UPSC Exam  >  UPSC Notes  >  NCERT Textbooks in Hindi (Class 6 to Class 12)  >  NCERT Solutions: नागरिकता (Citizenship)

नागरिकता (Citizenship) NCERT Solutions | NCERT Textbooks in Hindi (Class 6 to Class 12) - UPSC PDF Download

प्रश्न.1. राजनीतिक समुदाय की पूर्ण और समान सदस्यता के रूप में नागरिकता में अधिकार और दायित्व दोनों शामिल हैं। समकालीन लोकतान्त्रिक राज्यों में नागरिक किन अधिकारों के उपभोग की अपेक्षा कर सकते हैं? नागरिकों के राज्य और अन्य नागरिकों के प्रति क्या दायित्व हैं?

समकालीन विश्व में राष्ट्रों ने अपने सदस्यों को एक सामूहिक राजनीतिक पहचान के साथ-साथ कुछ अधिकार भी प्रदान किए हैं। नागरिकों को प्रदत्त अधिकारों की सुस्पष्ट प्रकृति विभिन्न राष्ट्रों में भिन्न-भिन्न हो सकती है, लेकिन अधिकतर लोकतान्त्रिक देशों ने आज उनमें कुछ राजनीतिक अधिकार शामिल किए हैं। उदाहरणस्वरूप, मतदान अभिव्यक्ति या आस्था की आजादी जैसे नागरिक अधिकार और न्यूनतम मजदूरी या शिक्षा पाने से जुड़े कुछ सामाजिक-आर्थिक अधिकार अधिकारों और प्रतिष्ठा की समानता नागरिकता के बुनियादी अधिकारों में से एक है।


प्रश्न.2. सभी नागरिकों को समान अधिकार दिए तो जा सकते हैं लेकिन हो सकता है कि वे इन अधिकारों का प्रयोग समानता से न कर सकें। इस कथन की व्याख्या कीजिए।

सभी नागरिकों को समान अधिकार और अवसर देने पर विचार करना और सुनिश्चित करना किसी सरकार के लिए सरल नहीं होता। विभिन्न समूह के लोगों की आवश्यकताएँ और समस्याएँ अलग-अलग हो सकती हैं और एक समूह के अधिकार दूसरे समूह के अधिकारों के प्रतिकूल हो सकते हैं। नागरिकों के लिए समान अधिकार का आशय यह नहीं होता कि सभी लोगों पर समान नीतियाँ लागू की दी जाएँ, क्योंकि विभिन्न समूह के लोगों की आवश्यकताएँ भिन्न-भिन्न हो सकती हैं। अगर उद्देश्य केवल ऐसी नीति बनाना नहीं है जो सभी लोगों पर एक तरह से लागू हों बल्कि लोगों को अधिक बराबरी पर लाना है तो नीतियों का निर्माण करते समय विभिन्न आवश्यकताओं और दावों का ध्यान रखना होगा।


प्रश्न.3. भारत में नागरिक अधिकारों के लिए हाल के वर्षों में किए गए किन्हीं दो संघर्षों पर टिप्पणी लिखिए। इन संघर्षों में किन अधिकारों की मॉग की गई थी?

झोपड़पट्टी वाली का आन्दोलन – भारत के प्रत्येक शहर में एक बड़ी जनसंख्या झोपड़पट्टियों और अवैध कब्जे की जमीन पर बसे लोगों की हैं। यद्यपि ये लोग अपरिहार्य और उपयोगी काम अक्सर कम मजदूरी पर करते हैं फिर भी शहर की शेष जनसंख्या उन्हें अवांछनीय अतिथि के रूप में देखती है। उन पर शहर के संसाधनों पर बोझ बनने या अपराध करने का आरोप लगाया जाता हैं।
गन्दी बस्तियों की दशा अत्यन्त दयनीय होती है। छोटे-छोटे कमरों में बहुत-से लोग हुँसे रहते हैं। यहाँ न निजी शौचालय होता है, न जलापूर्ति और न सफाई व्यवस्था। गन्दी बस्तियों में जीवन और सम्पत्ति असुरक्षित होते हैं। झोपड़ी-पट्टियों के निवासी अपने श्रम से अर्थव्यव्सथा में महत्त्वपूर्ण योगदान करते हैं। अन्य व्यवसायों के बीच ये फेरीवाले, छोटे व्यापारी, सफाई कर्मी या घरेलू नौकर, नल ठीक करने वाले या मिस्त्री होते हैं। झोपड़-पट्टियों में बेत-बुनाई या कपड़ा-हँगाई-छपाई या सिलाई जैसे छोटे व्यवसाय भी चलते हैं।
झोपड़-पटिटय अपने अधिकारों के प्रति जागरूक और संगठित हो रही हैं। उन्होंने इसके लिए आन्दोलन भी चलाए और अदालतों में दस्तक भी दी है। उनके लिए वोट देने जैसे बुनियादी राजनीतिक अधिकार का प्रयोग करना भी कठिन हो जाता है। सर्वोच्च न्यायालय ने मुम्बई की झोपड़-पट्टियों में रहने वालों के अधिकारों के बारे में समाजकर्मी ओल्गा टेलिस की जनहित याचिका (ओल्गा टेलिस बनाम बम्बई नगर निगम) पर 1985 में एक महत्त्वपूर्ण निर्णय दिया। याचिका में कार्यस्थल के निकट रहने की वैकल्पिक जगह उपलब्ध नहीं होने के कारण फुटपाथ या झोपड़-पट्टियों में रहने के अधिकार का दावा किया गया था। अगर यहाँ रहने वालों को हटने के लिए मजबूर किया गया तो उन्हें आजीविका भी गॅवानी पड़ेगी। सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि संविधान की धारा 21 में जीने के अधिकार की गारण्टी दी गई है, जिसमें आजीविका का अधिकार शामिल है। इसलिए अगर फुटपाथवासियों को बेदखल करना हो तो उन्हें आश्रय के अधिकार के अन्तर्गत पहले वैकल्पिक जगह उपलब्ध करानी होगी।
टिहरी विस्थापितों का आन्दोलन – टिहरी गढ़वाल में टिहरी बाँध के बनने से टिहरी शहर डूब गया। इसके विस्थापितों के लिए सरकार ने जो व्यवस्थाएँ की थीं वे अपर्याप्त थीं। उचित मुआवजे की माँग और उचित आवास की माँग ने जीने के अधिकार का रूप धारण कर लिया। एक बड़ा आन्दोलन चला। अन्तत: सरकार ने सभी को उनके अधिकारों के अन्तर्गत राहत प्रदान की।


प्रश्न.4. शरणार्थियों की समस्याएँ क्या हैं? वैश्विक नागरिकता की अवधारणा किस प्रकार उनकी सहायता कर सकती है?

जब हम शरणार्थियों या अवैध अप्रवासियों के विषय में सोचते हैं तो मन में अनेक छवियाँ उभरती हैं। उसमें एशिया या अफ्रीका के ऐसे लोगों की छवि हो सकती है जिन्होंने यूरोप या अमेरिका में चोरी-छिपे घुसने के लिए दलाल को पैसे का भुगतान किया हो। इसमें जोखिम बहुत है लेकिन वे प्रयास में तत्पर दिखते हैं। एक अन्य छवि युद्ध या अकाल से विस्थापित लोगों की हो सकती है। इस प्रकार के बहुत से दृश्य हमें दूरदर्शन पर दिखाई दे जाते हैं। सूडान डरफर क्षेत्र के शरणार्थी, फिलीस्तीनी, बर्मी या बंगलादेशी शरणार्थी जैसे कई उदाहरण हैं। ये सभी ऐसे लोग हैं जो अपने ही देश या पड़ोसी देश में शरणार्थी बनने के लिए मजबूर किए गए हैं।
हम यह मान लेते हैं कि किसी देश की पूर्ण सदस्यता उन सबको उपलब्ध होनी चाहिए, जो सामान्यतया उस देश में रहते और काम करते हैं या जो नागरिकता के लिए आवेदन करते हैं। वैसे अनेक देश वैश्विक और समावेशी नागरिकता को समर्थन करते हैं लेकिन नागरिकता देने की शर्ते भी निर्धारित करते हैं। ये शर्ते साधारणतया देश के संविधान और कानूनों में लिखी होती हैं। अवांछित आगंतुकों को नागरिकता से बाहर रखने के लिए राज्य सत्ताएँ शक्ति का प्रयोग करती हैं।
अनेक प्रतिबन्ध, दीवार और बाड़ लगाने के बाद आज भी दुनिया में बड़े पैमाने पर लोगों का देशान्तरण होता है। अगर कोई देश स्वीकार करने के लिए तैयार नहीं होता और वे घर नहीं लौट सकते तो वे राज्यविहीन और शरणार्थी हो जाते हैं। वे शिविरों में या अवैध प्रवासी के रूप में रहने के लिए विवश किए जाते हैं। अक्सर वे कानूनी रूप से काम नहीं कर सकते या अपने बच्चों को पढ़ा-लिखा नहीं सकते या सम्पत्ति अर्जित नहीं कर सकते। शरणार्थियों की समस्या इतनी गम्भीर है कि संयुक्त राष्ट्र ने शरणार्थियों की जाँच करने और सहायता करने के लिए उच्चायुक्त नियुक्त किया हुआ है।
विश्व नागरिकता की अवधारणा अभी साकार नहीं हुई है। फिर भी इसके आकर्षणों में से एक यह है कि इससे राष्ट्रीय सीमाओं के दोनों ओर की उन समस्याओं का मुकाबला करना सरल हो सकता है। जिसमें कई देशों की सरकारों और लोगों की संयुक्त कार्यवाही आवश्यक होती है। इससे शरणार्थियों की समस्या का सर्वमान्य समाधान पाना सरल हो सकता है या कम-से-कम उनके बुनियादी अधिकार और सुरक्षा सुनिश्चित की जा सकती है चाहे वे किसी भी देश में रहते हों।


प्रश्न.5. देश के अन्दर एक क्षेत्र से दूसरे क्षेत्र में लोगों के आप्रवासन का आमतौर पर स्थानीय लोग विरोध करते हैं। प्रवासी लोग स्थानीय अर्थव्यवस्था में क्या योगदान दे सकते हैं?

प्रवासी लोग अपने श्रम से अर्थव्यवस्था में महत्त्वपूर्ण योगदान करते हैं। अन्य व्यवसायों के बीच ये प्रवासी फेरीवाले, छोटे व्यापारी, सफाईकर्मी या घरेलू नौकर, नल ठीक करने वाले या मिस्त्री होते हैं। प्रवासी लोग अपने रहने के स्थान पर बेत-बुनाई या कपड़ा-हँगाई-छपाई, कपड़ों की सिलाई जैसे छोटे कारोबार भी चलाते हैं।

नागरिकता (Citizenship) NCERT Solutions | NCERT Textbooks in Hindi (Class 6 to Class 12) - UPSC

यदि ये प्रवासी लोग किसी नगर के जीवन से चले जाएँ या अपनी सभी आर्थिक गतिविधियाँ बन्द कर दें तो लोगों की क्या दशा होगी उसे उपर्युक्त चित्र के माध्यम से भली-भाँति समझा जा सकता है।


प्रश्न.6. भारत जैसे समान नागरिकता देने वाले देशों में भी लोकतान्त्रिक नागरिकता एक पूर्ण स्थापित तथ्य नहीं वरन एक परियोजना है। नागरिकता से जुड़े उन मुद्दों की चर्चा कीजिए जो आजकल भारत में उठाये जा रहे हैं?

भारत स्वयं को धर्मनिरपेक्ष और लोकतान्त्रिक राष्ट्र राज्य कहता है। स्वतन्त्रता आन्दोलन का आधार व्यापक था और विभिन्न धर्म, क्षेत्र और संस्कृति के लोगों को आपस में जोड़ने के कृत संकल्प प्रयास किए गए। यह सही है कि जब मुस्लिम लीग से विवाद नहीं सुलझाया जा सका, तब 1947 ई० में देश का विभाजन हुआ। लेकिन इसने उस राष्ट्र राज्य के धर्मनिरपेक्ष ओर समावेशी चरित्र को बनाए रखने के भारतीय राष्ट्रीय नेताओं के निश्चय को और सुदृढ़ ही किया जिसके निर्माण के लिए वे प्रतिबद्ध थे। यह निश्चय संविधान में सम्मिलित किया गया।
भारतीय संविधान ने बहुत ही विविधतापूर्ण समाज को समायोजित करने का प्रयास किया है। इन विविधताओं में से कुछ उल्लेखनीय हैं-

  • इसने अनुसूचित्र जाति और अनुसूचित जनजाति जैसे भिन्न-भिन्न समुदायों, पूर्व में समान अधिकार से वंचित रही महिलाएँ, आधुनिक सभ्यता के साथ मामूली सम्पर्क रखने वाले अण्डमान और निकोबार द्वीपसमूह के कुछ सुदूरवर्ती समुदायों और कई अन्य समुदायों को पूर्ण और समान नागरिकता देने का प्रयास किया।
  • इसने देश के विभिन्न हिस्सों में प्रचलित विभिन्न भाषाओं, धर्म और रिवाजों की पहचान बनाए रखने का प्रयास किया। इसे लागों को उनकी निजी आस्था, भाषा या सांस्कृतिक रिवाजों को छोड़ने के लिए बाध्य किए बिना सभी को समान अधिकार उपलब्ध कराना था। संविधान के जरिए आरम्भ किया गया यह अद्वितीय प्रयोग था दिल्ली में गणतन्त्र दिवस परेड में विभिन्न क्षेत्र, संस्कृति और धर्म के लोगों को सम्मिलित करने के राजसत्ता के प्रयास को प्रतिबिम्बित करता है।
  • नागरिकता से सम्बन्धित प्रावधानों का उल्लेख संविधान के तीसरे भाग और संसद द्वारा बाद में पारित कानूनों में हुआ है। संविधान ने नागरिकता की लोकतान्त्रिक और समावेशी धारणा को अपनाया है। भारत में जन्म, वंश परम्परा, पंजीकरण, देशीकरण या किसी भू-क्षेत्र के राज क्षेत्र शामिल होने से नागरिकता प्राप्त की जा सकती है। संविधान में नागरिकों के अधिकार और दायित्वों का उल्लेख है। यह प्रावधान भी है कि राज्य को नस्ल/जाति/लिंग/जन्मस्थल में से किसी भी आधार पर नागरिकों के साथ भेदभाव नहीं करना चाहिए। धार्मिक और भाषाई अल्पसंख्यकों के अधिकारों को भी संरक्षित किया गया है। इस प्रकार के समावेशी प्रवाधानों ने संघर्ष और विवादों को जन्म दिया है। महिला आन्दोलन, दलित आन्दोलन या विकास योजनाओं से विस्थापित लोगों का संघर्ष ऐसे लोगों द्वारा चलाए जा रहे संघर्षों के कुछ उदाहरण हैं, जो मानते हैं कि उनकी नागरिकता को पूर्ण अधिकारों से वंचित किया जा रहा है। भारत के अनुभवों से संकेत प्राप्त होते हैं कि किसी देश में लोकतान्त्रिक नागरिकता एक परियोजना या लक्ष्यसिद्धि का एक आदर्श है। जैसे-जैसे समाज बदल रहे हैं, वैसे-वैसे नित-नए मुद्दे भी समाने आ रहे हैं।
The document नागरिकता (Citizenship) NCERT Solutions | NCERT Textbooks in Hindi (Class 6 to Class 12) - UPSC is a part of the UPSC Course NCERT Textbooks in Hindi (Class 6 to Class 12).
All you need of UPSC at this link: UPSC
916 docs|393 tests

Top Courses for UPSC

916 docs|393 tests
Download as PDF
Explore Courses for UPSC exam

Top Courses for UPSC

Signup for Free!
Signup to see your scores go up within 7 days! Learn & Practice with 1000+ FREE Notes, Videos & Tests.
10M+ students study on EduRev
Related Searches

नागरिकता (Citizenship) NCERT Solutions | NCERT Textbooks in Hindi (Class 6 to Class 12) - UPSC

,

ppt

,

Summary

,

Sample Paper

,

video lectures

,

Extra Questions

,

नागरिकता (Citizenship) NCERT Solutions | NCERT Textbooks in Hindi (Class 6 to Class 12) - UPSC

,

Objective type Questions

,

pdf

,

practice quizzes

,

Previous Year Questions with Solutions

,

shortcuts and tricks

,

Important questions

,

नागरिकता (Citizenship) NCERT Solutions | NCERT Textbooks in Hindi (Class 6 to Class 12) - UPSC

,

MCQs

,

Viva Questions

,

study material

,

Exam

,

past year papers

,

Free

,

Semester Notes

,

mock tests for examination

;