प्रश्न.1. निम्न प्रश्नों के उत्तर दीजिए-
(क) वनस्पतियों का विकास किन दो कारकों पर अधिकतर निर्भर करता है?
वनस्पति की वृद्धि अधिक तापमान एवं नमी पर निर्भर करती है। इसके अलावा यह ढाल एवं मिट्टी की परत को मोटाई जैसे कारकों पर भी निर्भर करती है। इन घटकों में अंतर के कारण किसी स्थान की प्राकृतिक वनस्पत्ति की सघनता एवं प्रकार में भी परिवर्तन होता है।
(ख) प्राकृतिक वनस्पतियों की तीन मुख्य श्रेणियाँ कौन – सी है?
आमतौर पर प्राकृतिक वनस्पति को निम्न तीन श्रेणियों में वर्गीकृत किया जाता है:
- वन: जो वृक्षों के लिए उपयुक्त तापमान एवं परिपूर्ण वर्षा वाले क्षेत्रों में उगते हैं। इन कारकों के आधार पर सघन एवं खुले वन विकसित होते हैं।
- घास स्थल: जो मध्यम वर्षा वाले क्षेत्र में विकसित होते हैं ।
- काँटेदार झाड़ियाँ: काँटेदार झाड़ एवं झाड़ियाँ केवल शुष्क क्षेत्रों में पैदा होते हैं।
(ग) उष्ण कटिबंधीय सदाबहार वन के दो दृढ़ काष्ठ वाले पेड़ों के नाम बताएँ।
आमतौर पर उष्ण कटिबंधीय सदाबहार वन के दो काष्ठ वृक्ष जैसे रोजवुड, आबनूस, महोगनी है।
(घ) विश्व के किस भाग में उष्णकटिबंधीय पर्णपाती वन पाए जाते है?
उष्णकटिबंधीय पर्णपाती वन मानसूनी वन होते हैं जो भारत, उत्तरी आस्ट्रेलिया एवं मध्य अमेरिका के कई हिस्सों में पाए जाते हैं। इन क्षेत्रों में मौसमी परिवर्तन होते रहते हैं। जल संरक्षित रखने के लिए शुष्क मौसम में यहाँ के वृक्ष पत्तियाँ झाड़ देते हैं। इन वनों में पाए जाने वाले दृढ़ काष्ठ वृक्षों में साल, सागवान, नीम तथा शीशम हैं।
(च) नींबू-वंश (सिट्रस) के फल किस जलवायु में उगाए जाते हैं?
नींबू – वंश फल गर्म – शुष्क ग्रीष्म एवं वर्षा वाली मृदु शीत ऋतुएँ होती हैं । इन क्षेत्रों में आमतौर पर संतरा, अंजीर, जैतून एवं अंगूर जैसे निबु – वंश (सिट्रस) के फल पैदा किए जाते हैं, क्योंकि लोगों ने अपनी इच्छानुसार कृषि करने के लिए यहाँ प्राकृतिक वनस्पति को हटा दिया है। ये भाग भूमध्य सागरीय प्रदेशों में पाए जाते है। इस प्रदेश में ग्रीष्म ऋतु शुष्क व वर्षा रहित होती है तथा सर्दियों में वर्षा होती है।
(छ) शंकुधारी वन के कोई चार उपयोग बताएँ।
उत्तरी गोलार्द्ध के उच्च अक्षांशों (50 ° -70°) में भव्य शंकुधारी वन पाए जाते हैं। इन्हें ‘ टैगा ‘ भी कहते हैं। ये वन अधिक ऊँचाइयों पर भी पाए जाते हैं। इन्हीं वृक्षों को सलीमा ने हिमालय में प्रचुर मात्रा में देखा था। ये लंबे, नरम काष्ठ वाले सदाबहार वृक्ष होते हैं। इन वृक्षों के काष्ठ का उपयोग लुगदी बनाने के लिए किया जाता है, जो सामान्य तथा अखबारी कागज बनाने के काम आती है। नरम काष्ठ का उपयोग माचिस एवं पैकिंग के लिए बक्से बनाने के लिए भी किया जाता है। सजावट का सामान बनाने के लिए भी इनका उपयोग किया जाता है। चीड़, देवदार आदि इन वनों के मुख्य पेड़ हैं।
(ज) विश्व के किन भागों में मौसमी घासस्थल पाए जाते हैं?
ये वन भूमध्य रेखा के किसी भी तरफ उग जाते हैं और भूमध्य रेखा के दोनों ओर से उष्णकटिबंध क्षेत्रों तक फैले हैं। यहाँ वनस्पति निम्न से मध्य वर्षा वाले क्षेत्रों में पैदा होती है। यह घास काफी ऊँची लगभग 3 से 4 मीटर की उँचाई तक बढ़ सकती है। अफ्रीका का सवाना घासस्थल इसी प्रकार का है। सामान्य रूप से उष्णकटिबंधीय घासस्थल में हाथी, जेबरा, जिराफ़, हिरण, तेंदुआ आदि जानवर पाए जाते हैं।
प्रश्न.2. सही ( √ ) उत्तर चिह्नित कीजिए-
(क) काई एवं लाइकेन पाए जाते हैं।
(i) रेगिस्तानी वनस्पति में
(ii) उष्णकटिबंधीय सदाबहार वन में
(iii) टुंड्रा वनस्पति में
सही उत्तर (iii) टुंड्रा वनस्पति में
(ख) काँटेदार झाड़ियाँ मिलती हैं
(i) गर्म एवं आई, उष्णकटिबंधीय जलवायु में
(ii) गर्म एवं शुष्क, रेगिस्तानी जलवायु में
(iii) ठंडी ध्रुवीय जलवायु में
सही उत्तर (ii) गर्म एवं शुष्क, रेगिस्तानी जलवायु में
(ग) उष्णकटिबंधीय सदाबहार वने का एक सामान्य जानवर:
(i) बंदर
(ii) जिराफ़
(iii) ऊँट
सही उत्तर (i) बंदर
(घ) शंकुधारी वन की महत्त्वपूर्ण वृक्ष प्रजाति:
(i) रोज़वुड
(ii) चीड़
(iii) सागवान
सही उत्तर (ii) चीड़
(च) स्टेपी घासस्थल पाए जाते हैं:
(i) दक्षिण अफ्रीका
(ii) आस्ट्रेलिया
(iii) मध्य एशिया
सही उत्तर (iii) मध्य एशिया
प्रश्न.3. निम्नलिखित स्तंभों को मिलाकर सही जोड़े बनाइए-
प्रश्न.4. कारण बताइए-
(क) धुवीय प्रदेशों में रहने वाले जानवरों की फर एवं त्वचा मोटी होती हैं।
ध्रुवीय प्रदेशों में सर्दी बहुत अधिक पड़ती है। यहाँ के जानवरों के शरीर पर मोटा फर एवं मोटी चमड़ी उन्हें इस भयंकर ठण्ड से बचाती है तथा उन्हें सुरक्षित रखती है।
(ख) उष्ण कटिबंधीय पर्णपाती वन, शुष्क मौसम में अपनी पत्तियाँ गिरा देते है।
यहाँ गर्मियों में अधिक गर्मी पड़ती है। जल संरक्षित करने के लिए ये वन अपनी पत्तियाँ गिरा देते हैं। इससे वाष्पीकरण कम होता है तथा जल संरक्षित रहता है।
(ग) वनस्पति के प्रकार एवं सघनता एक स्थान से दूसरे स्थान पर बदलते रहते हैं।
वनस्पति की वृद्धि तापमान एवं नमी पर निर्भर करती है। इसके अतिरिक्त, यह ढाल एवं मिट्टी की परत की मोटाई जैसे कारकों पर भी निर्भर करती है। इन घटकों में अंतर के कारण किसी स्थान की प्राकृतिक वनस्पति की सघनता एवं प्रकार में भी परिवर्तन होता है।
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