्रभावी और मज़बूत जोखिम प्रबंधन नीतियों को अपनाना क्योंकि यह सभी निगमों के सामने आने वाले रिस्क-रिवॉर्ड ट्रेड-ऑफ के मामले में गहरी अंतर्दृष्टि विकसित करता है। 
  • प्रभावी शासन अवसंरचना: 
    • चूँकि अंततः बोर्ड किसी संगठन के सभी कार्यों और निर्णयों के लिये ज़िम्मेदार होता है, इसलिये संगठनात्मक व्यवहार को निर्देशित करने के लिये विशिष्ट नीतियों की आवश्यकता होगी। 
    • यह सुनिश्चित करने के लिये बोर्ड और प्रबंधन के बीच उत्तरदायित्त्वों को स्पष्ट रूप से निर्धारित किया गया है, बोर्ड के लिये प्रतिनिधिमंडलों के संबंध में नीतियाँ विकसित करना विशेष रूप से महत्त्वपूर्ण है।
  • बोर्ड के प्रदर्शन का मूल्यांकन: 
    • बोर्डों को मूल्यांकन में सामने आई कमज़ोरियों को दूर करके अपनी शासन प्रक्रियाओं में सुधार करना चाहिये। 
  • संवाद:
    • बोर्ड के साथ शेयरधारकों के संवाद को सुगम बनाना महत्त्वपूर्ण है। एक ऐसा व्यक्ति होना चाहिये जिसके साथ शेयरधारक किसी भी मुद्दे पर चर्चा कर सकें।
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