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पृथ्वी की उत्पत्ति एवं विकास (The Origin and Evolution of the Earth) NCERT Solutions | NCERT Textbooks in Hindi (Class 6 to Class 12) - UPSC PDF Download

अभ्यास

प्रश्न.1. बहुवैकल्पिक प्रश्न:

(i) निम्नलिखित में से कौन सी संख्या पृथ्वी की आयु को प्रदर्शित करती है?
(क) 46 लाख वर्ष
(ख) 4600 करोड़ वर्ष
(ग) 13.7 अरब वर्ष
(घ) 13.7 खरब वर्ष

सही उत्तर (ग) 13.7 अरब वर्ष

(ii) निम्न में कौन सी अवधि सबसे लंबी है:
(क) इओन (Eons)
(ख) महाकल्प (Era)
(ग) कल्प (Period)
(घ) युग (Epoch)

सही उत्तर (क) इओन (Eons)

(iii) निम्न में से कौन सा तत्व वर्तमान वायुमंडल के निर्माण व संशोधन में सहायक नहीं है?
(क) सौर पवन
(ख) गैस उत्सर्जन
(ग) विभेदन
(घ) प्रकाश संश्लेषण

सही उत्तर (ग) विभेदन

(iv) निम्नलिखित में से भीतरी ग्रह कौन से हैं:
(क) पृथ्वी व सूर्य के बीच पाए जाने वाले ग्रह
(ख) सूर्य और छुद्र ग्रहों की पट्टी के बीच पाए जाने वाले ग्रह
(ग) वे ग्रह जो गैसीय हैं
(घ) बिना उपग्रह वाले ग्रह

सही उत्तर (घ) बिना उपग्रह वाले ग्रह

(v) पृथ्वी पर जीवन निम्नलिखित में से लगभग कितने वर्षों पहले आरंभ हुआ।
(क) 1 अरब 37 करोड़ वर्ष पहले
(ख) 460 करोड़ वर्ष पहले
(ग) 38 लाख वर्ष पहले
(घ) 3 अरब, 80 करोड़ वर्ष पहले

सही उत्तर (घ) 3 अरब, 80 करोड़ वर्ष पहले


प्रश्न.2. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लगभग 30 शब्दों में दीजिए:

(i) पार्थिव ग्रह चट्टानी क्यों हैं?

पार्थिव ग्रह चट्टानी हैं क्योंकि:
(i) पार्थिव ग्रह जनक तारे के बहुत समीप बने जहाँ अत्यधिक तापमान के कारण गैसें संघनित नहीं हो पाईं और घनीभूत भी न ही सकीं। जोवियन ग्रहों की रचना अपेक्षाकृत अधिक दूरी पर हुई।
(ii) सौर वायु सूर्य के नज़दीक ज्यादा शक्तिशाली थी। अत: पार्थिव ग्रहों से ज्यादा मात्रा में गैस व धूलकणा उड़ा ले गई। सौर पवन इतनी शक्तिशाली न होने के कारण जोवियन ग्रहों से गैसों को नहीं हटा पाई।
(iii) पार्थिव ग्रहों के छोटे होने से इनकी गुरुत्वाकर्षण शक्ति भी कम रही जिसके परिणामस्वरूप इनसे निकली हुई गैस इनपर रुकी नहीं रह सकी।

(ii) पृथ्वी की उत्पत्ति संबंधित दिये गए तर्कों में निम्न वैज्ञानिकों के मूलभूत अंतर बताएँ:
(क) कान्ट व लाप्लेस
(ख) चैम्बरलेन व मोल्टन

चैम्बरलेन वे मोल्टन की ग्रहाणु परिकल्पना कान्ट व लाप्लास की निहारिका परिकल्पना के विपरीत हैं। इनके अनुसार पृथ्वी की उत्पत्ति दो बड़े तारों सूर्य तथा उसके साथी तारे के सहयोग से हुई है। जबकि काण्ट व लाप्लास की परिकल्पना का आधार केवल एक तारा अर्थात् सूर्य है जिसके सहयोग से नीहारिका द्वारा पृथ्वी की उत्पत्ति हुई है। इसी कारण काण्ट एवं लाप्लास की परिकल्पना एकतारक तथा चैम्बरलेन व मोल्टन की परिकल्पना द्वैतारक परिकल्पना कहलाती है।

(iii) विभेदन प्रक्रिया से आप क्या समझते हैं?

पृथ्वी की उत्पत्ति में स्थलमण्डल निर्माण अवस्था के अन्तर्गत हल्के व भारी घनत्व वाले पदार्थों के पृथक् होने की प्रक्रिया विभेदन (Differentiation) कहलाती है। इस प्रक्रिया के अन्तर्गत भारी पदार्थ पृथ्वी के केन्द्र में चले गए और हल्के पदार्थ पृथ्वी की सतह पर ऊपरी भाग की तरफ आ गए। समय के साथ-साथ यह अधिक ठण्डे और ठोस होकर छोटे आकार में परिवर्तित हो गए। विभेदन की इसी प्रक्रिया के परिणामस्वरूप पृथ्वी का पदार्थ अनेक परतों में विभाजित हो गया तथा क्रोड तक कई परतों का निर्माण हुआ।

(iv) प्रारम्भिक काल में पृथ्वी के धरातल का स्वरूप क्या था?

प्रारम्भिक काल में पृथ्वी को धरातल चट्टानी एवं तप्त तथा। सम्पूर्ण पृथ्वी वीरान थी। यहाँ वायुमण्डल अत्यन्त विरल था जो हाइड्रोजन एवं हीलियम गैसों द्वारा बना था। पृथ्वी का यह वायुमण्डल आज के वायुमण्डल से बिल्कुल भिन्न था। लगभग आज से 460 करोड़ वर्ष पूर्व पृथ्वी एवं इसके वायुमण्डल में जीवन के अनुकूल परिवर्तन आए जिससे जीवन का विकास हुआ।

(v) पृथ्वी के वायुमंडल को निर्मित करने वाली प्रारंभिक गैसें कौन-सी थीं?

प्रारंभ में, पृथ्वी का वायुमंडल हाइड्रोजन व हीलियम गैसों से बना था। प्रारंभिक वायुमंडल जिसमें हाइड्रोजन व हीलियम की अधिकता थी, सौर पवन के कारण पृथ्वी से दूर हो गया। पृथ्वी के ठंडा होने और विभेदन के दौरान, पृथ्वी के अंदरूनी भाग से बहुत सी गैसें व जलवाष्प बाहर निकले। इसी से आज के वायुमंडल का उद्भव हुआ।


प्रश्न.3. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लगभग 150 शब्दों में दीजिए:

(i) बिग बैंग सिद्धान्त का विस्तार से वर्णन करें।

बिग बैंग सिद्धांत को विस्तरित ब्रह्मांड परिकल्पना भी कहा जाता है। 1920 ई. में एडविन हब्बल ने प्रमाण दिए कि ब्रह्मांड का विस्तार हो रहा है। समय बीतने के साथ आकाशगंगाएँ एक दूसरे से दूर हो रही हैं।
बिग बैंग सिद्धांत के अनुसार ब्रह्मांड का विस्तार निम्न अवस्थाओं में हुआ है:

  • आरंभ में वे सभी पदार्थ, जिनसे ब्रह्मांड बना है, अति छोटे गोलक (एकाकी परमाणु) के रूप में एक ही स्थान पर स्थित थे। जिसका आयतन अत्यधिक सूक्ष्म एवं तापमान तथा घनत्व अनंत था।
  • बिग बैंग की प्रक्रिया में इस अति छोटे गोलक में भीषण विस्फोट हुआ। इस प्रकार की विस्फोट प्रक्रिया से वृहत् विस्तार हुआ। वैज्ञानिकों का विश्वास है कि बिग बैंग की घटना आज से 13.7 अरब वर्षों पहले हुई थी। ब्रह्मांड का विस्तार आज भी जारी है। विस्तार के कारण कुछ ऊर्जा पदार्थ में परिवर्तित हो गई| विस्फोट के बाद एक सैकेंड के अल्पांश के अंतर्गत ही वृहत् विस्तार हुआ। इसके बाद विस्तार की गति धीमी पड़ गई। बिग बैंग होने के आरंभिक तीन मिनट के अंतर्गत ही पहले परमाणु का निर्माण हुआ।
  • बिग बैंग से 3 लाख वर्षों के दौरान, तापमान 4500° केल्विन तक गिर गया और परमाणवीय पदार्थ का निर्माण हुआ। ब्रह्मांड पारदर्शी हो गया।

(ii) पृथ्वी की विकास सम्बन्धी अवस्थाओं को बताते हुए हर अवस्था/चरण को संक्षेप में वर्णित करें।

पृथ्वी का उद्भव
प्रारम्भिक अवस्था में पृथ्वी तप्त चट्टानी एवं वीरान थी। इसका वायुमण्डल विरल था जो हाइड्रोजन एवं हीलियम गैसों द्वारा निर्मित था। यह वायुमण्डल वर्तमान वायुमण्डल से अत्यन्त भिन्न था। अत: कुछ ऐसी घटनाएँ एवं क्रियाएँ हुईं जिनके परिणामस्वरूप यह तप्त चट्टानी एवं वीरान पृथ्वी एक सुन्दर ग्रह के रूप में परिवर्तित हो गई। वर्तमान पृथ्वी की संरचना परतों के रूप में है, वायुमण्डल के बाहरी छोर से पृथ्वी के क्रोड तक जो पदार्थ हैं वे भी समान नहीं हैं। पृथ्वी की भू-पर्पटी या सतह से केन्द्र तक अनेक मण्डल हैं और प्रत्येक मण्डल एवं इसके पदार्थ की अपनी अलग विशेषताएँ हैं।
पृथ्वी के विकास की अवस्थाओं का अध्ययन निम्नलिखित शीर्षक के अन्तर्गत किया जा सकता है:
1. स्थलमण्डल का विकास- पृथ्वी के विकास की अवस्था के प्रारम्भिक चरण में स्थलमण्डल का निर्माण हुआ। स्थलमण्डल अर्थातृ पृथ्वी ग्रह की रचना ग्रहाणु व दूसरे खगोलीय पिण्डों के घने एवं हल्के पदार्थों के मिश्रण से हुई है। उल्काओं के अध्ययन से पता चलता है कि बहुत से ग्रहाणुओं के एकत्रण से ग्रह बने हैं। पृथ्वी की रचना भी इसी प्रक्रम द्वारा हुई है। जब पदार्थ गुरुत्व बल के कारण संहत (इकट्टा) हो रहा था तो पिण्डों ने पदार्थ को प्रभावित किया। इससे अत्यधिक मात्रा में उष्मा उत्पन्न हुई और पदार्थ द्रव अवस्थाओं में परिवर्तित होने लगा। अत्यधिक ताप के कारण पृथ्वी आंशिक रूप से द्रव अवस्था में रह गई और तापमान की अधिकता के कारण हल्के और भारी घनत्व के पदार्थ अलग होने आरम्भ हो गए। इसी अलगाव से भारी पदार्थ जैसे लोहा आदि केन्द्र में एकत्र हो गए और हल्के पदार्थ पृथ्वी की ऊपरी सतह अर्थात् भू-पर्पटी के रूप में विकसित हो गए।
हल्के एवं भारी घनत्व वाले पदार्थों के पृथक होने की इस प्रक्रिया को विभेदन (Differentiation) कहा जाता है। चन्द्रमा की उत्पत्ति के समय भीषण संघटन (Giant Impact) के कारण पृथ्वी का तापमान पुनः बढ़ा या फिर ऊर्जा, उत्पन्न हुई यह विभेदन का दूसरा चरण था। पृथ्वी के विकास के इस दूसरे चरण में पृथ्वी का पदार्थ अनेक परतों में पृथक् हो गया जैसे–पर्पटी (Crust) प्रावार (Mantle), बाह्य क्रोड (Outer Core) और आन्तरिक क्रोड (Inner Core) आदि बने जिसे सामूहिक रूप से स्थलमण्डल कहा जाता है।
2. वायुमण्डल एवं जलमण्डल का विकास-पृथ्वी के ठण्डा होने एवं विभेदन के समय पृथ्वी के आन्तरिक भाग से बहुत-सी गैसें एवं जलवाष्प बाहर निकले। इसी से वर्तमान वायुमण्डल का उद्भव हुआ। प्रारम्भ में वायुमण्डल में जलवाष्प, नाइट्रोजन, कार्बन डाइऑक्साइड, मीथेन व अमोनिया अधिक मात्रा में और स्वतन्त्र ऑक्सीजन अत्यन्त कम मात्रा में थी। लगातार ज्वालामुखी विस्फोट से वायुमण्डल में जलवाष्प वे गैस बढ़ने लगी। पृथ्वी के ठण्डा होने के साथ-साथ जलवाष्प को संघटन शुरू हो गया। वायुमण्डल में उपस्थित कार्बन डाइऑक्साइड के वर्षा पानी में घुलने से तापमान में और अधिक कमी आई। फलस्वरूप अधिक संघनन से अत्यधिक वर्षा हुई जिससे पृथ्वी की गर्तों में वर्षा का जल एकत्र होने लगा और इस प्रक्रिया से महासागरों की उत्पत्ति हुई।

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