(सरलता के लिए आंकिक परिकल्पनाओं में g = 10 ms-2 लीजिए।)
प्रश्न.1. निम्नलिखित पर कार्यरत नेट बल का परिमाण व उसकी दिशा लिखिए –
(a) एकसमान चाल से नीचे गिरती वर्षा की कोई बूंद
(b) जल में तैरता 10g संहति का कोई कॉर्क
(c) कुशलता से आकाश में स्थिर रोकी गई कोई पतंग
(d) 30 km h-1 के एकसमान वेग से ऊबड़-खाबड़ सड़क पर गतिशील कोई कार
(e) सभी गुरुत्वीय पिण्डों से दूर तथा वैद्युत और चुम्बकीय क्षेत्रों से मुक्त, अन्तरिक्ष में तीव्र चाल वाला इलेक्ट्रॉन।
(a) ∵ त्वरण शून्य है; अत: नेट बल भी शून्य होगा।
(b) ∵ उपरिमुखी गति के समय कॉर्क जल पर स्थिर तैर रहा है अर्थात् गति नहीं हो रही है,
अत: त्वरण शून्य है,
∴नेट बल भी शून्य है।
(c) ∵ पतंग को स्थिर रोका गया है; अत: त्वरण a = 0
∴ नेट बल भी शून्य है।
(d) ∵ कार का वेग एकसमान है; अतः त्वरण a = 0
∴ नेट बल भी शून्य होगा।
(e) ∵ इलेक्ट्रॉन गुरुत्वीय पिण्डों, वैद्युत तथा चुम्बकीय क्षेत्रों से दूर है; अतः उस पर कोई बल नहीं लगेगा।
प्रश्न.2. 0.05 kg संहति का कोई कंकड़ ऊर्ध्वाधर ऊपर फेंका गया है। नीचे दी गई प्रत्येक परिस्थिति में कंकड़ पर लग रहे नेट बल का परिमाण व उसकी दिशा लिखिए –
(a) उपरिमुखी गति के समय।
(b) अधोमुखी गति के समय।
(c) उच्चतम बिन्दु पर जहाँ क्षण भर के लिए यह विराम में रहता है। यदि कंकड़ को क्षैतिज दिशा से 45° कोण पर फेंका जाए, तो क्या आपके उत्तर में कोई परिवर्तन होगा? वायु-प्रतिरोध को उपेक्षणीय मानिए।
(a) उपरिमुखी गति के समय कंकड़ पर बल = कंकड़ का भार = mg = 0.05 kg × 10 m s-2 = 0.5 N
(b) अधोमुखी गति के समय भी कंकड़ पर बल उसके भार के बराबर अर्थात् 0.5 N लगेगा।
(c) इस स्थिति में भी कंकड़, पर वही बल 0.5 N ही लगेगा।
कंकड़ को क्षैतिज से 45° के कोण पर फेंकने पर भी कंकड़ पृथ्वी के गुरुत्वीय क्षेत्र में गति करता है; अतः इस स्थिति में भी, प्रत्येक दशा में कंकड़ पर बल 0.5 N ही लगेगा।
प्रश्न.3. 0.1 kg संहति के पत्थर पर कार्यरत नेट बल का परिमाण व उसकी दिशा निम्नलिखित परिस्थितियों में ज्ञात कीजिए –
(a) पत्थर को स्थिर रेलगाड़ी की खिड़की से गिराने के तुरन्त पश्चात्
(b) पत्थर को 36 km h-1 के एकसमान वेग से गतिशील किसी रेलगाड़ी की खिड़की से गिराने के तुरन्त पश्चात्,
(c) पत्थर को 1 ms-2 के त्वरण से गतिशील किसी रेलगाड़ी की खिड़की से गिराने के तुरन्त पश्चात्,
(d) पत्थर 1 ms-2 के त्वरण से गतिशील किसी रेलगाड़ी के फर्श पर पड़ा है तथा वह रेलगाड़ी के सापेक्ष विराम में है।
उपर्युक्त सभी स्थितियों में वायु का प्रतिरोध उपेक्षणीय मानिए।
(a) स्थिर रेलगाड़ी की खिड़की से गिराने पर, पत्थर पर एकमात्र बल उसका भार नीचे की ओर कार्य करेगा।
∴ पत्थर पर बल = mg = 0.1 kg × 10 m s-2
= 1N ऊर्ध्वाधर नीचे की ओर।
(b) इस स्थिति में भी गाड़ी से पत्थर गिराने के पश्चात् गाड़ी की गति के कारण उस पर कार्य करने वाले बल का कोई प्रभाव नहीं होगा और पत्थर पर केवल उसका भार कार्य करेगा।
∴ पत्थर पर बल = 1N ऊर्ध्वाधर नीचे की ओर।
(c) ∵ पत्थर गाड़ी से नीचे गिरा दिया गया है; अतः अब उस पर केवल उसका भार कार्य करेगा।
∴ पत्थर पर बल 1N ऊर्ध्वाधर नीचे की ओर
(d) ∵ पत्थर रेलगाड़ी के सापेक्ष विराम में है,
∴ पत्थर का त्वरण a = रेलगाड़ी का त्वरण = 1 m s-2
∴ F = m a से, गाड़ी की त्वरित गति के कारण पत्थर पर नेट बल
F = m a = 0.1 kg × 1 m s-2
= 0.1 N (क्षैतिज दिशा में)।
पत्थर पर कार्यरत अन्य बल उसका भार तथा फर्श की अभिलम्ब प्रतिक्रिया परस्पर सन्तुलित हो जाते हैं।
प्रश्न.4. l लम्बाई की एक डोरी का एक सिरा m संहति के किसी कण से तथा दूसरा सिरा चिकनी क्षैतिज मेज पर लगी बँटी से बँधा है। यदि कण चाल से वृत्त में गति करता है तो कण पर (केन्द्र की ओर निर्देशित) नेट बल है-
प्रश्न.5. 15 ms-1 की आरम्भिक चाल से गतिशील 20 kg संहति के किसी पिण्ड पर 50 N का स्थायी मन्दन बल आरोपित किया गया है। पिण्ड को रुकने में कितना समय लगेगा?
प्रश्न.6. 3.0 kg संहति के किसी पिण्ड पर आरोपित कोई बल 25 s में उसकी चाल को 2.0 ms -1 से 3.5 ms-1 कर देता है। पिण्ड की गति की दिशा अपरिवर्तित रहती है। बल का परिमाण व दिशा क्या है?
∴ बल का परिमाण F = mg = 3.0 किग्रा x 0.06 मी/से2 = 0.18
चूँकि आरोपित बल का दिशा अपरिवर्तित है तथा यह पिण्ड की चाल को बढ़ा रहा है, अतः बल की दिशा पिण्ड की गति की दम में ही होगी।
प्रश्न.7. 5.0 kg संहति के किसी पिण्ड पर 8 N व 6 N के दो लम्बवत् बल आरोपित हैं। पिण्ड के त्वरण का परिमाण व दिशा ज्ञात कीजिए।
प्रश्न.8. 36 km h-1 की चाल से गतिमान किसी ऑटो रिक्शा का चालक सड़क के बीच एक बच्चे को खड़ा देखकर अपने वाहन को ठीक 4.0s में रोककर उस बच्चे को बचा लेता है। यदि ऑटो रिक्शा बच्चे के ठीक निकट रुकता है तो वाहन पर लगा औसत मन्द्रन बल क्या है? ऑटो रिक्शा तथा चालक की संहतियाँ क्रमशः 400 kg और 65 kg हैं।
ऑटो रिक्शा की प्रारम्भिक चाल υ0 = 36 किमी/घण्टा
=36 × (5 / 18) मी/से = 10 मी/से
रुकने पर ऑटो-रिक्शा की अन्तिम चाल υt = 0
रुकने में लिया गया समय t = 4.0 सेकण्ड
गति की समीकरण υt =υ0 + at से,
0 = 10 + a × 4.0
या
मंदक, a = -(10/4) मी/से2 = – 2.5 मी/से2
निकाय (ऑटो-रिक्शा + चालक) का द्रव्यमान
M = 400 किग्रा + 65 किग्रा = 465 किग्रा
∴ औसत मंदन बल F = M × a = 465 किग्रा x (-2.5 मी/से2)
=-1.162 × 103 न्यूटन [यहाँ (-) चिह्न मंदन का प्रतीक है।]
प्रश्न.9. 20000 kg उत्थापन संहति के किसी रॉकेट में 5 ms-2 के आरम्भिक त्वरण के साथ ऊपर की ओर स्फोट किया जाता है। स्फोट का आरम्भिक प्रणोद (बल) परिकलित कीजिए।
प्रश्न.10. उत्तर की ओर 10 ms-1 की एकसमान आरम्भिक चाल से गतिमान 0.40 kg संहति के किसी पिण्ड पर दक्षिण दिशा के अनुदिश 8.0 N का स्थायी बल 30 s के लिए आरोपित किया गया है। जिस क्षण बल आरोपित किया गया उसे । – 0 तथा उस समय पिण्ड की स्थिति x = 0 लीजिए। t – 5s, 25 s, 100 s पर इस कण की स्थिति क्या होगी?
प्रश्न.11. कोई ट्रक विरामावस्था से गति आरम्भ करके 2.0 ms-2 के समान त्वरण से गतिशील रहता है। t = 10 s पर, ट्रक के ऊपर खड़ा एक व्यक्ति धरती से 6 m की ऊँचाई से कोई पत्थर बाहर गिराता है। t =11s पर, पत्थर का – (a) वेग तथा (b) त्वरण क्या है? (वायु का प्रतिरोध उपेक्षणीय मानिए।)
(a) किसी टुक से पत्थर को गिराते समय पत्थर का क्षैतिज वेग ट्रक के तात्कालिक वेग के बराबर होता है (जड़त्व के कारण) तथ. यह ऊर्ध्वाधर वेग गुरुत्व के कारण प्राप्त करता है जबकि गिराते क्षण ऊर्ध्वाधरत: नीचे की ओर वेग υ0 = शून्य।
प्रश्न.12. किसी कमरे की छत से 2 m लम्बी डोरी द्वारा 0.1 kg संहति के गोलक को लटकाकर दोलन आरम्भ किए गए। अपनी माध्य स्थिति पर गोलक की चाल 1 ms-1 है। गोलक का प्रक्षेप्य-पथ क्या होगा यदि डोरी को उस समय काट दिया जाता है जब गोलक अपनी – (a) चरम स्थितियों में से किसी एक पर है तथा (b) माध्य स्थिति पर है?
(a) चरम स्थिति में गोलक का वेग शून्य होगा; अत: डोरी काट देने पर, गोलक ऊर्ध्वाधर रेखा में नीचे की ओर गिर जाएगा।
(b) माध्य स्थिति में गोलक के पास क्षैतिज दिशा में अधिकतम वेग होगा; अत: इस स्थिति में डोरी काट दिए जाने पर गोलक प्रक्षेप्य की भाँति परवलयाकार पथ पर चलता हुआ अन्त में भूमि पर गिर जाएगा।
प्रश्न.13. किसी व्यक्ति की संहति 70 kg है। वह एक गतिमान लिफ्ट में तुला पर खड़ा है जो –
(a) 10 ms-1 की एकसमान चाल से ऊपर जा रही है
(b) 5 ms-2 के एकसमान त्वरण से नीचे जा रही है
(c) 5 ms-2 के एकसमान त्वरण से ऊपर जा रही है, तो प्रत्येक प्रकरण में तुला के पैमाने का पाठ्यांक क्या होगा?
(d) यदि लिफ्ट की मशीन में खराबी आ जाए और वह गुरुत्वीय प्रभाव में मुक्त रूप से नीचे गिरे तो पाठ्यांक क्या होगा?
दिया है। व्यक्ति की संहति m = 70 kg
(a) ∵ लिफ्ट एकसमान वेग से गतिमान है; अत: त्वरण a = 0
∴ तुला का पाठ्यांक R = mg = 70 kg × 9.8 m s-2
=686 N
(b) यहाँ लिफ्ट त्वरण a a = 5 m s-2 से नीचे जा रही है
∴ तुला का पाठ्यांक R =m (g – a)
= 70 kg (9.8 – 5) m s-2
= 336 N
(c) यहाँ लिफ्ट त्वरण a = 5 m s-2 से ऊपर जा रही है,
∴ तुला का पाठ्यांक R = m (g + a)
= 70 kg (9.8 + 5) m s -2
=1036 N
(d) ∵ लिफ्ट गुरुत्वीय प्रभाव में मुक्त रूप से गिर रही है, अर्थात् a = g
तब, तुला का पाठ्यांक R = m (g – a)
= 70 kg × 0 = 0
प्रश्न.14. चित्र-5.4 में 4 kg संहति के किसी पिण्ड का स्थिति-समय ग्राफ दर्शाया गया है।
(a) t < 0 ; t > 4 s ; 0 < t,< 4 s के लिए पिण्ड पर आरोपित बल क्या है?
(b) t = 0 तथा t = 4 s पर आवेग क्या है? (केवल एकविमीय गति पर विचार कीजिए)
(a) t <0 के लिए स्थिति-समय ग्राफ समय अक्ष के साथ सम्पाती है अर्थात् पिण्ड मूलबिन्दु पर विराम में स्थित है।
∴ पिण्ड पर आरोपित बल शून्य है।
t > 4 s के लिए स्थिति-समय माफ समय अक्ष के समान्तर सरल रेखा है जो बताती है कि इस काल में पिण्ड की मूलबिन्दु से दूरी नियत है।
अर्थात् पिण्ड विराम में है।
∴ पिण्ड पर कार्यरत बल शून्य है।
पुन: 0 < t < 4s के लिए स्थिति समय-ग्राफ एक झुकी हुई सरल रेखा है जो यह बताती है कि इस काल में पिण्ड की मूलबिन्दु से दूरी नियत दर से बढ़ रही है।
अर्थात् पिण्ड नियत वेग से गति कर रहा है; अतः उसको त्वरण शून्य है।
∴ पिण्ड पर आरोपित बल शून्य है।
प्रश्न.15. किसी घर्षणरहित मेज पर रखे 10 kg तथा 20kg के दो पिण्ड किसी पतली डोरी द्वारा आपस में जुड़े हैं। 600 N का कोई क्षैतिज बल (i) A पर, (ii) B पर डोरी के अनुदिश लगाया जाता है। प्रत्येक स्थिति में डोरी में तनाव क्या है?
प्रश्न.16. 8 kg तथा 12kg के दो पिण्डों को किसी हल्की अवितान्य डोरी, जो घर्षणरहित घिरनी पर चढ़ी है, के दो सिरों से बाँधा गया है। पिण्डों को मुक्त रूप से छोड़ने पर उनके त्वरण तथा डोरी में तनाव ज्ञात कीजिए।
माना पिण्डों को मुक्त छोड़ने पर भारी पिण्ड a त्वरण से नीचे की ओर उतरता है। चूंकि डोरी अवितान्य है; अत: हल्का पिण्ड त्वरण से ऊपर की ओर चढ़ेगा।
माना डोरी में तनाव T है, जो कि पूरी डोरी में एकसमान होगा।
भारी अर्थात् 12 kg के पिण्ड पर नेट बल F = 12g – T नीचे की ओर कार्य करेगा।
प्रश्न.17. अयोगशाला के निर्देश फ्रेम में कोई नाभिक विराम में है। यदि यह नाभिक दो छोटे नाभिकों में विघटित हो जाता हैं तो यह दर्शाइए कि उत्पाद विपरीत दिशाओं में गति करने चाहिए।
माना नाभिक का द्रव्यमान m है तथा प्रश्नानुसार यह विराम में है अर्थात् = 0
∴ नाभिक को प्रारम्भिक संवेग = m × 0 = 0
माना इसके टूटने से बने दो नाभिकों के द्रव्यमान m1 तथा m2 हैं तथा ये क्रमशः तथा वेगों से गति करते हैं।
अतः इन नए नाभिकों का कुल संवेग = m1 + m2
∵ नाभिक स्वतः विघटित हुआ है अर्थात् उस पर बाह्य बल शून्य है; अत: निकाय का संवेग संरक्षित रहेगा।
∴ विघटन के बाद कुल संवेग = विघटन के पूर्व कुल संवेग
प्रश्न.18. दो बिलियर्ड गेंद जिनमें प्रत्येक की संहति 0.05 kg है, 6 मी / से-1 की चाल से विपरीत . दिशाओं में गति करती हुई संघट्ट करती हैं और संघट्ट के पश्चात् उसी चाल से वापस लौटती हैं। प्रत्येक गेंद पर दूसरी गेंद कितना आवेग लगाती है?
संघट्ट के पश्चात् प्रत्येक गेंद के वेग की दिशा उलट जाती है। अत: प्रत्येक गेंद के वेग में परिवर्तन का परिमाण
प्रश्न.19. 100 kg संहति की किसी तोप द्वारा 0.020 kg का गोला दागा जाता है। यदि गोले की नालमुखी चाल 80 मी/से-1 है तो तोप की प्रतिक्षेप चाल क्या है?
तोप का द्रव्यमान M = 100 किग्रा
गोले का द्रव्यमान m = 0.020 किग्रा
गोले की नालमुखी चाल = 80 मी/से
माना तोप की प्रतिक्षेप चाल = V मी/से
प्रारम्भ में गोला व तोप दोनों विरामावस्था में हैं। अत: प्रारम्भ में प्रत्येक का संवेग शून्य था।
अतः रेखीय संवेग-संरक्षण नियम के अनुसार,
तोप तथा गोले का अन्तिम संवेग = प्रारम्भिक संवेग
यहाँ (-) चिह्न इस तथ्य का प्रतीक है कि तोप का वेग गोले के वेग की विपरीत दिशा में होगा। इसीलिए इसको प्रतिक्षेप चाल कहते हैं। अत: तोप की प्रतिक्षेप चाल = 0.016 सेमी/से।
प्रश्न.20. कोई बल्लेबाज किसी गेंद को 45° के कोण पर विक्षेपित कर देता है। ऐसा करने में वह गेंद की आरम्भिक चाल, जो 54 km/h-1 है, में कोई परिवर्तन नहीं करता। गेंद को कितना आवेग दिया जाता है? (गेंद की संहति 0.15 kg है)
माना गेंद पथ AB के अनुदिश बल्लेबाज की ओर υ = 54 किमी/घण्टा =54 × (5 / 18) मी/से = 15 मी/से की चाल से आ रही है। यह बिन्दु B पर बल्लेबाज द्वारा उसी चाल से कोण ABC = 45° पर पथ BC के अनुदिश विक्षेपित कर दी जाती है। B से गुजरते ऊर्ध्वाधर तल पर X’ BX अभिलम्ब है।
प्रश्न.21. किसी डोरी के एक सिरे से बँधा 0.25 kg संहति का कोई पत्थर क्षैतिज तल में 1.5 m त्रिज्या के वृत्त पर 40 rev/min की चाल से चक्कर लगाता है। डोरी में तनाव कितना है? यदि डोरी 200 N के अधिकतम तनाव को सहन कर सकती है, तो वह अधिकतम चाल ज्ञात कीजिए जिससे पत्थर को घुमाया जा सकता है।
दिया है: पत्थर का द्रव्यमान m = 0.25 kg
प्रश्न.22. यदि अभ्यास प्रश्न 21 में पत्थर की चाल को अधिकतम निर्धारित सीमा से भी अधिक कर दिया जाए तथा डोरी यकायक टूट जाए, तो डोरी के टूटने के पश्चात पत्थर के प्रक्षेप का सही वर्णन निम्नलिखित में से कौन करता है –
(a) वह पत्थर झटके के साथ त्रिज्यतः बाहर की ओर जाता है।
(b) डोरी टूटने के क्षण पत्थर स्पर्शरेखीय पथ पर उड़ जाता है।
(c) पत्थर स्पर्शी से किसी कोण पर, जिसका परिमाण पत्थर की चाल पर निर्भर करता है, उड़ जाता है।
सही उत्तर (b) डोरी टूटने के क्षण पत्थर स्पर्शरेखीय पथ पर उड़ जाता है क्योंकि उस क्षण पर पत्थर की चाल स्पर्शरेखीय होती है।
प्रश्न.23. स्पष्ट कीजिए कि क्यों:
(a) कोई घोड़ा रिक्त दिकस्थान (निर्वात) में किसी गाड़ी को खींचते हुए दौड़ नहीं सकता।
(b) किसी तीव्र गति से चल रही बस के यकायक रुकने पर यात्री आगे की ओर गिरते हैं।
(c) लान मूवर को धकेलने की तुलना में खींचना आसान होता है।
(d) क्रिकेट का खिलाड़ी गेंद को लपकते समय अपने हाथ गेंद के साथ पीछे को खींचता है।
(a) रिक्त दिक्स्थान (निर्वात) में घोड़े को गाड़ी खींचने के लिए आवश्यक प्रतिक्रिया नहीं मिल पाएगी।
(b) तीव्र गति से गतिशील बस में बैठे यात्री का शरीर गाड़ी के ही वेग से गति करता रहता है। जब यकायक गाड़ी रुकती है तो फर्श के सम्पर्क में स्थित यात्री के पैर तो ठीक उसी समय विराम में आ जाते हैं, परन्तु गति के जड़त्व के कारण ऊपर का शरीर गतिशील बना रहता है और यात्री आगे की ओर गिर जाते हैं।
(c) लान मूवर को धकेलने की अपेक्षा खींचना आसान है – मान लीजिए कि चित्र-5.9 (a) के अनुसार एक लान मूवर को धकेलकर ले जाया जा रहा है। इसके लिए हम मूवर के हत्थे के अनुदिश एक बल लगाते हैं, जो क्षैतिज से नीचे की ओर θ कोण (माना) पर कार्य करता है। मूवर पर कार्यरत अन्य बल, उसका भार Mg, भूमि की अभिलम्ब प्रतिक्रिया N तथा पश्चमुखी घर्षण बल ƒ1 है।
∵ ऊध्र्वाधर दिशा में कोई गति नहीं है।
अतः इस दिशा में नेट बल शून्य होगा।
समीकरण (1) व (2) से स्पष्ट है कि मूवर को खींचते समये अभिलम्ब प्रतिक्रिया उसे धकेलते समय अभिलम्ब प्रतिक्रिया से कम है। चूंकि सीमान्त घर्षण बल अभिलम्ब प्रतिक्रिया के अनुक्रमानुपाती होता है; अतः मूवर को खींचते समय अपेक्षाकृत कम घर्षण बल लगेगा। इससे स्पष्ट है कि मूवर को खींचकर ले जाना धकेलकर ले जाने की तुलना में आसान होता है।
(d) क्रिकेट का खिलाड़ी गेंद को लपकते समय अपने हाथ गेंद के साथ पीछे को खींचता है – ऐसा करने में गेंद को विराम में आने तक पर्याप्त समय मिल जाता है, इससे गेंद के संवेग की परिवर्तन की दर कम हो जाती है और हाथों पर लगने वाला बल घट जाता है फलस्वरूप चोट लगने की सम्भावना कम हो जाती है।
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