प्रश्न.1. निम्नलिखित के उत्तर दीजिए:
(a) आप किसी आवेश का वैद्युत बलों से परिरक्षण उस आवेश को किसी खोखले चालक के भीतर रखकर कर सकते हैं। क्या आप किसी पिण्ड का परिरक्षण, निकट में रखे पदार्थ के गुरुत्वीय प्रभाव से, उसे खोखले गोले में रखकर अथवा किसी अन्य साधनों द्वारा कर सकते हैं?
(b) पृथ्वी के परितः परिक्रमण करने वाले छोटे अन्तरिक्षयान में बैठा कोई अन्तरिक्ष यात्री गुरुत्व बल का संसूचन नहीं कर सकता। यदि पृथ्वी के परितः परिक्रमण करने वाला अन्तरिक्ष स्टेशंन आकार में बड़ा है, तब क्या वह गुरुत्व बल के संसूचन की आशा कर सकता है?
(c) यदि आप पृथ्वी पर सूर्य के कारण गुरुत्वीय बल की तुलना पृथ्वी पर चन्द्रमा के कारण गुरुत्व बल से करें, तो आप यह पाएँगे कि सूर्य का खिंचाव चन्द्रमा के खिंचाव की तुलना में अधिक है (इसकी जाँच आप स्वयं आगामी अभ्यासों में दिए गए आँकड़ों की सहायता से कर सकते हैं) तथापि चन्द्रमा के खिंचाव का ज्वारीय प्रभाव सूर्य के ज्वारीय प्रभाव से अधिक है। क्यों?
(a) गुरुत्वीय प्रभाव से किसी पिण्ड का परिरक्षण किसी भी प्रकार से अथवा साधन से नहीं किया जा सकता।
(b) हाँ, यदि अन्तरिक्ष स्टेशन पर्याप्त रूप में बड़ा है तो यात्री उस स्टेशन के कारण गुरुत्व बल का संसूचन कर सकता है।
(c) किसी ग्रह के कारण ज्वारीय प्रभाव दूरी के घन के व्युत्क्रमानुपाती होता है; अत: यह गुरुत्वीय बल से मुक्त है। चूंकि सूर्य की पृथ्वी से दूरी, चन्द्रमा की पृथ्वी से दूरी की तुलना में बहुत अधिक है; अतः चन्द्रमा के कारण ज्वारीय प्रभाव अधिक होता है।
प्रश्न.2. सही विकल्प का चयन कीजिए:
(a) बढ़ती तुंगता के साथ गुरुत्वीय त्वरण बढ़ता/घटता है।
(b) बढ़ती गहराई के साथ (पृथ्वी को एकसमान घनत्व का गोला मानकर) गुरुत्वीय त्वरण बढता/घटता है।
(c) गुरुत्वीय त्वरण पृथ्वी के द्रव्यमान/पिण्ड के द्रव्यमान पर निर्भर नहीं करता।
(d) पृथ्वी के केन्द्र से r2, तथा r1 दूरियों के दो बिन्दुओं के बीच स्थितिज ऊर्जा- अन्तर के लिए सूत्र – G Mm (1/r2 -1/r1) सूत्र mg (r2 – r1) से अधिक/कम यथार्थ है।
(a) घटता है।
(b) घटता है।
(c) पिण्ड के द्रव्यमान पर निर्भर नहीं करता।
(d) अधिक यथार्थ है।
प्रश्न.3. मान लीजिए एक ऐसा ग्रह है जो सूर्य के परितः पृथ्वी की तुलना में दोगुनी चाल से गति करता है, तब पृथ्वी की कक्षा की तुलना में इसका कक्षीय आमाप क्या है?
माना पृथ्वी का परिक्रमण काल = TE
तब ग्रह का परिक्रमण काल TP = (दिया है)
माना इनके कक्षीय आमाप क्रमशः RE तथा RP हैं,
अर्थात् ग्रह का आमाप पृथ्वी के आमाप से 0.631 गुना छोटा है।
प्रश्न.4. बृहस्पति के एक उपग्रह, आयो (Io) की कक्षीय अवधि 1.769 दिन तथा कक्षा की त्रिज्या 4.22×108 m है। यह दर्शाइए कि बृहस्पति का द्रव्यमान सूर्य के द्रव्यमान का लगभग 1/1000 गुना है।
बृहस्पति के उपग्रह का परिंक्रमण काल
प्रश्न.5. मान लीजिए कि हमारी आकाशगंगा में एक सौर द्रव्यमान के 2.5 × 1011 तारे हैं। मंदाकिनीय केन्द्र से 50,000 ly दूरी पर स्थित कोई तारा अपनी एक परिक्रमा पूरी करने में कितना समय लेगा? आकाशगंगा का व्यास 105 ly लीजिए।
प्रश्नानुसार, तारा आकाशगंगा के परितः R = 50,000 ly त्रिज्या के वृत्तीय पथ पर घूमती है। आकाशगंगा का द्रव्यमान M = 2.5 × 1011 × सौर द्रव्यमान
प्रश्न.6. सही विकल्प का चयन कीजिए–
(a) यदि स्थितिज ऊर्जा का शून्य अनन्त पर है तो कक्षा में परिक्रमा करते किसी उपग्रह की कुल ऊर्जा इसकी गतिज/स्थितिज ऊर्जा का ऋणात्मक है।
(b) कक्षा में परिक्रमा करने वाले किसी उपग्रह को पृथ्वी के गुरुत्वीय प्रभाव से बाहर निकालने | के लिए आवश्यक ऊर्जा समान ऊँचाई (जितनी उपग्रह की है) के किसी स्थिर पिण्ड को | पृथ्वी के प्रभाव से बाहर प्रक्षेपित करने के लिए आवश्यक ऊर्जा से अधिक/कम होती है।
(a) गतिज ऊर्जा का ऋणात्मक है।
(b) कम होती है।
प्रश्न.7. क्या किसी पिण्ड की पृथ्वी से पलायन चाल
(a) पिण्ड के द्रव्यमान,
(b) प्रक्षेपण बिन्दु की अवस्थिति,
(c) प्रक्षेपण की दिशा,
(d) पिण्ड के प्रमोचन की अवस्थिति की ऊँचाई पर निर्भर करती है?
(a) नहीं,
(b) नहीं,
(c) नहीं,
(d) हाँ, निर्भर करती है।
प्रश्न.8. कोई धूमकेतु सूर्य की परिक्रमा अत्यधिक दीर्घवृत्तीय कक्षा में कर रहा है। क्या अपनी कक्षा में धूमकेतु की शुरू से अन्त तक
(a) रैखिक चाल,
(b) कोणीय चाल,
(c) कोणीय संवेग,
(d) गतिज ऊर्जा,
(e) स्थितिज ऊर्जा,
(f) कुल ऊर्जा नियत रहती है? सूर्य के अति निकट आने पर धूमकेतु के द्रव्यमान में ह्रास को नगण्य मानिए।
(a) नहीं,
(b) नहीं,
(c) हाँ, कोणीय संवेग नियत रहता है,
(d) नहीं,
(e) नहीं,
(f) हाँ, कुल ऊर्जा नियत रहती है।
प्रश्न.9. निम्नलिखित में से कौन-से लक्षण अन्तरिक्ष में अन्तरिक्ष यात्री के लिए दुःखदायी हो सकते हैं?
(a) पैरों में सूजन,
(b) चेहरे पर सूजन,
(c) सिरदर्द,
(d) दिविन्यास समस्या।
सही उत्तर (b), (c) तथा (d)।
प्रश्न.10. एकसमान द्रव्यमान घनत्व के अर्द्धगोलीय खोलों द्वारा परिभाषित ढोल के पृष्ठ के केन्द्र पर गुरुत्वीय तीव्रता की दिशा [देखिए चित्र-8.1] (i) a, (ii) b, (iii) c, (iv) 0 में किस तीर द्वारा दर्शाई जाएगी?
यदि हमे गोले को पूरा कर दें तो केन्द्र पर नेट तीव्रता शून्य होगी। इसका यह अर्थ है कि केन्द्र पर दोनों अर्द्धगोलों के कारण तीव्रताएँ परस्पर विपरीत तथा बराबर होंगी। अतः दिशा (iii) c द्वारा प्रदर्शित होगी।
प्रश्न.11. उपर्युक्त समस्या में किसी यादृच्छिक बिन्दु P पर गुरुत्वीय तीव्रता किस तीर
(i) d,
(ii) e,
(iii) f,
(iv) g द्वारा व्यक्त की जाएगी?
सही उत्तर (ii) e द्वारा प्रदर्शित होगी।
प्रश्न.12. पृथ्वी से किसी रॉकेट को सूर्य की ओर दागा गया है। पृथ्वी के केन्द्र से किस दूरी पर रॉकेट | पर गुरुत्वाकर्षण बल शून्य है? सूर्य का द्रव्यमान = 2 × 1030 kg, पृथ्वी का द्रव्यमान = 6 × 1024 kg अन्य ग्रहों आदि के प्रभावों की उपेक्षा कीजिए (कक्षीय त्रिज्या = 1.5 × 1011 m)।
माना पृथ्वी के केन्द्र से x मीटर की दूरी पर रॉकेट पर गुरुत्वाकर्षण बल शून्य है। इस क्षण रॉकेट की सूर्य से दूरी = (r – x) मीटर
जहाँ r = सूर्य तथा पृथ्वी के बीच की दूरी अर्थात् पृथ्वी की कक्षीय त्रिज्या = 1.5 × 1011 मीटर यह तब भी सम्भव है जबकि–पृथ्वी द्वारा रॉकेट पर आरोपित गुरुत्वाकर्षण बल = सूर्य द्वारा रॉकेट पर आरोपित गुरुत्वाकर्षण बल
प्रश्न.13. आप सूर्य को कैसे तोलेंगे, अर्थात् उसके द्रव्यमान का आकलन कैसे करेंगे? सूर्य के परितः पृथ्वी की कक्षा की औसत त्रिज्या 1.5 × 108 km है।
पृथ्वी के परित: उपग्रह के परिक्रमण काल के के सूत्र , के अनुरूप सूर्य के परितः पृथ्वी का परिक्रमण काल
(जहाँ M, = सूर्य का द्रव्यमान)
प्रश्न.14. एक शनि-वर्ष एक पृथ्वी-वर्ष का 29.5 गुना है। यदि पृथ्वी सूर्य से 1.5 × 108 km दूरी पर है, तो शनि सूर्य से कितनी दूरी पर है?
पृथ्वी की सूर्य से दूरी RSE = 1.5×108 km
माना पृथ्वी का परिक्रमण काल = TE
तब शनि का परिक्रमण काल TS = 29.5TE
शनि की सूर्य से दूरी RSS = ?
परिक्रमण कालों के नियम से,
प्रश्न.15. पृथ्वी के पृष्ठ पर किसी वस्तु का भार 63N है। पृथ्वी की त्रिज्या की आधी ऊँचाई पर पृथ्वी के कारण इस वस्तु पर गुरुत्वीय बल कितना है?
यदि पृथ्वी तल पर गुरुत्वीय त्वरण g हो, तो पृथ्वी तल से h ऊँचाई पर गुरुत्वीय त्वरण
यदि वस्तु का द्रव्यमान m हो तो दोनों पक्षों में m से गुणा करने पर,
(जहाँ Re = पृथ्वी की त्रिज्या)
यहाँ mg = पृथ्वी के पृष्ठ पर वस्तु का भार = 63 न्यूटन
mg’ = पृथ्वी तल से h ऊँचाई पर वस्तु का भार अर्थात् पृथ्वी के कारण वस्तु पर गुरुत्वीय बल Fg तथा h = Re/2
प्रश्न.16. यह मानते हुए कि पृथ्वी एकसमान घनत्व का एक गोला है तथा इसके पृष्ठ पर किसी वस्तु का भार 250 N है, यह ज्ञात कीजिए कि पृथ्वी के केन्द्र की ओर आधी दूरी पर इस वस्तु का भार क्या होगा?
पृथ्वी तल से h गहराई पर गुरुत्वीय त्वरण
(जहाँ Re = पृथ्वी की त्रिज्या)
अथवायहाँ पृथ्वी के पृष्ठ पर वस्तु का भार mg = 250 N
h = Re/2(जहाँ Re = पृथ्वी की त्रिज्या)
mg’ = इस गहराई पर वस्तु का भार w’= 125 N
प्रश्न 17. पृथ्वी के पृष्ठ से ऊर्ध्वाधरतः ऊपर की ओर कोई रॉकेट 5 km s-1 की चाल से दागा जाता है। पृथ्वी पर वापस लौटने से पूर्व यह रॉकेट पृथ्वी से कितनी दूरी तक जाएगा? पृथ्वी का द्रव्यमान = 6.0 × 1024 kg; पृथ्वी की माध्य त्रिज्या = 6.4 × 106 m तथा G = 6.67 × 10-11N-m2/kg-2.
माना रॉकेट का द्रव्यमान = m; पृथ्वी से ऊर्ध्वाधरत: ऊपर की ओर रॉकेट का प्रक्षेप्य वेग ν = 5 किमी-से-1 = 5 × 103 मी-से-1
माना रॉकेट पृथ्वी पर वापस लौटने से पूर्व पृथ्वी से अधिकतम दूरी H ऊँचाई तक जाता है। अत: इस ऊँचाई पर रॉकेट का वेग शून्य हो जाता है।
ऊर्जा संरक्षण सिद्धान्त से पृथ्वी तल से महत्तम ऊँचाई पर
पहुँचने पररॉकेट की गतिज ऊर्जा में कमी = उसकी गुरुत्वीय स्थितिज ऊर्जा में वृद्धि –
प्रश्न.18. पृथ्वी के पृष्ठ पर किसी प्रक्षेप्य की पलायन चाल 11.2 kms-1 है। किसी वस्तु को इस चाल की तीन गुनी चाल से प्रक्षेपित किया जाता है। पृथ्वी से अत्यधिक दूर जाने पर इस वस्तु की चाल क्या होगी? सूर्य तथा अन्य ग्रहों की उपस्थिति की उपेक्षा कीजिए।
पृथ्वी के पृष्ठ पर पलायन चाल चाल
यहाँ पृथ्वी के पृष्ठ पर वस्तु का प्रक्षेप्य वेग ) ν = 3νe;
माना पृथ्वी से अत्यधिक दूर (अनन्त पर) चाल = νf
ऊर्जा संरक्षण के सिद्धान्त से, पृथ्वी तल पर कुल ऊर्जा = अनन्त पर कुल ऊर्जा
अर्थात् पृथ्वी तल पर (गतिज ऊर्जा + स्थितिज ऊर्जा) = अनन्त पर (गतिज ऊर्जा + स्थितिज ऊर्जा)
प्रश्न.19. कोई उपग्रह पृथ्वी के पृष्ठ से 400 km ऊँचाई पर पृथ्वी की परिक्रमा कर रहा है। इस उपग्रह को पृथ्वी के गुरुत्वीय प्रभाव से बाहर निकालने में कितनी ऊर्जा खर्च होगी? उपग्रह का द्रव्यमान = 200 kg; पृथ्वी का द्रव्यमान = 6.0 × 1024 kg; पृथ्वी की त्रिज्या = 6.4 × 106 m तथा G = 6.67 × 10-11 N m2 kg-2.
पृथ्वी के परितः उपग्रह की कक्षा की त्रिज्या r = Re + h
r = 6.4 × 106 मीटर + 400 × 103 मीटर
= 68 × 105 मीटर = 6.8 × 106
मीटर अतः इस कक्षा में घूमते हुए उपग्रह की कुल ऊर्जा
(जहाँ m = उपग्रह का द्रव्यमान, Me = पृथ्वी का द्रव्यमान)
पृथ्वी के.गुरुत्वीय प्रभाव से उपग्रह को बाहर निकालने के लिए इसको दी जाने वाली आवश्यक ऊर्जा
प्रश्न.20. दो तारे, जिनमें प्रत्येक का द्रव्यमान सूर्य के द्रव्यमान (2 × 1030 kg) के बराबर है, एक-दूसरे की ओर सम्मुख टक्कर के लिए आ रहे हैं। जब वे 109 km दूरी पर हैं तब इनकी चाल उपेक्षणीय है। ये तारे किस चाल से टकराएँगे? प्रत्येक तारे की त्रिज्या 104 km है। यह मानिए कि टकराने के पूर्व तक तारों में कोई विरूपण नहीं होता (G के ज्ञात मान का उपयोग कीजिए)।
दिया है, प्रत्येक तारे को द्रव्यमान (माना) M = 2 × 1030 किग्रा तथा तारों के बीच प्रारम्भिक दूरी (माना) r1 = 109 किमी = 1012 मी।
तारों की प्रारम्भिक कुल ऊर्जा Ei = प्रारम्भिक गतिज ऊर्जा + प्रारम्भिक स्थितिज ऊर्जा
जब दोनों तारे परस्पर टकराते हैं, तो उनके बीच की दूरी r2 = 2 × x तारे की त्रिज्या = 2R यदि तारों का ठीक टकराने से पूर्व वेग ν हो अर्थात् वे ν चाल से टकराते हैं, तो तारों की कुल अन्तिम ऊर्जा Ef = अन्तिम गतिज ऊर्जा + अन्तिम स्थितिज ऊर्जा
प्रश्न.21. दो भारी गोले जिनमें प्रत्येक का द्रव्यमान 100 kg तथा त्रिज्या 0.10 m है किसी क्षैतिज मेज पर एक-दूसरे से 1.0 m दूरी पर स्थित हैं। दोनों गोलों के केन्द्रों को मिलाने वाली रेखा। के मध्य बिन्दु पर गुरुत्वीय बल तथा विभव क्या है? क्या इस बिन्दु पर रखा कोई पिण्ड सन्तुलन में होगा? यदि हाँ, तो यह सन्तुलन स्थायी होगा अथवा अस्थायी?
प्रत्येक गोले का द्रव्यमान इसके केन्द्र पर निहित माना जा सकता है।
अतः ! CACB = r = 1.0 मीटर तथा mA = mB = 100 किग्रा
दोनों गोलों के केन्द्रों को मिलाने वाली रेखा के मध्य बिन्दु M की प्रत्येक गोले के केन्द्र से
अतः ये एक-दूसरे को निरस्त कर देगी। इसलिए M पर परिणामी गुरुत्व क्षेत्र की तीव्रता = शून्य। परन्तु गुरुत्वीय क्षेत्र की तीव्रता की परिभाषा से यह M बिन्दु पर रखे एकांक द्रव्यमान पर लगने वाले गुरुत्वीय बल को व्यक्त करेगी। इसलिए गोले के मध्य बिन्दु M पर रखे किसी भी पिण्ड पर गुरुत्वीय बल शून्य होगा। गोले A के कारण बिन्दु M पर गुरुत्वीय बिभव
चूँकि ऊपर सिद्ध किया जा चुका है कि मध्य बिन्दु M पर रखे किसी भी पिण्ड पर परिणामी गुरुत्वीय
बल = शून्य
अतः मध्य बिन्दु M पर रखा पिण्ड सन्तुलन में होगा।।
अब यदि पिण्ड को थोड़ा-सा मध्य बिन्दु से किसी भी गोले की ओर विस्थापित कर दिया जाये तो वह एक नेट गुरुत्वीय बल के कारण इस बिन्दु से दूर विस्थापित होता चला जायेगा। अतः पिण्ड का सन्तुलन अस्थायी है।
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